Friday, 31 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नववर्ष समारोह का आयोजन

 


हमेशा बड़ा सोचें, पहले सोचें और सोचने के बाद निरन्तर प्रयास करें- कुलपति प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 1 जनवरी 2022। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि हमेशा बड़ा सोचें, पहले सोचें और सोचने के बाद निरन्तर प्रयास करें। बाधाओं के मार्ग में आने पर घबराएं नहीं। सफलता के लिए यही सूत्र काम करता है। सफलता मिलने पर दुनिया आपको जानती है और असफलता मिलने पर आप दुनिया को समझ जाते हैं। सफलता व असफलता एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। प्रयत्न सदैव पूरी लगन से करना चाहिए। कमजोरी और कमियों को दूर करने में अपनी परी ताकत झांेक दें, चलना अनवरत जारी रखें, तभी लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे। बाधाओं का पिंजरा इससे टूट जाता है। किसी की पहचान या सिफारिश से काम नहीं करवाएं, बल्कि अपनी पहचान खुद अपने काम से बनाएं। कभी गलतियों की पुनरावृति नहीं होने दें। अपनी गति को कभी मंद नहीं होने दें और उसे निरन्तर बढाएं। वे यहां जैविभा विश्वविद्यालय के सेमिनार हाॅल में आयोजित नववर्ष समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गत वर्ष में कुछ गलतियां होती हैं, तो अनेक उपलब्धियां भी होती हैं। हमें गलतियों को नहीं दोहराने और उपलब्धियों को सतत बढाने का संकल्प लेना चाहिए। सच का साथ सदैव देते रहें और हौसला रख कर बाधाओं को पार करते रहें। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने नववर्ष को अनवरत ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला और विकास का माध्यम बताया। अंग्रेजी विभाग की प्रो. रेखा तिवाड़ी ने अपने कामों का विश्लेषण करने और गलतियों को सुधार कर आगे बढने की प्रेरणा दी। प्रो. दामोदर शास्त्री ने उपमाएं देते हुए पतझड़ को नव बसन्त के आगमन का सूचक बताया। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, कुलसचिव रमेश कुमार मेहता, विताध्किाारी आरके जैन, समाज कार्य विभाग की डाॅ. पुष्पा मिश्रा, अहिंसा एवं शांति विभाग के डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, प्राकृत व संस्कृत विभाग के डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के डाॅ. आलोक जैन, योग एवं जीन विज्ञान विभाग के डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत आदि ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का संचालन एवं अंत में आभार ज्ञापन डाॅ. युवराज सिंह खंगारोत ने किया। कार्यक्रम के पश्चात् सामुहिक भोज का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सभी शैक्षिक एवं अशैक्षणिक कार्मिक उपस्थित थे।

Tuesday, 28 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आत्मरक्षार्थ मार्शल आर्ट के गुर सिखाने के लिए सात दिवसीय कार्यक्रम शुरू

 


छात्राओं में अभय रहने के आत्मबल का विकास जरूरी- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 29 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने के लिए सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारम्भ बुधवार को किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर बताया कि छात्राएं अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक बनें और उनमें अभय रहने के आत्मबल का विकास इस प्रशिक्षण के माध्यम से हो पाएगा। उन्होंने कहा कि अकेली छात्रा कहीं भी किसी भी विपरीत परिस्थिति में बदमाशों का मुकाबला करने और उन्हें सफलता पूर्वक पछाड़ने में सक्षम बन पाएगी। छात्राओं का मनोबल बढने और उनमें आत्मरक्षा की मनोस्थिति का निर्माण होने से वे कहीं भी पीछे नहीं हटेंगी और वे प्रत्येक प्रतिस्पर्धा के लिए बेखौफ होकर आगे बढ सकेंगी। छात्राएं यहां एनसीसी प्रभारी लेफ्टिनेंट आयुषी शर्मा की देखरेख में यह प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। मार्शल आर्ट प्रशिक्षक सलोनी शर्मा ने बुधवार को छात्राओं को किक, पंच व ब्लाॅक के विविध प्रकारों का अभ्यास करवाया। उन्होंने माहगेरी, मवासीगेटी, स्लेब किक, मिडिल पंच, अपर पंच व लाॅअर पंच की विधियां बताई और उनकी प्रेक्टिश करवाई।

Sunday, 19 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शिक्षा विभाग की नव प्रवेशित छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रोग्राम का आयोजन

 

शिक्षण के साथ गुणों का बीजारोपण भी जरूरी- प्रो. जैन

लाडनूँ, 20 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में नवागन्तुक छात्राओं हेतु इंडक्शन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नव प्रवेशित छात्राओं ने विविध आकर्षक सांस्कृतिक कार्यकम प्रस्तुत किये। इंडक्शन प्रोग्राम ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों मंच पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें व्यक्तित्व विकास में सहायक बताया। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय मूल्यों पर आधारित शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यहां विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए पूरा जोर दिया जाता है तथा शिक्षा के साथ उनके शारीरिक, बौद्धिक व भावात्मक विकास को केन्द्रित करके विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। यहां विद्यार्थियों के इनडोर व आउटडोर खेलकूद की समुचित व्यवस्था के साथ ही उनके सांवेगिक विकास के लिए योग एवं प्रेक्षाध्यान का नियमित अभ्यास करवाया जाता है। शिक्षा विभाग में शिक्षकों के निर्माण के साथ उनमें एक आदर्श शिक्षक के गुणों का बीजारोपण भी किया जाता है। प्रो. जैन ने नवागन्तुक छात्राओं को विभाग के सभी संकाय सदस्यों से भी परीचित करवाया। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. आभा सिंह ने इंडक्शन प्रोग्राम का उद्देश्य बताते हुए कहा कि नवागन्तुक छात्राओं को विभाग से परिचित करवाने एवं छात्राओं की प्रतिभाओं से परिचित होने के लिए यह आयोजन किया जाता है।

Friday, 17 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ईयर ऑफ़ मिलेट्स पर कार्यक्रम आयोजित

 


शरीर की वृद्धि, शक्ति और संचालन के लिए योग्य अन्न का सेवन जरूरी- प्रो. जैन

लाडनूँ, 18 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में ईयर ऑफ़ मिलेट्स के तहत कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्देशत कार्यक्रमों के अंतर्गत शनिवार को ऑनलाइन एवं ऑफ़लाईन पद्धति की संयुक्त प्रणाली से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 109 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में प्रभारी डॉ. सरोज राय ने बताया कि वर्तमान समय के बदलते परिवेश में लोगों का आकर्षण फ़ास्ट फ़ूड के प्रति बढ़ रहा है।, जिसका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि हमें मोटे अनाज को ग्रहण करना चाहिए, क्योकि यह धन-धान्य शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी को पूरी करता है। इनके सेवन से भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम, फास्फोरस, फाइबर आदि मिलता है, जो कोलेस्ट्रोल, रक्तचाप, शुगर आदि को नियंत्रित करते हैं। कार्यक्रम के समन्वयक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने वैज्ञानिक और दार्शनिक आधार पर आहार के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो कुछ हम खाते हैं, उसे वेद में अन्न का गया है। जिस प्रकार का भोजन हम ग्रहण करते हैं, उसी प्रकार का हमारा मन बनता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अन्न का सबसे पहले रस बनता है, इस रस का सार खून, खून का सार मांस, मांस का सार चर्बी, चर्बी का सार हड्डी, हड्डी का सार मज्जा, मज्जा का सार शुक्र या वीर्य, वीर्य का सार मन और मन का सार ओज है। शरीर के तीन मुख्य कार्य है- वृद्धि, शक्ति और संचालन। प्रोटीन और खनिज पदार्थ शरीर का विकास करते हैं, कार्बाेहाइड्रेट और वसा शरीर में शक्ति बढ़ाने का कार्य करते हैं और विटामिन्स शरीर के विभिन्न कार्याे को संचालित करते हैं। इस प्रकार संतुलित आहार ही हमारे जीवन को सर्वाेत्तम ढंग से विकसित करता है। हम सभी को अपनी दिनचर्या में मोटे और चोकर अनाज की रोटी, हरी सब्जी, फल, सलाद आदि को शामिल करना चाहिए, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ्य रह सके। कार्यक्रम समस्त संकाय सदस्य उपस्थित थे। डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. अमिता जैन, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, प्रमोद ओला आदि इस कार्यक्रम की श्रृंखला में पोस्टर प्रतियोगिता, सेमिनार, कार्यशाला वाद-विवाद भी क्रमशः आयोजित किए जाएंगे।

Thursday, 16 December 2021

जैन विश्वभारती (मान्य विश्वविद्यालय) में छात्राओं ने विभिन्न प्रोजेक्ट तैयार कर किया प्रस्तुतिकरण

 


शिक्षा के साथ बाहरी दुनिया की जानकारी होती है विकास में सहायक- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 17 दिसम्बर 2021। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि विद्यार्थियों में रचनात्मक कार्यों की तरफ रूझान पैदा करने के लिए विविध कार्यक्रमों का आयोजन इस महाविद्यालय और जैविभा विश्वविद्यालय की विशेषता रहा है। बी.कॉम. की प्रथम वर्ष की छात्राओं ने विभिन्न विषयों का चित्रांकन और उनके बारे में किया गया प्रस्तुतिकरण सराहनीय है। सभी छात्राओं को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। शिक्षा के साथ बाहरी दुनिया के बारे में जानकारी लेना और उनके बारे में अपने विचारों को निर्मित करना महत्वपूर्ण है और विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के मार्ग को प्रशस्त करती हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जगदीश यायावर ने छात्राओं की उत्साहजनक प्रस्तुति और आकर्षक चित्रांकन की सराहना की और इसे शैक्षणेत्तर गतिविधियों में श्रेष्ठ कदम बताया। कार्यक्रम की संयोजिका सहायक आचार्य प्रगति चौरड़िया ने कहा कि छात्राएं देश की अर्थव्यवस्था के साथ विश्व भर की स्थिति और उसके प्रभाव पर भी नजर रखती है और यह जानकारी उनके विकास में सहायक सिद्ध होती है। कार्यक्रम में छह प्रकार के प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए गए, जिनमें योगिता जांगिड़ ने कोविड की स्थिति के प्रभाव का चिंत्रांकन किया और उसके बारे में अपना प्रस्तुतिकरण दिया। आकांक्षा ने आर्थिक क्षेत्र की शब्दावलियों के बारे में बताया और उसे चित्रांकित किया। मोहिनी प्रजापत ने आत्मनिर्भर भारत को रेखांकित करते हुए कृषि, आयात, निर्यात आदि के आर्थिक कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। डिम्पल जांगिड़ ने अपने प्रस्तुतिकरण में ऑटोमोबाईल क्षेत्र में मार्केटिंग के विविध आयामों पर रोशनी डाली। करिश्मा सोनी ने पर्यावरण क्षेत्र में कोविड के प्रभाव को रेखांकित किया और उसकी हर दिशा के बारे में जानकारी दी। विशाखा जांगिड़ ने उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और भूमि, श्रम, पूंजी, साहस के महत्व को रेखांकित किया। प्रारम्भ में आकांक्षा ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया और अंत में योगिता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रगति चौरड़िया ने किया। कार्यक्रम में अन्य छात्राएं एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।

