Saturday, 27 April 2019

जैन विश्वभारती (मान्य विश्वविद्यालय) में दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों की फेयरवेल पार्टी का आयोजन

आत्मोत्थान के साथ योग बन गया है बेहतर केरियर का जरिया- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 27 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के योग एवं जीवन विज्ञान विषय के स्नातकोत्तर डिग्री के विद्यार्थियों की सम्पर्क कक्षाओं के दौरान उन्होंने फेयरवेल पार्टी का आयोजन किया, जिसमें विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर सबका मन मोहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि योग जहां आत्मोद्धार का साधन माना गया है, वहीं आत्मोत्थान के साथ ही योग आज बेहतर केरियर के रूप में भी सामने आया है और इसी कारण विश्वविद्यालय में योग की शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों में एमबीबीएस और इंजीनियरिंग कर चुके विद्यार्थी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय से योग की डिग्री लेने के बाद यहां के छात्र विदेशों में अपने योग प्रशिक्षण केन्द्र संचालित कर रहे हैं। चीन, मलेशिया, जापान, इंग्लेंड आदि देशों में यहां के योग-विद्यार्थी अपनी सेवायें दे रहे हैं। योग की शिक्षा के बाद किसी भी छात्र के समक्ष आजीविका का कोई संकट नहीं आ सकता है। आज विश्व भर में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और बहुत सारी बीमारियों से मुक्त होने में आसन, प्राणायाम, ध्यान एवं अन्य योग की क्रियाओं को रोगमुक्ति का प्रमुख माध्यम माना जा चुका है। उन्होंने बताया कि जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा विभाग के छह छात्रों ने योगासन एवं अन्य क्रियाओं में विश्व-रिकॉर्ड कायम करके देश का नाम उजागर किया है।

लाडनूँ के विद्यार्थियों ने किया विदेशों में योग का प्रसार

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जगदीश यायावर ने भी योग को आत्मिक उन्नति के साथ रोजगार का माध्यम भी बताया तथा विभिन्न विद्यार्थियों का विवरण प्रस्तुत करते हुये कहा कि लाडनूँ से प्रशिक्षित योग शिक्षकों ने विदेशों तक में नाम रोशन किया है और योग का प्रसार किया है। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा समन्वयक जेपी सिंह व सेक्शन प्रभारी पंकज भटनागर भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में छात्रा राजश्री, कोमल, रेणु, ज्योति, सुनिता व भारती ने योगा-नाट्यम के माध्यम से संगीत की धुन पर सामुहिक योगाभ्यास का प्रदर्शन किया। सुनीता भूरिया ने थानैं काजलियो बणाल्यूं गीत पर नृत्य की मनभावन प्रस्तुति दी। सरिता, सिम्पल, रीता, उमा चैधरी, मोनिका शर्मा आदि ने भी नृत्यों की शानदार प्रस्तुति दी। शोभाराम ने भजन, राजीव व सुमन ने गीत तथा सरिता, राजीव, सुशील, मघु, मनु, सुशील शर्मा, मोनु आदि ने पर्चियां निकाल कर उनमें आये विवरण के अनुसार प्रस्तुतियां देकर सबको खूब हंसाया। अंत में सभी विद्यार्थियों ने सामुहिक नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन कर्नल गोपाल ने किया।

Monday, 22 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की दूरस्थ शिक्षा की विभिन्न परीक्षायें प्रारम्भ, परीक्षा निंयंत्रक ने लिया जायजा



लाडनूँ, 22 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के अन्तर्गत संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों की स्नातक स्तर की वार्षिक परीक्षायें यहां विश्वविद्यालय परिसर में सोमवार से प्रारम्भ की गई। विश्वविद्यालय परिसर के अलावा ये परीक्षायें प्रदेश भर में निर्धारित विभिन्न परीक्षा केन्द्रों पर ली जा रही है। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने सोमवार को विभिन्न कक्षों में ली जा रही परीक्षा का मुआयना किया एवं परीक्षा के लिये की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि अलग-अलग परीक्षायें अलग-अलग पारी में ली जा रही हैं। प्रातःकाल की पारी सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर की पारी 2.30 बजे से सायं 5.30 बजे तक के निर्धारित है। सोमवार को दोपहर की पारी में बीकाॅम तृतीय वर्ष और बीए तृतीय वर्ष की परीक्षायें ली गई।

