Wednesday, 19 June 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्रो. दामोदर शास्त्री केन्द्र सरकार के प्राकृत भाषा बोर्ड में शामिल


प्रो. दामोदर शास्त्री केन्द्र सरकार के प्राकृत भाषा बोर्ड में शामिल

लाडनूँ, 19 जून 2019। केन्द्रीय सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के अन्तर्गत पालि व प्राकृत भाषाओं के विकास की योजना के तहत गठित किये गये 19 सदस्यीय प्राकृत भाषा विकास बोर्ड में लाडनूँ के जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्रोफेसर दामोदर शास्त्री को विशेषज्ञ सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। प्रो. शास्त्री के अलावा जैन विश्वभारती संस्थान के प्राकृत व संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके प्रो. जगतराम भट्टाचार्य को भी इस बोर्ड में विशेषज्ञ सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। प्रो. भट्टाचार्य वर्तमान में पं. बंगाल के शांति निकेतन विश्व भारती विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि व प्राकृत भाष विभाग के प्रोफेसर हैं। यह समिति भारत सरकार को प्राकृत भाषा व साहित्य के प्रचार-प्रसार, संरक्षण व विकास के सम्बंध में परामर्श प्रदान करेगी।

Monday, 17 June 2019


जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के पाण्डुलिपि संरक्षण केन्द्र द्वारा किया जा रहा है यत्र-तत्र फैली पांडुलिपियों का सूचीकरण व ट्रीटमेंट


लाडनूँ, 17 जून 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में स्थापित पाण्डुलिपि संरक्षण केन्द्र में भारतीय संस्कृति की धरोहर कहे जाने वाले पुरालिपियों में निबद्ध प्राचीन भारतीय साहित्य को संरक्षित करने एवं पाण्डुलिपियों को सुरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। संस्थान में लगभग छह हजार बहुमूल्य पाण्डुलिपियां हैं, जिनमें से अधिकतर अप्रकाशित हैं। इन सबका संरक्षण कार्य इस केन्द्र द्वारा किया जा रहा है। इसके साथ ही लाडनूँ क्षेत्र के आसपास मंदिरों, सामुदायिक वाचनालयों, व्यक्तिगत पुस्तकालयों एवं घरों में संपर्क करके जहां-जहां भी पाण्डुलिपियां सुरक्षित हैं, वहां पहुंचकर उन पाण्डुलिपियों को आवश्यकतानुसार सुरक्षित करना अथवा उन्हें संरक्षण केन्द्र लाकर उचित ट्रीटमेंट देकर ठीक करना एवं पुनः उन्हें वापिस लौटाना आदि कार्य भी इस केन्द्र द्वारा किये जायेंगे।

इस प्रकार की जाती है पांडुलिपियां सुरक्षित

केन्द्र में नियुक्त किये गये विशेषज्ञ कार्यकर्ताओं द्वारा पाण्डुलिपियों के संरक्षण का कार्य किया जा रहा है, जिनमें मुख्य रूप से प्रत्येक पाण्डुलिपि के पन्नों में नमी होने पर उन्हें प्राकृतिक तरीके से अथवा आवश्यक केमीकल के द्वारा दूर किया जाता है और यदि यदि पन्ने फट गये हों अथवा कीड़े लग गये हों तो उनमें आवश्यकतानुसार हस्त निर्मित कागज को जोड़कर सम आकार का किया जाता है। साथ ही केन्द्र में प्राप्त की गई प्रत्येक पाण्डुलिपि का विस्तृत रिकार्ड रखा जाता है। इन संरक्षित की गई सभी पांडुलिपियों को अंत में विशेष गत्ते को लगाकर उसे लाल रंग के सूती कपड़े में बांधा जाता है, जिससे पुनः उसमें नमी एवं कीडे़ आदि ना लगे। ये सभी कार्य संस्थान के पाण्डुलिपि संरक्षण केन्द्र में केन्द्र के समन्वयक एवं जैनविद्या विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. योगेश कुमार जैन के निर्देशन में किये जा रहे हैं।

राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन से मिली सहायता

इस पांडुलिपि संरक्षण केन्द्र की स्थापना राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन नई दिल्ली के सौजन्य से की गई है। राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन नई दिल्ली के प्रयासों से देश में पाण्डुलिपियों के संरक्षण, संवर्द्धन एवं रखरखाव के साथ उनके सूचीकरण का महनीय कार्य मिशन के द्वारा निरन्तर किया जा रहा है। लेकिन अब तक केवल 30 प्रतिशत पाण्डुलिपियों का ही संरक्षण संभव हो पाया है। संरक्षण एवं सूचीकरण की श्रृंखला को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मिशन के सौजन्य से जैन विश्वभारती संस्थान में इस केन्द्र की स्थापना की गई है। राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन द्वारा इस कार्य के लिये जैविभा संस्थान को सहयोग प्रदान किया गया है। पूर्व में संस्थान ने पाण्डुलिपि के पठन-पाठन को सरल बनाने के लिये इक्कीस दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था तथा इस कार्यशाला की सफलता के परिणाम स्वरूप मिशन ने संस्थान में पांडुलिपि संरक्षण केन्द्र खोले जाने की स्वीकृति प्रदान की थी।

Friday, 24 May 2019

नियमित के मुकाबले सक्षम सिद्ध हुई है दूरस्थ शिक्षा

नियमित के मुकाबले सक्षम सिद्ध हुई है दूरस्थ शिक्षा - प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 24 मई 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि आज की अर्थप्रधान एवं व्यस्ततम जिंदगी में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिये दूरस्थ शिक्षा का महत्व बहुत अधिक बढ गया है। घर बैठे, अपने व्यवसाय या नौकरी करते हुये शिक्षा को सतत बनाये रखने में दूरस्थ शिक्षा की भूमिका महती है। आज तो यह नियमित अध्ययन का मुकाबला करने में सक्षम हो चुकी है। घर बैठे अध्ययन की यह सुविधा देश में उच्च शिक्षा में कीर्तिमान कायम कर रही है। नौकरीपेशा लोगों के लिये तो यह बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो रही है। वे यहां दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की दूरस्थ शिक्षा में प्रवेश सम्बंधी व्यवस्थाओं को लेकर आहूत बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जैन विश्वभारती संस्थान मे दूरस्थ शिक्षा में प्रवेश प्रारम्भ हो चुका है। यहां बी.ए., बी.काॅम. और एम.काॅम. के लिये आवेदन भरे जा रहे हैं। इनमें पोस्ट ग्रेजुयेट कोर्स में जैनालोजी, योग एवं जीवन विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी तथा राजनीति विज्ञान विषयों में प्रवेश की सुविधा है। इस बैठक में सेक्शन इंचार्ज पंकज भटनागर, समन्वयक जेपी सिंह, मयंक जैन, ओमप्रकाश सारण, करण गुर्जर, कृष्णा, सुरेश पारीक, मदनसिंह, अंजुला जैन आदि उपस्थित थे।

Tuesday, 14 May 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में महिला शिक्षा के बढते कदम पुस्तिका का विमोचन

बालिकाओं को उच्चतम शिक्षा दिलवाकर प्रतिभाओं को बढने का मौका दें- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 14 मई 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय द्वारा प्रकाशित ‘‘महिला शिक्षा के बढते कदम’’ पुस्तिका का विमोचन मंगलवार को महाविद्यालय के सेमीनार हाॅॅल में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने पुस्तिका की विशेषताओं और उपयोगिता के बारे में बताते हुये बताया कि यह पुस्तिका कन्या शिक्षा के क्षेत्र में बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि आज सब जगह कन्यायें अपना परचम फहरा रही है। लड़कियों की काबिलियत के सभी कायल हैं, ऐसे में आवश्यकता यह है कि कहीं ऐसा न हो कि उनकी शिक्षा में कोई अड़चन पैदा हो और प्रतिभा को फलने-फूलने से रोक दिया जावे। अपने क्षेत्र में उच्चतम शिक्षा की व्यवस्था करने एवं बालिकाओं को शिक्षा के साथ संस्कारवान, चरित्रवान और नैतिक मूल्यों से सराबोर बनाने का काम इस क्षेत्र में महिला शिक्षा को निरन्तर बढावा दे रहा है यह आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय। यहां अध्ययनरत छात्राओं के सर्वांगीण विकास की ओर पूरा ध्यान दिया जाता है। यहां शैक्षणेत्तर गतिविधियों का संचालन विविध क्लबों का गठन किया जाकर किया जाता है, जिनमें व्यक्तित्व विकास, वक्तृत्व कला, लेखन कला, नृत्य व संगीत, विविध खेल अभ्यास व स्पर्धायें, ध्यान, घुड़सवारी आदि कार्यक्रम निरन्तर करवाये जाते हैं। इनके अलावा एनएसएस, एनसीसी की इकाइयों के संचालन से भी उनका विकास किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये भी यहां विशेष व्यवस्था उपलब्ध है। इस महाविद्यालय में उत्कृष्ट व्यवस्था व सुविधाओं वाला छात्रावास, स्वास्थ्यदायी भोजन व्यवस्था, सुदूर गांवों तक बसों की व्यवस्था, पूरे परिसर में वाई-फाई की सुविधा आदि उपलब्ध है। इस अवसर पर डाॅ. प्रगति भटनागर, कमल कुमार मोदी, अभिषेक चारण, रत्ना चैधरी, बलबीर सिंह चारण, योगेश टाक, घासीलाल शर्मा आदि उपस्थित रहे।

Saturday, 4 May 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में व्याख्यानमाला आयोजित

दलित समाज में जागृति की ज्वाला लेकर आये बाबू जगजीवन राम

लाडनूँ, 4 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में मासिक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस बार ‘‘अनुसुचित जाति समुदाय के सशक्तिकरण में बाबू जगजीवन राम का योगदान’’ विषय पर वाणिज्य संकाय की व्याख्याता अपूर्वा घोड़ावत द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। घोड़ावत ने अपने व्याख्यान में बताया कि पांच दशक तक सक्रिय राजनीति में बाबू जगजीवनराम जी ने अपना पूर्ण जीवन देश की सेवा व दलितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उनके प्रयासों के कारण ही दलितों को आरक्षण मिला, शिक्षा और नौकरी मिली तथा बराबरी वाले समाज में बराबर उठने-बैठने की महत्ता मिली। बाबूजी दलित समाज की एक ऐसी चिन्गारी के रूप में उभरे जिसमें समूचे दलित समाज में जागृति की ज्वाला जगा दी और दलित समाज को पंक से निकाल कर प्रतिष्ठा तक पहुंचा दिया। इस व्याख्यानमाला में महाविद्यालय के व्याख्याता डाॅ. प्रगति भटनागर, कमल कुमार मोदी, अभिषेक चारण, रत्ना चैधरी, बलबीर सिंह चारण, सोनिका जैन, योगेश टाक आदि उपस्थित रहे। व्याख्यानमाला का संचालन सोमवीर सांगवान द्वारा किया गया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अल्पकालीन अंग्रेजी सम्भाषण कोर्स का समापन