Friday, 10 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में प्रशासनिक व शैक्षणिक क्षमताओं में वृद्धि के समबंध में निर्देश

 


स्किल बेस्ड पाठ्यक्रमों का निर्माण आवश्यक- कुलपति

लाडनूँ, 11 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने विश्वविद्यालय की प्रशासनिक एवं शैक्षणिक क्षमताओं में वृद्धि को लेकर आयोजित एक बैठक में कहा कि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा ए-ग्रेड प्रदान की गई है। परन्तु, हमें यहीं पर नहीं ठहर जाना है, बल्कि इससे भी आगे बढना है। विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रमों, शोध-कार्यों, स्किल बेस्ड कार्यक्रमों, अल्पकालीन अन्तर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रमों आदि के परिवर्तन हेतु वर्तमान व्यवस्था में आवश्यक बदलाव लाने जरूरी हैं। सामान्य पाठ्यक्रमों की शिक्षा के साथ स्किल आधारित अध्यापन कार्यक्रम को भी उन्होंने जरूरी बताया तथा कहा कि सभी विभागों को ऐसे कदम उठाने चाहिएं, जिसमें विद्यार्थियों को रोजागारोन्मुखी अध्ययन करने हेतु प्रेरणा मिल सके। उन्होंने बताया कि संस्थान का योग शिक्षा में विशेष महत्व है और यहां से योग प्रशिक्षित युवा देश-विदेश में प्रमुख संस्थानों या स्वतंत्र रूप से कार्य करके विशेष आर्थिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने योग एवं जीवन विज्ञान विभाग को निर्देश दिए कि वे आस पास के क्षेत्रों यथा लाडनूँ, सुजानगढ, छापर, बीदासर आदि के अस्पतालों में एक योग चैम्बर की स्थापना करें और वहां मरीजों को योग-थैरेपी की परामर्श सुविधाएं प्रदान करें। कुलपति ने विश्वविद्यालय के अन्तर्राष्ट्रीय सम्पर्क एवं मामलात सम्बंधी कार्यालय को भी अधिक कार्य के लिए निर्देश दिए तथा कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए भी अल्पकालीन पाठ्यक्रम बनाएं जाने चाहिएं, ताकि विदेशों से भी विद्यार्थी यहां आकर अध्ययन कर सकें। विदेशी सम्पर्कों में भी बढोतरी को उन्होंने आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप संस्थान के समस्त पाठ्यक्रमों को पुनर्रचित करना होगा। उन्होंने विभिन्न अल्पकालीन पाठ्यक्रमों के निर्माण पर भी जोर दिया। फेकल्टी डवलेपमेंट पर जोर देते हुए कुलपति ने कहा कि शैक्षणिक के साथ समस्त गैर-शैक्षणिक कार्मिकों को कम्प्यूटर आदि समस्त आधुनिक तकनीक में पारंगत होना आवश्यक है। इसके लिए संस्थान द्वारा विभिन्न प्रोग्राम संचालित किए जाते रहते हैं, उनका लाभ अब सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से प्राप्त करना होगा, ताकि नवीन तकनीक से वे अपने स्वयं के विकास के साथ संस्थान को भी लाभान्वित कर सकें। कुलपति ने शैक्षणिक स्टाफ से शोध पर विशेष जोर देने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी शिक्षकों को अपने शोध आलेखों को तैयार करके उनका प्रकाशन यूजीसी मान्य व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाने चाहिए। इस बैठक में सभी शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. नलिन के. शास्त्री ने किया।

जैनविश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्द्धन व्याख्यानमाला के तहत व्यक्तित्व विकास एवं संवेगों का प्रभाव पर व्याख्यान

 

व्यक्त्त्वि निर्माण में सहायक होते हैं संवेग- प्रो. जैन

लाडनूँ, 11 दिसम्बर 2021। जैनविश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में शनिवार को संकाय संवर्धन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला में आचार्य महाप्रज्ञ के विचारों में व्यक्तित्व विकास में धर्मश्रद्धा और संवेगों के प्रभाव और संवेगों के विभिन्न प्रकारों पर विचार प्रकट किए गए। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए व्याख्यान में कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण के चिन्तन में संवेग धर्मश्रद्धा की पुष्टि है और धर्मश्रद्धा की पुष्टि से संवेग पुष्ट होते है। संवेग अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया और लोभ का क्षय करते है। इस प्रकार संवेग से धर्मश्रद्धा की वृद्धि और धर्मश्रद्धा से संवेग की पुष्टि होती है। विविध संवेग अलग-अलग व्यवहार, व्यक्तित्व और व्यक्तियों का निर्माण करते है। संवेग सकारात्मक और नकारात्मक दो प्रकार के होते हैं। सकारात्मक संवेग- प्रेम, आनन्द, सृजनात्मक आदि संवेग हैं, जो व्यक्ति के लिए हितकारी होते हैं। नकारात्मक संवेग- भय, क्रोध, इर्ष्या आदि विषादयुक्त संवेग हैं, जो व्यक्ति के लिए अहितकारी होते है।

सात्विक गुणों का विकास आवश्यक

प्रो. जैन ने बताया कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ कहते हैं, क्रोध का संवेग खतरनाक होता है। अतः क्रोध करने वाले को ईंट का जबाब पत्थर से देने के बदले फूल से देना चाहिए। अहिंसा, नैतिकता, प्रमाणिकता, अनुकंपा आदि से प्राणी में सात्विक गुणों का विकास होता है। उससे व्यक्ति को क्रोध कम आता है। कामुकता से सदैव दूर रहना चाहिए, क्योंकि काम उद्दीप्त व्यक्ति का पतन शीघ्र होता है। अहंकार भी पतन की ओर ले जाता है। इसलिए व्यक्ति को विनम्र और पुरुषार्थी होना चाहिए। ईर्ष्या की प्रवृत्ति अधिक नहीं बढाना चाहिए। यह प्रवृत्ति दुःखों का कारण होती है और बंधन का कारण बनती है। व्यक्ति को राग रहित प्रेम को करना चाहिए। वह प्रेम सात्विक होता है। भयभीत व्यक्ति कभी अपना विकास नहीं कर सकता है। अभय का विकास दैवीय सम्पदा का विकास है। जो व्यक्ति जितना अधिक प्रसन्न रहता है, उसका स्वास्थ्य उतना ही अच्छा होता है। अतः जीवन में हर परिस्थिति में प्रसन्नता का भाव में रहना चाहिए। क्योंकि संवेग व्यक्ति के जीवन की चरित्रशाला है, संवेग से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के डॉ,. मनीष भटनागर, डॉ. बी प्रधान, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन, डॉ. सरोज राय, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. आभा सिंह, डॉ, गिरधारी लाल शर्मा, डॉ. अजीत कुमार पाठक आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे। का आभार ज्ञापित किया गया।

Thursday, 9 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

 


समानता, सह-अस्तित्व और परोपकार की भावनाएं ही मानवाधिकार रक्षा की आधार- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 10 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय तथा अहिंसा एवं शांति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. दामोदर शास्त्री ने की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि समानता, सह-अस्तित्व और परोपकार की भावनाएं ही मानवाधिकार की रक्षा की आधार होती हैं। जो कुछ भी अपने प्रति प्रतिकूल हो, वह किसी भी दूसरे के लिए नहीं करना चाहिए। अधिकार व कर्तव्य परस्पर साथ-साथ चलने वाले हैं। जीवो और जीने दो की भावना भी मानवाधिकारों की पूरह होती है। मानवाधिकार अपरिवर्तनशील और सार्वभौम होते हैं। ये सबके लिए होते हैं। हम अपने लिए किसी दूसरे के अधिकार का हनन नहीं कर सकते। उन्होंने मानवाधिकारों के लिए विवेक की जरूरत पर बल दिया। अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि सभी सुख चाहते हैं, इसलिए आवश्यक है कि हम सुखी रहें और किसी अन्य के सुख में बाधक नहीं बनें। अधिकारों के प्रति सजग रहें और किसी दूसरे के अधिकार का हनन भी नहीं करें। उन्होंने चार पुरूषार्थों को ही मानवाधिकार का मूल बताया और कहा कि सुख के लिए ही इन चार पुरूषार्थों को बनाया गया था। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के आधार पर ही कर्तव्य बनते हैं, जिनका पालन करना ही अधिकार भी बन जाते हैं। कर्तव्य व अधिकार एक दूसरे से मिले हुए हैं। प्रो. अनिल धर ने सर्व जीव अधिकार की बात करते हुए पर्यावरण के संरक्षण पर बल दिया और कहा कि ईश्वर रचित सृष्टि में प्रतयेक वस्तु का सम्मान करने से ही अधिकारों की रक्षा होती है। प्रो. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने वेदों में वर्णित सिद्धांतों के मानवाधिकारों के बारे में बताया और कहा कि प्रेम, भाईचारा, सहिष्णुता और समानता से ही मानवाधिकारों की रक्षा संभव है। प्रो. रेखा तिवाड़ी ने कर्तव्यों को अधिकारों से ऊपर बताया तथा कहा कि कर्तव्य पालन करने पर ही अधिकारों की मांग जायज होती है। उन्होंने आचरण सुधार पर जोर दिया। कार्यक्रम में छात्रा हेमपुष्पा चौधरी व वंदना आचार्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़ व डॉ. बलवीर सिंह चारण ने प्रारम्भ में स्वागत वक्तव्य और विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लिपि जैन ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने सीडीएस जनरल विपिन रावत व अन्य सैनिक अधिकारियों के प्रति दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Wednesday, 1 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नवप्रवेशित विद्यार्थियों में साईबर जागरूकता पैदा करने के लिए एक सेमिनार का आयोजन

 


विद्यार्थियों को साईबर क्राइम के प्रति जागरूक किया

लाडनूँ, 2 दिसम्बर 2021। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्देशित ‘साईबर जागरूकता दिवस’ के अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नवप्रवेशित विद्यार्थियों में साईबर जागरूकता पैदा करने के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया गया। ‘साईबर अपराध एवं साईबर कानून’ विषय पर आयोजित इस सेमिनार में कार्यक्रम प्रभारी आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कम्प्यूटर, मोबाईल व इंटरनेट के माध्यम से साईबर क्राईम को अंजाम दिया जाता है। इसमें डेटा हैंकिंग, फिसिंग, अवैध डाउनलोडिंग, वायरस प्रसार एवं अन्य गतिविधियां शामिल है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने साईबर क्राइम सम्बंधी कानूनों की जानकारी देते हुए आईटी एक्ट 2000 तथा आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 के बारे में विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि साईबर कानूनों के प्रयोग से भौतिक दुनिया और वर्चुएल दुनिया की पारस्परिक गतिविधियों से होने वाले अपराधों की रोकथाम सम्भव है। कार्यक्रम के संयोजक डा. गिरधारीलाल शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों में साईबर अपराधों के प्रति जागरूकता लाने की पहल की जा रही है। उन्होंने बताया कि यूजीसी ने ऐसे कार्यक्रम प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को किए जाने हैं, जो निरन्तर एक वर्ष तक चलाए जाएंगे। अंत में कार्यक्रम के सह-संयोजक डा. बलवीरसिह ने आभार ज्ञापित किया।