Tuesday, 16 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में महावीर जयंती पर कार्यक्रम आयोजित

महाविनाश से बचने के लिये महावीर को अपनाना होगा - प्रो. भट्टाचार्य

लाडनूँ, 16 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के तत्वावधान में महावीर जयंती के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने महावीर और महाविनाश को विश्व के सामने दो विकल्प बताये और कहा कि अगर महाविनाश से बचना है तो महावीर के सिद्धांतों को अपनाना होगा। उन्होंने विश्व में मानव जीवन पर संकट के रूप में परमाणु शस्त्र, पर्यावरण संकट एवं वैचारिक आग्रह को सबसे बड़े कारण के रूप में माना और कहा कि इन चुनौतियों और संकटों से बचने के लिये महावीर के तीन सूत्रों को अपनाना होगा। संयम, अपरिग्रह और अनेकांत को स्वीकार करने पर समस्याओं से छुटकारा मिलना संभव है। संयम का पालन करने पर तीनों से संकटों से मुक्ति मिल सकती है। महाविनाश से बचने का तरीका संयम ही है। इससे पर्यावरण को संकट से बचाया जा सकता है। उपभोग का संयम प्रकृति की रक्षा करता है। इससे क्रूरता भी कम होती है। उन्होंने अपरिग्रह को महावीर का सबसे बड़ा सिद्धांत बताया तथा कहा कि परिग्रह को जितना हो सके सीमित करना चाहिये। उन्होंने आत्मनिर्भरता के बजाये परस्पर-निर्भरता को अपनाने से झगड़े समाप्त होना संभव बताते हुये कहा कि आत्मनिर्भरता से अहंभाव बढता है। प्रो. दूगड़ ने अनेकांत को वैचारिक अनाग्रह बताते हुये कहा कि हमें वैचारिक संकीर्णता से निकलना होगा। कोई व्यक्ति क्या कहता है, से अधिक कैसे कहता है और उससे भी अधिक किस भाव से कहता है, महत्वपूर्ण होता है। क्या कहता है गौण है और सबसे ज्यादा ध्यान भाव पर देना चाहिये। उन्होंने कहा कि महावीर को मनायें, लेकिन उनके सिद्धांतों को भी अपनायें, तभी जन्म जयंती का आयोजन सफल होगा और सृष्टि को बचाने के उत्तरदायित्व को भी सभी निभा पायेंगे।

अहिंसा को पुस्तकों तक सीमित नहीं रखें

पं. बंगाल के शांति निकेतन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जगतराम भट्टाचार्य ने कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये कहा कि महावीर की वार्तायें, उनकी शिक्षायें सभी त्रैकालिक हैं। वे सभी काल के लिये समान रूप से आवश्यक हैं। महावीर के दर्शन में अहिंसा के तत्व को सबसे बड़ा तत्व बताते हुये उन्होंने कहा कि अहिंसा को पुस्तकों तक सीमित नहीं रखना चाहिये, क्योंकि महावीर ने अहिंसा का प्रतिपादन पराकाष्ठा तक किया था। महावीर के शास्त्र के कुछ ही तत्वों को जीवन में अपने आचरण पालन में उतार लेने से जीवन सफल हो सकता है। प्रो. भट्टाचार्य ने भावक्रिया पर जोर देते हुये कहा कि जो भी काम करो, उसमें तल्लीनता से पूरे मन से करना चाहिये। जैन दर्शन में गमन-योग में चलने-फिरने तक में योग साधना का प्रयेाग बता दिया गया है। उन्होंने महावीर द्वारा प्रतिपादित समता के भाव को जीवन की सफलता के लिये आवश्यक बताया तथा कहा कि हमें सुख और दुःख के भावों को संतुलित करना सीखना होगा।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में छात्राध्यापिकाओं का शुभ-भावना समारोह आयोजित

