Thursday, 15 March 2018

भाषा के वैज्ञानिक अध्ययन पर व्याख्यानमाला आयोजित



वैदिक संस्कृत है सबसे प्राचीन भाषा- प्रो. भट्टाचार्य

लाडनूँ, 15 मार्च 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के अन्तर्गत आयोजित व्याख्यानमाला में शांति-निकेतन विश्वविद्यालय पं. बंगाल के संस्कृत व प्राकृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जगतराम भट्टाचार्य ने भाषा के वैज्ञानिक अध्ययन पर अपने व्याख्यान में इंडो-इरानियन व इंडो-पर्शियन भाषा की प्राचीनता से लेकर आधुनिक हिन्दी तक के सफर के बारे में बताया तथा भाषा में शब्दों के अर्थ बदलने, उनका उच्चारण बदलने एवं अनेक शब्दों के नये मिल जाने व कुछ शब्दों के लुप्त हो जाने के सम्बंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वेदों की भाषा उपलब्ध सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है और वैदिक संस्कृत एवं लौकिक संस्कृत में बहुत अंतर है। उन्होंने ग्रीक व लैटिन भाषाओं के शब्दों में संस्कृत से समानता के बारे में बताया तथा कहा कि इसी प्रकार शब्दों का विकास होता है। उन्होंने कहा कि किसी मनुष्य के अचानक प्रयास से भाषा का उत्थान संभव नहीं है, यह चलते-चलते भाषा का रूप बदलता है। प्रो. भट्टाचार्य का कहना है कि व्याकरण का उद्देश्य भाषा सीखाना नहीं होता, बल्कि यह भाषा के शुद्धिकरण के लिये होता है। व्याकरण से भाषा में शुद्धता बनी रहती है। उन्होंने श्रोताओं के प्रश्नों का जवाब भी देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। उन्होंने इंडिया शब्द की उत्पति बताते हुये सिंधु से हिन्दुू और हिन्दू से इंडिया बनने का सफर उच्चारण की शैली से शब्दों के बदलने को कारण बताया। प्रो. भट्टाचार्य ने रिसर्च मैथेडोलोजी पर भी प्रकाश डाला। व्याख्यानमाला की अध्यक्षता प्रो. दामोदर शास्त्री ने की। कार्यक्रम का संचालन प्रो. समणी संगीतप्रज्ञा ने किया तथा अंत में आभार ज्ञापन डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया।

जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय के यूजीसी निरीक्षण के बाद बैठक का आयोजन

निरन्तर प्रगति के लिये विचारों की शक्ति महत्वपूर्ण- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 14 मार्च 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि यह इस संस्थान के समस्त संकाय सदस्यों एवं कर्मचारियों के संयुक्त परिश्रम का फल है कि यूजीसी की टीम यहां से पूर्ण संतुष्ट होकर गई है। वे यहां यूजीसी की 12-बी के तहत एक्सपर्ट्स की पांच सदस्यीय टीम के तीन दिवसीय निरीक्षण के पश्चात टीम द्वारा अपनी विदाई के वक्त विश्वविद्यालय के प्रति संतोष व्यक्त करने के उपलक्ष में विश्वविद्यालय के समस्त संकाय सदस्यों एवं कर्मचारियों की बैठक में धन्यवाद ज्ञापित कर रहे थे। उन्होंने कर्मचारियों को विश्वविद्यालय की शक्ति बताया तथा कहा कि शक्ति का नियोजन सही दिशा में होना आवश्यक है। उन्होंने समस्त कार्मिकों से विचार करने पर जोर देते हुये कहा कि विचारों की शक्ति बहुत महत्वपूर्ण होती है। सोचने की शक्ति से बहुत आगे बढा जा सकता है। उन्होंने कहा कि निरन्तर प्रगति के लिये आइडियाज फ्लोट होने चाहिये एवं संवाद कायम रहना चाहिये। उन्होंने आने वाले समय की चुनौतियों के लिये भी सभी को एकजुट रह कर परस्पर समन्वय से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। कुलपति ने विश्वविद्यालय में शाॅपिंग सुविधा उपलब्ध करवाने एवं विभिन्न सुविधाओं के विस्तार की आवश्यकता भी बताई। उन्होंने आगामी 20 मार्च को संस्थान के 28 वें स्थापना दिवस की तैयारियों के लिये जुट जाने की जरूरत भी बताई। कार्यक्रम में जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने इस अवसर पर बताया कि यूजीसी की 12 बी टीम यहां से बहुत प्रभावित हुई है। यहां समस्त संकाय सदस्यो एवं कर्मचारियों में कमिटमेंट, लाॅयल्टी एवं डेडिकेशन की भावना मौजूद है। कुलसचिव वीके कक्कड़ ने कहा कि हम अपनी एकजुटता व परस्पर समझ के कारण सफलता प्राप्त करते हैं। डाॅ. समणी कुसुमप्रज्ञा ने कहा कि यूजीसी की टीम तो यहां की लाईब्रेरी देखकर ही चकित हो गई तथा कहा था कि ऐसी लाईब्रेरी तो बड़े बड़े विश्वविद्यालयों में भी नहीं मिलती। वे यहां से पूर्ण संतुष्ट होकर गये हैं। दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा कहा कि टीम यहां की मेहमानवाजी, स्वच्छता और प्राकृतिक हरीतिमा से प्रभावित हुये हैं तथा अपने उद्गारों में भी इसे मुखर होकर जताया। कार्यक्रम में डाॅ. समणी मल्लीप्रज्ञा व प्रो. दामोदर शास्त्री भी मंचस्थ थे।