Friday, 26 November 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ’आचार्य महाप्रज्ञ का प्राकृत साहित्यः समाज को एक अनूठी देन’ पर व्याख्यान का आयोजन

 


आचार्य महाप्रज्ञ ने आर्ष प्राकृत व आर्ष व्याकरण को उजागर किया- प्रो. कल्पना जैन

लाडनूँ, 27 नवम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में ‘भारत का गौरवः प्राकृत भाषा एवं साहित्य‘ विषयक मासिक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत आयोजित पंचम व्याख्यान के रूप में श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्राकृत भाषा विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. कल्पना जैन ने शनिवार को ’आचार्य महाप्रज्ञ का प्राकृत साहित्यः समाज को एक अनूठी देन’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता प्रो. कल्पना जैन ने आचार्य महाप्रज्ञ को शब्दों का जादूगर बताया तथा कहा कि उन्होंने आगम साहित्य का भाषा और शब्दावली पर बहुत काम किया हुआ है। उन्होंने आगमों के सम्पादन का चुनौतीपूर्ण कार्य करके दिखाया। सम्पादन कार्य में आई विभिन्न समस्याओं, अक्षरों व शब्दों का समाधान भी उन्होंने प्रस्तुत किया। प्राकृत भाषा को लोकभाषा माना जाता है, क्योंकि लोकभाषा के बहुत से शब्द प्राकृत में समाहित हो गए, जिन्हें सूक्ष्म और पारखी सम्पादकीय दृष्टि से सामने लाए गए। उन्होंने वेदों की छंदस् भाषा का उल्लेख करते हुए प्राकृत को वैदिक भाषा के समकक्ष बताया तथा कहा कि जब श्रुति को लिखित वेदों का रूप दिया गया तो उनमें बोलचाल की भाषा के शब्दों का समावेश भी हो गया। आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने अनुपलबध प्राकृत व्याकरण के नियमों की जानकारी दी। आगमों का व्याकरण प्राचीन नियमों में सम्बद्ध है। प्रो. जैन ने बताया कि आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ व सहयोगियों ने आगम के सम्पादन के महत्ती कार्य को पूर्ण किया। इसमें उन्होंने आर्ष व्याकरण और आर्ष प्राकृत के बारे में बताया।

प्राकृत व संस्कृत परस्पर सहयोगी भाषाएं

डॉ. समणी संगीत प्रज्ञा ने इस अवसर पर बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ ने पहली बार प्राकृत भाषा में धाराप्रवाह व्याख्यान देकर सबको अचम्भित कर दिया था। व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि प्राकृत एक सहज भाषा है, प्रकृतिदत्त है और संस्कृत को बनाया गया है। संस्कृत में व्याकरण नियमों की बहुतायत कर दी गई है। आधुनिक संस्कृत पाणिनी के व्याकरण पर आधारित है। जिसे व्याकरण का पूरा ज्ञान है, वहीं संस्कृत बोल व लिख सकता है, जबकि प्राकृत को सहज ही बोला जा सकता है। यह सीधी व सरल भाषा है। उन्होंने कहा कि प्राकृत वाले के लिए संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है। दोनों भाषाओं का साथ जरूरी है। संस्कृत वालों को प्राकृत पढनी चाहिए और प्राकृत वालों का संस्कृत का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डा. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया। कार्यक्रम में अरिहंत कुमार जैन, प्रो. जयपाल भिवानी, मनोज रॉय, प्रियंका गुप्ता, पीके शीशधरण, जयकुमार उपाध्याय, शिल्पा घोष, राजू दूगड़, सुमत कुमार जैन, मीनू स्वामी, सुलेख जैन, नीरज कुमार, जयंत शाह, ममता शर्मा, आयुषी शर्मा, पवित्रा जैन, प्रेमकुमार सुमन, रजनीश गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।

Thursday, 25 November 2021

जैन विश्वभारती संस्थान में संविधान दिवस पर सामुहिक उद्देशिका पठन किया और संकल्प लिया

 


संविधान की रक्षा के लिए समता, एकता और अखंडता जरूरी है- कुलपति

लाडनूँ 26 नवम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय में संविधान दिवस पर शुक्रवार को संविधान की उद्देशिका का सामुहिक पठन किया गया तथा कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की अगुवाई में सामुहिक रूप से शपथ ग्रहण की गई, जिसमें देश के सम्पूर्ण प्रभुत्व, लोकतंत्रात्मक गणराज्य की अवधारणा की मजबूती और समस्त नागरिक अधिकारों की रक्षा के साथ कर्तव्य पालन करते हुए समस्त प्रकार की समता रखने और राष्ट्र की एकता और अखण्डता को बनाए रखने के लिए दृढ़संकल्प अभिव्यक्त किया गया। इस अवसर पर कुलपति ने संविधान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि देश में विभिन्न समुदायों के जाति, धर्म, वर्ग, प्रांत, भाषा के अनुसार निवास करने वाले लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करने का काम संविधान करता है। देश को लोकतांत्रिक पद्धति से संचालित करने की व्यवस्था और सरकारों के अधिकारों की सीमा के साथ नागरिकों के अधिकारों और कर्त्तव्यों का निर्धारण भी संविधान करता है। संविधान ही देश को विकसित और सुदृढ बनाने तथा दिशा निर्धारण करने का काम करता है। कार्यक्रम में प्रो. नलिन शास्त्री ने संविधान की भावनाओं को विस्तार से बताया तथा कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि संविधान का सम्मान करे। प्रो. रेखा तिवाड़ी और डॉ. युवराज सिंह खांगारोत ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त की और संविधान के प्रति सम्मान को जरूरी बताया। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता, विताधिकारी राकेश कुमार जैन, डॉ. बलवीर सिंह चारण, पंकज भटनागर, प्रगति चौरड़िया, डॉ. जेपी मिश्रा, दीपाराम खोजा, रमेशदान चारण आदि सहित सभी स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।

दिलों को जोड़ता है भारत का संविधान

विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रो. बी.एल. जैन ने कहा कि 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा संविधान को स्वीकार करने से महत्वपूर्ण दिन बन गया है। भारतीय संविधान के कारण शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक आदि विकास संभव हो पाए हैं। संविधान ने सबको एकता के सूत्र में बांधा तथा जाति, रंग, क्षेत्र के भेद को मिटाया है। हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन आदि सभी धर्मावलम्बियों को दिल से जोड़ने एवं अखंडता को मजबूत बनाने का सुअवसर प्रदान किया है। डॉ. बी.प्रधान ने संविधान संरक्षण की शपथ भी दिलायी। कार्यक्रम में शिक्षा संकाय के डॉ.मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभासिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, प्रमोद ओला आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग की एमएड, बीएड एवं बीए-बीएड, बीएससी-बीएड की लगभग 94 छात्राओं ने भाग लिया।

Friday, 12 November 2021

जैन विश्वभारती संस्थान में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में ‘बाल दिवस कार्यक्रम’ आयोजित

 


सफलता के लिए जरूरी है समयबद्धता- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 13 नवम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय में भारत सरकार तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशन में आयोजित किए जा रहे ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में ‘बाल दिवस कार्यक्रम’ आयोजित किया गया। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक तथा आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पं. जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तित्व एवं योगदान पर विचार प्रस्तुत किए और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में बाल्यकाल में तनावमुक्त जीवन जीता है तथा यह उसके विकास की अवस्था होती है। हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है कि बाल्यावस्था में ही बच्चों को उसके अनुरूप अवसर मिले। इसके साथ ही उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि किसी भी काम को निर्धारित समय पर पूरा करने की प्रतिबद्धता रखने से ही सफलता के मार्ग पर आसानी से अग्रसर हो सकते हैं। प्रारम्भ में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रथम प्रभारी डॉ. प्रगति भटनागर ने संविधान निर्माण, राष्ट्रीय आंदोलन तथा राष्ट्र विकास में पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान तथा बाल दिवस के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में संस्थान की छात्राओं में हेमपुष्पा चौधरी, पूनम राय, इशिता राजपुरोहित, पूजा इनाणिया, विशाखा, योगिता, नंदिनी जांगिड़ तथा अभिलाषा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में अच्छी प्रस्तुति देने पर प्राचार्य प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने हेमपुष्पा चौधरी तथा पूनम राय को संस्थान का प्रतीक चिन्ह भेंट कर पुरस्कृत भी किया। कार्यक्रम में सहायक आचार्य अभिषेक चारण ने भी कविता के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। अंत में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वितीय प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह ने सभी का आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में श्वेता खटेड़, अभिषेक शर्मा, डॉ विनोद कुमार सैनी, देशना चारण आदि के साथ संस्थान के अनेक विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।

Thursday, 11 November 2021

जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति सहित सभी अधिकारी-कर्मचारियों ने की आचार्यश्री महाश्रमण से विशेष भेंट

 