विद्यार्थी को तराश कर उसके जीवन को बेहतरीन बनाते हैं शिक्षक - मेहता

लाडनूँ, 16 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में शुभ-भावना समारोह का आयोजन किया जाकर एमएड, बीएड एवं बीए-बीएड व बीएससी-बीएड की अंतिम वर्ष की छात्राओं को भावभीना व आकर्षक ढंग से विदाई दी गई। यहां महाप्रज्ञ-महाश्रमण ऑडिटोरियम में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता करते हुये कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने कहा कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों को जीवन की विषम स्थितियों से मुकाबले के लिये तराश कर उनके जीवन को बेहतरीन बनाते हैं। यहां छात्राओं में अनुशासन, सहनशीलता, रूचि का विस्तार एवं विभिन्न कलाओं में निपुण बनाने आदि गुणों का विकास करके उन्हें समाज व राष्ट्र के लिये बहुमूल्य बनाया जाता है। मुख्य अतिथि जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने कहा कि जीवन में भावनाओं का महत्व होता है। जैसी हमारी भावना होती है, हमारे जीवन का विकास भी वैसा ही होता है। विद्यार्थी बीज की तरह होते हैं, जिनमें विकास की असीम संभावनायें होती हैं। वे अपनी संभावनाओं को व्यक्त कर पायें, इसके लिये उन्हें अनुकूल माहौल और अच्छे गुरू मिलने आवश्यक होते हैं। उन्होंने कहा कि विदाई का अर्थ फल के पकने की तरह से होना चाहिये। विद्यार्थी शिक्षित होकर परिपक्व होकर जाता है तो उसमें पके फल की तरह से वाणी व व्यवहार की मिठास, विनम्रता और गुणों के रंग व सुगंध होनी चाहिये। विद्यार्थी में आने वाले परिवर्तन में उसके स्वभाव में अनुशासन, शांति, शालीनता आनी चाहिये, तभी वह जीवन में आगे बढ सकता है और अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि गुरू का यह प्रयास रहता है कि छात्राओं में ऐसी कोई गलती नहीं रहने पाये, जिससे उन्हें जीवन में कोई परेशानी उठानी पड़े। जीवन में हमेशा मेहनत व निष्ठा जरूरी होती है और यही छात्राओं के आगे बढने में सहायक होती हैं। कार्यक्रम में प्रियंका राठौड़, हेमा, मोनिका सैनी, पूजा कुमारी, प्रियंका बिड़ियासर एवं समूह, कविता शर्मा, कविता जोशी, मोना राठौड़, रितिका दाधीच आदि ने विभिन्न राजस्थानी, हिन्दी व पंजाबी गीतों पर नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दी। प्रियंका टाक, हेमा आदि ने अपने विश्वविद्यालय के छात्र-जीवन के अनुभव प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. सरोज राय ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन ज्योति व सुमन सोमड़वाल ने किया।

आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में विदाई समारोह आयोजित, रश्मि मिस फेयरवेल व रंजना मिस दिवा बनी

लगन, धैर्य व परिश्रम से मिलती है सफलता- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 16 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि इस विश्वविद्यालय द्वारा क्षेत्र में बरसों से महिला शिक्षा को बढावा दिया जा रहा है। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय ने इस कार्य में सराहनीय कार्य किया है। आज इस क्षेत्र की छात्रायें बहुतायत से उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यहां केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य ही नहीं किया जाता, बल्कि चरित्र व नैतिकता पर पूरा ध्यान दिया जाता है। उन्होंने शिक्षा पूर्ण करने के बाद जीवन में निरन्तर सफलता के लिये आवश्यक गुणों के बारे में बताते हुये कहा कि पूरी लगन, धैर्य और परिश्रम को अपनाया जाने पर ही हर क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय से विदाई को जीवन के विस्तृत क्षेत्र में प्रवेश के तौर पर देखा जाना चाहिये, जिसमें पग-पग पर परीक्षायें होती हैं और उन सब परीक्षाओं में सभी छात्राओं को हमेशा सफलता प्राप्त करनी होगी। कार्यक्रम में अभिषेक चारण ने छात्राओं में जहां अपनी शिक्षा का एक लक्षित पड़ाव पूर्ण कर लेने की खुशी है, वहीं उनमें उच्चतम शिक्षा ग्रहण करने का उत्साह भी है। छात्राओं को अपने उत्साह के साथ धैर्य के साथ आगे की शिक्षा व जीवन के बारे में सोचना होगा।