जीवन में आवश्यक बन गई है अंग्रेजी सम्भाषण कला- शर्मा

लाडनूँ, 4 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में कौशल विकास के लिये संचालित अल्पकालीन कोर्सेज के अन्तर्गत इंग्लिश स्पोकन कोर्स का समापन गुरूवार को किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये समन्वयक विजयकुमार शर्मा ने कहा कि अंग्रेजी भाषा की जानकारी आज वैश्विक जरूरत बन चुकी है। अंग्रेजी सम्भाषण कला सीखने के बाद व्यक्ति विश्व में कहीं भी जाये तो उसे भाषा की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विविध अल्पकालीन पाठ्यक्रमों की जानकारी दी और ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान उनमें प्रवेश लेकर कौशल सीखने के लिये प्रेरित किया। प्रशिक्षक डाॅ. सोमवीर सांगवान ने बेहिचक अंग्रेजी बोलने के लिये प्रेरित किया और कहा कि अंग्रेजी आज देश-विदेश में सम्प्रेषण की भाषा बन चुकी है। डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने अंग्रेजी सीखने की आवश्यकता को प्रतिपादित किया। डाॅ. विकास शर्मा ने कहा कि विद्यार्थी को हुनर सीखने की आवश्यकता बताई तथा कहा कि प्रत्येेक सीखी हुई विद्या जीवन भर काम आती है। डाॅ. जगदीश यायावर व अजयपाल सिंह भाटी ने भी अंग्रेजी को अपने रोजमर्रा काम में लेकर इसमें पारंगत बनने की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर प्रशिक्षु भूमिका सोनी, लीला मंडा, वेदिका स्वामी, विकास ढाका, धीरज स्वामी, महेन्द्र जांगिड़ आदि ने अपने कक्षा में सीखे हुये ज्ञान के बारे में अनुभव साझा किये तथा अंग्रेजी में वक्तव्य देते हुये बताया कि यहां वे बहुत ही आसानी से अंग्रेजी बोलना सीख पाये। इस अवसर पर सभी प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किय गये।

Saturday, 27 April 2019

जैन विश्वभारती (मान्य विश्वविद्यालय) में दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों की फेयरवेल पार्टी का आयोजन

आत्मोत्थान के साथ योग बन गया है बेहतर केरियर का जरिया- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 27 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के योग एवं जीवन विज्ञान विषय के स्नातकोत्तर डिग्री के विद्यार्थियों की सम्पर्क कक्षाओं के दौरान उन्होंने फेयरवेल पार्टी का आयोजन किया, जिसमें विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर सबका मन मोहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि योग जहां आत्मोद्धार का साधन माना गया है, वहीं आत्मोत्थान के साथ ही योग आज बेहतर केरियर के रूप में भी सामने आया है और इसी कारण विश्वविद्यालय में योग की शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों में एमबीबीएस और इंजीनियरिंग कर चुके विद्यार्थी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय से योग की डिग्री लेने के बाद यहां के छात्र विदेशों में अपने योग प्रशिक्षण केन्द्र संचालित कर रहे हैं। चीन, मलेशिया, जापान, इंग्लेंड आदि देशों में यहां के योग-विद्यार्थी अपनी सेवायें दे रहे हैं। योग की शिक्षा के बाद किसी भी छात्र के समक्ष आजीविका का कोई संकट नहीं आ सकता है। आज विश्व भर में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और बहुत सारी बीमारियों से मुक्त होने में आसन, प्राणायाम, ध्यान एवं अन्य योग की क्रियाओं को रोगमुक्ति का प्रमुख माध्यम माना जा चुका है। उन्होंने बताया कि जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा विभाग के छह छात्रों ने योगासन एवं अन्य क्रियाओं में विश्व-रिकॉर्ड कायम करके देश का नाम उजागर किया है।

लाडनूँ के विद्यार्थियों ने किया विदेशों में योग का प्रसार

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जगदीश यायावर ने भी योग को आत्मिक उन्नति के साथ रोजगार का माध्यम भी बताया तथा विभिन्न विद्यार्थियों का विवरण प्रस्तुत करते हुये कहा कि लाडनूँ से प्रशिक्षित योग शिक्षकों ने विदेशों तक में नाम रोशन किया है और योग का प्रसार किया है। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा समन्वयक जेपी सिंह व सेक्शन प्रभारी पंकज भटनागर भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में छात्रा राजश्री, कोमल, रेणु, ज्योति, सुनिता व भारती ने योगा-नाट्यम के माध्यम से संगीत की धुन पर सामुहिक योगाभ्यास का प्रदर्शन किया। सुनीता भूरिया ने थानैं काजलियो बणाल्यूं गीत पर नृत्य की मनभावन प्रस्तुति दी। सरिता, सिम्पल, रीता, उमा चैधरी, मोनिका शर्मा आदि ने भी नृत्यों की शानदार प्रस्तुति दी। शोभाराम ने भजन, राजीव व सुमन ने गीत तथा सरिता, राजीव, सुशील, मघु, मनु, सुशील शर्मा, मोनु आदि ने पर्चियां निकाल कर उनमें आये विवरण के अनुसार प्रस्तुतियां देकर सबको खूब हंसाया। अंत में सभी विद्यार्थियों ने सामुहिक नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन कर्नल गोपाल ने किया।

Monday, 22 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की दूरस्थ शिक्षा की विभिन्न परीक्षायें प्रारम्भ, परीक्षा निंयंत्रक ने लिया जायजा



लाडनूँ, 22 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के अन्तर्गत संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों की स्नातक स्तर की वार्षिक परीक्षायें यहां विश्वविद्यालय परिसर में सोमवार से प्रारम्भ की गई। विश्वविद्यालय परिसर के अलावा ये परीक्षायें प्रदेश भर में निर्धारित विभिन्न परीक्षा केन्द्रों पर ली जा रही है। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने सोमवार को विभिन्न कक्षों में ली जा रही परीक्षा का मुआयना किया एवं परीक्षा के लिये की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि अलग-अलग परीक्षायें अलग-अलग पारी में ली जा रही हैं। प्रातःकाल की पारी सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर की पारी 2.30 बजे से सायं 5.30 बजे तक के निर्धारित है। सोमवार को दोपहर की पारी में बीकाॅम तृतीय वर्ष और बीए तृतीय वर्ष की परीक्षायें ली गई।

Tuesday, 16 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में महावीर जयंती पर कार्यक्रम आयोजित

महाविनाश से बचने के लिये महावीर को अपनाना होगा - प्रो. भट्टाचार्य

लाडनूँ, 16 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के तत्वावधान में महावीर जयंती के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने महावीर और महाविनाश को विश्व के सामने दो विकल्प बताये और कहा कि अगर महाविनाश से बचना है तो महावीर के सिद्धांतों को अपनाना होगा। उन्होंने विश्व में मानव जीवन पर संकट के रूप में परमाणु शस्त्र, पर्यावरण संकट एवं वैचारिक आग्रह को सबसे बड़े कारण के रूप में माना और कहा कि इन चुनौतियों और संकटों से बचने के लिये महावीर के तीन सूत्रों को अपनाना होगा। संयम, अपरिग्रह और अनेकांत को स्वीकार करने पर समस्याओं से छुटकारा मिलना संभव है। संयम का पालन करने पर तीनों से संकटों से मुक्ति मिल सकती है। महाविनाश से बचने का तरीका संयम ही है। इससे पर्यावरण को संकट से बचाया जा सकता है। उपभोग का संयम प्रकृति की रक्षा करता है। इससे क्रूरता भी कम होती है। उन्होंने अपरिग्रह को महावीर का सबसे बड़ा सिद्धांत बताया तथा कहा कि परिग्रह को जितना हो सके सीमित करना चाहिये। उन्होंने आत्मनिर्भरता के बजाये परस्पर-निर्भरता को अपनाने से झगड़े समाप्त होना संभव बताते हुये कहा कि आत्मनिर्भरता से अहंभाव बढता है। प्रो. दूगड़ ने अनेकांत को वैचारिक अनाग्रह बताते हुये कहा कि हमें वैचारिक संकीर्णता से निकलना होगा। कोई व्यक्ति क्या कहता है, से अधिक कैसे कहता है और उससे भी अधिक किस भाव से कहता है, महत्वपूर्ण होता है। क्या कहता है गौण है और सबसे ज्यादा ध्यान भाव पर देना चाहिये। उन्होंने कहा कि महावीर को मनायें, लेकिन उनके सिद्धांतों को भी अपनायें, तभी जन्म जयंती का आयोजन सफल होगा और सृष्टि को बचाने के उत्तरदायित्व को भी सभी निभा पायेंगे।

अहिंसा को पुस्तकों तक सीमित नहीं रखें

पं. बंगाल के शांति निकेतन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जगतराम भट्टाचार्य ने कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये कहा कि महावीर की वार्तायें, उनकी शिक्षायें सभी त्रैकालिक हैं। वे सभी काल के लिये समान रूप से आवश्यक हैं। महावीर के दर्शन में अहिंसा के तत्व को सबसे बड़ा तत्व बताते हुये उन्होंने कहा कि अहिंसा को पुस्तकों तक सीमित नहीं रखना चाहिये, क्योंकि महावीर ने अहिंसा का प्रतिपादन पराकाष्ठा तक किया था। महावीर के शास्त्र के कुछ ही तत्वों को जीवन में अपने आचरण पालन में उतार लेने से जीवन सफल हो सकता है। प्रो. भट्टाचार्य ने भावक्रिया पर जोर देते हुये कहा कि जो भी काम करो, उसमें तल्लीनता से पूरे मन से करना चाहिये। जैन दर्शन में गमन-योग में चलने-फिरने तक में योग साधना का प्रयेाग बता दिया गया है। उन्होंने महावीर द्वारा प्रतिपादित समता के भाव को जीवन की सफलता के लिये आवश्यक बताया तथा कहा कि हमें सुख और दुःख के भावों को संतुलित करना सीखना होगा।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में छात्राध्यापिकाओं का शुभ-भावना समारोह आयोजित