तेरापंथ समाज का मानो भाग्य है जैन विश्वभारती संस्थान- आचार्यश्री महाप्रज्ञ

जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के अनुशास्ता एवं तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा है कि लाडनूं का जैन विश्वभारती संस्थान एक अलग तरह का अनूठा विश्वविद्यालय है। यह तेरापंथ समाज के लिए तो मानो भाग्य ही बन चुका है। इस संस्थान के सभी शिक्षकों, अधिकारियों एवं विद्यार्थियों के भीतर संस्कार नजर आने चाहिए। आचरण का प्रभाव विद्यार्थी और समाज पर पड़ता है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कार्मिकों से विशेष भेंट में उन्होंने विश्वविद्यालय को ‘ए’ श्रेणी दिए जाने को शुभ बताया तथा शास्त्रों में कहा गया है- अहंसविद्या चरणं पमोख्खए। यानि मोक्ष के लिए विद्या और आचरण का अनुशीलन करें। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मेंज्ञान और आचरण दोनों का महत्व रहता है। ज्ञान के बिना आचरण अधूरा रहता है और आचरण के बिना ज्ञान भी अधूरा होता है। ज्ञान के साथ-साथ आचरण की साधना बहुत जरूरी है। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अपने सम्बोधन में बताया कि जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय अब आत्मनिर्भर बनगया है। इसके स्वरूप और विकास के लिए गुरू के इंगित का पूरी तरह से ध्यान में रखा जाएगा। दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने नैक टीम के सदस्यों द्वारा की गई टिप्पणियों का उल्लेख किया तथा कहा कि टीम ने इस विश्वविद्यालय की स्वच्छता को पूरा ध्यान में रखा और इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वचछता अभियान का साकार स्वरूप बताया। साथ ही इसकी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की विशेषताओं, जैन विद्या, प्राकृत, जीवन विज्ञान आदि विशेष विषयों का विशिष्ट केन्द्र होने की बात कही। प्रो. त्रिपाठी ने इस अवसर पर ‘जिन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है’ कविता भी पढी, जिसमें उन्होंने ए-ग्रेड मिलने में ही संतोष करने के बजाए और आगे बढने के संकल्प को दर्शाया। प्रो. नलिन के. शास्त्री ने नैक के मूल्यांकन में मिली सफलता के लिए सभी के संगठित प्रयास को श्रेय प्रदान किया और कहा कि यहां ज्ञानयज्ञ में सबकी आहुतियां होने से ही सब अनुकूल होता जाता है। बैठक में प्रो. रेखा तिवाड़ी, विताधिकारी आरके जैन, डा. जुगल किशोर दाधीच आदि ने भी अपना मंतव्य व्यक्त किया। विशेष दर्शनलाभ और विमर्श के लिए आयोजित इस बैठक में सभी अधिकारीगण एवं कार्मिकगण उपस्थित थे।

जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय में एनसीसी की गर्ल्स बटालियन की भर्ती में छात्राएं दौड़ी



 लाडनूँ, 12 नवम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय में संचालित एनसीसी की 3राज गर्ल्स बटालियन में शुक्रवार को नई भर्ती के लिए छात्राओं से दस्तावेज संकलन के साथ दौड़ करवाई गई और मौखिक परीक्षा ली गई। जाएगी। लेफ्टिनेंट आयुषी शर्मा ने बताया कि शिक्षा विभाग एवं आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय की समस्त संकाय की छात्राओं के एनसीसी चयन के सम्बंध में भर्ती की इच्छुक छात्राओं से उनकी अंकतालिका, आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, फीस चालान एवं बैंक पासबुक की दो-दो फोटोप्रतियां, खेल या सांस्कृतिक प्रतियेागिताओं सम्बंधी प्रमाण पत्र एवं परिवार से आर्मी में होने या सेवानिवृत होने के प्रमाण आदि के संकलन सहित उनकी दौड़ करवाई गई तथा साक्षात्कार लिया गया। इसके बाद चयनित छात्राओं की सूची जोधपुर में इस बटालियन के उच्चधिकारियों को भेजी जाकर उससे अंतिम चयन किया जाएगा। इस अवसर पर आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, लेफ्टीनेंट आयुषी शर्मा एवं कोच अजयपालसिंह उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. त्रिपाठी को मिला साहित्य का शिखर सम्मान

 


लाडनूँ, 12 नवम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी को प्रयागराज की भारतीय संस्कृति एवं साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित विमर्श, सम्मान एवं कविकुम्भ के आयोजन के अवसर पर इस वर्ष का ‘राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी शिखर सम्मान’ से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान समाजसेवी विद्याशंकर तिवाड़ी और संस्थाध्यक्ष साहितयकार डा. विजयानन्द द्वारा प्रदान किया गया। प्रो. त्रिपाठी लम्बे समय से बाल साहित्य की रचना करते रहे हैं तथा इनकी 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित होने के साथ अनेक प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं भी छपती रहती है। प्रो. त्रिपाठी को पूर्व में प्रशासनिक एवं सांस्थनिक आदि विभिन्न क्षेत्रों से भी अनेक बार पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा चुका है। इस सम्मान के मिलने पर उन्हें यहां जैन धर्म एवं संस्कृति संरक्षण संस्थान की डा. मनीषा जैन, शरद जैन साहित्य संगम के अध्यक्ष जगदीश यायावर, अणुव्रत समिति के मंत्री डॉ. वीरेन्द्र भाटी मंगल, आलोक खटेड़ एवं अन्य सभी साहित्यकारों एवं साहितय प्रेमियों ने बधाइयां प्रदान की है।

Wednesday, 10 November 2021

कुलपति सहित जैन विश्वभारती संस्थान के कार्मिक-दल ने किए भीलवाड़ा में आचार्य महाश्रमण के दर्शन

 


शिक्षा के साथ संस्कारों का स्तर भी उच्चतर बने- आचार्यश्री महाश्रमण

लाडनूँ, 11 नवम्बर 2021। तेरापंथ धर्मसंघ के ग्याहरवें आचार्य एवं जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण ने कहा है कि यह विश्वविद्यालय उपकार के लिए बनाया हुआ गुरूदेव आचार्यश्री तुलसीपरिकल्पना की पूर्ति है। जैन शासन के विभिन्न संतों से मिलना होता है, तो स्वयं बताते हैं कि उन्होंने एम.ए. या पीएच.डी. जैन विश्वभारती संस्थान से किया है। इस संस्थान द्वारा हमें जैनत्व का प्रभाव भी देखने को मिलता है, जो सदैव बना रहना चाहिए। उन्होंने भीलवाड़ा में आए विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव एवं स्टाफ से भेंट एवं कुलपति से संस्थान की पूर्ण जानकारी लेने के बाद अपने सम्बोधन में संस्थान द्वारा नैक से ‘ए’ ग्रेड मिलने को विशेष बात बताते हुए कहा कि शिक्षा की व्यवस्था और सुन्दर होनी चाहिए तथा शिक्षा के साथ संस्कार का स्तर भी उच्चतर रहना चाहिए। साथ ही अणुव्रतों का प्रभाव भी बना रहे। उन्होंने जैविभा विश्वविद्यालय में आध्यात्मिक, धार्मिक व शैक्षिक संदर्भों में अच्छा काम और विकास बना रहने की शुभाशंषा व्यक्त की।

नैक की टीम ने माना आदर्श संस्थान

कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिस स्थान पर कभी जंगल था और पशु-पक्षी, सर्पादि विचरण करते थे, उस स्थान पर यह विश्वविद्यालय विकास के स्वरूप में स्थित है, जिसने पर्यावरण एवं पशु-पक्षियों के अस्तित्व के साथ उच्च शिक्षा के कार्य को संभाल रखा है। उन्होंने आचार्यश्री को बताया कि राष्ट्रीय प्रत्मयायन एवं मूल्यांकन परिषद नैक ने संस्थान को ‘ए’ श्रेणी प्रदान की है, जो उपलब्धि है और समाज को गौरवान्वित करने वाली है। यह संस्थान देश के उन विश्वविद्यालयों में खड़ा हो गया है, जिन्हें ‘ए’ ग्रेड प्राप्त है। उन्होंने इसे गुरूओं-अनुशास्ताओं की अनुकम्पा के रूप में लेते हुए कहा कि वे अपने ऑफिस में लगे आचार्य तुलसी, महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाश्रमण की संयुक्त तस्वीर को नमन करके प्रतिदिन प्रवेश के साथ ही उनसे संस्थान को आगे बढाने की अर्चना करते हैं। कुलपति ने नैक टीम की रिपोर्ट के कतिपय अंशों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि उन्होंने अपने लिए भी इस संस्थान को आदर्श बताते हुए वे यहां के डॉक्युमेंटेशन की प्रतियां लेकर गए हैं, ताकि अपने संस्थान में भी उन्हें लागू किया जा सके और उनके अनुरूप परिवर्तन लाया जा सके। उन्होंने इसे प्राचीन व आधुनिक शिक्षा के अद्भुत समन्वय का संस्थान माना और नैतिक शिक्षा के प्रसार के लिए देश के अग्रणी संस्थान के रूप में स्वीकार किया। इस संस्थान को उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मापदंडों में जैनविद्याओं के प्रसार, प्राकृत भाषा, योग व जीवन विज्ञज्ञन, अहिंसा एवं शांति के प्रसार एवं भारतीय मूल्यों के प्रसार के लिए उत्कृष्ट माना है।

महिला शिक्षा को दिया भरपूर बढावा

इस अवसर पर प्रो. समणी कुसुमप्रज्ञा ने आचार्य तुलसी के स्वप्न की साकार अभिव्यक्ति के रूप में जैविभा संस्थान को बताते हुए कहा कि वे बहुत सारी ऐसी बहिनों को जानती हैं, जिन्होंने मामूली पढी हुई होने और यहां तक कि दसवीं उतीर्ण भी नहीं होने के बावजूद इस संस्थान से शिक्षा ग्रहण की और एम.ए. तथा पीएच.डी. तक कर ली। यह संस्थान समाज के लिए गौरव की बात है। आचार्य तुलसी ने 1992 में यहां आने पर कहा था कि यहां के शिक्षक वेतन के लिए नहीं चेतन के लिए काम करें और आज हम देख रहे हैं कि यहां कुलपति से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के कर्मचारी भी समर्पित भाव से नैतिक मूल्यों के लिए काम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में उन्होंने आचार्यश्री महाश्रमण से छापर के पश्चात् अपना आगामी चातुर्मास लाडनूं फरमाने का निवेदन भी किया, ताकि तेरापंथ की राजधानी लाडनूं और जैन विश्वभारती संस्थान का और विकास हो सके। इस अवसर पर जैन विश्व भारती के पूर्व अध्यक्ष डॉ. धर्मचंद लूंकड़, रमेश सी. बोहरा, कुलसचिव रमेश कुमार मेहता, डॉ. जुगल दाधीच, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, उपनिदेशक पंकज भटनागर, विताधिकारी राकेश कुमार जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डॉ. युवराज सिंह खांगारोत, छा. भाबाग्रही प्रधान, डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डॉ. अशोक भास्कर, मोहन सियोल, दीपाराम खोजा, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. रविन्द्रसंिह राठौड़, डॉ. सतयनारायण भारद्वाज, डॉ. विनोद कुमार सैनी, आयुषी शर्मा, अभिषेक चारण, प्रकाश गिड़िया, अजयपाल सिंह भाटी, डॉ. वीरेन्द्र भाटी मंगल, राजेन्द्र बागड़ी, शरद जैन आदि उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान में ‘साईबर अपराधों के प्रति जागरूकता’ विषय पर वीडियो एवं पीपीटी निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन

पीपीटी निर्माण प्रतियोगिता में नीतू और वीडियो निर्माण में प्रियंका प्रथम रही

लाडनूँ, 11 नवम्बर 2021। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्देशित ‘साईबर सुरक्षा कार्यक्रम’ के अन्तर्गत जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय में ‘साईबर अपराधों के प्रति जागरूकता’ विषय पर वीडियो एवं पीपीटी निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रभारी प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी व प्रो. बीएल जैन ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य वर्तमान में बढते जा रहे साईबर अपराधों के प्रति विद्यार्थियों में जागृति पैदा करना है। उन्होंने प्रतियोगिता के परिणामों के बारे में बताया कि प्रतियोगिता में संस्थान के विद्यार्थियों ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में पीपीटी निर्माण में नीतू जोशी प्रथम रही और निरंजन कंवर द्वितीय व भूमिका सोनी तृतीय रही। वीडियो निर्माण में प्रथम स्थान पर प्रियंका सोनी रही और द्वितीय आयशा परवीन च तृतीय अमीषा पूनिया रही। प्रतियोगिताओं की निर्णायक डा. सरोज राय और प्रमोद ओला थी। कार्यक्रम के संयोजक डा. गिरधारीलाल शर्मा व डा. बलवीर सिंह चारण थे।

Tuesday, 9 November 2021

संस्थान को "A" ग्रेड मिलने पर कार्यक्रम का आयोजन

 


मूल्य-आधारित शिक्षा की नीतिगत विशेषता रखता है जैविभा विश्वविद्यालय- कुलपति

जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय को ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्रदान किए जाने पर यहां सेमिनार हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कार्मिकों को बधाई देते हुए बताया कि यह सबकी मेहनत और सामूहिक प्रयासों से हुआ है। उन्होंने इस संस्थान को ‘ए-प्लस’ ग्रेड मिलने की उम्मीद जताते हुए बताया कि हमें ‘ए’ ग्रेड मिलने पर ही संतोष नहीं करना है और लगातार प्रयासों और सुधारों पर ध्यान देकर अगली बार ‘ए-प्लस’ ग्रेड प्राप्त करनी है। सभी संस्थान सदस्यों में परस्पर जुड़ाव बना रहने पर ही परिणाम की उत्कृष्टता बनती है। उन्होंने कहा कि ‘ए’ ग्रेड मिलने पर भी सबको हर्ष हुआ है और जश्न का माहौल बना है, लेकिन इससे भी आगे निकलने की उम्मीद हमें निरन्तर रखनी होगी। संस्थान के इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्वच्छता ने यहां आई नैक की टीम को सबसे अधिक आकर्षित किया। हमारे सभी प्रस्तुतिकरण भी श्रेष्ठ थे और लाईब्रेरी और पांडुलिपि संरक्षण कार्य की टीम द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई। टीम के सदस्यों ने उनके रिकॉर्डिंग तक अपने विश्वविद्यालयों के लिए साथ ले गए और अपने व्यक्तियों को प्रशिक्षण के लिए भी यहां भिजवाने की बात कही है।

ए-ग्रेड प्राप्त ड्यूल मोड वाला देश का पहला विश्वविद्यालय

दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने नैक टीम के सदस्यों की भावनाओं के बारे में बताया तथा कहा कि जैन विश्वभारती संस्थान ड्युअल मोड में मूल्यांकित होने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय है, जिसे ‘ए’ ग्रेड प्राप्त हुआ है। यह संस्थान देश के श्रेष्ठ ‘ए’ ग्रेड स्तर के चुनिन्दा विश्वविद्यालयों में सम्मिलित हो चुका है। उन्होंने बताया कि नैक टीम भी यह मानती है कि इस संस्थान को जैन विद्या एवं योग के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तरीय ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ केन्द्र के रूप में मान्यता दिए जाने की आवश्यकता है। इस संस्थान को उन्होंने प्राचीन भारतीय पाण्डुलिपियों का अन्तर्राष्ट्रीय सन्दर्भ केन्द्र बनने की पूर्ण अर्हता सम्पन्न माना है और कहा है कि संस्थान जैन आगमों पर आधारित पांडुलिपियों में निहित प्रमुख ज्ञान-भंडार का पता लगाकर वैश्विक जगत् को समृद्ध कर सकता है।

गुणवतापरक शोध पर ध्यान दें

प्रो. नलिन के. शास्त्री ने विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि के बाद हमें अगले पांच साल के लिए निश्चिंत होकर बैठ नहीं जाना है, बल्कि यूजीसी के मानक पर अपने-अपने विभागों को सतत गति देते रहना है। हमें पांचवर्षीय परियोजना पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अनवरत क्रियाशील व गतिशील रहना है। हमें गुणवतापरक शोध पर विशेष ध्यान देना होगा तथा पांच साल बाद ‘ए-प्लस’ ग्रेड हासिल करनी है। कार्यक्रम को प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. अनिल धर, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डॉ. पुष्पा मिश्रा, श्वेता खटेड़, प्रमोद ओला, दीपाराम खोजा आदि ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम में संस्थान के शैक्षणिक च गैर शैक्षणिक सभी कर्मचारीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. युवराजसिंह खांगारोत ने किया।

संस्थान को NAAC से मिला "A" ग्रेड

 


ड्यूल मोड में मूल्यांकित होने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय

भारत सरकार द्वारा देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के मूल्यांकन के लिए गठित ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायान परिषद (नैक)’ की पांच सदस्यीय टीम ने यहां जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय का दौरा करके निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के बाद नैक ने जैन विश्वभारती संस्थान को ‘ए’ ग्रेड प्रदान किया है। इस ‘ए-ग्रेड’ प्राप्त होने के बाद यह संस्थान देश के श्रेष्ठ ‘ए’ ग्रेड स्तर के चुनिन्दा विश्वविद्यालयों में सम्मिलित हो गया है। जैन विश्वभारती संस्थान ड्यूल मोड में मूल्यांकित होने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय है। संस्थान के नैक एक्रीडिशन में ए-ग्रेड प्राप्त होने पर यहां संस्थान में खुशियां मनाई गई।

राष्ट्रीय केन्द्र ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ बने

कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने बताया कि नैक टीम ने अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट में संस्थान के बारे में अपनी राय देते हुए लिखा है- जैन विद्या एवं योग के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तरीय ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ केन्द्र के रूप में जैन विश्वभारती संस्थान को मान्यता दिए जाने की आवश्यकता है। संस्थान प्राचीन भारतीय पाण्डुलिपियों का अन्तर्राष्ट्रीय सन्दर्भ केन्द्र बनने की पूर्ण अर्हता रखता है। संस्थान जैन आगमों पर आधारित पांडुलिपियों में निहित प्रमुख ज्ञान-भंडार का पता लगाकर वैश्विक जगत् को समृद्ध कर सकता है। नैक रिपोर्ट के अनुसार इस संस्थान का विजन, मिशन, नीतियां और व्यावहारिक प्रक्रियाएं भारतीय मूल्यों, संस्कृति तथा अनुशास्ताओं की परम्पराओं पर आधारित है। संस्थान के पाठ्यक्रमों को शिक्षा के माध्यम से समग्र मानवता के विकास के लिए समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप विकसित किया गया है। अहिंसा और शांति के क्षेत्र में विशिष्ट शिक्षण, अनुसंधान और प्रचार-प्रसार इस संस्थान के विशिष्ट पदचिह्नों को निर्मित करता है। संस्थान सूचना प्रौद्योगिकी के उच्च स्तर के अनुप्रयोगों के साथ आधुनिक और पारम्परिक शिक्षा प्रणाली का एक आदर्श मिश्रण है।

दूरदृष्टि व नवाचारों से आया बदलाव

कुलसचिव मेहता के अनुसार यह सब उपलब्धि कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ द्वारा दूरदृष्टिपूर्ण निर्णयों एवं विकास के लिए नवीन आयाम स्थापित करने से हासिल हो पाई है। उनके प्रयासों के कारण ही आज यह विश्वविद्यालय पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बन पाया है। उन्होंने बताया कि कुलपति प्रो. दूगड़ ने एक अभिभावक के रूप में पूरे स्टाफ और विद्यार्थी वर्ग के साथ अपना रवैया व सम्बंध बनाए रखे और उनकी अपनी प्रगति के लिए उनमें रूचि का जागरण किया। इसके लिए उनके द्वारा शुरू किए गए नवाचार कहीं अन्यत्र नहीं मिल सकते। यहां विदेशों के विश्वविद्यालयों से अध्ययन के लिए काफी विद्यार्थी आते रहे हैं। वहां के विश्वविद्यालयों से इसका एमओयू है। विश्वविद्यालय अपने अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप को बनाए रखकर यहां मरूभूमि क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाए हुए है, जो विशेष बात है।

जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति को पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर हर्ष

 


गांधीवाद के प्रखर प्रचारक सर्वोदय विचारक डॉ. रामजी सिंह को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री

लाडनूँ, 09 नवम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. रामजी सिंह को समाजसेवा के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर यहां हर्ष जताया गया और उनकी स्वस्थता पूर्वक दीर्घायु के लिये कामनायें व्यक्त की गई। प्रो. रामजी सिंह को हालही में 8 नवम्बर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करके राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को देश-विदेश में फैलानेवाले सर्वोदय विचारक 94 वर्षीय डॉ. रामजी सिंह वर्ष 1992 से 94 तक जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति रहे थे। उन्होंने 1993 में शिकागों में आयोजित हुए विश्व धर्म संसद में जैनिज्म पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया कि प्रो. रामजी सिंह सादगी की प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने अथक प्रयास करके संपूर्ण भारत में गांधी विचार की पढ़ाई शुरू कराई। वे बिहार के भागलपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे हैं। देश के पहले गांधी विचार विभाग की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले और विभाग के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. रामजी सिंह रहे हैं। मूल रूप से बिहार के भागलपुर के रहने वाले प्रो. रामजी सिंह के प्रयासों से देश के पहले गांधी विचार विभाग का उद्घाटन दो अक्टूबर 1980 को भागलपुर विश्वविद्यालय में किया गया था। तब यह देश का इकलौता विभाग था, जहां गांधी विचार की पढ़ाई शुरू हुई थी। इन्होने इसके लिये अपनी महत्वपूर्ण व दुर्लभ कही जानेवाली 5 हजार पुस्तकें दान कर दी थी। आज 25 विश्वविद्यालयों में गांधी विचार विभाग की पढ़ाई हो रही है। पद्मश्री का पुरस्कार के बारे में उनका कहना था कि यह पुरस्कार उन्हें नहीं बल्कि समाज के लिए काम करने वाले लोगों को समर्पित है।

Wednesday, 27 October 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में सांस्कृतिक संध्या में शानदार रहा योग का प्रदर्शन

 

