Tuesday, 30 June 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यलय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में महिला सुरक्षा व अधिकारों पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

 

घरेलु हिंसा से निपटने के लिये सबके सहयोग की आवश्यकता- प्रो. मल्होत्रा

लाडनूँ, 1 जुलाई 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यलय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में कुलपति प्रो. बीआर दूगड़ के निर्देशानुसार एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। ‘‘महिला सुरक्षा एवं अधिकार कोविड-19 की परिस्थिति में’’ विषय पर हुये इस वेबिनार में पंजाब विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रो. मंजू मल्होत्रा ने कहा कि घरेलु हिंसा से बचाव, महिला सुरक्षा और महिला सम्मान ऐसे विषय हैं, जिन पर अभी बहुत काम किया जाने की आवश्यकता है। यह सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। केाविड-19 समस्या के दौर में इस क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संगठनों को आगे आकर महिलाओं की मनोदशा का विश्लेषण करना चाहिये तथा उनका सकारात्मक मार्गदर्शन भी करना चाहिये। वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग एवं महिला अध्ययन केन्द्र की समन्वयक प्रो. मंजू सिंह ने कहा कि महिलाओं में स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं का निवारण करने और उनकी सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस सम्बंध में उन्होंने विस्तृत चर्चा करते हुये घरेलु व्यवस्थाओं में सुधार की आवश्यकता बताई। नेशनल ओपन विश्वविद्यालय जयपुर के समाज कार्य विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. बीना द्विवेदी ने वेबिनार में कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों से पलायन करके आने वाली मजदूर वर्ग की महिलाओं के समाने विकट समस्यायें उत्पन्न हुई, जिन पर अलग से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने उन महिलाओं की समस्याओं के समाधान के मार्ग सुझाये। उन्होंने वेबिनार के सहभागियों के सवालों के जवाब भी दिये। प्रारम्भ में जैविभा विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने विषयवस्तु पर प्रकाश डाला तथा इक्कीसवीं सदी में पैदा हुई नवीन समस्याओं और महिलाओं के सामने आने वाली जटिलताओं के बारे में बताया। अंत में डाॅ. विकास शर्मा ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने किया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यलय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में महिला सुरक्षा व अधिकारों पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

 

घरेलु हिंसा से निपटने के लिये सबके सहयोग की आवश्यकता- प्रो. मल्होत्रा

लाडनूँ, 1 जुलाई 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यलय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में कुलपति प्रो. बीआर दूगड़ के निर्देशानुसार एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। ‘‘महिला सुरक्षा एवं अधिकार कोविड-19 की परिस्थिति में’’ विषय पर हुये इस वेबिनार में पंजाब विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रो. मंजू मल्होत्रा ने कहा कि घरेलु हिंसा से बचाव, महिला सुरक्षा और महिला सम्मान ऐसे विषय हैं, जिन पर अभी बहुत काम किया जाने की आवश्यकता है। यह सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। केाविड-19 समस्या के दौर में इस क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संगठनों को आगे आकर महिलाओं की मनोदशा का विश्लेषण करना चाहिये तथा उनका सकारात्मक मार्गदर्शन भी करना चाहिये। वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग एवं महिला अध्ययन केन्द्र की समन्वयक प्रो. मंजू सिंह ने कहा कि महिलाओं में स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं का निवारण करने और उनकी सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस सम्बंध में उन्होंने विस्तृत चर्चा करते हुये घरेलु व्यवस्थाओं में सुधार की आवश्यकता बताई। नेशनल ओपन विश्वविद्यालय जयपुर के समाज कार्य विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. बीना द्विवेदी ने वेबिनार में कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों से पलायन करके आने वाली मजदूर वर्ग की महिलाओं के समाने विकट समस्यायें उत्पन्न हुई, जिन पर अलग से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने उन महिलाओं की समस्याओं के समाधान के मार्ग सुझाये। उन्होंने वेबिनार के सहभागियों के सवालों के जवाब भी दिये। प्रारम्भ में जैविभा विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने विषयवस्तु पर प्रकाश डाला तथा इक्कीसवीं सदी में पैदा हुई नवीन समस्याओं और महिलाओं के सामने आने वाली जटिलताओं के बारे में बताया। अंत में डाॅ. विकास शर्मा ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने किया।

Wednesday, 24 June 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) शोध की विधियों पर दो दिवसीय ऑनलाईन राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