विद्यार्थी को तराश कर उसके जीवन को बेहतरीन बनाते हैं शिक्षक - मेहता

लाडनूँ, 16 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में शुभ-भावना समारोह का आयोजन किया जाकर एमएड, बीएड एवं बीए-बीएड व बीएससी-बीएड की अंतिम वर्ष की छात्राओं को भावभीना व आकर्षक ढंग से विदाई दी गई। यहां महाप्रज्ञ-महाश्रमण ऑडिटोरियम में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता करते हुये कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने कहा कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों को जीवन की विषम स्थितियों से मुकाबले के लिये तराश कर उनके जीवन को बेहतरीन बनाते हैं। यहां छात्राओं में अनुशासन, सहनशीलता, रूचि का विस्तार एवं विभिन्न कलाओं में निपुण बनाने आदि गुणों का विकास करके उन्हें समाज व राष्ट्र के लिये बहुमूल्य बनाया जाता है। मुख्य अतिथि जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने कहा कि जीवन में भावनाओं का महत्व होता है। जैसी हमारी भावना होती है, हमारे जीवन का विकास भी वैसा ही होता है। विद्यार्थी बीज की तरह होते हैं, जिनमें विकास की असीम संभावनायें होती हैं। वे अपनी संभावनाओं को व्यक्त कर पायें, इसके लिये उन्हें अनुकूल माहौल और अच्छे गुरू मिलने आवश्यक होते हैं। उन्होंने कहा कि विदाई का अर्थ फल के पकने की तरह से होना चाहिये। विद्यार्थी शिक्षित होकर परिपक्व होकर जाता है तो उसमें पके फल की तरह से वाणी व व्यवहार की मिठास, विनम्रता और गुणों के रंग व सुगंध होनी चाहिये। विद्यार्थी में आने वाले परिवर्तन में उसके स्वभाव में अनुशासन, शांति, शालीनता आनी चाहिये, तभी वह जीवन में आगे बढ सकता है और अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि गुरू का यह प्रयास रहता है कि छात्राओं में ऐसी कोई गलती नहीं रहने पाये, जिससे उन्हें जीवन में कोई परेशानी उठानी पड़े। जीवन में हमेशा मेहनत व निष्ठा जरूरी होती है और यही छात्राओं के आगे बढने में सहायक होती हैं। कार्यक्रम में प्रियंका राठौड़, हेमा, मोनिका सैनी, पूजा कुमारी, प्रियंका बिड़ियासर एवं समूह, कविता शर्मा, कविता जोशी, मोना राठौड़, रितिका दाधीच आदि ने विभिन्न राजस्थानी, हिन्दी व पंजाबी गीतों पर नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दी। प्रियंका टाक, हेमा आदि ने अपने विश्वविद्यालय के छात्र-जीवन के अनुभव प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. सरोज राय ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन ज्योति व सुमन सोमड़वाल ने किया।

आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में विदाई समारोह आयोजित, रश्मि मिस फेयरवेल व रंजना मिस दिवा बनी

लगन, धैर्य व परिश्रम से मिलती है सफलता- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 16 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि इस विश्वविद्यालय द्वारा क्षेत्र में बरसों से महिला शिक्षा को बढावा दिया जा रहा है। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय ने इस कार्य में सराहनीय कार्य किया है। आज इस क्षेत्र की छात्रायें बहुतायत से उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यहां केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य ही नहीं किया जाता, बल्कि चरित्र व नैतिकता पर पूरा ध्यान दिया जाता है। उन्होंने शिक्षा पूर्ण करने के बाद जीवन में निरन्तर सफलता के लिये आवश्यक गुणों के बारे में बताते हुये कहा कि पूरी लगन, धैर्य और परिश्रम को अपनाया जाने पर ही हर क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय से विदाई को जीवन के विस्तृत क्षेत्र में प्रवेश के तौर पर देखा जाना चाहिये, जिसमें पग-पग पर परीक्षायें होती हैं और उन सब परीक्षाओं में सभी छात्राओं को हमेशा सफलता प्राप्त करनी होगी। कार्यक्रम में अभिषेक चारण ने छात्राओं में जहां अपनी शिक्षा का एक लक्षित पड़ाव पूर्ण कर लेने की खुशी है, वहीं उनमें उच्चतम शिक्षा ग्रहण करने का उत्साह भी है। छात्राओं को अपने उत्साह के साथ धैर्य के साथ आगे की शिक्षा व जीवन के बारे में सोचना होगा।

रश्मि बनी मिस फेयरवेल

समारोह में छात्राओं ने मिस फेयरवेल-2019 का चुनाव किया, जिसमें रश्मि बोकड़िया का चयन किया गया। इसी प्रकार मिस दिवा के लिये रंजना घिंटाला और स्पार्क आफ दी डे के लिये मुस्कान सोनी को चुना गया। कार्यक्रम में महिमा प्रजापत, रश्मि बोकड़िया, चांदनी सैनी, ज्योति जांगिड़, सुमन प्रजापत, पूजा प्रजापत, मुस्कान सोनी, करीना कायमखानी आदि ने विभिन्न गीतों पर शानदार नृत्य प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर स्नातक अंतिम वर्ष की छात्राओं को अन्य छात्राओं ने जहां उपहार देकर विदा किया, वहीं उनके सम्मान में ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते हुये छात्राओं ने ऑडिटोरियम में प्रवेश किया। इस अवसर पर तीन साल के अनुभवों को एक पीपीटी में संजो कर उसका प्रदर्शन पर्दे पर किया गया। एक सेल्फी पाॅइंट बनाकर छात्राओं ने मोबाईल से बहुत सारी यादों की तस्वीरें कैद की। अंतिम वर्ष की छात्राओं ने अपने शिक्षकों को भी उपहार देकर सम्मान प्रदान किया। कार्यक्रम में डाॅ. प्रगति भटनागर, सोनिका जैन, अपूर्वा घोड़ावत, विनोद कस्वां, सोमवीर सांगवान, डाॅ. बलवीर सिंह, अजयपाल सिंह भाटी, योगेश टाक, अभिषेक चारण आदि उपस्थित रहे।

Monday, 15 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में रिसर्च ओरियेंटेशन वर्कशोप आयोजित

समस्याओं के समाधान को प्रशस्त करता है शोध का व्यावहारिक पक्ष- प्रो. भट्टाचार्य

लाडनूँ, 15 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के अन्तर्गत शोध-छात्रों के लिये आयोजित की गई रिसर्च ओरियेंटेशन वर्कशोप में बंगाल के शांति निकेतन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जगतराम भट्टाचार्य ने कहा कि शोध-प्रक्रिया एवं शोध के अंग-प्रत्यंगों सहित विविध पहलुओं पर चर्चा करते हुये रोचक ढ़ंग से शोध करने के लिये उसके व्यावहारिक पक्ष को बताया तथा कहा कि ज्ञान में व्यवहार वह होता है, जो समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि शोध में किसी भी घटना-परिघटना के कार्य-कारण सम्बंध को निर्धारित करके उसके समाधान को भी साथ में ढूंढना आवश्यक होता है। इसमें जीवन के विविध विषयों और समस्याओं का सही ज्ञान होने के साथ उनके नियोजन और सुधारात्मक उपचार को प्रस्तुत करना चाहिये। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र से सम्बंधित और प्रासंगिक जानकारी भी छात्रों को प्रदान करके उन्हें लाभन्वित किया। उन्होंने इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रश्नों के उत्तर भी दिये और जिज्ञासा शांत करते हुये उन्हें समाधान प्रदान किया। विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा ने प्रारम्भ में प्रो. भट्टाचाय्र का परिचय प्रस्तुत करते हुये स्वागत किया। यहां फ्रांस से शोध करने यहां आई ओयेमी डेलिघ्रांस भी उपस्थित थी, वे यहां आयुर्वेद के ग्रंथों पर शोध कर रही है। इस अवसर पर करीब 20 शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रो. सत्यनारायण भारद्वाज ने आभार ज्ञापित किया।

Tuesday, 9 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में प्रज्ञा संवर्द्धिनी व्याख्यानमाला आयोजित

हमें धर्म को प्राचीरों से बाहर निकालना होगा- डाॅ. कोठारी

लाडनूँ, 9 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के महादेवलाल सरावगी अनेकांत शोधपीठ के तत्वावधान में आयोजित आचार्य महाप्रज्ञ प्रज्ञा संवर्द्धिनी व्याख्यानमाला के अन्तर्गत समाज को आचार्य महाप्रज्ञ का अवदान विषय पर यहां ऑडिटोरियम में राजस्थान पत्रिका के मुख्य-सम्पादक प्रखर विद्वान डाॅ. गुलाब कोठारी का व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्यान में डाॅ. कोठारी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने समाज को रूपांतरित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इसके लिये उन्होंने कभी भी स्वयं को आगे नहीं रखा। क्योंकि जो अपने को गौण रख कर चलता है, वहीं बड़ा हुआ करता है। जो खुद के लिये जीता है, उससे छोटा आदमी धरती पर कोई नहीं होता। प्रत्येक बीज पेड़ बनना चाहता है, लेकिन उसके लिये जरूरी है कि वह स्वयं को जमीन में गाड़ देवे। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ की अहिंसा पर चर्चा करते हुये कहा कि अहिंसा तभी आ सकती है, जब हम हिंसा के कारणों को दूर कर देवें। जब तक हिंसा के संस्कार समाप्त नहीं होंगे, अहिंसा नहीं आ सकती, इसके लिये अहिंसा के संस्कार हमें भरने होंगे। डाॅ. कोठारी ने महाप्रज्ञ की उदारवादी व समभाव प्रवृति के बारे में बताते हुये कहा कि हमें संकुचित नहीं बनना चाहिये, बल्कि सभी मान्यताओं का सम्मान सीखना चाहिये। हमने महावीर के भी टुकड़े कर लिये हैं और संकीर्ण होते जा रहे हैं। दिगम्बर संत अपने आपको अपने पंथ के अनुयायियों से घिरा हुआ पाता है, तो वह खुश होता है और श्वेताम्बर संत अपने सम्प्रदाय के लोगों के बीच खुश रहते हैं। इस प्रकार की भावना से बाहर निकलने की जरूरत है। धर्म को हमें प्राचीरों से बाहर निकालना होगा।