योग के विद्यार्थियों की कुशलता, क्षमता व प्रतिभा सराहनीय- प्रो. दुबे

लाडनूँ, 27 अक्टूबर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के महाप्रज्ञ-महाश्रमण ऑडिटोरियम में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में मुख्य अतिथि नैक पीयर टीम के अध्यक्ष प्रो. योगेश चन्द्र दुबे ने कहा कि उनका यहां का कार्यक्रम रोचक और समीचीन रहा। उन्होंने इस विश्वविद्यालय की प्रत्येक गतिविधि का निरीक्षण-परीक्षण किया। योग विभाग के विद्यार्थियों का प्रदर्शन उनके लिए विशेष रहा, जिसमें क्षमता, कुशलता व प्रतिभा का परिचय मिल रहा है। निस्संदेह यहां के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम की संरचना सराहनीय है। श्रेष्ठ प्रस्तुतियों के साथ यह कार्यक्रम अंदर तक आह्लादित करने वाला है। सांस्कृतिक कार्यक्रम में सपना एवं समूह ने मराठी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी, तो प्रिया एवं समूह ने कालबेलिया नृत्य प्रस्तुत किया। नेहा मिश्रा का सत्यं शिवम् सुन्दरम् पर शास्त्री नृत्य सराहनीय रहा। नेहा पारीक की णमोकार मंत्र पर आधारित प्रस्तुति को भी सभी ने सराहा। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग की छात्राओं ने योग के विभिन्न आसनों का सामुहिक प्रदर्शन करके सबको अचम्भित कर दिया। वहीं विद्यार्थी सुरेश ने एकल योगाभ्यास के करतबों से सबको मोहित किया। मुमुक्षु बहिनों की नाट्य-प्रस्तुति ने भी बभी दर्शकों को दाद देने पर मजबूर किया। कार्यक्रम में मिष्टी जैन की नृत्य प्रस्तुति ने सबको मोहा। राजस्थानी घूमर नृत्य, गुजराती नृत्य, संस्कृत गायन, रिया जैन के राजस्थानी गीत ‘केशरिया बालम आओ नीं पधारो म्हारे देश’ काफी प्रभावी रहे। कार्यक्रम का प्रारम्भ बांसुरी वादन आराधना और सरस्वती वंदना के प्रस्तुतिकरण से किया गया। कार्यक्रम में डॉ. अभिजीत जोशी, प्रो. आनन्द कन्नास्वामी, प्रो. संतोष नांगल, प्रो. मुरलीकृष्ण पानातुला विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सभी अतिथियों का स्वागत-सम्मान कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, मैनेजिंग कमेटी के सदस्य अमरचंद खटेड़, पूर्व अध्यक्ष डॉ. धर्मचंद लूंकड़, सहमंत्री जीवनमल मालू व प्रमोद बैद ने किया। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता, प्रो. नलिन के. शास्त्री, प्रो. बीएल जेन, प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. अनिल धर, डॉ. जुगलकिशोर दाधीच, प्रो. जगतराम भट्टाचार्य, प्रो. आशुतोष प्रधान, डॉ. अमिता जैन आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वंदना कुंडलिया व डॉ. युवराज सिंह खांगोरोत ने किया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में सतर्कता एवं जागरूकता रैली का आयोजन कर दिया जन-जन को संदेश



 लाडनूँ, 27 अक्टूबर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशन में संचालित किए जा रहे सतर्कता एवं जागरूकता सप्ताह के तहत बुधवार को एक रैली का आयोजन करके लोगों को सतर्कता एवं जागरूकता सम्बंधी संदेश दिया। रैली का प्रारंभ में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन एवं आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य व दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने हरी झंडी दिखा कर परिसर से रवाना किया। रैली में सम्मिलित सभी कर्मचारियों ने संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों एवं स्वच्छता के प्रति जागरूकता तथा सड़क सुरक्षा नियमों एवं आत्मरक्षा के संबंध में विविध प्रकार के नारे लगाकर जनमानस को प्रेरित करने का काम किया। रैली के संयोजक डॉ. अमिता जैन एवं अभिषेक शर्मा ने बताया कि इस रैली में जैन विश्वभारती संस्थान के सभी संकाय सदस्यों एवं कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

भ्रष्टाचार देख बापू की आत्ज्मा सिहर उठती है- प्रो. त्रिपाठी

28 अक्टूबर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड के निर्देशन में संचालित किए जा रहे सतर्कता एवं जागरुकता सप्ताह के अंतर्गत गुरुवार को संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय एवं शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘भ्रष्टाचार निवारण के उपाय’ विषय पर एक ऑनलाईन राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. विनोद कुमार सैनी व डॉ. मनीष भटनागर ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य एवं दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी एवं द्वितीय सम्मानित वक्ता के रूप में शिक्षा विभाग के विभागाघ्यक्ष प्रो. बनवारी लाल जैन रहे।

भ्रष्टाचार है अर्थव्यवस्था के प्रतिकूल

इस अवसर पर संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है लेकिन देश के वर्तमान हालात कमोबेश ऐसे हो चले हैं कि किसी समय टेबिल के नीचे दबे-छिपे होने वाला लेनदेन अब आमने-सामने धडल्ले से होने लगा है। महात्मा गांधी के सपनों का स्वतंत्र भारत इस अधोगति को प्राप्त होगा, यह सोचकर भी बापू की आहत आत्मा सीहर उठती होगी, अतः हमें अब ये संकल्प लेना होगा कि न तो खुद भ्रष्टाचारी बनेंगे और न ही भ्रष्टाचार की क्षीणधारा को विशालकाय दरिया में तब्दील होने देंगे।

भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूरी

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. बनवारी लाल जैन ने अपने संबोधन में भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार व कारणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भ्रष्टाचार का मतलब अवैध रूप से संपति, धन या सेवायें प्राप्त करना है। इस दौरान उन्होंने सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को रोकने के विभिन्न प्रयासों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्यार्थी एवं संकाय सदस्यों की उपस्थिति रही। राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन डॉ. विनोद कुमार सैनी ने किया। डॉ. मनीष भटनागर द्वारा आगन्तुक अतिथि वक्ताओं एवं श्रोताओं का आभार ज्ञापित किया गया।

जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय की एनसीसी प्रभारी तीन माह की कठिन ट्रेनिंग के बाद बनी एनसीसी की लेफ्टिनेंट


 लाडनूँ, 27 अक्टूबर 2021। एनसीसी ऑफिसर एकेडमी ग्वालियर में एनसीसी की 3राज गर्ल्स बटालियन जोधपुर की ओर से जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय की एनसीसी प्रभारी आयुषी शर्मा ने 3 माह की ट्रेनिंग प्राप्त करके एनसीसी में लेफ्टिनेंट की पदवी प्राप्त किया है। प्रशिक्षण से वापस लौटने पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने उनका सम्मान करते हुए उन्हें बधाई व शुभकामना देते हुए कहा कि संस्थान के कार्मिकों को निरन्तर विकास के लिए अग्रसर रहना चाहिए। इससे जहां उनकी उन्नति होती है, वहीं संस्थान का विकास भी संभव होता है। उन्होंने संस्थान हमेशा अपने ऐसे सदस्यों को अपना भरपूर सहयोग प्रदान करता रहा है। लेफ्टिनेंट आयुषी ने बताया कि उनकी तीन माह के कठिन प्रशिक्षण के दौरान उन्हें वेपन ट्रेनिंग, मेप रीडिंग, ऑब्स्ट्रेक्ट ट्रेनिंग, ड्रिल कम्पीटिशन, कल्चरल कम्पीटिशन आदि के बारे में दक्ष बनाया गया। उन्होंने बताया कि इस ट्रेनिंग में देश भर से कुल 101 प्रशिक्षणार्थी सम्मिलित हुए, जिनमें राजस्थान से सिर्फ 3 जने थे और उनके लाडनूँ से वे एकमात्र ही थी।

Monday, 25 October 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग की कल्पिता ने राज्य स्तरीय योगासन में कांस्य पदक जीता

 

लाडनूँ,25 अक्टूबर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग की स्नातकोत्तर छात्रा कल्पिता सोलंकी ने नेशनल योगासन स्पोर्ट्स फैडरेशन के तत्वावधान में आयोजित राज्यस्तरीय योगासन स्पोर्ट्स चैम्पियानशिप-2021 प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता है। उसे यह कांस्य पदक सीनियर गर्ल्स ग्रुप में भाग लेते हुए आर्टिस्टिक योग के प्रदर्शन मे प्राप्त हुआ है। राजस्थान योगासन स्पोर्ट्स एसोसियेशन के जिलाध्यक्ष डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने बताया कि इस प्रतियोगिता में प्रदेश के सभी जिलों से जिलास्तर पर चयनित 3-3 योगा-खिलाड़ियों ने भाग लिया था। प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि एनवाईएसएफ की टेक्नीकल कमेटी के निदेशक डॉ. उमंग डॉन व एनवाईएसएफ के पश्चिमी हेड ऑब्जर्वर डॉ. संजय मालपानी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एसोसियेशन के प्रदेशाध्यक्ष सीपी पुरोहित ने की।

Tuesday, 19 October 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में पांच दिवसीय एक्सचेंज प्रोग्राम का आयोजन

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में पांच दिवसीय एक्सचेंज प्रोग्राम का आयोजन

एक्सचेंज प्रोग्राम से सीखने-सीखाने, विचार-विनिमय, अंतःक्रिया करने का अवसर मिलता है- डॉ. सीमा

लाडनूँ, 19 अक्टूबर 2021 । जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में पांच दिवसीय एक्सचेंज प्रोग्राम कुलपति प्रो. बी. आर. दूगड के मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में सबल महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय जोधपुर की संकाय सदस्य डॉ. सीमा और डॉ. आशा शर्मा ने प्रथम एवं द्वितीय दिवस प्रोजेक्ट एवं लेक्चर विधि पर शिक्षा विभाग की छात्राओं की क्लास ली। कार्यक्रम का परिचय एवं अतिथि परिचय शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने किया और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से विधार्थियों को सीखने के नये प्रतिमान, नयी सोच और नूतन आयामों का अर्जन होता है। डॉ. सीमा ने कहा कि एक्सचेंज प्रोग्राम से सीखने-सीखाने, विचार विनिमय, अंतःक्रिया करने का अवसर प्राप्त होता है। यह संस्थान लॉकडाउन में भी सेमीनार, कार्यशाला, साहित्यिक, सांस्कृतिक आदि अनेक प्रोग्राम आयोजित करता रहता है, इससे अन्य संस्थानों को भी प्ररेणा मिलती है। संस्थान नवाचारों के क्षेत्र में अनूठा कार्य कर रही हैं। इस गौरवशाली संस्थान में शिक्षा प्राप्त विद्धार्थी अपनी अलग पहचान रखते है। डॉ. आशा शर्मा ने कहा कि संस्थान निरंतर गतिविधियों को आयोजित करता रहता है और आध्यात्मिक, नैतिक, चारित्रिक मूल्यों के क्षेत्र में इस संस्थान का अपना विपुल योगदान रहा है। इससे विश्व में इसकी अलग पहचान है। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अमिता जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि गुणवत्ता और ज्ञानवर्धन में इस कार्यक्रम ने अपनी छाप छोड़ी है। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग की बी.एड. व बी.ए.-बीएड तथा बी.एस.सी.-बी.एड. की 98 छात्राओं ने भाग लिया।