 

अनुंसधान को पुस्तकालय़ की शोभा के बजाये जनोपयोगी बनाया जावे

लाडनूँ, 25 जून 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की प्रेरणा से आयोजित दो दिवसीय ऑनलाईन राष्ट्रीय कार्यशाला में जगद्गुरू रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के विभागाध्यक्ष प्रो. गोपीनाथ शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि अनुसंधान कार्य में शोध की गुणवता, मौलिकता, नवीनता एवं ईमानदारी की ओर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने शोध की दार्शनिक क्रियाविधि पर प्रकाश डालते हुये तत्व मीमांसा, ज्ञान मीमांसा व मूल्य मीमांसा के बारे में बताया। शिक्षा व मूल्यों के अन्तर्सम्बंध के बारे में उन्होंने कहा कि ये मानवीय गुणों का संवर्द्धन करने वाले तत्व हैं, इन्हें अलग-अलग नहीं किया जाकर एक ही मानना चाहिये। उन्होंने पुस्तकालय में रखे जाने वाले अनुसंधान नहीं बल्कि स्थानीय स्तर से लेकर विश्व स्तर तक उपयोग अनुसंधानों की आवश्यकता बताई। राजस्थान विश्वविद्यालय के डीन प्रो. एम पारीक ने अपने सम्बोधन में अनुसंधान की सर्वेक्षण विविध की व्याख्या प्रस्तुत की और समस्या का चयन, उद्देश्य, परिकल्पना, उपकरण निर्माण, चर, न्यादर्श, सांख्यिकी आदि के बारे में बताते हुये सर्वेक्षण विधि में गुणवता और ईमानदारी आवश्यक बताये। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के प्रा. उदयसिंह ने गुणात्मक और परिणामात्मक दो प्रकार शोध के बताये और शोध की प्रकृति के अनुसार शोध की विधि अपनाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि हमें शोध को पुस्ताकलयों की शोभा से बाहर लाकर जनोपयोगी व जन समस्या निवारक बनाना चाहिये। ऐश्वर्य काॅलेज आफ एकेडमिक जोधपुर के डीन प्रो. एके मलिक ने अनुसंधान की वैज्ञानिक क्रियाविधि के विभिन्न चरणों को सटीक और सोदाहरण बताया। कार्यक्रम के संयोजक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि तार्किक विश्लेषण विधि द्वारा ही शोध में अच्छे परिणाम लाये जा सकते हैं। लेकिन तर्क का स्थान बहस को नहीं लेना चाहिये, क्योंकि तर्क से ज्ञान का विकास होता है, लेकिन बहस से विवाद और विघटन पैदा होता है। अंत में डाॅ. मनीष भटनागर ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन व तकनीकी सहयोग मोहन सियोल ने किया।

Thursday, 18 June 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के समापन पर कार्यक्रम का आयोजन

 

महाप्रज्ञ ने अहिंसा प्रशिक्षण में दिया रोजगार प्रशिक्षण को महत्व- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 19 जून 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह पर शुक्रवार को कांफ्रेंस हाॅल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सोशल डिस्टेंस एवं लाॅक डाउन के अन्य नियमों का पालन करते हुये आयोजित किये गये इस कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने समाज और राष्ट्र के लिये जो किया, वह अद्वितीय है। उनमें प्राणी मात्र के प्रति करूणा के भाव थे, उनके पास कोई व्यक्ति कष्ट या तंगी की हालत में आ जाता था, तो वे उसके कष्टों के निवारण के लिये पूरा प्रयास करते थे। वे मानवता के लिये तत्पर थे तो देश के लिये भी उनकी सेवा अतुलनीय थी। उनके अहिंसा प्रशिक्षण एवं अहिंसा समवाय के अन्तर्गत रोजगार के लिये प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किये गये और बड़ी संख्या में लोगों ने इसका लाभ उठाया। उनका मानाना था कि जब तक व्यक्ति का पेट नहीं भर जाता, तब तक अहिंसा की स्थापना नहीं हो सकती है। उनका सापेक्ष अर्थशास्त्र भी इसी की पुष्टि करता है। उन्होंने परोक्षानुभति के बजाये प्रत्यक्षानुभूति पर जोर दिया। उनके प्रेक्षाध्यान के सूत्र आत्म दीपोभव से व्यक्ति को अपने भीतर की शक्तियों का दर्शन का अवसर मिला और उसका उपयोग करने का अवसर भी मिला। उन्होंने अनेकांत के सिद्धांत को आत्मसात किया था। अनेकांत के दर्शन उनके जीवन को देखने पर साक्षात मिलते हैं।