डाॅ. कोठारी को प्रोफेसर एमिरेट्स की नियुक्ति

संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने इस अवसर पर डाॅ. गुलाब कोठारी को जैन विश्वभारती संस्थान की ओर से उन्हें मानद रूप से एमिरेट्स प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति प्रदान की। प्रो. दूगड़ ने अपने सम्बोधन में डाॅ. कोठारी के प्रति आभार ज्ञापित किया तथा कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन में सरलता, समर्पण व सापेक्षता निहित थी। महाप्रज्ञ का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उन्हें देखकर ही अहिंसा समझ में आ जाती थी और उनके विचारों और वक्तव्यों में सापेक्षता-अनेकांत का प्रयोग देखने को मिलता है। वे परस्परता के बारे में बताते थे। उनका मानना था कि विरोध हमारे मन की कल्पना है। पक्ष के साथ प्रतिपक्ष आवश्यक होता है। दोनों पक्ष ही वैचारिक सौंदर्य होते हैं। उन्होंने विरासत को अक्षुण्ण रखने की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम में समाजसेवी भागचंद बरड़िया भी विशिष्ट अततिथि के रूप में मंचस्थ थे। प्रारम्भ में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। शोधपीठ की निदेशिका प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने विषय प्रवर्तन किया तथा मुमुक्षु बहनों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. योगेश कुमार जैन ने किया। व्याख्यानमाला में पर्यावरणविद् बजरंगलाल जेठू, ललित वर्मा, आलोक खटेड़, शांतिलाल बैद, लक्ष्मीपत बैंगानी, प्रो. बीएल जैन, डाॅ. अमिता जैन, सुनिता इंदौरिया, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. पंकज भटनागर, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान आदि उपस्थित थे।

Saturday, 6 April 2019

एनएसएस शिविर में स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन



लाडनूँ 6 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाईयों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय शिविर में स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय स्वच्छता अभियान कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश की त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सेवा योजना की स्वयंसेविकाओं को अपने घर-परिसर और मौहल्ले-शहर की सफाई व्यवस्था में भी रूचि लेनी चाहिये तथा देश को स्वच्छ बनाने के राष्ट्रीय अभियान में अपनी भूमिका निभानी चाहिये। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सेवा सर्वोपरि होती है और छोटे-छोटे कदमों से लम्बी यात्रा को भी पूरा किया जा सकता है, लेकिन आवश्यक है कि कदम उठाये अवश्य जायें। स्वच्छता अभियान एन.एस.एस. के कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. जुगल किशोर दाधीच एवं डाॅ. प्रगति भटनागर के निर्देशन में किया गया। इस कार्यक्रम में सभी स्वयं सेविकाओं, छात्राओ एवं शिक्षकों का योगदान रहा। सफाई अभियान कार्यक्रम के अन्तर्गत विश्वविद्यालय परिसर के खेल मैदान, पार्किंग क्षेत्र आदि के साथ सम्पूर्ण परिसर की सफाई की गई। इस अभियान में कमल कुमार मोदी, अभिषेक चारण, रत्ना चैधरी, बलबीर सिंह चारण, सोनिका जैन, योगेश टाक, सोमवीर सांगवान आदि का विशेष सहयोग रहा।

Friday, 5 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अल्पकालीन टैली कोर्स का समापन

आज की आवश्यकता है कम्प्यूटर से एकाउंटिंग का ज्ञान- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 5 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में कौशल विकास के लिये संचालित अल्पकालीन कोर्सेज के अन्तर्गत टैली एवं कंप्यूटर एकाउंटिंग कोर्स का समापन शुक्रवार को किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रत्येक युवा एवं विद्यार्थी को अधिकतम कौशल प्राप्त करने को हमेशा उद्यत रहना चाहिये। जो व्यक्ति स्वयं जानता है, वह अधिक सफल हो सकता है। एकांटिंग की जानकारी तो आज के अर्थ-युग में सबके लिये आवश्यक बन गई है। उन्होंने टैली और जीएसटी के ज्ञान को कॅरियर बनाने के लिये भी उपयोगी विधा बताया। कार्यक्रम में विताधिकारी आरके जैन ने हिसाब-किताब रखने की विधियों के ज्ञान को जीवन के लिये सबसे आवश्यक बताया तथा कहा कि इस कम्प्यूटर युग में टैली की जानकारी बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी।

लाभान्वित होंगे व्यवसायरत युवा

समन्वयक विजयकुमार शर्मा ने विश्वविद्यालय की कौशल प्रशिक्षण योजना के तहत हाल ही में संचालित हैयर स्टाईल कोर्स, इंग्लिश स्पोकन कोर्स एवं टैली की जानकारी देते हुये बताया कि विश्वविद्यालय अनेक छोटे-छोटे कोर्सेज के माध्यम से काॅलेज शिक्षा से जुड़े अथवा व्यवसायरत युवा वर्ग को प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें कुशल बनाने की योजना के बारे में जानकारी दी। जगदीश यायावर व सोनिका जैन ने भी टैली को महत्वपूर्ण विद्या बताते हुये इसका ज्ञान हासिल करके जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया। कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले महेन्द्र जांगिड़, मोहम्मद खालिद, मुरलीमनोहर शर्मा, पूजा बैद, नीतू जोशी, मोनालिका आदि ने भी अपने अनुभव सुनाये और प्रशिक्षक राजेन्द्र बागड़ी व सोनिका जैन एवं कार्यक्रम समन्वयक विजयकुमार शर्मा के प्रति आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया। कार्यक्रम में शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, डाॅ. सोमवीर सांगवान, पंकज भटनागर, राजेन्द्र बागड़ी, सोनिका जैन, विजयकुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे।

Thursday, 4 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में जैन स्काॅलर योजना में 11 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

फिर से पुनर्जीवित होने जा रही है प्राकृत भाषा- डाॅ. संगीतप्रज्ञा

लाडनूँ, 4 अप्रेल 2019। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में संचालित ‘‘जैन स्काॅलर’’ योजना के तहत आयोजित 11 दिवसीय कार्यशाला में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा ने बताया कि प्राकृत भाषा का निरन्तर हृास होता जा रहा था, लेकिन अब यह पुनर्जीवित होने जा रही है। जैन आगमों के साथ अन्य ग्रंथ व साहित्य भी प्राकृत में निहित है और भाषा के लुप्त होने से यह सारा साहित्य व दर्शन संकट में था। ऐसे में तेरापंथ की बहिनों ने प्राकृत भाषा के अध्ययन का बीड़ा उठाया है, जो बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि कभी इस देश में प्राकृत भाषा जनभाषा के रूप में रही थी और अब वापस उसे जनभाषा बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्राकृत व संस्कृत को परस्पर जुड़ी हुई भाषायें बताते हुये कहा कि दोनों ही भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है।

संस्कृत देवभाषा है

डाॅ. समणी भास्कर प्रज्ञा ने संस्कृत की महत्ता बताते हुये कहा कि इसे देवभाषा का दर्जा प्राप्त है। संस्कृत समृद्ध और विशुद्ध वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत साहित्य में ज्ञान का अथाह भंडार समाहित है। प्रखर विद्वान प्रो. दामोदर शास्त्री ने कार्यशाला की सम्भागियों को संस्कृत ज्ञान के अनुभव व अध्ययन की सरलता व लयबद्धता के अवगत करवाया। विश्वविद्यालय के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के शिक्षकों द्वारा कार्यशाला के सम्भागियों को प्राकृत, संस्कृत, कर्मग्रंथ, भारतीय दर्शन और जैन भूगोल विषयों का अध्यापन करवाया गया। जैन स्काॅलर योजना पिछले 8 वर्षों से निरन्तर चल रही है। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की ज्ञान योजना के अन्तर्गत संचालित त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम में कुल 53 महिला-पुरूष अध्ययनरत हैं। इस 11 दिवसीय कार्यशाला में कुल 45 सम्भागियों ने भाग लिया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दो प्राकृत विद्वानों को राष्ट्रपति सम्मान मिला


लाडनूँ, 4 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दो विद्वानों को प्राकृत भाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट एवं उल्लेखनीय योगदान करने के लिये नई दिल्ली केे राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया है। इनमें से प्रो. दामोदर शास्त्री को 5 लाख रूपये का पुरस्कार तथा डाॅ. योगेश कुमार जैन को 1 लाख रूपयों का पुरस्कार प्रदान किया गया। समारोह में उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडु ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।

इन छह विद्वानों को किया गया सम्मानित

राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किये जाने वाले विद्वानों में लाडनूँ के जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दो विद्वान शामिल हैं। यह सम्मान प्राप्त करने वाले 6 विद्वानों में लाडनूँ के जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के प्रो. दामोदर शास्त्री, पाश्र्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी के अध्यक्ष प्रो. सागरमल जैन, सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय वाराणसी के जैन दर्शन एवं प्राकृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. फूलचंद जैन शामिल है तथा इनके अलावा युवा विद्वानों को महर्षि बादरायण व्यास राष्ट्रपति सम्मान प्रदान किया गया, जिनमें जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय लाडनूँ के जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. योगेश कुमार जैन, मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर के सहायक आचार्य डाॅ. सुमत कुमार जैन व राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मान्य विश्वविद्यालय जयपुर के जैन दर्शन विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. आनन्द कुमार जैन शामिल हैं।

Monday, 1 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

छेड़छाड़ व उत्पीड़न की घटनाओं को निडर होकर सामने लायें- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 1 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के यौन उत्पीड़न विरोधी प्रकोष्ठ के तत्वावधान में ‘‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुये कहा कि जागरूकता सबके लिये आवश्यक है। छेड़छाड़ एवं यौन उत्पीड़न की घटनायें कहीं भी हो सकती है। इन्हें लेकर किसी तरह का भय नहीं रखें और जागरूक रह कर उनका मुकाबला करें। इस सम्बंध में आयोजित की गई कार्यशाला जागरूक बनाने और डर को मिटाने का काम ही करती है। घटनाओं को बर्दाश्त करना खतरनाक साबित हो सकता है। कई बार देखा गया है कि महिलायें एक-एक साल बाद ऐसी घटनाओं की शिकायत करती है। एक साल तक सहन करना या उस घटना को दबा कर रखना उस महिला की कायरता की श्रेणी में आता है। उन्होंने फब्तियां कसने, गलत मैसेज भेजने आदि की घटनाओं को हलके में नहीं लेकर गंभीरता से लेने और बिना हिचक या डर के शिकायत करने की आवश्यकता बताई।

