Thursday, 30 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में अभिलेख, लिपियों व भाषा विज्ञान पर व्याख्यान आयोजित

विश्व की सबसे प्राचीन लिपि है ब्राह्मी, जिससे अन्य लिपियां निकली- डाॅ. वशिष्ठ

लाडनूँ 30 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में अभिलेख, लिपियों एवं भाषा विज्ञान के सम्बंध में दो दिवसीय व्याख्यान-माला का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला में दिल्ली के डाॅ. रविन्द्र कुमार वशिष्ठ ने विद्यार्थियों को अभिलेखों एवं लिपियों की जानकारी देते हुये ब्राह्मी लिपि, खरोष्ठी लिपि आदि की वर्णमाला का ज्ञान करवाया तथा इन लिपियों में अक्षर लेखन का अभ्यास करवाते हुये इन लिपियों के उद्भ्व व विकास का विस्तृत विवेचन किया। उन्होंने बताया कि भाषा को लिपियों में लिखने का प्रचलन भारत में ही शुरू हुआ। यहां से अन्य देशों के लोगों ने लेखन को सीखा। प्राचीनकाल में ब्राह्मी और देवनागरी लिपि का प्रचलन था। ब्राह्मी और देवनागरी लिपियों से ही दुनियाभर की अन्य लिपियों का जन्म हुआ। ब्राह्मी भी खरोष्ठी की तरह ही पूरे एशिया में फैली हुई थी। प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट अशोक द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते हैं। नये अनुसंधानों के आधार 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के लेख भी मिले है। उन्होंने अभिलेख, ताड़पत्र, भुर्जपत्र आदि की जानकारी भी विद्यार्थियों को दी। ब्राह्मी लिपि से नागरी लिपि के क्रमिक विकास के बारे में भी बताया। डाॅ. वशिष्ठ ने बताया कि भाषा विज्ञान गूढ एवं जटिल विषय माना जाता है, लेकिन अगर इसकी गहराईयो में पैठा जावे तो यह विषय सबसे आसान साबित होता है। उन्होंने भाषा विभान के विविध सामान्य नियमों को सहज तरीके से समझाया तथा ग्रीम और ग्रासमान जैसे विद्वानों द्वारा प्रदत्त ध्वनि परिवर्तन के नियमों की सरल तकनीक से बताया। उन्होंने समय-समय पर प्रयुक्त होने वाली लेखन कला और लेखन सामग्री के बारे में भी जानकारी दी।

केरल के आपदा पीड़ितों की सहायता के लिये उतरे संस्थान के छात्र


लाडनूँ 30 अगस्त 2018। केरल प्रांत के बाढ पीड़ितों की सहायतार्थ जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) आगे आया है। विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में इसके लिये जन समुदाय से आर्थिक सहयोग प्राप्त किया जा रहा है। उन्होंने सबसे पहले संस्थान के समस्त स्टाफ से बाढ सहायतार्थ चंदा एकत्र किया और गुरूवार को शहर में रैली निकाल कर आम जन से चंदा लिया। इसके लिये गुरूवार को संस्थान से एक रैली निकाली गई, जिसे शोध निदेशक प्रो. अनिल धर ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इस अवसर पर समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, कार्यक्रम की संयोजक डाॅ. पुष्पा मिश्रा, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, डाॅ. विकास शर्मा, अंकित शर्मा, रंजीत जायसवाल आदि उपस्थित थे। विभागाध्यक्ष डाॅ. बी. प्रधान ने बताया कि एकत्र की जाने वाली धन राशि को केरल के मुख्यमंत्री राहत कोष में भेजा जायेगा।

Saturday, 25 August 2018

रक्षाबंधन पर छात्राओं ने लिया संकल्प कि वे अपने सास-श्वसुर को कभी वृद्धाश्रम नहीं जानें देंगी

राखी का त्यो।हार पंथ-मजहब की सीमाओं को लांघ चुका है- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ 25 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में रक्षाबंधन पर्व समारोह पूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि राखी का त्यौंहार जहां भाई व बहिन के पवित्र रिश्ते का स्मरण करवाता है, वहीं यह पर्व देश के साहित्य एवं संस्कृति की रक्षा का संदेश भी देता है। उन्होंने रक्षाबंधन को पंथ और मजहब के दायरे से हटकर त्यौंहार बताते हुये कहा कि इतिहास में हुमायूं व रानी कर्मावती इसकी मिशाल है। इसी तरह उन्होंने भगतसिंह व उसकी बहिन के प्रसंगों का भी उल्लेख किया। कार्यक्रम में अभिषेक चारण ने रक्षांबधन सामाजिक दायित्वों का बोध करवाने वाला पर्व है, जिसमें भ्रातृत्व के कर्तव्य का ही नहीं बल्कि पूरे समाज के हर वर्ग को अपने कर्तव्य का भान करवाता है। चारण ने एक कविता के माध्यम से भाई-बहिनों के संवेदनात्मक सम्बंधों को प्रकट किया। छात्रा भगवती निठारवाल ने इस अवसर पर सभी छात्राओं को संकल्प दिलवाया कि वे इस पर्व पर शपथ ग्रहण करें कि वे अपने सास-श्वसुर को कभी भी वृद्धाश्रम नहीं जाने देंगी तथा उनकी सेवा में वे कोई कसर नहीं रहने देंगी। छात्रा मेहनाज बानो ने बताया कि इस त्यौंहार को हिन्दू-मुस्लिम सभी मनाते हैं। जब भी रक्षाबंधन आता है तो उसकी मां भी अपने दिवंगत भाई का स्मरण करके आंखों में पानी भर लेती है। छात्रा हेमलता ने औपचारितायें निभाने के बजाये पर्व को दिल की गहराईयों से उसके मर्म को समझते हुये मनाये जाने की अपील की। कार्यक्रम का संचालन छात्रा सरिता शर्मा ने किया।