प्रधानमंत्री ने भी ऑनलाईन कार्यक्रम में लिया भाग

इस अवसर पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में शताब्दी समारोह के समापन के अवसर पर आयोजित ऑनलाईन कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी देखा गया। इस ऑनलाईन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत एवं नेपाल के बौद्ध संत आनी चोईंग ड्रोलमा ने महाप्रज्ञ के जीवन, कर्तृत्व और उनके अवदानों पर अपने विचार व्यक्त किये और आचार्य महाप्रज्ञ के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। गायक कलाकार अनूप जलोटा, दलेर मेहंदी व कविता कृष्णमूर्ति ने महाप्रज्ञ को समर्पित अपने गीत-रचनायें प्रस्तुत किये। सभी ने इस आनलाईन कार्यक्रम में दूरस्थ सहभागिता निभाई और सम्भाषण किया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द एवं उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू के संदेशों का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस कार्यक्रम के पश्चात यहां संस्थान के सभी उपस्थित अधिकारियों ने तीन मिनट का मंत्र-जाप भी किया। कार्यक्रम में कुलसचिव रमेश कुमार मेहता, प्रो. अनिल धर, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डाॅ. योगेश कुमार जैन, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, प्रगति चैरड़िया, कमल कुमार मोदी, दीपाराम खोजा, जगदीश यायावर, मोहन सियोल, राजेन्द्र बागड़ी आदि उपस्थित रहे।

Monday, 8 June 2020

जैन विश्वभारती संस्थान में गणाधिपति तुलसी के 24वें महाप्रयाणस दिवस पर ऑनलाईन संवाद कार्यक्रम का आयोजन

 

किसी जाति, पंथ, धर्म, समप्रदाय से सम्बद्ध नहीं थे आचार्य तुलसी

लाडनूँ, 9 जून 2020। अणुव्रत अनुशास्ता गणाधिपति आचार्य तुलसी के 24वें महाप्रयाण दिवस पर यहां जैन विश्वभारती संस्थान में आचार्यश्री तुलसी का समाज को अवदान विषय पर ऑनलाईन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. बच्छाराज दूगड़ की प्रेरणा से आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर के प्रखर वक्ता, विद्वान एवं शिक्षाविदों ने भाग लिया। कार्यक्रम में बुलंदशहर के श्यामलाल स्नातकोतर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि आचार्य तुलसी ज्ञान, भाव एवंक्रिया तीनों को एक रेखा में प्रस्तुत करने वाले युगपुरूष थे। वे जीवन में उमंग, उत्साह एवं प्राण फूंकने वाले महापुरूष थे। वे सिद्धपुरूष थे, जिन्होंने अंतश्चेतना को विकसित किया। उनके जीवन के हर क्षेत्र शैक्षिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक आदि में किये गये विशिष्ठ, अनूठे व अतुलनीय योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा। ऐश्वर्य काॅलेज जोधपुर के एकेडमिक डीन प्रो. एके मलिक ने कहा कि आचार्य तुलसी मूल्यों, जीवन की कला और युक्ति को सिखाने वाले प्रणेता थे। वे चरित्र निर्माण, नैतिकता, कर्तव्य पालन, अनुशासन व मानवता के पुरोधा थे। वे मानवता के मसीहा थे, जिनसे डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद व पं. नेहरू जेसे राजनेता परामर्श लेते थे और देश की व्यवस्थाओं पर चिंतन प्राप्त करते थे। आचार्य तुलसी को किसी जाति, पंथ, धर्म, समप्रदाय से सम्बद्ध नहीं किया जा सकता है। उनके पदचिह्नों का अनुसरण सबको करना चाहिये।