यौन उत्पीड़न से होता है महिलाओं के विभिन्न अधिकारों का हनन

कार्यशाला में यौन उत्पीड़न विरोध के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से कार्य कर रहे विशाखा संस्थान जयपुर की डाॅ. मंजु नांगल व रचना शर्मा ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून के बारे में जानकारी दी और इस सम्बंध में समितियों के गठन और उनके कार्य तथा शिकायत दर्ज करने के तरीके के साथ महिला के अधिकारों के बारे में जानकारी दी। सामाजिक सलाहकार रचना शर्मा ने बताया कि अधिकार काफी संघर्षों के बाद मिलते हैं। कार्यस्थन पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न कानून 13 सालों के संघर्ष के बाद बन पाया। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न से महिलाओं के समानता के अधिकार, रोजगार व व्यापार करने के अधिकार और सम्मान के साथ जीने के अधिकार छीन जाते हैं। उसके संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन हो जाता है। महिलाओं के साथ उसकी पढाई के दौरान ही यह शुरू हो सकता है। कार्यशाला का संचालन यौन उत्पीड़न विरोधी प्रकोष्ठ की समन्वयक डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने किया। कार्यशाला में प्रो. बीएल जैन, सोमवीर सागवान, अभिषेक चारण, सोनिका जैन, डाॅ. प्रगति भटनागर, अपूर्वा घोड़ावत, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान आदि उपस्थित थे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग में स्नातकोत्तर के विदाई समारोह का आयोजन

ज्ञान व आचार की समन्विति से आता है जीवन में निखार- प्रो. शास्त्री

लाडनूँ, 1 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग में स्नातकोत्तर के विदाई समारोह में प्रो. दामोदर शास्त्री ने विद्यार्थियों को भावी जीवन की बधाई देते हुये कहा कि ज्ञान का सार आचार होता है, इसलिये अपने आचरण को हमेशा उज्ज्वल रखना चाहिये। आचरण की उज्ज्वलता ही जीवन में आगे बढाने में सहायक होती है। ज्ञान और आचार की समन्विति जीवन में निखार लाती है। विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा ने कहा कि विदाई से इस बात की प्रेरणा मिलती है कि जो कुछ हमने सीखा है, उसकर व्यापक प्रसार करें। उन्होंने कहा कि प्राच्य विद्याओं में रूचि होना अपनी जड़ों की तरफ लौटना है। इसके लिये हमें अन्यों को भी प्रेरित करना चाहिये। उन्होंने विद्यार्थियों के आध्यात्मिक जीवन के लिये मंगलकामनायें की। डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में समणी भास्कर प्रज्ञा एवं समणी सम्यक्त्व प्रज्ञा ने कविताओं के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये। समणी धृतिप्रज्ञा, मुमुक्षु खुशबू, मुमुक्षु दर्शिका, मुमुक्षु पूजा, मुमुक्षु करिश्मा, मुमुक्षु वंदना व मुमुक्षु खुशबू ने अपने अध्ययनकाल के दो वर्षों के अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में विद्यार्थियों के अलावा शोधार्थी मीनाक्षी व डाॅ. वन्दना मेहता भी उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन मुमुक्षु सुरभि, मुमुक्षु प्रज्ञा एव मुमुक्षु प्रेक्षा ने किया।

Monday, 25 March 2019

शैक्षणिक भ्रमण दल ने माउंट आबू व सिरोही में देखे विभिन्न मंदिर व दर्शनीय स्थल


लाडनूँ, 25 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय की छात्राओं का एक दल दो दिवसीय शैक्षणिक भौगोलिक भ्रमण से लौटा। दल की छात्राओं ने यहां सबके साथ अपने अनुभव साझा किये तथा कहा कि इस भ्रमण से उन्हें बहुत सारी नई जानकारियां मिली एवं उन्हें राजस्थान की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत से रूबरू होने का अवसर मिला। 47 छात्राओं का यह भ्रमण दल यहां से माउंट आबू गया, जहां उन्होंने गुरू शिखर, नक्की झील, सनसेट पाइंट, अर्बुदा देवी मंदिर, देलवाड़ा जैन मंदिर, देरानी-जेठानी का झरोखा आदि का अवलोकन किया और उन सबके बारे में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक जानकारी प्राप्त की। माउंट आबू से यह दल रवाना होकर अगले दिन सिरोही गये, जहां पावापुरी जैन तीर्थस्थल का भ्रमण किया और वहां से दल पाली के चोटिला में ओम बन्ना के मंदिर पहुंचे और वहां से जोधपुर व नागौर होते हुये वापस लाडनूँ पहुंचे। इस 47 छात्राओं के भ्रमण दल के साथ सहायक आचार्य योगेश टाक, डाॅ. प्रगति भटनागर, डाॅ. बलवीर सिंह व डाॅ. विनोद कस्वा भी रहे।

Saturday, 23 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एक दिवसीय अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

अहिंसा व शांति प्रधान रही है भारतीय संस्कृति- प्रो. धर

लाडनूँ, 23 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के तत्वावधान में यहां एक दिवसीय अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में शोध निदेशक प्रो. अनिल धर ने भारतीय संस्कृति अहिंसा एवं शांति की संस्कृति रही है, इसमें नैतिक मूल्यों और मानवाधिकारों पर सर्वाधिक ध्यान दिया गया है। उन्होंने अहिंसा को जीवन के विकास का मुख्य सूत्र बताया तथा कहा कि विश्व में बढते हिंसक वातावरण में अहिंसा का प्रशिक्षण आवश्यक बन गया है। जैविभा विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के लिये संस्कार निर्माण के साथ उन्हें अहिंसक व मानसिक रूप से परिपक्व बनाने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाने की व्यवस्था की गई है। अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच ने अहिंसा के महत्व को बताते हुये विश्वशांति में अहिंसा के योगदान को चित्रित किया तथा अहिंसा प्रशिक्षण की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि समूचे विश्व में यह एकमात्र विश्वविद्यालय है, जहां अहिंसा का शिक्षण व प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि आज मिसाईल का जमाना है, लेकिन जब अहिंसा का मंत्र मिसाईल रूपी शस्त्र बनकर सामने आता है तो समस्त दुश्मनों पर आसानी से विजय पाई जा सकती है और विनाश से बचा जा सकता है।

यौगिक क्रियाओं का करवाया अभ्यास

योग विशेषज्ञ डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने योग के महत्व को समझाते हुये विभिन्न यौगिक क्रियाओं से रोगमुक्ति एवं स्वस्थ जीवन के उपाय बताये तथा शिविरार्थियों को उनका अभ्यास करवाया। उन्होंने दैनिक जीवन में योग के नियमित अभ्यास को आवश्यक बताया। अंत में डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने आभार ज्ञापित किया। शिविर में मौलाना आजाद उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं लाडमनोहर बाल निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय के 11वीं व 12वीं कक्षाओं के 130 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में इमरान खां, जितेन्द्र भोजक, अंजना भोजक आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विकास शर्मा ने किया।

जैन विश्वभारती संस्थान के अन्तर्गत आचार्य कालू कन्या महावि़द्यालय में शहीद भगत सिंह की पुण्य तिथि पर कार्यक्रम आयोजित

भगत सिंह ने अपने बलिदान से पूरे देश को जगा दिया था- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 23 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में शहीदे-आजम भगत सिंह के बलिदान दिवस मनाया जाकर उनके प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किये गये। कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने भगत सिंह के जीवन के विभिन्न उद्धरणों को प्रस्तुत करते हुये कहा कि उन्होंने अपना बलिदान देकर पूरे भारत को जगा दिया था। हमें उनके बलिदान दिवस पर राष्ट्र के विकास और राष्ट्रभक्ति को अपना मुख्य ध्येय बनाने का संकल्प लेना चाहिये। अभिषेक चारण ने शहीद भगतसिंह को देश का महान सपूत बताते हुये उनके जीवन पर प्रकाश डाला। जगदीश यायावर ने आजादी की लड़ाई की दो धाराओं अहिंसा और हिंसक तरीकों से मुकाबले पर प्रकाश डाला और कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में दोनों का सामंजस्य आवश्यक था, लेकिन इस सम्बंध में हमसे कई भूलें हुई। उन्होंने आगामी लोकतंत्र पर्व पर मतदान अवश्य करने की अपील की। कार्यक्रम में आरती सिंघानिया ने भगत सिंह के जीवन और उनके आदर्शों पर प्रकाश डाला। अर्चना शर्मा ने इस अवसर पर देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सोनिका जैन, कमल मोदी, बलवीर चारण, अपूर्वा घोड़ावत आदि उपस्थित थे।

Monday, 18 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का 29वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन

समस्याओं के समाधान को नये ढंग से सोचने वाला ही सफल- प्रो. दाधीच

लाडनूँ, 18 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के 29वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि वर्द्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी कोटा के पूर्व कुलपति एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विचार विभाग के प्रदेशाध्यक्ष प्रो. नरेश दाधीच ने किसी व्यक्ति के समाज में सफल होने के लिये केवल कागजी शिक्षा ही आवश्यक नहीं है, बल्कि जीवन के हर अनुभव से ग्रहण की जाने वाली शिक्षा महत्वपूर्ण होती है। समस्या के समाधान को नये तरीके से करने वाला व्यक्ति ही आगे बढ सकता है। किताबें पढने व नैतिकता सीखने के साथ अपने मस्तिष्क को समस्याओं का मुकाबला नये ढंग से करने में लगाने का प्रयास व्यक्ति को सफल बनाता है। महान व्यक्ति का जन्म अलग से नहीं होता, बल्कि उनका समस्याओं के प्रति अलग दृष्टिकोण होता है, जिससे उनकी महान बनने की संभावनायें बनती है। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत यह विश्वविद्यालय जैन विद्या के अलावा आधुनिक शिक्षा के साथ नैतिकता का पाठ युवाओं को पढा रहा है। इस दृष्टि से यह अद्वितीय यह संस्थान है। वर्तमान में दुनिया में नैतिकता का अभाव हो रहा है, इसमें यह संस्थान यह सिद्ध कर रहा है कि नेतिकता आज भी प्रासंगिक है।

नेचुरोपैथी एवं योगा थैरेपी काॅलेज की स्थापना होगी

कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने समारोह की अध्यक्षता करते हुये अपने सम्बोधन में कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान इस विश्वविद्यालय में आचार्य महाप्रज्ञ काॅलेज एंड हाॅस्पिटल आफ नेचुरोपैथी एंड योगा थैरेपी की स्थापना होने जा रही है। इसके अलावा वर्ष भी आचार्य महाप्रज्ञ जयंती शताब्दी वर्ष के अवसर पर देश-विदेश में व्याख्यानों का आयोजन एवं पुस्तकों का प्रकाशन किया जायेगा। हमने लक्ष्य रखा है कि अपने शिक्षकों की क्षमताओं को और अधिक बढाने और नई ऊर्जा को उजागर करने का कार्य करेंगे। विद्यार्थी सुविधाओं का विस्तार किया जायेगा। विश्वविद्यालय में प्लसेमेंट अधिकारी की नियुक्ति की जायेगी, ताकि युवाओं को रोजगार की सुविधा उपलब्ध हो सके। उन्होंने विश्वविद्यालय की इंटरनेशनल नेटवर्किंग एवं एल्युमिनी एसोसियेशन को सुसंगठित करके पूर्व छात्रों का संस्थान के विकास में उपयोग लिया जाने का प्रयास किया जायेगा। प्रो. दूगड़ ने पर्यावरण संरक्षण को बढावा देने के लिये घोषणा की कि विश्वविद्यालय में समस्त कार्यालयीन कार्य को यथासंभव पेपरलेस किया जायेगा। संस्थान को उच्च मानकों तक ले जाने के लिये सारा स्टाफ सक्रिय हैं। उन्होंने सबसे आग्रह किया कि अपने क्षेत्र में नवाचार करें और नये-नये प्रयेाग करें। नई सोच चाहे छोटी ही क्यों न हो, वह बड़े परिणाम दे सकती है।