Friday, 24 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में गांधी के सिद्धांतों पर आधारित नाटक व भजन प्रतियोगिता का आयोजन

हर घर में रावण बैठा है, इतने राम कहां से लावूं....

लाडनूँ 24 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में महात्मा गांधी की 150वीं जयती महोत्सव के अवसर पर गांधी के सिद्धांतों पर आधारित नाटक एवं भजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। छात्रा सरिता शर्मा व मुमुक्षु अंकिता ने ‘‘दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल, साबरमती के संत तुने कर दिया कमाल......’’ ने आॅडिटोरियम में उपस्थित समस्त दर्शकों पर प्रभाव डाला। भावना भाटी, रितु स्वामी व नेहा पारीक ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन ‘‘ वैष्णव जन तो तैंने कहिये, जे पीर पराई जाणैं रै.......’’ का गान करके सबको भक्ति विभोर कर दिया। ममता स्वामी ने ‘‘रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम...’’ का गान किया। नीतू जोशी ने ‘‘कलियुग बैठा मार कुंडली, जावूं तो तो कहां जावूूं, अब हर घर में रावण बैठा, इतने राम कहां से लावूं....’’ सुनाकर तालियां बटोरी। मीनू रोड़ा ने ‘‘ओ पालन हारे, निर्गुण और न्यारे, तूमरै बिनु हमरा कौनुं नहीं....’’ का सस्वर पाठ किया। विपुल जैन ने ‘‘अहंकार का भाव न रख, नहीं किसी पर क्रोध करूं.....’’ सुनाई।

आदर्शों को जीवन में उतारें

प्रतियोगिता में प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर दामोदर शास्त्री ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन ‘‘वैष्णव जन तो तैंने कहिये जे पीर पराई जानैं रै....’’ की कुछ उक्तियों का उल्लेख व उनका भावार्थ करते हुये कहा कि काछ व वाच पर नियंत्रण का जो उपदेश इस भजन में है, उससे मनुष्य को अपनी वाणी में संयम एवं अपने चरित्र पर काबू पाने की आवश्यकता को बतलाता है। यह शिक्षा व संस्कार प्रदान करने वाला भजन है, जो व्यक्ति को अपने विवेक के जागरण के लिये प्रेरित करता है। हम महात्मा गांधी को याद तो कर लेते हैं, लेकिन उन्हें अपने जीवन में कितना उतार पाते हैं, यह अधिक महत्वपूर्ण होता है। महापुरूषों के आदर्शों को हृदयंगम करने और उन पर आचरण करने से ही व्यक्ति महान बन सकता है। नाटक प्रस्तुतियों में अम्बिका एवं समूह ने महात्मा गांधी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं से लेकर उनके मृत्योपरांत तक के घटनाक्रम का नाट्य-रूपांतरण पेश किया। आरती एवं समूह ने बापू की संतान नामक नाटक में अदालत में पर्यावरण का संकट प्रस्तुत किया, जिसमें जल, पहाड़, पेड़ व धरती की गवाही लगाई गई।

मीनू रोडा रही प्रथम स्थान पर

सांस्कृतिक समिति की समन्वयक डाॅ. अमिता जैन ने प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा करते हुये बताया कि भजन गायन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर मीनू रोड़ा एवं द्वितीय स्थान पर ममता स्वामी रही। तृतीय स्थान पर मुमुक्षु अंकिता रही। नाटक मंचन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर मुमुक्षु आरती एवं समूह तथा द्वितीय स्थान पर अम्बिका एवं समूह रहा। कार्यक्रम में रितु स्वामी, नेहा पारीक, सरिता शर्मा, ममता स्वामी, विपुल जैन, नीतू जोशी,मीनू रोड़ा, भावना भाटी व मुमुक्षु अंकिता ने महात्मा गांधी पर आधारित अनेक भजनों की प्रस्तुतियां देकर वातावरण को महात्मा गांधी मय बना दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ भावना ने मंगल-गान द्वारा किया। निर्णायक प्रो. दामोदर शास्त्री एवं डाॅ. पुष्पा मिश्रा का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बी. प्रधान, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. सरोज राय, प्रो. रेखा तिवाड़ी, सुनीता इंदौरिया, डाॅ. आभा सिंह, सोनिका जैन, अभिषेक चारण एवं सभी संकायों व विभागों के आचार्य व सह आचार्य तथा विद्यार्थी उपस्थित थे। अंत में आभार ज्ञापन डाॅ. अमिता जैन ने किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज व छात्रा रचना ने किया।