Monday, 18 October 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साइबर सिक्योरिटी में बैंकिंग फ्रॉड से बचाव पर कार्यशाला आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साइबर सिक्योरिटी में बैंकिंग फ्रॉड से बचाव पर कार्यशाला आयोजित

फर्जी वेबसाइटों के चककर में आने से बचें- गुरूमुख सिंह

लाडनूँ, 19 अक्टूबर 2021 । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार जैन विश्वभारती संस्थान में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के मार्गदर्शन व निर्देशन में साइबर सिक्योरिटी की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए आयोजित कार्यक्रमों की श्रंृखला में मंगलवार को बैंकिंग फ्रॉड से बचने के संदर्भ में वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप में मुख्य वक्ता पंजाब नेशनल बैंक के शाखा प्रबंधक गुरुमुख सिंह ने बताया कि बदलते तकनीकी युग में बैंकिंग सुविधाओं का ऑनलाइन प्रयोग करते हुए हम अज्ञानतावश फर्जी वेबसाइटों के चंगुल में आकर आर्थिक नुकसान के शिकार बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ सावधानियां रखने पर ऐसे नुकसानों से बचा जा सकता है। इसके लिए हमें फर्जी तथा असली वेबसाइट्स की पहचान करने के उपरांत ही उस वेबसाइट का प्रयोग करना चाहिए और बैंकिंग व्यवस्था संबंधी किसी भी प्रकार की गोपनीय जानकारी अनजान कॉल करने वालों को प्रदान नहीं करनी चाहिए। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक व आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य कार्यक्रम प्रभारी प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि अज्ञानतावश एवं लापरवाही के कारण हम कई बार इस प्रकार की प्रवृत्तियों के शिकार हो जाते हैं, अतः हमें जागरुक एवं सचेत रहने की आवश्यकता है। कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान की प्रार्थना से से की गई। इसके पश्चात शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष तथा कार्यक्रम प्रभारी प्रो. बीएल जैन ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। अंत में आयोजक समिति के सदस्य डॉ. गिरधारी लाल शर्मा ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। समिति के सदस्य डॉ. बलबीर सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में संस्थान के अनेक संकाय सदस्य तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Saturday, 16 October 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साईबर सुरक्षा क्विज आयोजित

 लाडनूँ, 16 अक्टूबर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कार्मिकों एवं विद्यार्थियों को साईबर सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाने के लिए संचालित ‘साईबर सुरक्षा जागरूकता’ कार्यक्रम के अन्तर्गत शनिवार को एक क्विज का आयोजन किया गया। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) के निर्देशों के अनुरूप अक्टूबर माह को साईबर सुरक्षा माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसके अन्तर्गत आयोजित साईबर सुरक्षा क्विज में विद्यार्थियों ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान में साईबर अपराध नित्यप्रति बढते जा रहे हैं। इनसे बचाव के लिए और अपराधों की रोकथाम के लिए और ऐसे अपराधों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता जरूरी है। तभी हम स्वयं और अपने प्रियजनों को साईबर क्राईम का शिकार होने से सुरक्षित हो पाएंगे। कार्यक्रम आयोजन समिति में प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. बीएल जैन, डा. गिरधारीलाल शर्मा व डा. बलवीरसिंह चारण सम्मिलित हैं।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में बैंकिंग सेवाओं के लिए प्रतियोगिता तैयारी पर छात्राओं को दिया व्याख्यान आयोजित

 लाडनूँ, 16 अक्टूबर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के अंतर्गत संचालित रोजगार परामर्श केंद्र में शनिवार को आईबीपीएस बैंक क्लर्क एवं बैंक पीओ प्रारंभिक परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए छात्राओं की आवश्यकता एवं रुचि के तहत एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी के निर्देशन में हुए इस व्याख्यान में वाणिज्य संकाय के सहायक आचार्य अभिषेक शर्मा ने छात्राओं को बैंक परीक्षाओं में क्लर्क एवं पीओ पदों की तैयारी करने के लिए आसान गुर बताए तथा उनके लिए सहायक उपयोगी आवश्यक प्रतियोगी पुस्तकों के बारे में जानकारी दी। शर्मा ने बताया कि अपने समय का दैनिक पाठ्यक्रम एवं गतिविधियों के साथ समायोजन कर छात्राएं अपनी तैयारी बेहतर कर सकती हैं। उन्होंने विषय क्षेत्र पर विस्तृत चर्चा करते हुए बैंकिंग क्षेत्र में छात्राओं की शंकाओं एवं जिज्ञासाओं का समाधान किया। रोजगार परामर्श केंद्र के प्रभारी अभिषेक चारण ने व्याख्यान में अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया एवं छात्राओं से कहा कि रोजगार परामर्श केंद्र में महाविद्यालय छात्राओं के हितार्थ समय-समय पर ऐसे आयोजित किए जाते हैं, जिनसे कि ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं में भी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति रुचि जागृत हो सके एवं वे पढ़ाई के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अपने आप को सक्षम बना सकें।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एकल प्लास्टिक निषेध जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एकल प्लास्टिक निषेध जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

प्लास्टिक के दुष्परिणामों से बचने के लिए दृढ इच्छा जरूरी- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 16 अक्टूबर 2021। भारत सरकार तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा प्राप्त के निर्देशानुसार जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आयोजित हो रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में ‘एकल प्रयोग प्लास्टिक निषेध जागरूकता कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के तहत दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक तथा आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि यदि हम एकल प्रयोग प्लास्टिक के संसाधनों का उपयोग नही करने की दृढ़ इच्छा करें तो सहज रूप से इसके उपयोग करने पर होने वाले दुष्परिणामों से बचा जा सकता है। इसके साथ इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हम अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों में कुछ बदलाव लाकर स्वभाविक के गुस्से की प्रवृत्ति को काफी हद तक कम कर सकते हैं। यह दोनों ही बदलाव एवं जागरूकता राष्ट्रहित में सहायक हो सकती है। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय सेवा योजना गीत के माध्यम से की गई। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के प्रभारियों के साथ अनेक छात्राएं भी उपस्थित रही।

Tuesday, 12 October 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में श्रमदान करके की साफ-सफाई

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में श्रमदान करके की साफ-सफाई

लाडनूँ, 12 अक्टूबर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में स्वयंसेवी छात्राओं द्वारा भारत सरकार द्वारा चलाए गए स्वच्छ भारत मासिक अभियान के तहत स्वयंसेविकाओं ने परिसर में सफाई की गई। सर्वप्रथम राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वितीय प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह ने भारत सरकार द्वारा चलाए गए इस अभियान से स्वयंसेविकाओं को अवगत कराया और संस्थान में सफाई रखने हेतु प्रेरित किया। इकाई प्रथम प्रभारी डॉ. प्रगति भटनागर के नेतृत्व में संस्थान परिसर में साफ सफाई की गई। इसके साथ-साथ इन्होंने यह भी बताया कि हमें समाज में इस अभियान की जानकारी आमजन तक पहुंचाने के दायित्व का निर्वहन करना है और राष्ट्र सेवा में अपना योगदान देना है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेविकाओं ने रुचि पूर्वक भाग लेते हुए श्रमदान किया और सफाई का कार्य किया। इसमें हिस्सा लेने वाली स्वयंसेविकाओं सोनम, उषा,, साक्षी, उर्मिला, अंजना, निशा, तरन्नुम, सुमन आदि ने अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया।

Friday, 1 October 2021

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग एवं अहिंसा एवं शांति विभाग में गांधी जयंती व विश्व शांति दिवस पर अनेक कार्यक्रम आयोजित

 

समस्याओं से मुक्ति के लिए सत्य एवं अहिसा के मार्ग का अनुसरण जरूरी- प्रो. धर

लाडनूंँ, 1 अक्टूबर 2021।जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग एवं अहिंसा एवं शांति विभाग में महात्मा गांधी जयंती एवं अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। शिक्षा विभाग हुए कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर ने कहा कि हमें गांधी के द्रारा बताये गये सत्य एवं अहिसा के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। गांधीजी ने राजनीतिक एवं सामाजिक सन्तुलन बनाये रखने पर जोर दिया था। डॉ. विष्णु कुमार ने कहा कि प्रेम पर आधारित शांति सजा के डर से उत्पन्न शांति से हजार गुना अधिक और स्थायी होती है। गांधी की ताकत सत्य और अहिंसा थी। उनके सिद्धान्तों को अपनाकर समाज में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाए जा सकते हैं। कार्यक्रम में मनीषा स्वामी, आरती, सगीता, पूनम, सजू, दीपिका स्वामी, किरण सारण, तनू, एवं सूरमा चौघरी छात्राध्यापिकाओं ने भी भाषण, कविता, एवम गाने के माघ्यम से अपने विचार रखे। इस अवसर पर गांधी के विचारांे पर एक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें छात्राध्यापिकाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में, डॉ. भावाग्राही प्रधान, डॉ. सरोज राय, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. आभा सिंह, और डॉ. गिरघारी लाल षर्मा आदि उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन षिवानी पूनिया ने किया। अन्त में डॉ. विष्णु कुमार द्रारा आभार ज्ञापित किया गया।

मानव कल्याण के लिए भविष्य में भी आएंगे गांधी के सिद्धांत

अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गांधी-विचारों की प्रासंगिकता वर्तमान में भी उतनी ही उपादेय बताई, जितनी पूर्व में रही। प्रो. धर ने बताया कि व्यक्ति अपने जीवन को संयमपूर्वक जिये और हमेशा सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलें तो कभी भी दुविधाएं उसके सामने नहीं आयेगी, यही गांधी विचारधारा है। डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि सादगी, अनुशासन, संयम, सहिष्णुता, अपरिग्रह, सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, सत्याग्रह, ट्रस्टीशिप, ब्रह्मचर्य, स्वराज आदि के सिद्धान्त वर्तमान के साथ भविष्य में भी मानव कल्याण के लिए उपयोगी होंगे। विश्व के अनेक देश सौ वर्ष बाद भी गांधी के सिद्धान्तों पर चलने के लिए अनेक कार्यक्रम चला रहे हैं। छात्रा मनीषा कवंर ने गांधी का प्रिय भजन ’रघुपति राघव राजा राम’ गाया, छात्रा रूखसाना बानो ने गांधी और दूसरे धर्मों के प्रति उनकी आस्था पर विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए सहायक आचार्य डॉ. लिपि जैन ने कहा कि गांधी को जानने व समझने के लिए गांधी के विचारों को अपने जीवन में उतारना पडे़गा, तभी समाज व देश में आराजकता व हिंसा कम हो सकती है। गांधी साहित्य और जीवन पर अनेक शोध कार्य हो रहे हैं। ये शोधकार्य ही गांधी के सिद्धान्तों को आगे बढ़ाने में सहयोग करें। कार्यक्रम में विभाग की छात्राएं रूखसाना, मुस्कान बानो, रूबिना, रेणु कंवर, लक्ष्मी भी उपस्थित रहीं। अन्त में विभाग की छात्रा जयश्री जांगीड़ ने विभाग के सभी सदस्यों का आभार ज्ञापन किया।