Sunday, 17 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत होली पर्व के अवसर पर नृत्य एवं गीतों की प्रस्तुति के साथ होली पर फुहार कार्यक्रम का आयोजन

उमंग, उत्साह व नवीन ऊर्जा का संचार करने वाला पर्व है होली- प्रो. जैन

लाडनूँ, 17 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत होली पर्व के अवसर पर कार्यक्रम फुहार का आयोजन स्नेह मिलन के रूप में किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि होली हमारे जीवन में उमंग, उत्साह एवं नवीन ऊर्जा का संचार करने वाला पर्व है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति के विविध त्यौंहार आपसी सौहार्द्र, साम्प्रदायिक सद्भाव एवं विविधता में एकता को बढावा देते हैं। होली का त्यौंहार हमारे जीवन में रंगों की विविधता एवं सम्मिश्रण व परस्पर समायोजन की प्रेरणा देता है। संयोजक डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर बोलते हुये कहा कि हमें त्यौंहार को सुरक्षित व गरिमामय ढंग से मनाना चाहिये। कार्यक्रम में बीएड तथा बीए-बीएड व बीएससी-बीएड में अध्ययनरत छात्राध्यापिकाओं के गठित विभिन्न सदनों ने सामुहिक गायन व सामुहिक नृत्य की प्रस्तुतियां दी। इनमें गांधी सदन ने ‘‘ होलिया में उड़े रै गुलाल...’’ की प्रस्तुति दी। आचार्य महाप्रज्ञ सदन ने ‘‘ रंग बरसे भीगे चुनर वाली.....’’, आचार्य महाश्रमण सदन ने ‘‘पीली लूगड़ी रा झाला....’’, जे. कृष्णमूर्ति सदन ने पंजाबी गीत ‘‘रंग दा कमाल....’’ शारदा सदन ने ‘‘ काल्यो कूद पड़्यो मेला में....’’ आदि गीतों के साथ रंगारंग नृत्यों की प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में संकाय सदस्य डाॅ. गिरीराज भोजक ने राजस्थानी चंग गीत एवं डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा ने रंग बरसे गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह, देवीलाल कुमावत, मुकुल सारस्वत, मोतीलाल प्रजापत आदि संकाय सदस्य एवं छात्राध्यापिकायें उपस्थित रही।

Friday, 15 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में भारत में कराधान विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन


लाडनूँ, 15 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में ‘‘भारत में कराधान’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता विषय-विशेषज्ञ नीतेश माथुर सीए ने देश में प्रचलित कर प्रणाली के बारे में जानकारी देते हुये देश में लागू की गई एक कर प्रणाली जीएसटी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर में अंतर बताते हुये माल व सेवा कर के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला व भ्रंतियों का निवारण किया। अध्यक्षता करते हुये प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में आम आदमी के जीवन में करों के महत्व के बारे में बताया और आयकर फाईल में आने वाली समस्याओं के बारे में चर्चा की। सहायक आचार्य कमल कुमार मोदी ने कार्यशाला की आवश्यकता को प्रतिपादित करते हुये करारोपण की आवश्यकता और आम आदमी की भूमिका के बारे में बताया। मुख्य वक्ता नीतेश माथुर ने इस अवसर पर छात्राओं की कर समबंधी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। अंत में अपूर्वा घोड़ावत ने आभार ज्ञापित किया। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में पत्र वाचन किया गया, जिसमें अवंतिका, रश्मि बोकड़िया, संध्या वर्मा, महिमा प्रजापत व दिशा बैंगानी ने पत्र वाचन किया। सत्र की अध्यक्षता कमल मोदी व सह अध्यक्षता सोनिका जैन ने की। कार्यशाला के समापन सत्र में 7-7 छात्राओं के पांच समूह बनाये जाकर ‘‘भारत में कराधान’’ विषय पर समूह-परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिनमें मूल्यांकन कार्य कमल मोदी, सोनिका जैन व अपूर्वा घोड़ावत ने किया।

Saturday, 9 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में पर्यावरण सुरक्षा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

अर्थशास्त्र को सर्वहितकारी बनाने की आवश्यकता- प्रो. गोयल

लाडनूँ, 9 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में ‘‘पर्यावरण सुरक्षा एवं समाज कार्य अभ्यास’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ शनिवार को यहां सेमिनार हाॅल में किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि जगन्नाथ विश्वविद्यालय जयपुर के कुलपति प्रो. मदन मोहन गोयल ने कहा कि कहा कि अर्थशास्त्र को स्वार्थ की भूमिका से निकाल कर सर्वहितकारी बनाने की आवश्यकता है। जब ‘‘मैं’’ से निकाल कर ‘‘आप’’ की अवधारणा अर्थशास्त्र में आयेगी तो अनेक समस्याओं का समाधान स्व्तः ही हसो जायेगा। यह सब नैतिक अर्थशास्त्र को बढावा देने से होगा। स्वार्थ और लालच के कारण भी पर्यावरण को खतरा एवं अन्य समस्यायें पैदा होती है। इन पर संयम कायम करने पर इन सबसे से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक की भूमिका को पर्यावरण से जोड़ दिया जावे तो बहुत काम हो सकता है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दिल्ली स्कूल आफ सोशियल वर्क के सेवानिवृत प्राचार्य प्रो. आर.आर. सिंह ने पर्यावरण को आध्यात्मिक व नैतिक मूल्यों से जोड़ते हुये संस्थान के तीन आयामों दवा, दुआ और हवा की शुद्धि की आवश्यकता बताई। उन्होंने अरावली समस्या और राज्यों के मध्य जल विवाद पर भी सबका ध्यान आकृष्ट किया।

परस्परता से संभव है पर्यावरण संरक्षण

कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये अपने सम्बोधन में कहा कि परस्पर निर्भरता से समस्याओं से निपटा जा सकता है। पर्यावरण की रक्षा के लिये परस्परता आवश्यक तत्व है। उन्होंने संतोष और इच्छा-विहीनता के साथ वस्तुओं की मितव्ययिता व उन्हें व्यर्थ बर्बाद नहीं करने की प्रवृति के विकास की आवश्यकता भी बताई। प्रो. दूगड़ ने वसुधैव कुटुम्बकम और पर्यावरण संरक्षण के साथ सामाजिक वकालत पर भी प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशियल साईंस मुम्बई के निदेशक प्रो. एएन सिंह ने पर्यावरण के विभिन्न आयामों, सरकारी नीतियों और वैधानिक प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया। प्रारम्भ में संगोष्ठी के निदेशक डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने संगोष्ठी की पृष्ठभूमि और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का शुभारम्भ छात्राओं के मंगलगान से की गई। अंत में अंकित शर्मा ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।

भ्रूण हत्या के प्रति समाज में घृणा व उपेक्षा का माहौल बनना जरूरी- स्वामी राघवाचार्य

10 मार्च 2019। रैवासा धाम के पीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य महाराज ने कहा है कि पर्यावरण के संकट की विभीषिका से मुक्ति के लिये समाज को जागरूक होना पड़ेगा। मनुष्य के मन और बुद्धि में व्याप्त प्रदूषण के कारण पर्यावरण पर संकट पैदा होता है। हम जितने जागरूक होंगे उतनी ही प्रकृति, पर्यावरण और मानव मात्र की सेवा कर पायेंगे। वे यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में आयोजित पर्यावरण सुरक्षा एवं समाज कार्य अभ्यास विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।

भ्रूण हत्या के पाप का कोई प्रायश्चित नहीं

स्वामी राघवाचार्य ने इस अवसर पर जहां प्रकृति से खिलवाड़ को गलत बताया, वहीं कन्या भू्रण हत्या को महापाप बताते हुये कहा कि महाभारत में भी आया है कि भ्रूणहत्या करने वाले का सूतक कभी खत्म नहीं होता। इस पाप का कोई प्रायश्चित भी नहीं होता है। राघवाचार्य ने बताया कि अगर उन्हें यह पता लग जाता है कि किसी घर में भ्रूणहत्या हुई है तो वे उस घर में नहीं जाते और कुछ भी खाना-पीना नहीं करते। उन्होंने कहा कि जब तक ऐसे लोगों के प्रति समाज में घृणा और उपेक्षा का माहौल बनना आवश्यक है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके स्वच्छता अभियान की प्रशंसा करते हुये कहा कि सारी समस्यायें पर्यावरण के प्रकोप की है और प्रत्येक व्यक्ति अपने दायित्व को निर्वहन करें और प्रकृति के नजदीक रहें तो स्थिति सुधर सकती है। प्रत्यूेक व्यक्ति जागरूक हो और अपने मन-बुद्धि का प्रदूषण दूर करें तो पर्यावरण शुद्ध हो जायेगा।

सामाजिक पर्यावरण में भी सुधार जरूरी

राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि श्रम निदेशालय के सचिव व श्रम आयुक्त डाॅ. नवीन जैन आईएएस ने अपने सम्बोधन में कहा कि समाज से लिगभेद का मिटना आवश्यक है। बेटी बचाओ बेटी पढाओ का समर्थन करते हुये उन्होंने कहा कि पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं में सामाजिक पर्यावरण की तरफ भी ध्यान देना आवश्यक है। प्रदेश में संतान के जन्म से पूर्व परिवार की सोच पुत्र-जन्म की ही रहती है, चाहे कोई इसे छिपाये या खुलकर कहे। ज्यादातर लोग इस बात को लेकर ढकोसला ही करते हैं और बेटियों के गुणगान का दिखावा करते हैं। प्रायः परिवारों में दो बेटियों के बाद तीसरा बेटा मिलेगा और कहा जाता है कि दोनों लिंग की संतान का पालन-पोषण करना चाहते थे। लेकिन दो बेटों के बाद तीसरी बेटी का जन्म प्रायः नहीं होता, क्योंकि कोई बेटी का जन्म चाहता ही नहीं है। यहां दोनों लिंग की संतान के पालन की बात गायब हो जाती है। इसी से लिंगानुपात बढता है।