श्रेष्ठ मानव निर्माण का सूत्रपात है अणुव्रत आंदोलन

जैन विश्वभारती संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि नैतिक व राष्ट्रीय चरित्र निर्माण के लिये स्वतंत्रता के पश्चात अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया गया। इसमें आचार्य तुलसी ने समग्र गुणों वाला, श्रेष्ठ मानव बनाने के लिये पाथेय प्रदान किया। अणुव्रत में जीवनोपयोगी 11 सूत्रीय संहिता है। गुरूदेव तुलसी एक श्रेष्ठ कवि, गीतकार, लेखक व साहित्य-सृजक थे। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बीएल जैन ने प्रारम्भ में अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया और संवाद कार्यक्रम और विषय-वस्तु के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि आचार्य तुलसी ने श्रम एव निष्ठा की प्रतिष्ठा की थी। उसे संस्कृति के प्राण के रूप में प्रतिष्ठित किया था। उन्होंने अणुव्रतों को मानवीय प्रामाणिकता के रूप में बताया था। कार्यक्रम में प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रो. एमएल शर्मा चंडीगढ, प्रो. रमाकांत यादव आदि ने भी विचार व्यक्त किये। संचालन मोहन सियोल ने किया।

Thursday, 4 June 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्व पर्यावरण दिवस पर ऑनलाईन कार्यक्रम का आयोजन

 

प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से बिगड़ता है पर्यावरण- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 5 जून 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाईन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह प्रकृति की व्यवस्था है कि पृथ्वी अपना पर्यावरणीय संतुलन स्वयं बनाती है, लेकिन मनुष्य इस संतुलन को बिगाड़े में लगा हुआ हैं। पृथ्वी पर जो भूकम्प, तूफान, सुनामी, अतिवृष्टि, सूखा आदि प्राकृतिक आपदायें आती हैं, वे सब इस पर्यावरण असंतुलन के कारण ही होती हैं। इन पर नियंत्रण के लिये आवष्यक है कि मनुष्य प्रकृति का दोहन संयमित होकर करे। डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने कहा कि विज्ञान द्वारा की गई प्रगति ही हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली है। चाहे वह महामारी के रूप में हो अथवा रासायनिक तत्वों के दुरूपयोग के रूप में हो। बढता भौतिकवाद और आधुनिकीकरण मनुष्य को पर्यावरणीय विनाश की ओर ही ले जा रहा है। कार्यक्रम संयोजक डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि मनुष्य के अस्तित्व के लिये पर्यावरण आवश्यक है। अगर पर्यावरण नहीं रहा तो कम भी नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोरोना महामारी के दौर में जब व्यक्ति घर में बैठ गया है, कल-कारखाने बंद हैं, वाहनों का चलना बंद है तो उसके कारण वातवारण में प्रदूषण कम हुआ है। इससे नदियों का जल स्वच्छ हुआ है और जिस हिमालय को हम पर्यावरणीय दूषिता के कारण नहीं देख पाते थे, वह दूर से ही नजर आने लगा है। इसी तरह से पर्यावरण को बचाने के लिये हमें संसाधनों के गलत उपयोग को कम करना होगा।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत पांच दिवसीय ऑनलाईन एफडीपी कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों के वक्तव्य प्रस्तुत

 

इंटरनेट से डाउनलोड करें तो काॅपीराइट कानूनों का पालन जरूरी- डाॅ. सोनी

लाडनूँ, 5 जून 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत चल रहे ऑनलाईन पांच दिवसीय एफडीपी कार्यक्रम में श्री अग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय जामड़ोली के आईटी प्रभारी डाॅ. उमेश सोनी ने अपने वक्तव्य में काॅपीराइट कानूनों का पालन करना आवश्यक बताते हुये कहा कि हम इंटरनेट से विषयसामग्री, चित्र, वीडियो आदि डाउनलोड कर रहे हैं और उसका उपयोग अपने अध्ययन में करते हैं, लेकिन साथ ही इसकी जानकारी भी होनी आवश्यक है कि वह सामग्री काॅपीराइट के अधीन आती है या नहीं। उन्होंने काॅपीराइट सामग्री की पहचान और उसके उपयोग के लिये अनुमति प्राप्त करने के तरीके आदि के बारे में बताया तथा इस सम्बंध में जागरूक रहने की आवश्यकता बताई। उन्होंने यूट्यूब पर अपनी विषय सामग्री का प्रसारण कब और कहां करने की जानकारी भी दी। उन्होंने काॅपीराइट के सूक्ष्म प्रतीकों को ऑनलाईन प्रदर्शित किया और काॅपीराइट के विभिन्न नियमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