Thursday, 30 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साईबर सिक्योरिटी जागरूकता अभियान के तहत एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साईबर सिक्योरिटी जागरूकता अभियान के तहत एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

सोशल मीडिया व बैंकिंग फ्रॉड से बचने के लिए सिक्योरिटी नियमों का पालन जरूरी- डॉ. शेखावत

लाडनूँ, 30 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा चलाए जा रहे साईबर सिक्योरिटी जागरूकता अभियान के तहत गुरूवार को ‘साइबर सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय द्वारा की पहल’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता योग एवं जीवनविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने साईबर क्राइम के बारे में बताते हुए कम्प्यूटर एवं इंटरनेट के उपयोग से होने वाले सभी क्राइम्स को साइबर क्राइम में सम्मिलित बताया तथा इनसे सुरक्षा रखने को वर्तमान में सबसे अधिक महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया और तथा बैंकिंग फ्रॉड से बचने के उपाय बताते हुए कहा कि मोबाईल में एप्स की परमीशन सोच-समझ कर दें, किसी अनजाने व्यक्ति को सोशल मीडिया पर मित्र नहीं बनाएं, किसी अनजाने लिंक्स को बिना सोच-समझे क्लिक नहीं करें, मोबाईल का हमेशा बैक कैमरा ही ऑन रखें, एटीएम का पिन अपने मोबाईल में कभी सेव नहीं करे आदि सावधानियों से साइबर क्राइम से बचा जा सकता है।

मुख्यतः मोबाइल बना साइबर क्राइम का जरिया

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि मोबाईल के उपयोग में हमें अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। यदि मोबाईल हमारा दोस्त है तो सबसे बड़ा शत्रु भी है। यह आज सर्वाधिक उपयोग में आने वाला यंत्र है तथा साईबर क्राईम का जरिया भी सबसे अधिक हमारा मोबाईल ही बन रहा है। प्रारम्भ में कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गिरधारी लाल शर्मा ने सेमीनार के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फेसबुक, इंस्टाग्राम तथा ट्विटर जैसे लिंक्स एवं साइबर सिक्योरिटी वेबसाइट की जानकारी दी तथा कहा कि संस्थान के सभी शैक्षणिक व शैक्षेत्तर सदस्यों तथा विद्यार्थियों को साइ्रबर क्राइम से सतर्क रहते हुए साइबर सिक्योरिटी सुनिश्चित रखनी चाहिए। कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे। अंत में आभार ज्ञापन डॉ. गिरधारीलाल शर्मा ने किया।

Saturday, 25 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में राजस्थान राज्य रेफरी एवं जजों की ऑनलाइन ट्रेनिंग कार्यशाला आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में राजस्थान राज्य रेफरी एवं जजों की ऑनलाइन ट्रेनिंग कार्यशाला आयोजित

जीवन में बदलाव के लिए प्रेक्षाध्यान की उपसम्दाएं उपयोगी- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 25 सितम्बर 2021। नेशनल योग स्पोर्टस एसोसियेशन के तत्वावधान में आयोजित हो रही राजस्थान राज्य रेफरी एवं जजों की ट्रेनिंग कार्यशाला में शनिवार को मुख्य कार्यक्रम का संयोजन जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के योग विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आनन्द बालयोगी जो पांडिचेरी ने की। जैन विश्वभारती संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने मुख्य वक्ता के रूप में प्रेक्षाध्यान की उपसंपदाओं के रेफरी एवं जजों के व्यवहार एवं कार्यों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव की चर्चा की। उन्होंने योग की उपादेयता समझाते हुए मनुष्य जीवन में मानवीय मूल्यों के प्रयोगों के लिए योग को श्रेष्ठ माध्यम बताया तथा कहा कि योग जीवन जीने की कला है, जो जीवन को सद्गति की ओर ले जाकर भविष्य का जीवन-निर्माण करता है। जीवन को हमें योगमय बनाना चाहिए। प्रो. त्रिपाठी ने महावीर के आत्म दीपोभव, हरिभद्र के योग को मोक्ष की आरे ले जाने वाला तथा आचार्य तुलसी के हम बदलेंगे, जग बदलेगा के नारे का प्रयोग करते हुए योगमार्ग को सबसे श्रेष्ठ जीवन-मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि जैन आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने प्रेक्षाध्यान के माध्यम से पूरी जीवन शैली को नई दिशा प्रदान की थी। उन्होंने प्रक्षाध्यान की उपसम्पदा के माध्यम से भावक्रिया, प्रतिक्रिया विरति, मैत्री, मिताहार व मितभाषण के पांच मूलभूत सूत्र प्रदान किए। इनके द्वारा व्यक्ति सदैव वर्तमान में रहता है और अनेक राग-द्वेष भावों से बचा रहता है और वह अप्रमाद में रहता है। वैरभाव का त्याग करना और सारे प्राणी जगत् में मित्रता का व्यवहार करना इसका मुख्य आधार है, ऐसा जैन वांगमय में विभिन्न जगहों पर आया है। प्रो. त्रिपाठी ने मिताहार और मितभाषण को जीवन को विभिन्न दुविधाओं और रोगों से मुक्त होने का मार्ग बताया।

योगासन माप के लिए विश्वस्तर के मानक बनाए

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. आनन्द बालयोगी पुड्डुचेरी ने बताया कि सटीक एवं व्यावहारिक आंकलन के लिए योग के की-पॉइंट बनाये गये हैं, जिससे विश्व में योगासनों को मापने के मानक स्थापित हो सके। नेशनल योग स्पोर्टस एसोसियेशन के अध्यक्षता सी.पी. पुरोहित ने कार्यशाला की उपयोगिता बताते हुए प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में एसोसियेशन के प्रदेश सचिव प्रदीप कुमार शर्मा, नागौर जिला सचिव सुरेश कुमार दाधीच, सभी जिलों के जिलाध्यक्ष एवं सचिव व प्रशिक्षक कार्यक्रम में उपस्थित रहे। डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा जानकारी दी कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पश्चात् जज एवं रेफरियों के प्रशिक्षण हेतु लिखित परीक्षा का आयोजन 27 सितम्बर को किया जायेगा, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वालों को ही सर्टीफिकेट दिया जायेगा एवं आगामी प्रतियोगिताओं में उन्हें निर्णायक चुना जायेगा। कार्यक्रम में कुल ऑनलाइन 370 प्रतिभागी जुड़े रहे। अंत में डॉ. अशोक भास्कर ने आभार ज्ञापित किया। तकनीकी संचालन दशरथ सिंह ने किया।

Saturday, 18 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्धन व्याख्यानमाला के अन्तर्गत योग विज्ञान के वास्तविक स्वरूप पर व्याख्यान का आयोजन

 

योग विशुद्ध विज्ञान है, जिसमें प्रयोगों क रूख आंतरिक होता है- प्रो. जैन

लाडनूँ, 18 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में शनिवार को संकाय संवर्धन व्याख्यानमाला के अन्तर्गत योग विज्ञान के वास्तविक स्वरूप पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला में विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल.जैन ने कहा कि योग को किसी भी तरह से धर्म के रूप में माना जाना गलत है। गणित, फिजिक्स व कैमिस्ट्री की तरह योग भी एक विशुद्ध विज्ञान है-योग नियमों का विज्ञान हैं और जैसे विज्ञान में प्रयोग से परिणाम प्राप्त किये जाते हैं, वैसे ही योग में अभ्यास से अनुभव प्राप्त किये जाते है। विज्ञान में प्रयोगों का रूख बाहर की ओर होता है, जबकि योग में आंतरिक प्रयोग किये जाते हैं। योग अस्तित्वगत, अनुभवजन्य, और प्रायोगिक है। पतंजलि ने गणित के फार्मूले की तरह सटीक सूत्र प्रदान किये है, जो दो और दो चार की भांति लागू होते हैं। योग के सूत्र ‘करो और जानो’ की तरह हैं, जैसे- पानी को सौ डिग्री तक गर्म करो, वाष्प बन जायेगा। प्रो. जैन ने बताया कि योग चिकित्सा विज्ञान भी नहीं है, लेकिन योग रोगोपचार में भी काम आता है, उपयोगी है। पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक भी इसे मानते हैं, इसलिए योग को वे बीमार, रोगग्रस्त लोगों के लिए चिकित्सा विज्ञान मान लेते हैं। योग रोगियों के लिए नहीं है, अपितु पूर्णतः स्वस्थता के लिए योग अधिक उपयोगी है। चिकित्सा विज्ञान तो रोगियों के लिए ही काम करता हैं, लेकिन योग स्वस्थ्य व रोगी व्यक्ति के लिए दोनों ही स्थितियों में काम करता है। स्वस्थ्य व्यक्ति को योग दिव्य सत्ता के साथ जोड़ने का कार्य करता है। योग मन को क्रियाकलाप से रोकता है, मन योग में है तो शांत, स्थिर और एकाग्र होगा। आत्मशुद्धि, निर्मल अंतः करण, शुद्ध हृदय और शांत मन ही वास्तविक योग है। कार्यक्रम के अंत में सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे। अंत में सबका आभार ज्ञापित किया गया।

Tuesday, 14 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

हिन्दी भावों की भाषा है- प्रो. जैन

लाडनूँ, 14 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने की तरफ ध्यान दिया जाना जरूरी है। अध्ययन व अध्यापन में हिन्दी का प्रयोग बढाने पर हम सबको जोर देना चाहिए। उन्होंने हिन्दी को भावों की भाषा बताते हुए इसे महत्व दिए जाने की आवश्यकता बताई। साथ ही कहा कि अन्य कोई भी भाषा को हटाने या उसकी आलोचना की जरूरत नहीं है, बल्कि सबको समन्वय आवश्यक है। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सरोज राय ने कहा कि हिन्दी वर्तमान में वैश्विक मंच पर सम्मानजनक स्थान पर आसीन हो रही है। संभावना है कि आने वाले समय में इसका स्थान विश्व में सर्वश्रेष्ठ होगा। उन्होंने बताया कि हिन्दी भाषा व्यक्तित्व को उभारती है, संवारती है। यह युवाओं को अपनी संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों से जोड़ती है। डॉ. अमिता जैन ने अपने सम्बोधन में बताया कि हिन्दी गरिमामय भाषा है, इसमें सम्बोधन करने में अपनापन के भाव का अहसास होता है। इस कार्यक्रम में अमीषा पूनिया, अंकिता व प्रीति राजपुरोहित नेभी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमीषा पूनिया, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, प्रमोद ओला, डॉ. ममता सोनी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन छात्राध्यापिका किनण सान्दू ने किया।