बदलाव की शुरूआत स्वयं से करें

डाॅ. नवीन जैन ने कहा कि ढकोसला नहीं वास्तविकता पर विचार होना चाहिये। अक्सर देखा गया है कि लोग बदलाव नहीं चाहते और इसके लिये कोई चीज शुरू करने से पहले ही उसके अपवादों को प्रस्तुत करना शुरू कर देते हैं। बदलाव की शुरूआत खुद से ही करनी होगी और इसके लिये अपना नजरिया बदलना होगा। उन्होंने देश की प्रगति के लिये उच्च शिक्षा की व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता बताई और कहा कि देश के लोग प्रोडक्टिव बनने आवश्यक है। देश के बौद्धिक व सामाजिक पर्यावरण पर ध्यान देने की जरूरत है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. केके सिंह, डाॅ. अनूप भारती व कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का प्रारम्भ गौरव दीक्षित के कविता पाठ से किया गया। अंकित शर्मा ने दो दिवसीय संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत की और बताया कि संगोष्ठी में 6 सत्र आयोजित किये गये, जिनमें 38 पत्रवाचन किये गये। प्रारम्भ में छात्राओं ने स्वागत गीत एवं समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डा. बिजेन्द्र प्रधान ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में प्रो. आरआर सिंह, प्रो. एएन सिंह, आरके जैन, डाॅ. वीणा द्विवेदी, डाॅ. मनीषा जैन, डाॅ. इंदुरानी सिंह, डाॅ. वीपी सिंह, डाॅ. लालाराम जाट, डाॅ. अमित सिंह राठौड़, डाॅ. ऋचा चैधरी, डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, डाॅ. विकास शर्मा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने किया।

आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में अभिभावक-शिक्षक बैठक आयोजित


लाडनूँ, 9 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में शनिवार को विद्यार्थियों के समग्र विकास की दृष्टि से अभिभावक-शिक्षक बैठक आयोजित की गई। बैठक में अभिभावकों ने जहां महाविद्यालय एवं छात्राओं के विकास के समबंध में अनेक सुझाव देने के अलावा ग्रीष्मकालीन अवकाश के समय महाविद्यालय में कम्पनी सेक्रेट्री सीएस की कोचिंग कक्षायें शुरू करवाने का सुझाव भी रखा, जिस पर प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने विचार का आश्वासन दिया। प्राचार्य प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि यह शिक्षक-छात्र एवं अभिभावक बैठक एक ऐसा त्रिवेणी संगम है, जिसके द्वारा छात्र का सर्वांगीण विकास संभव होता है। उन्होंने महाविद्यालय में संचालित ज्ञान केन्द्र एवं केरियर सम्बंधी व्याख्यान एवं अन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी दी तथा बताया कि यहां समस्त प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं सम्बंधी नवीनतम जानकारी की पुस्तकें व साहित्य की उपलब्धताके बारे में बताया। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय में छात्राओं के बहुमुखी विकास का पूरा ध्यान रखा जाता है। छात्रा मेहनाज बानो ने महाविद्यालय में छात्राओं द्वारा संचालित क्लबों की गतिविधियों एवं महाविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया। बैठक के प्रारम्भ में डा. प्रगति भटनागर ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। स्वागत गीत कंचन एवं समूह ने प्रस्तुत किया। अंत में सोनिका जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अभिषेक चारण ने किया। बैठक में अभिभावकों के अलावा सभी शिक्षक भी उपस्थित रहे।

Friday, 8 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एनएसएस द्वारा कार्यक्रम का आयोजित

आत्मरक्षा का नियमित प्रशिक्षण प्राप्त करें महिलायें- चौधरी

लाडनूँ, 8 मार्च 2019। उपखंड अधिकारी मुकेश चौधरी ने कहा है कि महिलाओं-लड़कियों के साथ बढती छेड़छाड़ की घटनाओं से निपटने के लिये आवश्यक है कि महिलायें आत्मरक्षा का नियमित प्रशिक्षण प्राप्त करें। इससे उनमें आत्मविश्वास बढेगा और वे स्वयं मुकाबला करने में सक्षम बनेगी। उन्होंने यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की एनएसएस की दोनों ईकाइयों के एक दिवसीय संयुक्त शिविर का शुभारम्भ करते हुये एवं अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुये आगे कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं को पूजा योग्य एवं देवी के समान माना गया है, लेकिन आज स्थितियां अलग है। वास्तविकता बदल चुकी है। इसलिये अब महिलाओं को खुद को साबित करने की जरूरत है। महिलाओं के लिये अपने परिवार, केरियर, मनोरंजन, बदलती परिस्थितियों आदि सब में सांमजस्य बनाकर चलना होता है। इसलिये हर परिस्थिति के लिये महिलाओं को मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं को अपने केरियर के सम्बंध में भी मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि सभी छात्रायें अभी से अपने केरियर के लिये लक्ष्य तय करके आगे बढें। केरियर हमेशा अपनी रूचि के अनुसार चुनना चाहिये, ताकि आसानी से बिना तनाव के उस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। एसडीएम ने कहा कि परम्परागत क्षेत्र को ही चुनना हमेशा आवश्यक नहीं होता है। रूचि से काम करने पर वह अच्छा कर पाते हैं।

नारी पूर्णता की द्योतक है

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जीवन में तीन आवश्यकतायें होती हैं- ज्ञान, समृद्धि और शक्ति। हर व्यक्ति को इनकी चाह रहती है। इन तीनों क्षेत्रों में अधिष्ठात्री के रूप में महिलाओं का ही आधिपत्य है। ज्ञान के लिये देवी सरस्वती, समृद्धि व ऐश्वर्य के लिये देवी लक्ष्मी और शक्ति के लिये दुर्गा की उपासना करनी होती है। इनमें से कोई भी पुरूष नहीं है, पूर्णता के लिये हमेशा नारी ही है, पुरूष पूर्ण नहीं हो सकता। नारी की शक्ति व क्षमता का लोहा पुरूष को मानना ही पड़ेगा। आज भी देखें तो किसी भी मुकाम पर नारी पुरूष से पीछे नहीं हैं। उन्होंने मात्र एक दिन महिला दिवस मनाने के बजाये हर दिन महिला दिवस मनाने की सलाह दी। एनएसएस की सेवा भावना का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि सेवा से अपनत्व बढता है और परस्परता बढती है। जहां बेगानापन होता है, वहां सेवा की भावना नहीं हो सकती। उन्होंने भेदभाव से उपर उठ कर सम्पूर्ण वुसधा को कुटुम्ब मानकर सेवा करने की आवश्यकता बताई।

महिला सशक्तिकरण आवश्यक

कार्यक्रम के प्रारम्भ में एनएसएस की समन्वयक डाॅ. प्रगति भटनागर ने राष्ट्रीय सेवा योजना के उद्देश्यों एवं कार्यक्रमों तथा एक दिवसीय शिविर व उसमें आयोजित किये जाने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाता। स्वयंसेविकाओं रूबीना व करिश्मा ने महिला दिवस के बारे में बताते हुये महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता बताई। प्रभारी समन्वयक डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में बलवीर सिंह चारण, सोमवीर सांगवान, अभिषेक चारण, सोनिका जैन, रघुवीर सिंह आदि उपस्थित थे।

जैन विश्वभारती संस्थान के तत्वावधान में तहसील के विभिन्न गांवों में पहुंच कर ग्रामीण सर्वेक्षण कार्यक्रम का आयोजन

उन्नत भारत अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे

लाडनूँ, 8 मार्च 2019। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के अधीन ‘‘उन्नत भारत अभियान’’ के तहत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के तत्वावधान में तहसील के विभिन्न गांवों में पहुंच कर ग्रामीण सर्वेक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सर्वेक्षण में शिक्षा विभाग के सहायक आचार्य प्रो. डाॅ. भाबाग्रही प्रधान व डाॅ. आभासिंह के निर्देशन में बी.एड. में अध्ययनरत छात्राध्यापिकाओं ने तहसील के ग्राम दुजार, बालसमंद, गुणपालिया, बाकलिया व जोरावरपुरा में ग्रामवासियों से गांवों में संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं उनके प्रभाव व लाभ, ग्रामीण विकास की स्थिति, क्षेत्र में रह रहे परिवारों की प्राथमिक जरूरतों, उनकी रोजगार, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी एकत्र की गई।

Wednesday, 6 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अल्पकालिक टैली व इंगलिश स्पोकन कोर्सेज का शुभारम्भ


लाडनूँ 6 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत कौशल विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत संचालित अल्पकालीन व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के तहत कम्प्यूटर एकाउंटिंग टैली एवं अंग्रेजी स्पोकन कोर्स की कक्षाओं का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर शैक्षणिक अधिकारी विजय कुमार शर्मा ने बताया कि इन दोनों प्रशिक्षण कार्यक्रमों से उन सभी लोगों को लाभ पहुंच पायेगा, जो पढाई कर रहे हैं अथवा कोई नौकरी या व्यवसाय कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इंगलिश वर्तमान में प्रत्येक गतिवधि का माध्यम बन चुकी है और इंगलिश स्पोकन से ही व्यक्ति स्मार्ट बनकर उभरता है। इसी प्रकार पुराना खाते-बहियों का स्थान पर अब कम्प्यूटर ने ले लिया है और सभी व्यापारी अपना हिसाब-किताब कम्प्यूटर में रखते हैं और मेंटेन करते हैं। शर्मा ने बताया कि युग के साथ चलने पर ही सफलता मिल पाती है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय निरन्तर इस प्रकार के अल्पकालीन कोर्स संचालित करता रहेगा ताकि उसका लाभ अधिकतम लोग उठा सकें। उन्होंने बताया कि सभी सफल प्रशिक्षणार्थियों को विश्वविद्यालय के प्रमाण पत्र प्रदान किये जायेंगे। इस अवसर पर सोमवीर सांगवान, सोनिका जैन, राजेन्द्र बागड़ी, पंकज भटनागर, महेन्द्र सेठी आदि उपस्थित थे।

Tuesday, 5 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एक दिवसीय अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