रश्मि बनी मिस फेयरवेल

समारोह में छात्राओं ने मिस फेयरवेल-2019 का चुनाव किया, जिसमें रश्मि बोकड़िया का चयन किया गया। इसी प्रकार मिस दिवा के लिये रंजना घिंटाला और स्पार्क आफ दी डे के लिये मुस्कान सोनी को चुना गया। कार्यक्रम में महिमा प्रजापत, रश्मि बोकड़िया, चांदनी सैनी, ज्योति जांगिड़, सुमन प्रजापत, पूजा प्रजापत, मुस्कान सोनी, करीना कायमखानी आदि ने विभिन्न गीतों पर शानदार नृत्य प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर स्नातक अंतिम वर्ष की छात्राओं को अन्य छात्राओं ने जहां उपहार देकर विदा किया, वहीं उनके सम्मान में ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते हुये छात्राओं ने ऑडिटोरियम में प्रवेश किया। इस अवसर पर तीन साल के अनुभवों को एक पीपीटी में संजो कर उसका प्रदर्शन पर्दे पर किया गया। एक सेल्फी पाॅइंट बनाकर छात्राओं ने मोबाईल से बहुत सारी यादों की तस्वीरें कैद की। अंतिम वर्ष की छात्राओं ने अपने शिक्षकों को भी उपहार देकर सम्मान प्रदान किया। कार्यक्रम में डाॅ. प्रगति भटनागर, सोनिका जैन, अपूर्वा घोड़ावत, विनोद कस्वां, सोमवीर सांगवान, डाॅ. बलवीर सिंह, अजयपाल सिंह भाटी, योगेश टाक, अभिषेक चारण आदि उपस्थित रहे।

Monday, 15 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में रिसर्च ओरियेंटेशन वर्कशोप आयोजित

समस्याओं के समाधान को प्रशस्त करता है शोध का व्यावहारिक पक्ष- प्रो. भट्टाचार्य

लाडनूँ, 15 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के अन्तर्गत शोध-छात्रों के लिये आयोजित की गई रिसर्च ओरियेंटेशन वर्कशोप में बंगाल के शांति निकेतन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जगतराम भट्टाचार्य ने कहा कि शोध-प्रक्रिया एवं शोध के अंग-प्रत्यंगों सहित विविध पहलुओं पर चर्चा करते हुये रोचक ढ़ंग से शोध करने के लिये उसके व्यावहारिक पक्ष को बताया तथा कहा कि ज्ञान में व्यवहार वह होता है, जो समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि शोध में किसी भी घटना-परिघटना के कार्य-कारण सम्बंध को निर्धारित करके उसके समाधान को भी साथ में ढूंढना आवश्यक होता है। इसमें जीवन के विविध विषयों और समस्याओं का सही ज्ञान होने के साथ उनके नियोजन और सुधारात्मक उपचार को प्रस्तुत करना चाहिये। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र से सम्बंधित और प्रासंगिक जानकारी भी छात्रों को प्रदान करके उन्हें लाभन्वित किया। उन्होंने इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रश्नों के उत्तर भी दिये और जिज्ञासा शांत करते हुये उन्हें समाधान प्रदान किया। विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा ने प्रारम्भ में प्रो. भट्टाचाय्र का परिचय प्रस्तुत करते हुये स्वागत किया। यहां फ्रांस से शोध करने यहां आई ओयेमी डेलिघ्रांस भी उपस्थित थी, वे यहां आयुर्वेद के ग्रंथों पर शोध कर रही है। इस अवसर पर करीब 20 शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रो. सत्यनारायण भारद्वाज ने आभार ज्ञापित किया।

