Friday 31 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नववर्ष समारोह का आयोजन

 


हमेशा बड़ा सोचें, पहले सोचें और सोचने के बाद निरन्तर प्रयास करें- कुलपति प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 1 जनवरी 2022। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि हमेशा बड़ा सोचें, पहले सोचें और सोचने के बाद निरन्तर प्रयास करें। बाधाओं के मार्ग में आने पर घबराएं नहीं। सफलता के लिए यही सूत्र काम करता है। सफलता मिलने पर दुनिया आपको जानती है और असफलता मिलने पर आप दुनिया को समझ जाते हैं। सफलता व असफलता एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। प्रयत्न सदैव पूरी लगन से करना चाहिए। कमजोरी और कमियों को दूर करने में अपनी परी ताकत झांेक दें, चलना अनवरत जारी रखें, तभी लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे। बाधाओं का पिंजरा इससे टूट जाता है। किसी की पहचान या सिफारिश से काम नहीं करवाएं, बल्कि अपनी पहचान खुद अपने काम से बनाएं। कभी गलतियों की पुनरावृति नहीं होने दें। अपनी गति को कभी मंद नहीं होने दें और उसे निरन्तर बढाएं। वे यहां जैविभा विश्वविद्यालय के सेमिनार हाॅल में आयोजित नववर्ष समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गत वर्ष में कुछ गलतियां होती हैं, तो अनेक उपलब्धियां भी होती हैं। हमें गलतियों को नहीं दोहराने और उपलब्धियों को सतत बढाने का संकल्प लेना चाहिए। सच का साथ सदैव देते रहें और हौसला रख कर बाधाओं को पार करते रहें। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने नववर्ष को अनवरत ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला और विकास का माध्यम बताया। अंग्रेजी विभाग की प्रो. रेखा तिवाड़ी ने अपने कामों का विश्लेषण करने और गलतियों को सुधार कर आगे बढने की प्रेरणा दी। प्रो. दामोदर शास्त्री ने उपमाएं देते हुए पतझड़ को नव बसन्त के आगमन का सूचक बताया। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, कुलसचिव रमेश कुमार मेहता, विताध्किाारी आरके जैन, समाज कार्य विभाग की डाॅ. पुष्पा मिश्रा, अहिंसा एवं शांति विभाग के डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, प्राकृत व संस्कृत विभाग के डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के डाॅ. आलोक जैन, योग एवं जीन विज्ञान विभाग के डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत आदि ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का संचालन एवं अंत में आभार ज्ञापन डाॅ. युवराज सिंह खंगारोत ने किया। कार्यक्रम के पश्चात् सामुहिक भोज का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सभी शैक्षिक एवं अशैक्षणिक कार्मिक उपस्थित थे।

Tuesday 28 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आत्मरक्षार्थ मार्शल आर्ट के गुर सिखाने के लिए सात दिवसीय कार्यक्रम शुरू

 


छात्राओं में अभय रहने के आत्मबल का विकास जरूरी- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 29 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने के लिए सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारम्भ बुधवार को किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर बताया कि छात्राएं अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक बनें और उनमें अभय रहने के आत्मबल का विकास इस प्रशिक्षण के माध्यम से हो पाएगा। उन्होंने कहा कि अकेली छात्रा कहीं भी किसी भी विपरीत परिस्थिति में बदमाशों का मुकाबला करने और उन्हें सफलता पूर्वक पछाड़ने में सक्षम बन पाएगी। छात्राओं का मनोबल बढने और उनमें आत्मरक्षा की मनोस्थिति का निर्माण होने से वे कहीं भी पीछे नहीं हटेंगी और वे प्रत्येक प्रतिस्पर्धा के लिए बेखौफ होकर आगे बढ सकेंगी। छात्राएं यहां एनसीसी प्रभारी लेफ्टिनेंट आयुषी शर्मा की देखरेख में यह प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। मार्शल आर्ट प्रशिक्षक सलोनी शर्मा ने बुधवार को छात्राओं को किक, पंच व ब्लाॅक के विविध प्रकारों का अभ्यास करवाया। उन्होंने माहगेरी, मवासीगेटी, स्लेब किक, मिडिल पंच, अपर पंच व लाॅअर पंच की विधियां बताई और उनकी प्रेक्टिश करवाई।

Sunday 19 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शिक्षा विभाग की नव प्रवेशित छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रोग्राम का आयोजन

 