शिक्षण में गूगल क्लासरूम की उपयोगिता

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आईटी विशेषज्ञ मोहन सियोल ने गूगल क्लासरूम के अनुप्रयोग के बारे में बताया और ऑनलाईन क्लासरूम को प्रेक्टिल रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने गूगल क्लासरूम एप को डाउनलोड करने से लेकर क्लासरूम बनाने, सेक्शन बनाने, उसमें एसाइनमेंट देने, प्रश्न देने व उन सभी की जांच करने आदि के बारे में विस्तार से सरल भाषा में समझाया और गूगल क्लासरूम में विद्यार्थियों को विषय सामग्री शेयर करने, स्टडी मैटेरियल निर्मित करने, गूगल क्लासरूम में विषय सामग्री संरक्षित करने एवं उसमें सुधार व परिवर्तन करने आदि का पूरा विवरण प्रस्तुत किया। सियोल ने गूगल क्लासरूम में शिक्षण व शिक्षणेत्तर क्रियायें, पाठ्यसहगामी क्रियायें आदि में अनुप्रयोग करने की विधियां भी बताई। उन्होंने गूगल ड्राइव में फाईलें, नोट्स, असाइनमेंट संरक्षण आदि की जानकारी भी दी। साथ ही शाॅर्ट यूआरएल, गूगल फाॅर्म के क्विज, प्रश्नपत्र, मूल्यांकन आदि के बारे में भी बताया। उन्होंने आपदाओं, विपति के समय और महामारी के दौरान ऑनलाईन कक्षाओं को उपयोगी बताया। कार्यक्रम के संयोजक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत किया और पांच दिवसीय एफडीपी कार्यक्रम के विभिन्न विषयों और उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने अंत में आभार ज्ञापित किया।

ऑनलाईन क्लासेज में श्रेष्ठ प्रस्तुतिकरण के लिये सावधानियां जरूरी- शालिनी

6 जून 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत चल रहे ऑनलाईन पांच दिवसीय एफडीपी कार्यक्रम में चतुर्थ दिवस सुबोध पब्लिक स्कूल की आईटी विशेषज्ञ शालिनी जैन ने कहा कि ऑनलाईन क्लास में गुणवता, जागरूकता, सुरक्षा आदि का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है। ऑनलाईन क्लासेज के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्राकर के प्रभाव पड़ते हैं। अनुशासन, निगरानी, प्रश्नोतर वीडियो, चित्र आदि से ऑनलाईन क्लास संचालित की जाती है, तो वह विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। इनमें सुरक्षा की दृष्टि से सावधानियों की जरूरत है, जिनमें क्लास लेने से पूर्व विद्यार्थी अपना आईकार्ड डाले, क्लास में पांच मिनट पूर्व प्रवेश दिया जावे और लेट आने पर प्रवेश नहीं दिया जावे, शेयर स्क्रीन का कार्य होस्ट करे, पार्टीसिपेंट में उपस्थित विद्यार्थियों का स्क्रीन-शाॅट लें, चैट का उपयेाग क्लास के समय में केवल शिक्षक व विद्यार्थी ही करें, ऑनलाईन क्लास में शिक्षक व विद्यार्थी दोंनों ही वीडियो ऑन रखें, शिक्षक वीडियो ऑन करे फेस टू फेस क्लास की भांति हाव-भाव से पढायें तथा प्रत्येक क्लास से पूर्व योग या अन्य गतिविधि दो मिनट की अवश्य करवायें, ताकि छात्र का रूझान क्लास में बढ सके। शिक्षक तैयारी, तथ्य, व्यावहारिक व गुणवतापूर्ण तरीके से शिक्षण कार्य करवायें ताकि क्लास के समय विद्यार्थी अपना मोबाईल चालू करके खाने-पीने, नहाने-धोने या इधर-उघर घूमने में समय व्यतीत नहीं करें। उन्होंने इस वेबिनार में फिल्मोरा साॅफ्टवेयर द्वारा गुणवतापूर्ण वीडियो बनाना, वीडियो का शीर्षक या टाईटल बनाना, वीडियो के रंगों का संयोजन, वीडियो में विषय सामग्री व चित्रों का प्रदर्शन व प्रस्तुतिकरण आदि की प्रभावी जानकारी रोचक ढंग से प्रदान की तथा श्रेष्ठ वीडियो निर्माण, ऑनलाईन क्लास, विविध मोाबईल एप्स आदि की जानकारी सचित्र रूप् से ऑनलाईन प्रस्तुत की। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने प्रारम्भ में विषय प्रस्तोता का परिचय करवाया और अंत में आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन मोहन सियोल व पंकज भटनागर ने किया।