अहिंसा प्रशिक्षण सद्नागरिका का निर्माण करने में सहायक है- प्रो. धर

लाडनूँ 5 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के अन्तर्गत मंगलवार को एक दिवसीय अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में सुजानगढ के मदर्स इन्टरनेशनल स्कूल के लगभग 60 विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शोध निदेशक प्रो. अनिल धर ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में ही अहिंसा का प्रशिक्षण उसे भविष्य का सद्नागरिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होता है। यहां दिये जाने वाले प्रशिक्षण में नैतिक मूल्य, भारतीय संस्कृति, अहिंसा और शांति जैसे विचार मानवाधिकार आदि विद्यार्थियों को बताए जाते हैं तथा उनमें अहिंसक प्रवृति के विकास के लिये अनेक प्रायोगिक अभ्यास करवाये जाते हैं, जो उनके जीवन के लिये लाभदायक सिद्ध होते हैं। शिविर में विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने कहा कि विभिन्न विद्यालयों के बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए समय-समय पर जैन विश्वभारती संस्थान ऐसे शिविरों का आयोजन करता है। मदर्स इन्टरनेशनल स्कूल के अध्यापक गजेन्द्र सिंह ने अपने विद्यालय का परिचय देते हुए कहा कि जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा आयोजित शिविर में भाग लेने पर अपने आपको गोरवान्वित महसूस किया। उन्होंने कहा कि इतने अल्प समय में छोटे से निवेदन पर इतनी अच्छी व्यवस्था करना अपने आप में अहम है। उन्होंने अहिंसा प्रशिक्षण को हर युवा के लिये आवश्यक बताया। कार्यक्रम के प्रारंभ में डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने शिविर का परिचय दिया तथा संस्थान के अन्र्तगत संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों की जानकारी दी। कार्यक्रम में शिविरार्थियों को अहिंसा प्रशिक्षण के अभ्यास के विभिन्न आवश्यक प्रयोग डाॅ. विकास शर्मा ने करवाये तथा उन्होंने कार्यक्रम का संचालन भी किया।

Friday, 1 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिये व्याख्यान का आयोजन

भारतीय राज-व्यवस्था के विविध पहलुओं पर डाला प्रकाश

लाडनूँ, 1 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में छात्राओं के हितार्थ संचालित रोजगार परामर्श केन्द्र में छात्राओं के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध करवाने हेतु भारतीय राज-व्यवस्था विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया। प्राचार्य आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित इस व्याख्यानमाला में राजनीति विज्ञान के सहायक आचार्य डाॅ. बलबीर सिंह चारण ने छात्राओं को भारतीय राज-व्यवस्था से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर परीक्षाओं की तैयारी के तरीकों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने भारतीय संविधान निर्माण से पूर्व राज-व्यवस्था की संक्षिप्त जानकारी दी तथा वर्तमान राज-व्यवस्था के पहलुओं को विस्तार से व्याख्यायित किया। अन्त में रोजगार परामर्श केन्द्र प्रभारी अभिषेक चारण ने आभार ज्ञापित किया तथा समय-समय पर प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु इस प्रकार के व्याख्यान आयोजित करने के लिए आश्वस्त किया गया।

Wednesday, 16 January 2019

जैन विश्वभारती संस्थान के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में दस दिवसीय संस्कृत संभाषण कार्यशाला का आयोजन fon

संस्कृत हमारे रक्त में समाई है, इसे बाहर निकालें- श्रवण कुमार

लाडनूँ, 16 जनवरी 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में संस्कृत भारती जोधपुर के सहयोग से दस दिवसीय संस्कृत संभाषण कार्यशाला का उद्घाटन बुधवार को समारोह पूर्वक किया गया। संस्कृत भारती जोधपुर के प्रशिक्षक श्रवणकुमार ने इस अवसर पर कहा कि संस्कृत हमारे रक्त में है, उसे बाहर निकालने की जरूरत है। संस्कृत मधुर एवं सरस भाषा है, उसकी सरसता को पहचानने की जरूरत है। हम जैसे-जैसे अभ्यास करेगें, वैसे-वैसे सफलता मिलती जायेंगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि सीखने के लिए वैराग्य और अभ्यास की अपेक्षा होती है। वह अभ्यास दीर्घकाल तक निरंतर एवं समर्पण के साथ करना चाहिए। प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि संस्कृत भाषा से ही भारत देश का गौरव है।

केवल संस्कृत विद्वान ही होता है पण्डित

समणी नियोजिका मल्लीप्रज्ञा ने कहा कि संस्कृत भाषा यन पदं प्रयुमजीत्य अर्थात् स्वयं ही पद देती है। इसलिए संस्कृत भाषा के विद्वान को ही पण्डित का पद् मिलता है। प्राकृत व संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. समणी संगीतप्रज्ञा ने प्रारम्भ में अपने स्वागत-भाषण में संस्कृत भाषा का महत्व बताया तथा कहा कि जैसे छोटा दीपक भी महत् अंधकार को हरता है, वैसे ही यह कार्यशाला संस्कृत भाषा को जीवंत करेगी। कार्यक्रम का प्रारम्भ मुमुक्षु बहनों के संस्कृत गीत में प्रस्तुत मंगालचरण से किया गया। कार्यक्रम में समागत अतिथियों का शाल्यार्पण से बहुमान किया गया। अंत में डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज ने आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन विशुद्ध संस्कृत भाषा में समणी सम्यक्त्वयप्रज्ञा ने किया। कार्यक्रम में अनेक प्राध्यापकगण, समणीवृन्द, मुमुक्षु बहनें, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

संस्कृत सभी भाषाओं के शब्दों की जननी होने के साथ इसका व्याकरणी विश्व व्याकरण है- शर्मा

25 जनवरी 2019। संस्कृत भारती जोधपुर के सहमंत्री लीलाधर शर्मा ने कहा है कि संस्कृत विश्व की समस्त भाषाओं की जननी है तथा सभी क्षेत्रों की भाषाओं में शब्दों का जनन संस्कृत से ही हुआ है। संस्कृत पठनयोग्य एवं पुरातन भाषा होते हुये भी चिर यौवना भी है। संस्कृत में जो कुछ है, वह अन्यत्र भी मिलेगा और जो संस्कृत में नहीं है, वह अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा। उन्होंने यहां जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में आयोजित दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण कार्यशाला के समापन समारेाह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुये विभिन्न अंग्रेजी शब्दों की उत्पति के बारे में जानकारी दी और बताया कि वे सब संस्कृत से ही निकले हैं। राजस्थानी भाषा के बकरी, सांगोपांग, उंदरा, राली आदि शब्दों का उदाहरण एवं उनके मूल संस्कृत शब्दों के बारे में बताते हुये शर्मा ने कहा कि राजस्थानी भाषा तो वैदिक संस्कृत के नजदीक है। इसी प्रकार उन्होंने थाई भाषा का जिक्र करते हुये बताया कि थाई भाषा के सभी शब्द संस्कृत के हैं। शर्मा ने पाणिनी के व्याकरण का उदाहरण प्रस्तुत करते हुये बताया कि संस्कृत केवल सर्व भाषाओं की जननी ही नहीं बल्कि इसका व्याकरण भी विश्व व्याकरण है। पाणिनी व्याकरण केवल संस्कृत का ही नहीं बल्कि विश्व का व्याकरण है। शर्मा ने संस्कृत भाषा को विज्ञान के लिये भी सबसे उपयुक्त बताते हुये कहा कि महर्षि अगस्त्य ने बैटरी बनाने का ज्ञान सबसे पहले लिखा था। इसी प्रकार भागवत पुराण में हृदयरोग की शल्य चिकित्सा का वर्णन उपलब्ध है। संगीत की उत्पति भी संस्कृत से बताते हुये उन्होंने विभिन्न संस्कृत छंदों के आधार पर बने हू-बहू फिल्मी गानों व राजस्थानी लोकगीतों के उदाहरण दिये।

करोंड़ों शब्दों से समृद्ध है संस्कृत

समारोह की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया कि भाषा की उत्पति गति से हुई है। गति से ध्वनि पैदा होती है। ध्वनि धीरे-धीरे शब्दों का रूप लेने लगती है और उससे भाषा बनती है। श्रषि-मुनियों ने ध्वनियों को पकड़ा और उनसे शब्द बनाये व भाषा का विकास हुआ। किसी भी भाषा का विकास व्यवहार से होता है। संस्कृतमें सम्भाषण अनवरत चलने से भाषा विकसित होगी। संस्कृत में करोड़ों शब्द हैं। इसमें 1700 धातुयें हैं, 70 प्रत्यय हैं और 80 उपसर्ग हैं। इनसे 27 लाख शब्द बने और सामासिक शब्द जोड़े जावें तो एक करोड़ से उपर शब्द बनते हैं। यह विश्व की सबसे समृद्ध भाषा है। आज के वैश्वीकरण के युग में हमारी भाषा को विज्ञान के विकास में सहायक बनना जरूरी है। आर्टिफिसियल इंटेलीजेंसी (कृत्रिम बुद्धि), रोबोट, कम्प्यूटर, विज्ञान व अंतरिक्ष के लिये उपयोगी भाषा केवल संस्कृत है। संस्कृत शाश्वत भाषा है। इसे हमारे रोजमर्रा के व्यवहार में लाया जाना आवश्यक है। प्रो. दूगड़ ने कहा कि भाषा के रूप में ही संस्कृति व सभ्यता विकसित होती है। संस्कृत भारत के विकास में सहायक है। संस्कृत भाषाकी विशेषताओं के बारे में बताते हुये उन्होंने कहा कि संस्कृत के सही उच्चारण से बीमारियां मिट जाती हैं।

सभी 100 सम्भगियों को प्रमाण पत्रों का वितरण

फ्रांस से आई शोध छात्रा निओमि बोरा ने इस अवसर पर संस्कृत में अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुये अपने कार्यशाला के अनुभव प्रस्तुत किये और संस्कृत गीतिका गाकर सुनाई। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रो. दामोदर शास्त्री ने भाषा की शुद्धता बनाये रखने पर जोर दिया तथा कहा कि संस्कृत सम्भाषण में कौशल की वृद्धि होने में कार्यशाला सहायक सिद्ध होगी। कार्यक्रम में मुमुक्षु सारिका, प्रशांत जैन व पूजा ने अपने कार्यशाला के अनुभव सुनाये। छात्रा नीलू ने संस्कृत गीत पर नृत्य की प्रस्तुति दी। प्राकृत एवं संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा ने प्रारम्भ में स्वागत भाषण एवं कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। विपुल जैन द्वारा प्रस्तुत संस्कृत मंगलाचरण से कार्यक्रम का प्रारम्भ किया गया। समारोह में सभी 100 सम्भागियों को प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया। अंत में डाॅ. सतयनारायण भारद्वाज ने आज्ञार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन समणी धृतिप्रज्ञा ने किया।