Tuesday, 9 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में प्रज्ञा संवर्द्धिनी व्याख्यानमाला आयोजित

हमें धर्म को प्राचीरों से बाहर निकालना होगा- डाॅ. कोठारी

लाडनूँ, 9 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के महादेवलाल सरावगी अनेकांत शोधपीठ के तत्वावधान में आयोजित आचार्य महाप्रज्ञ प्रज्ञा संवर्द्धिनी व्याख्यानमाला के अन्तर्गत समाज को आचार्य महाप्रज्ञ का अवदान विषय पर यहां ऑडिटोरियम में राजस्थान पत्रिका के मुख्य-सम्पादक प्रखर विद्वान डाॅ. गुलाब कोठारी का व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्यान में डाॅ. कोठारी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने समाज को रूपांतरित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इसके लिये उन्होंने कभी भी स्वयं को आगे नहीं रखा। क्योंकि जो अपने को गौण रख कर चलता है, वहीं बड़ा हुआ करता है। जो खुद के लिये जीता है, उससे छोटा आदमी धरती पर कोई नहीं होता। प्रत्येक बीज पेड़ बनना चाहता है, लेकिन उसके लिये जरूरी है कि वह स्वयं को जमीन में गाड़ देवे। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ की अहिंसा पर चर्चा करते हुये कहा कि अहिंसा तभी आ सकती है, जब हम हिंसा के कारणों को दूर कर देवें। जब तक हिंसा के संस्कार समाप्त नहीं होंगे, अहिंसा नहीं आ सकती, इसके लिये अहिंसा के संस्कार हमें भरने होंगे। डाॅ. कोठारी ने महाप्रज्ञ की उदारवादी व समभाव प्रवृति के बारे में बताते हुये कहा कि हमें संकुचित नहीं बनना चाहिये, बल्कि सभी मान्यताओं का सम्मान सीखना चाहिये। हमने महावीर के भी टुकड़े कर लिये हैं और संकीर्ण होते जा रहे हैं। दिगम्बर संत अपने आपको अपने पंथ के अनुयायियों से घिरा हुआ पाता है, तो वह खुश होता है और श्वेताम्बर संत अपने सम्प्रदाय के लोगों के बीच खुश रहते हैं। इस प्रकार की भावना से बाहर निकलने की जरूरत है। धर्म को हमें प्राचीरों से बाहर निकालना होगा।

डाॅ. कोठारी को प्रोफेसर एमिरेट्स की नियुक्ति

संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने इस अवसर पर डाॅ. गुलाब कोठारी को जैन विश्वभारती संस्थान की ओर से उन्हें मानद रूप से एमिरेट्स प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति प्रदान की। प्रो. दूगड़ ने अपने सम्बोधन में डाॅ. कोठारी के प्रति आभार ज्ञापित किया तथा कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन में सरलता, समर्पण व सापेक्षता निहित थी। महाप्रज्ञ का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उन्हें देखकर ही अहिंसा समझ में आ जाती थी और उनके विचारों और वक्तव्यों में सापेक्षता-अनेकांत का प्रयोग देखने को मिलता है। वे परस्परता के बारे में बताते थे। उनका मानना था कि विरोध हमारे मन की कल्पना है। पक्ष के साथ प्रतिपक्ष आवश्यक होता है। दोनों पक्ष ही वैचारिक सौंदर्य होते हैं। उन्होंने विरासत को अक्षुण्ण रखने की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम में समाजसेवी भागचंद बरड़िया भी विशिष्ट अततिथि के रूप में मंचस्थ थे। प्रारम्भ में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। शोधपीठ की निदेशिका प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने विषय प्रवर्तन किया तथा मुमुक्षु बहनों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. योगेश कुमार जैन ने किया। व्याख्यानमाला में पर्यावरणविद् बजरंगलाल जेठू, ललित वर्मा, आलोक खटेड़, शांतिलाल बैद, लक्ष्मीपत बैंगानी, प्रो. बीएल जैन, डाॅ. अमिता जैन, सुनिता इंदौरिया, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. पंकज भटनागर, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान आदि उपस्थित थे।