शिक्षण के साथ गुणों का बीजारोपण भी जरूरी- प्रो. जैन

लाडनूँ, 20 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में नवागन्तुक छात्राओं हेतु इंडक्शन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नव प्रवेशित छात्राओं ने विविध आकर्षक सांस्कृतिक कार्यकम प्रस्तुत किये। इंडक्शन प्रोग्राम ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों मंच पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें व्यक्तित्व विकास में सहायक बताया। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय मूल्यों पर आधारित शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यहां विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए पूरा जोर दिया जाता है तथा शिक्षा के साथ उनके शारीरिक, बौद्धिक व भावात्मक विकास को केन्द्रित करके विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। यहां विद्यार्थियों के इनडोर व आउटडोर खेलकूद की समुचित व्यवस्था के साथ ही उनके सांवेगिक विकास के लिए योग एवं प्रेक्षाध्यान का नियमित अभ्यास करवाया जाता है। शिक्षा विभाग में शिक्षकों के निर्माण के साथ उनमें एक आदर्श शिक्षक के गुणों का बीजारोपण भी किया जाता है। प्रो. जैन ने नवागन्तुक छात्राओं को विभाग के सभी संकाय सदस्यों से भी परीचित करवाया। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. आभा सिंह ने इंडक्शन प्रोग्राम का उद्देश्य बताते हुए कहा कि नवागन्तुक छात्राओं को विभाग से परिचित करवाने एवं छात्राओं की प्रतिभाओं से परिचित होने के लिए यह आयोजन किया जाता है।

Friday 17 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ईयर ऑफ़ मिलेट्स पर कार्यक्रम आयोजित

 


शरीर की वृद्धि, शक्ति और संचालन के लिए योग्य अन्न का सेवन जरूरी- प्रो. जैन

लाडनूँ, 18 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में ईयर ऑफ़ मिलेट्स के तहत कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्देशत कार्यक्रमों के अंतर्गत शनिवार को ऑनलाइन एवं ऑफ़लाईन पद्धति की संयुक्त प्रणाली से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 109 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में प्रभारी डॉ. सरोज राय ने बताया कि वर्तमान समय के बदलते परिवेश में लोगों का आकर्षण फ़ास्ट फ़ूड के प्रति बढ़ रहा है।, जिसका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि हमें मोटे अनाज को ग्रहण करना चाहिए, क्योकि यह धन-धान्य शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी को पूरी करता है। इनके सेवन से भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम, फास्फोरस, फाइबर आदि मिलता है, जो कोलेस्ट्रोल, रक्तचाप, शुगर आदि को नियंत्रित करते हैं। कार्यक्रम के समन्वयक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने वैज्ञानिक और दार्शनिक आधार पर आहार के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो कुछ हम खाते हैं, उसे वेद में अन्न का गया है। जिस प्रकार का भोजन हम ग्रहण करते हैं, उसी प्रकार का हमारा मन बनता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अन्न का सबसे पहले रस बनता है, इस रस का सार खून, खून का सार मांस, मांस का सार चर्बी, चर्बी का सार हड्डी, हड्डी का सार मज्जा, मज्जा का सार शुक्र या वीर्य, वीर्य का सार मन और मन का सार ओज है। शरीर के तीन मुख्य कार्य है- वृद्धि, शक्ति और संचालन। प्रोटीन और खनिज पदार्थ शरीर का विकास करते हैं, कार्बाेहाइड्रेट और वसा शरीर में शक्ति बढ़ाने का कार्य करते हैं और विटामिन्स शरीर के विभिन्न कार्याे को संचालित करते हैं। इस प्रकार संतुलित आहार ही हमारे जीवन को सर्वाेत्तम ढंग से विकसित करता है। हम सभी को अपनी दिनचर्या में मोटे और चोकर अनाज की रोटी, हरी सब्जी, फल, सलाद आदि को शामिल करना चाहिए, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ्य रह सके। कार्यक्रम समस्त संकाय सदस्य उपस्थित थे। डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. अमिता जैन, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, प्रमोद ओला आदि इस कार्यक्रम की श्रृंखला में पोस्टर प्रतियोगिता, सेमिनार, कार्यशाला वाद-विवाद भी क्रमशः आयोजित किए जाएंगे।

Thursday 16 December 2021

जैन विश्वभारती (मान्य विश्वविद्यालय) में छात्राओं ने विभिन्न प्रोजेक्ट तैयार कर किया प्रस्तुतिकरण

 