Wednesday, 14 March 2018

प्रसार भाषण माला में व्याख्यान आयोजित

शिक्षा जीवन को सम्पूर्ण बनाती है- प्रो. भट्टाचार्य

लाडनूँ 14 मार्च 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में प्रसार भाषण माला के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये शांति-निकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के संस्कृत-प्रकृत भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जगतराम भट्टाचार्य ने शिक्षक समाज के लिये अपना विशेष उत्तरदायित्व निर्वहन करता है। मनुष्य का आचरण शिक्षा का ही परिणाम होता है। शिक्षा व्यावहारिक होनी चाहिये तथा यह जीवन में उतारने का विषय है। शिक्षा व्यक्ति को देवत्व के मार्ग पर ओर ले जाने का सशक्त माध्यम होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा सापेक्ष विषय है और एक अच्छा विद्यार्थी ही अच्छा शिक्षक बन सकता है। आध्यात्मिक शिक्षा ही मनुष्य की उन्नति का सही मार्ग है। इसे अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान देना चाहिये। यह मनुष्य के जीवन को सम्पूर्ण बनाती है। कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती पूजन से किया गया। प्रो. भट्टाचार्य का परिचय विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने प्रस्तुत किया। अंत में डाॅ. सरोज राॅय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में छात्राध्यापिकायें एवं संकाय सदस्य उपस्थित थे।

भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित

आचार्यों की तपोभूमि है यह विश्वविद्यालय- प्रो. दूगड़

लाडनूँ 13.मार्च 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध लोक कलाकार मानसी सिंह ने भवाई नृत्य तथा घूमर नृत्य प्रस्तुत करके उसमें रोमांचक व रोंगटे खड़े कर देने वाले करतब प्रदर्शित करके सबको दांतों तले अंगुलि दबाने को मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के शुभारम्भ पर मानसी सिंह के ‘केसरिया बालम आवो नीं पधारो म्हारे देश’ गीत पर नृत्य प्रस्तुतिकरण से किया गया तथा गणगौर पर्व के प्रसिद्ध गीत एवं पीली लूगड़ी रा झाला आदि प्रख्यात राजस्थानी लोकगीतों व लोकनृत्यों से समस्त दर्शकों का मन मोहा। कार्यक्रम में मानसी सिंह के अलावा विश्वविद्यालय की छात्राओं हेमलता एवं समूह, पूजा एवं समूह, सिद्धि पारीक, अमिता एवं समूह, मुमुक्षु बहिनें, रागिनी शर्मा आदि ने अपनी प्रस्तुतियां दी। प्रस्तुत कार्यक्रमों में राजस्थानी लोकनृत्य, राजस्थानी पैरोडी, समूह नृत्य, क्लासिकल डांस, माईम, ड्रामा आदि पेश किये, जिन्हें समस्त उपस्थित दर्शकों व अतिथियों ने मुक्त कंठों से सराहा तथा कलाकारों को मंच पर बुलाकर उनके साथ अपने फोटो साझा किये। कार्यक्रम में महिलाओं के खिलाफ अपराध पर छात्राओं ने नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की गई। सिद्धि पारीक ने कालबेलिया नृत्य आदि प्रस्तुत किये। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने योगासनों एवं योग के विभिन्न प्रयोगों का प्रदर्शन करके सबको मोहित किया।