Saturday, 6 April 2019

एनएसएस शिविर में स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन



लाडनूँ 6 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाईयों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय शिविर में स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय स्वच्छता अभियान कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश की त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सेवा योजना की स्वयंसेविकाओं को अपने घर-परिसर और मौहल्ले-शहर की सफाई व्यवस्था में भी रूचि लेनी चाहिये तथा देश को स्वच्छ बनाने के राष्ट्रीय अभियान में अपनी भूमिका निभानी चाहिये। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सेवा सर्वोपरि होती है और छोटे-छोटे कदमों से लम्बी यात्रा को भी पूरा किया जा सकता है, लेकिन आवश्यक है कि कदम उठाये अवश्य जायें। स्वच्छता अभियान एन.एस.एस. के कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. जुगल किशोर दाधीच एवं डाॅ. प्रगति भटनागर के निर्देशन में किया गया। इस कार्यक्रम में सभी स्वयं सेविकाओं, छात्राओ एवं शिक्षकों का योगदान रहा। सफाई अभियान कार्यक्रम के अन्तर्गत विश्वविद्यालय परिसर के खेल मैदान, पार्किंग क्षेत्र आदि के साथ सम्पूर्ण परिसर की सफाई की गई। इस अभियान में कमल कुमार मोदी, अभिषेक चारण, रत्ना चैधरी, बलबीर सिंह चारण, सोनिका जैन, योगेश टाक, सोमवीर सांगवान आदि का विशेष सहयोग रहा।

Friday, 5 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अल्पकालीन टैली कोर्स का समापन

आज की आवश्यकता है कम्प्यूटर से एकाउंटिंग का ज्ञान- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 5 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में कौशल विकास के लिये संचालित अल्पकालीन कोर्सेज के अन्तर्गत टैली एवं कंप्यूटर एकाउंटिंग कोर्स का समापन शुक्रवार को किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रत्येक युवा एवं विद्यार्थी को अधिकतम कौशल प्राप्त करने को हमेशा उद्यत रहना चाहिये। जो व्यक्ति स्वयं जानता है, वह अधिक सफल हो सकता है। एकांटिंग की जानकारी तो आज के अर्थ-युग में सबके लिये आवश्यक बन गई है। उन्होंने टैली और जीएसटी के ज्ञान को कॅरियर बनाने के लिये भी उपयोगी विधा बताया। कार्यक्रम में विताधिकारी आरके जैन ने हिसाब-किताब रखने की विधियों के ज्ञान को जीवन के लिये सबसे आवश्यक बताया तथा कहा कि इस कम्प्यूटर युग में टैली की जानकारी बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी।

लाभान्वित होंगे व्यवसायरत युवा

समन्वयक विजयकुमार शर्मा ने विश्वविद्यालय की कौशल प्रशिक्षण योजना के तहत हाल ही में संचालित हैयर स्टाईल कोर्स, इंग्लिश स्पोकन कोर्स एवं टैली की जानकारी देते हुये बताया कि विश्वविद्यालय अनेक छोटे-छोटे कोर्सेज के माध्यम से काॅलेज शिक्षा से जुड़े अथवा व्यवसायरत युवा वर्ग को प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें कुशल बनाने की योजना के बारे में जानकारी दी। जगदीश यायावर व सोनिका जैन ने भी टैली को महत्वपूर्ण विद्या बताते हुये इसका ज्ञान हासिल करके जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया। कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले महेन्द्र जांगिड़, मोहम्मद खालिद, मुरलीमनोहर शर्मा, पूजा बैद, नीतू जोशी, मोनालिका आदि ने भी अपने अनुभव सुनाये और प्रशिक्षक राजेन्द्र बागड़ी व सोनिका जैन एवं कार्यक्रम समन्वयक विजयकुमार शर्मा के प्रति आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया। कार्यक्रम में शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, डाॅ. सोमवीर सांगवान, पंकज भटनागर, राजेन्द्र बागड़ी, सोनिका जैन, विजयकुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे।

Thursday, 4 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में जैन स्काॅलर योजना में 11 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