शिक्षा के साथ बाहरी दुनिया की जानकारी होती है विकास में सहायक- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 17 दिसम्बर 2021। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि विद्यार्थियों में रचनात्मक कार्यों की तरफ रूझान पैदा करने के लिए विविध कार्यक्रमों का आयोजन इस महाविद्यालय और जैविभा विश्वविद्यालय की विशेषता रहा है। बी.कॉम. की प्रथम वर्ष की छात्राओं ने विभिन्न विषयों का चित्रांकन और उनके बारे में किया गया प्रस्तुतिकरण सराहनीय है। सभी छात्राओं को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। शिक्षा के साथ बाहरी दुनिया के बारे में जानकारी लेना और उनके बारे में अपने विचारों को निर्मित करना महत्वपूर्ण है और विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के मार्ग को प्रशस्त करती हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जगदीश यायावर ने छात्राओं की उत्साहजनक प्रस्तुति और आकर्षक चित्रांकन की सराहना की और इसे शैक्षणेत्तर गतिविधियों में श्रेष्ठ कदम बताया। कार्यक्रम की संयोजिका सहायक आचार्य प्रगति चौरड़िया ने कहा कि छात्राएं देश की अर्थव्यवस्था के साथ विश्व भर की स्थिति और उसके प्रभाव पर भी नजर रखती है और यह जानकारी उनके विकास में सहायक सिद्ध होती है। कार्यक्रम में छह प्रकार के प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए गए, जिनमें योगिता जांगिड़ ने कोविड की स्थिति के प्रभाव का चिंत्रांकन किया और उसके बारे में अपना प्रस्तुतिकरण दिया। आकांक्षा ने आर्थिक क्षेत्र की शब्दावलियों के बारे में बताया और उसे चित्रांकित किया। मोहिनी प्रजापत ने आत्मनिर्भर भारत को रेखांकित करते हुए कृषि, आयात, निर्यात आदि के आर्थिक कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। डिम्पल जांगिड़ ने अपने प्रस्तुतिकरण में ऑटोमोबाईल क्षेत्र में मार्केटिंग के विविध आयामों पर रोशनी डाली। करिश्मा सोनी ने पर्यावरण क्षेत्र में कोविड के प्रभाव को रेखांकित किया और उसकी हर दिशा के बारे में जानकारी दी। विशाखा जांगिड़ ने उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और भूमि, श्रम, पूंजी, साहस के महत्व को रेखांकित किया। प्रारम्भ में आकांक्षा ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया और अंत में योगिता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रगति चौरड़िया ने किया। कार्यक्रम में अन्य छात्राएं एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।

Friday 10 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में प्रशासनिक व शैक्षणिक क्षमताओं में वृद्धि के समबंध में निर्देश

 


स्किल बेस्ड पाठ्यक्रमों का निर्माण आवश्यक- कुलपति

लाडनूँ, 11 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने विश्वविद्यालय की प्रशासनिक एवं शैक्षणिक क्षमताओं में वृद्धि को लेकर आयोजित एक बैठक में कहा कि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा ए-ग्रेड प्रदान की गई है। परन्तु, हमें यहीं पर नहीं ठहर जाना है, बल्कि इससे भी आगे बढना है। विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रमों, शोध-कार्यों, स्किल बेस्ड कार्यक्रमों, अल्पकालीन अन्तर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रमों आदि के परिवर्तन हेतु वर्तमान व्यवस्था में आवश्यक बदलाव लाने जरूरी हैं। सामान्य पाठ्यक्रमों की शिक्षा के साथ स्किल आधारित अध्यापन कार्यक्रम को भी उन्होंने जरूरी बताया तथा कहा कि सभी विभागों को ऐसे कदम उठाने चाहिएं, जिसमें विद्यार्थियों को रोजागारोन्मुखी अध्ययन करने हेतु प्रेरणा मिल सके। उन्होंने बताया कि संस्थान का योग शिक्षा में विशेष महत्व है और यहां से योग प्रशिक्षित युवा देश-विदेश में प्रमुख संस्थानों या स्वतंत्र रूप से कार्य करके विशेष आर्थिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने योग एवं जीवन विज्ञान विभाग को निर्देश दिए कि वे आस पास के क्षेत्रों यथा लाडनूँ, सुजानगढ, छापर, बीदासर आदि के अस्पतालों में एक योग चैम्बर की स्थापना करें और वहां मरीजों को योग-थैरेपी की परामर्श सुविधाएं प्रदान करें। कुलपति ने विश्वविद्यालय के अन्तर्राष्ट्रीय सम्पर्क एवं मामलात सम्बंधी कार्यालय को भी अधिक कार्य के लिए निर्देश दिए तथा कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए भी अल्पकालीन पाठ्यक्रम बनाएं जाने चाहिएं, ताकि विदेशों से भी विद्यार्थी यहां आकर अध्ययन कर सकें। विदेशी सम्पर्कों में भी बढोतरी को उन्होंने आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप संस्थान के समस्त पाठ्यक्रमों को पुनर्रचित करना होगा। उन्होंने विभिन्न अल्पकालीन पाठ्यक्रमों के निर्माण पर भी जोर दिया। फेकल्टी डवलेपमेंट पर जोर देते हुए कुलपति ने कहा कि शैक्षणिक के साथ समस्त गैर-शैक्षणिक कार्मिकों को कम्प्यूटर आदि समस्त आधुनिक तकनीक में पारंगत होना आवश्यक है। इसके लिए संस्थान द्वारा विभिन्न प्रोग्राम संचालित किए जाते रहते हैं, उनका लाभ अब सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से प्राप्त करना होगा, ताकि नवीन तकनीक से वे अपने स्वयं के विकास के साथ संस्थान को भी लाभान्वित कर सकें। कुलपति ने शैक्षणिक स्टाफ से शोध पर विशेष जोर देने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी शिक्षकों को अपने शोध आलेखों को तैयार करके उनका प्रकाशन यूजीसी मान्य व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाने चाहिए। इस बैठक में सभी शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. नलिन के. शास्त्री ने किया।