यूजीसी के एक्सपर्ट्स की टीम का तीन दिवसीय दौरा

यूजीसी के एक्सपर्ट्स की टीम का तीन दिवसीय दौरा

12 मार्च 2018 कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने विद्यार्थियों की सांस्कृतिक प्रवृति के विकास एवं संस्कृति के अनुरूप नैतिक मूल्यों के विकास के बारे में बताया तथा विश्वविद्यालय की मूल्य आधारित शिक्षा के बारे में बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय को तपोभूमि बताते हुये कहा कि यहां आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ व आचार्य महाश्रमण की तपस्या फल्लवित हो रही है। उन्होंने बताया कि आज जिस स्थान पर विश्वविद्यालय है, वह कभी जंगल के रूप में था, लेकिन यहां आचार्यों की तपस्या का प्रभाव रहा कि यहां देश को दिशा देने वाले शैक्षिक संस्थान की महत्वूपर्ण गतिविधियों का नियमित संचालन हो रहा है। मुख्य अतिथि यूजीसी 12-बी एक्सपर्ट टीम के अध्यक्ष प्रो. प्रकाश सारंगी ने कार्यक्रम की प्रशंसा की एवं विश्वविद्यालय की गतिविधियों को सराहनीय बताया। कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की टीम के अध्यक्ष प्रो. प्रकाश सारंगी, सचिव सुरेश रानी एवं सदस्य प्रो. आरकेएस धाकड़, प्रो. गणेश कांवड़िया व प्रो. मीनाक्षी पांडा का स्वागत-सम्मान कुलपति प्रो. दूगड़, जैन विश्वभारती के अध्यक्ष रमेश चन्द बोहरा, पूर्व अध्यक्ष धर्मचंद लूंकड़, डाॅ. अमिता जैन व डाॅ. पुष्पा मिश्रा द्वारा किया गया। अंत में संयोजिका डाॅ. अमिता जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. वन्दना कुंडलिया ने किया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की पांच सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी ने यहां अपने तीन दिवसीय दौरे पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का निरीक्षण किया। इस टीम के पांच सदस्यों में कमेटी-अध्यक्ष कटक की रवेनशाॅ युनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. प्रकाश सी. सारंगी, यूजीसी की सचिव सुरेश रानी, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के जाकिर हुसैन एज्युकेशन स्टडी सेंटर की प्रो. मिनाक्षी पांडा, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के समाज विज्ञान के पूर्व डीन प्रो. गणेश कांवडिया व डाॅ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के रिसर्च डीन प्रो. आरकेएस धाकड़ शामिल हैं। यह पांच सदस्यीय दल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के सेक्शन 12-बी के तहत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के विकास व आवश्यकताओं के अनुसार अनुदान की उपयोगिता एवं स्वीकृति दिये जाने के सम्बंध में यहां निरीक्षण के लिये आया है।
इस टीम के यहां पहुंचने पर स्वागत के बाद कुलपति के साथ औपचारिक बैठक आयोजित की गई और उसके बाद संस्थान का प्रस्तुतिकरण के लिये एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें शोध निदेशक प्रो. अनिल धर द्वारा पीपीटी के माध्यम से संस्थान की समस्त गतिविधियों के बारे में संक्षेप में जानकारी दी गई। बैठक में सम्बोधित करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने विश्वविद्यालय की विशेषताओं के बारे में बताते हुये कहा कि अनेकांत एवं अहिंसा तथा मानवता के लिये शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं सहिष्णुता पर बल देने एवं श्रमणिक संस्कृति के उच्च आदर्शों को बढावा देने तथा मानव जाति के लिये सही आचरण व ज्ञान के प्रसार पर पूरा जोर दिया गया है। यह संस्थान प्राकृत भाषा और साहित्य, पाली, संस्कृत, अपभ्रंश, जैनोलॉजी एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन के अध्ययन, ज्योतिष, मन्त्रविद्या, अवधान विद्या, योग और साधना, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, रंग थेरेपी, चुंबक थेरेपी, जीवन विज्ञान और प्रेक्षा ध्यान के क्षेत्र में ज्ञान के अनुसंधान और प्रगति में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान ग्रामीण राजस्थान के गरीबी से छुटकारा दिलवाने और पिछड़े क्षेत्र की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने का महती कार्य भी कर रहा है। इसके अलावा इस विश्वविद्यालय ने सामाजिक सद्भावना, महिला साक्षरता, वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति को लोकप्रिय बनाने और विशेष रूप से योग विज्ञान और ध्यान में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में छात्रों के लिये बुनियादी सुविधायें, उत्कृष्ट केंद्रीय पुस्तकालय और रिप्रोग्राफिक सुविधाएं, केंद्रीकृत और विभागीय कंप्यूटर प्रयोगशालाएं, उच्च शोध और गुणवत्तायुक्त अनुसंधान, प्रकाशन, उत्कृष्ट प्लेसमेंट रिकार्ड, कुशल दूरस्थ शिक्षा का संचालन, पिछड़े क्षेत्र के सामाजिक दृष्टि से वंचित वर्ग की लड़कियों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने और आसपास के करीब आधे दर्जन पास के गांवों में कुशलता से संगठित विस्तार सेवाओं की पूर्ति करता है। बैठक में कुलसचिव वीके कक्कड़, प्रो. आरके यादव, प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा, डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा, डाॅ. समणी अमलप्रज्ञा, डाॅ. श्रेयांस प्रज्ञा, डाॅ. समणी मल्लीप्रज्ञा, डाॅ. समणी कुसुम प्रज्ञा, डाॅ. युवराज सिंह खंगारोत, डाॅ. पी सिंह, डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, डाॅ. बी. प्रधान, प्रो. बीएल जैन, डाॅ. गोविन्द सारस्वत, आरके जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी आदि उपस्थित थे। इस टीम ने विश्वविद्यालय के जैनोलोजी विभाग, जीवन विज्ञान विभाग, समाज कार्य विभाग, प्राकृत एवं संस्कृत भाषा विभाग, अहिंसा व शांति विभाग, अंग्रेजी विभाग, आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय आदि का निरीक्षण किया एवं पूर्ण जानकारी प्राप्त की।