फिर से पुनर्जीवित होने जा रही है प्राकृत भाषा- डाॅ. संगीतप्रज्ञा

लाडनूँ, 4 अप्रेल 2019। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में संचालित ‘‘जैन स्काॅलर’’ योजना के तहत आयोजित 11 दिवसीय कार्यशाला में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा ने बताया कि प्राकृत भाषा का निरन्तर हृास होता जा रहा था, लेकिन अब यह पुनर्जीवित होने जा रही है। जैन आगमों के साथ अन्य ग्रंथ व साहित्य भी प्राकृत में निहित है और भाषा के लुप्त होने से यह सारा साहित्य व दर्शन संकट में था। ऐसे में तेरापंथ की बहिनों ने प्राकृत भाषा के अध्ययन का बीड़ा उठाया है, जो बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि कभी इस देश में प्राकृत भाषा जनभाषा के रूप में रही थी और अब वापस उसे जनभाषा बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्राकृत व संस्कृत को परस्पर जुड़ी हुई भाषायें बताते हुये कहा कि दोनों ही भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है।

संस्कृत देवभाषा है

डाॅ. समणी भास्कर प्रज्ञा ने संस्कृत की महत्ता बताते हुये कहा कि इसे देवभाषा का दर्जा प्राप्त है। संस्कृत समृद्ध और विशुद्ध वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत साहित्य में ज्ञान का अथाह भंडार समाहित है। प्रखर विद्वान प्रो. दामोदर शास्त्री ने कार्यशाला की सम्भागियों को संस्कृत ज्ञान के अनुभव व अध्ययन की सरलता व लयबद्धता के अवगत करवाया। विश्वविद्यालय के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के शिक्षकों द्वारा कार्यशाला के सम्भागियों को प्राकृत, संस्कृत, कर्मग्रंथ, भारतीय दर्शन और जैन भूगोल विषयों का अध्यापन करवाया गया। जैन स्काॅलर योजना पिछले 8 वर्षों से निरन्तर चल रही है। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की ज्ञान योजना के अन्तर्गत संचालित त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम में कुल 53 महिला-पुरूष अध्ययनरत हैं। इस 11 दिवसीय कार्यशाला में कुल 45 सम्भागियों ने भाग लिया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दो प्राकृत विद्वानों को राष्ट्रपति सम्मान मिला


लाडनूँ, 4 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दो विद्वानों को प्राकृत भाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट एवं उल्लेखनीय योगदान करने के लिये नई दिल्ली केे राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया है। इनमें से प्रो. दामोदर शास्त्री को 5 लाख रूपये का पुरस्कार तथा डाॅ. योगेश कुमार जैन को 1 लाख रूपयों का पुरस्कार प्रदान किया गया। समारोह में उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडु ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।

इन छह विद्वानों को किया गया सम्मानित

राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किये जाने वाले विद्वानों में लाडनूँ के जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दो विद्वान शामिल हैं। यह सम्मान प्राप्त करने वाले 6 विद्वानों में लाडनूँ के जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के प्रो. दामोदर शास्त्री, पाश्र्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी के अध्यक्ष प्रो. सागरमल जैन, सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय वाराणसी के जैन दर्शन एवं प्राकृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. फूलचंद जैन शामिल है तथा इनके अलावा युवा विद्वानों को महर्षि बादरायण व्यास राष्ट्रपति सम्मान प्रदान किया गया, जिनमें जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय लाडनूँ के जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. योगेश कुमार जैन, मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर के सहायक आचार्य डाॅ. सुमत कुमार जैन व राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मान्य विश्वविद्यालय जयपुर के जैन दर्शन विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. आनन्द कुमार जैन शामिल हैं।