जैनविश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्द्धन व्याख्यानमाला के तहत व्यक्तित्व विकास एवं संवेगों का प्रभाव पर व्याख्यान

 

व्यक्त्त्वि निर्माण में सहायक होते हैं संवेग- प्रो. जैन

लाडनूँ, 11 दिसम्बर 2021। जैनविश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में शनिवार को संकाय संवर्धन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला में आचार्य महाप्रज्ञ के विचारों में व्यक्तित्व विकास में धर्मश्रद्धा और संवेगों के प्रभाव और संवेगों के विभिन्न प्रकारों पर विचार प्रकट किए गए। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए व्याख्यान में कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण के चिन्तन में संवेग धर्मश्रद्धा की पुष्टि है और धर्मश्रद्धा की पुष्टि से संवेग पुष्ट होते है। संवेग अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया और लोभ का क्षय करते है। इस प्रकार संवेग से धर्मश्रद्धा की वृद्धि और धर्मश्रद्धा से संवेग की पुष्टि होती है। विविध संवेग अलग-अलग व्यवहार, व्यक्तित्व और व्यक्तियों का निर्माण करते है। संवेग सकारात्मक और नकारात्मक दो प्रकार के होते हैं। सकारात्मक संवेग- प्रेम, आनन्द, सृजनात्मक आदि संवेग हैं, जो व्यक्ति के लिए हितकारी होते हैं। नकारात्मक संवेग- भय, क्रोध, इर्ष्या आदि विषादयुक्त संवेग हैं, जो व्यक्ति के लिए अहितकारी होते है।

सात्विक गुणों का विकास आवश्यक

प्रो. जैन ने बताया कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ कहते हैं, क्रोध का संवेग खतरनाक होता है। अतः क्रोध करने वाले को ईंट का जबाब पत्थर से देने के बदले फूल से देना चाहिए। अहिंसा, नैतिकता, प्रमाणिकता, अनुकंपा आदि से प्राणी में सात्विक गुणों का विकास होता है। उससे व्यक्ति को क्रोध कम आता है। कामुकता से सदैव दूर रहना चाहिए, क्योंकि काम उद्दीप्त व्यक्ति का पतन शीघ्र होता है। अहंकार भी पतन की ओर ले जाता है। इसलिए व्यक्ति को विनम्र और पुरुषार्थी होना चाहिए। ईर्ष्या की प्रवृत्ति अधिक नहीं बढाना चाहिए। यह प्रवृत्ति दुःखों का कारण होती है और बंधन का कारण बनती है। व्यक्ति को राग रहित प्रेम को करना चाहिए। वह प्रेम सात्विक होता है। भयभीत व्यक्ति कभी अपना विकास नहीं कर सकता है। अभय का विकास दैवीय सम्पदा का विकास है। जो व्यक्ति जितना अधिक प्रसन्न रहता है, उसका स्वास्थ्य उतना ही अच्छा होता है। अतः जीवन में हर परिस्थिति में प्रसन्नता का भाव में रहना चाहिए। क्योंकि संवेग व्यक्ति के जीवन की चरित्रशाला है, संवेग से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के डॉ,. मनीष भटनागर, डॉ. बी प्रधान, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन, डॉ. सरोज राय, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. आभा सिंह, डॉ, गिरधारी लाल शर्मा, डॉ. अजीत कुमार पाठक आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे। का आभार ज्ञापित किया गया।