Friday, 9 March 2018

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन


लाडनूँ 8 मार्च 2018। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में तहसील के ग्राम बालसमंद में कार्यक्रम आयोजित किया जाकर महिलाओं के उत्थान व सशक्तिकरण के लिये महिलाओं में चेतना जाग्रत की गई। समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में विभाग के प्रो. आरके यादव ने घूंघट प्रथा से लेकर वर्तमान स्थिति तक के महिलाओं के सशक्तिकरण को रेखांकित किया तथा बताया कि आज महिलायें हर क्षेत्र में पुरूषों की बराबरी ही नहीं बल्कि पुरूषों से आगे बढने की स्थिति में पहुंच गई है। उन्होंने रूढिवादी सोच को त्यागने की जरूरत बताई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये डाॅ. बलवीर सिंह बालसमंद ने महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुये कहा कि महिलायें अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने लगी हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रूपाराम ने कार्यक्रम के आयोजन की सराहना करते हुये कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन से समाज में महिलाओं के प्रति भावनाओं में बदलाव आयेगा तथा उन्हें आगे बढने का अवसर मिलेगा। समाज कार्य विभाग की डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने प्रारम्भ में स्वागत करते हुये महिला दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला तथा कार्यक्रम के आयोजन की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम में विभाग के विद्यार्थियों विनय शर्मा, सुमित शर्मा, युवराज सिंह, हिमांशु, नरेन्द्र व गरिमा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अंत में छात्रा प्रीति राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के आयोजन में समाज कार्य विभाग के विद्यार्थियों ने अपनी सक्रिय भमिका निभाई।
विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये डाॅ. मनीष भटनागर ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं ने सदैव सक्रिय भूमिका निभाई है तथा उन्होंने ज्ञान, विज्ञान एवं सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। उन्होंने ऐसी महिलाओं से प्रेरणा लेने की जरूरत बताई। डाॅ. गिरीराज भोजक ने शिक्षा के प्रसार को महिला विकास के लिये जरूरी बताया तथा कहा कि नवाचारों के माध्यम से महिला उत्थान किया जाना संभव है। डाॅ. सरोज राॅय ने छात्राओं से अपनी प्रतिभा को निखारने की जरूरत बताई तथा कहा कि संघर्ष से कभी भी घबराना नहीं चाहिये। कार्यक्रम में पार्वती, सुमित्रा, संतोष, सोनू, प्रियंका, मनसुखी, आयुषी, चन्द्रवती, चेतना आदि ने महिला शिक्षा, लैंगिक समानता, महिला विकास आदि पर अपनी कविता, भाषण एवं दृष्टांतों के माध्यम से विचार प्रकट किये। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने अंत में आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ. बी. प्रधान, डाॅ. विषणु कुमार, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. ममता सोनी, देवीलाल कुमावत, मुकुल सारस्वत एवं छात्राध्यापिकायें उपस्थित रही।