Monday, 1 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

छेड़छाड़ व उत्पीड़न की घटनाओं को निडर होकर सामने लायें- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 1 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के यौन उत्पीड़न विरोधी प्रकोष्ठ के तत्वावधान में ‘‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुये कहा कि जागरूकता सबके लिये आवश्यक है। छेड़छाड़ एवं यौन उत्पीड़न की घटनायें कहीं भी हो सकती है। इन्हें लेकर किसी तरह का भय नहीं रखें और जागरूक रह कर उनका मुकाबला करें। इस सम्बंध में आयोजित की गई कार्यशाला जागरूक बनाने और डर को मिटाने का काम ही करती है। घटनाओं को बर्दाश्त करना खतरनाक साबित हो सकता है। कई बार देखा गया है कि महिलायें एक-एक साल बाद ऐसी घटनाओं की शिकायत करती है। एक साल तक सहन करना या उस घटना को दबा कर रखना उस महिला की कायरता की श्रेणी में आता है। उन्होंने फब्तियां कसने, गलत मैसेज भेजने आदि की घटनाओं को हलके में नहीं लेकर गंभीरता से लेने और बिना हिचक या डर के शिकायत करने की आवश्यकता बताई।

यौन उत्पीड़न से होता है महिलाओं के विभिन्न अधिकारों का हनन

कार्यशाला में यौन उत्पीड़न विरोध के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से कार्य कर रहे विशाखा संस्थान जयपुर की डाॅ. मंजु नांगल व रचना शर्मा ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून के बारे में जानकारी दी और इस सम्बंध में समितियों के गठन और उनके कार्य तथा शिकायत दर्ज करने के तरीके के साथ महिला के अधिकारों के बारे में जानकारी दी। सामाजिक सलाहकार रचना शर्मा ने बताया कि अधिकार काफी संघर्षों के बाद मिलते हैं। कार्यस्थन पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न कानून 13 सालों के संघर्ष के बाद बन पाया। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न से महिलाओं के समानता के अधिकार, रोजगार व व्यापार करने के अधिकार और सम्मान के साथ जीने के अधिकार छीन जाते हैं। उसके संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन हो जाता है। महिलाओं के साथ उसकी पढाई के दौरान ही यह शुरू हो सकता है। कार्यशाला का संचालन यौन उत्पीड़न विरोधी प्रकोष्ठ की समन्वयक डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने किया। कार्यशाला में प्रो. बीएल जैन, सोमवीर सागवान, अभिषेक चारण, सोनिका जैन, डाॅ. प्रगति भटनागर, अपूर्वा घोड़ावत, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान आदि उपस्थित थे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग में स्नातकोत्तर के विदाई समारोह का आयोजन

ज्ञान व आचार की समन्विति से आता है जीवन में निखार- प्रो. शास्त्री

लाडनूँ, 1 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग में स्नातकोत्तर के विदाई समारोह में प्रो. दामोदर शास्त्री ने विद्यार्थियों को भावी जीवन की बधाई देते हुये कहा कि ज्ञान का सार आचार होता है, इसलिये अपने आचरण को हमेशा उज्ज्वल रखना चाहिये। आचरण की उज्ज्वलता ही जीवन में आगे बढाने में सहायक होती है। ज्ञान और आचार की समन्विति जीवन में निखार लाती है। विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा ने कहा कि विदाई से इस बात की प्रेरणा मिलती है कि जो कुछ हमने सीखा है, उसकर व्यापक प्रसार करें। उन्होंने कहा कि प्राच्य विद्याओं में रूचि होना अपनी जड़ों की तरफ लौटना है। इसके लिये हमें अन्यों को भी प्रेरित करना चाहिये। उन्होंने विद्यार्थियों के आध्यात्मिक जीवन के लिये मंगलकामनायें की। डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में समणी भास्कर प्रज्ञा एवं समणी सम्यक्त्व प्रज्ञा ने कविताओं के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये। समणी धृतिप्रज्ञा, मुमुक्षु खुशबू, मुमुक्षु दर्शिका, मुमुक्षु पूजा, मुमुक्षु करिश्मा, मुमुक्षु वंदना व मुमुक्षु खुशबू ने अपने अध्ययनकाल के दो वर्षों के अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में विद्यार्थियों के अलावा शोधार्थी मीनाक्षी व डाॅ. वन्दना मेहता भी उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन मुमुक्षु सुरभि, मुमुक्षु प्रज्ञा एव मुमुक्षु प्रेक्षा ने किया।