Thursday 9 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

 


समानता, सह-अस्तित्व और परोपकार की भावनाएं ही मानवाधिकार रक्षा की आधार- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 10 दिसम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय तथा अहिंसा एवं शांति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. दामोदर शास्त्री ने की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि समानता, सह-अस्तित्व और परोपकार की भावनाएं ही मानवाधिकार की रक्षा की आधार होती हैं। जो कुछ भी अपने प्रति प्रतिकूल हो, वह किसी भी दूसरे के लिए नहीं करना चाहिए। अधिकार व कर्तव्य परस्पर साथ-साथ चलने वाले हैं। जीवो और जीने दो की भावना भी मानवाधिकारों की पूरह होती है। मानवाधिकार अपरिवर्तनशील और सार्वभौम होते हैं। ये सबके लिए होते हैं। हम अपने लिए किसी दूसरे के अधिकार का हनन नहीं कर सकते। उन्होंने मानवाधिकारों के लिए विवेक की जरूरत पर बल दिया। अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि सभी सुख चाहते हैं, इसलिए आवश्यक है कि हम सुखी रहें और किसी अन्य के सुख में बाधक नहीं बनें। अधिकारों के प्रति सजग रहें और किसी दूसरे के अधिकार का हनन भी नहीं करें। उन्होंने चार पुरूषार्थों को ही मानवाधिकार का मूल बताया और कहा कि सुख के लिए ही इन चार पुरूषार्थों को बनाया गया था। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के आधार पर ही कर्तव्य बनते हैं, जिनका पालन करना ही अधिकार भी बन जाते हैं। कर्तव्य व अधिकार एक दूसरे से मिले हुए हैं। प्रो. अनिल धर ने सर्व जीव अधिकार की बात करते हुए पर्यावरण के संरक्षण पर बल दिया और कहा कि ईश्वर रचित सृष्टि में प्रतयेक वस्तु का सम्मान करने से ही अधिकारों की रक्षा होती है। प्रो. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने वेदों में वर्णित सिद्धांतों के मानवाधिकारों के बारे में बताया और कहा कि प्रेम, भाईचारा, सहिष्णुता और समानता से ही मानवाधिकारों की रक्षा संभव है। प्रो. रेखा तिवाड़ी ने कर्तव्यों को अधिकारों से ऊपर बताया तथा कहा कि कर्तव्य पालन करने पर ही अधिकारों की मांग जायज होती है। उन्होंने आचरण सुधार पर जोर दिया। कार्यक्रम में छात्रा हेमपुष्पा चौधरी व वंदना आचार्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़ व डॉ. बलवीर सिंह चारण ने प्रारम्भ में स्वागत वक्तव्य और विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लिपि जैन ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने सीडीएस जनरल विपिन रावत व अन्य सैनिक अधिकारियों के प्रति दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Wednesday 1 December 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नवप्रवेशित विद्यार्थियों में साईबर जागरूकता पैदा करने के लिए एक सेमिनार का आयोजन

 


विद्यार्थियों को साईबर क्राइम के प्रति जागरूक किया

लाडनूँ, 2 दिसम्बर 2021। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्देशित ‘साईबर जागरूकता दिवस’ के अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नवप्रवेशित विद्यार्थियों में साईबर जागरूकता पैदा करने के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया गया। ‘साईबर अपराध एवं साईबर कानून’ विषय पर आयोजित इस सेमिनार में कार्यक्रम प्रभारी आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कम्प्यूटर, मोबाईल व इंटरनेट के माध्यम से साईबर क्राईम को अंजाम दिया जाता है। इसमें डेटा हैंकिंग, फिसिंग, अवैध डाउनलोडिंग, वायरस प्रसार एवं अन्य गतिविधियां शामिल है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने साईबर क्राइम सम्बंधी कानूनों की जानकारी देते हुए आईटी एक्ट 2000 तथा आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 के बारे में विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि साईबर कानूनों के प्रयोग से भौतिक दुनिया और वर्चुएल दुनिया की पारस्परिक गतिविधियों से होने वाले अपराधों की रोकथाम सम्भव है। कार्यक्रम के संयोजक डा. गिरधारीलाल शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों में साईबर अपराधों के प्रति जागरूकता लाने की पहल की जा रही है। उन्होंने बताया कि यूजीसी ने ऐसे कार्यक्रम प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को किए जाने हैं, जो निरन्तर एक वर्ष तक चलाए जाएंगे। अंत में कार्यक्रम के सह-संयोजक डा. बलवीरसिह ने आभार ज्ञापित किया।