Thursday, 23 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के विद्यार्थियों ने किया बाकलिया गांव में वृक्षारोपण


लाडनूँ 23 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के तत्वावधान में महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती महोत्सव के अवसर पर ग्राम बाकलिया में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें संस्थान के समाज कार्य विभाग के विद्यार्थियों ने विभागाध्यक्ष डाॅ. बी. प्रधान एवं सहायक आचार्य अंकित शर्मा के निर्देशन से ग्राम बाकलिया स्थित राजकीय विद्यालय, आंगनबाड़ी केन्द्र, मंदिर परिसर आदि विभिन्न स्थानों पर नीम, बेल, शीशम आदि के 50 वृक्ष लगाये तथा गांव के अनेक लोगों को पौधों का वितरण भी किया। लगाये गये पौधों की सुरक्षा एवं संरक्षण का जिम्मा विभाग की आचार्या डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने गांव के राजकीय विद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को सौंपा है। संस्थान के इस कार्य में स्पाइन सोसायटी ने पौधे उपलब्ध करवा कर सहयोग प्रदान किया।

Monday, 20 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विख्यात कवि राजेश चैतन्य का स्वागत

बीच में दीवारें खड़ी करने के बजाये पुल बनाने का काम करें- चैतन्य

लाडनूँ 20 अगस्त 2018। विख्यात राष्ट्रीय एवं हास्य कवि राजेश चैतन्य का यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की ओर से महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में भावभीना स्वागत किया गया। वे यहां मुनिश्री जयकुमार के दर्शनार्थ लाडनूँ आये थे। इस अवसर पर राजेश चैतन्य ने विभिन्न हास्य आधारित एवं प्रेरणास्पद कविताओं एवं चुटकलों से भरपूर तालियां बटोरी। उन्होंने कहा कि हंसने का अधिकार समस्त प्राणियों में केवल मनुष्य को ही भगवान ने दिया है। इसलिये सभी मनहूसियत छोड़ कर हंसी-खुशी से जिन्दगी गुजारें। उन्होंने इंसान-इंसान के बीच दीवारें बनानी छोड़ देने और पुल बनाने का काम करने की सलाह दी तथा कहा कि सारा खेल केवल शब्दों का है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सारे विश्व में सभी सुनने वालों को शब्दों में बांध लेते हैं। शब्द-सम्पदा के प्रयेाग से खुशियां बांटी जा सकती है और दुःख भी उत्पन्न किया जा सकता है। इसलिये सुख प्राप्त करने के लिये शब्दों का उचित उपयोग करना चाहिये। उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढाओ का संदेश भी दिया तथा विभिन्न व्यंग्यात्मक स्थितियां साझा करते हुये कहा कि एक बेटी दस बेटों के बराबर होती है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक पुत्री द्वारा मुखाग्नि दी जाने को समाज के लिये सराहनीय संदेश बताया।

आनन्द है जीवन का आधार

कार्यक्रम को सान्निध्य प्रदान करते हुये मुनिश्री जयकुमार ने स्वरचित कवितायें सुनाई, जिन्हें सभी ने जमकर सराहा। मुनिश्री ने कहा कि आनन्द जीवन का आधार है। जीवन में हंसना-हंसाना और आनन्दित रहना आवश्यक है। उन्होंने शब्दों से आनन्छ की उत्पत्ति के बारे में बताया। प्रारम्भ में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कवि राजेश चैतन्य का स्वागत किया तथा उनकी काव्य-रचनाओं को उदृत करते हुये उनका परिचय प्रस्तुत किया। प्रो. दूगड़ ने उन्हें मोस्ट डायनेमिक पोइट की उपाधि देते हुये कहा कि वे केवल बेहतरीन मंच संचालक, कवि व मोटीवेशनल गुरू ही नहीं, बल्कि विभिन्न संस्थाओं के संचालक भी हैं और समाज सेवा से निरन्तर जुड़े हुये रहते हैं। कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में शांतिलाल बरमेचा व इन्द्रचंद बैंगाणी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़, उप कुलसचिव डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, विताधिकारी आरके जैन, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. गोविन्द सारस्वत, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बी. प्रधान, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. आभा सिंह, डीआर खोजा, मोहन सियोल आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने किया।

Sunday, 19 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की छात्राध्यापिकाओं ने किया शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन

ज्ञान के साथ क्रियात्मकता होने से विकास की गति बढती है- प्रो. जैन

लाडनूँ , 19 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में छात्राध्यापिकाओं के लिये एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया गया। इसके तहत आयोजित रंगारंग कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि छात्राध्यापिकाओं को अध्यापन-शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनके ज्ञानात्मक, भावात्मक व क्रियात्मक विकास के लिये संचालित की जाने वाली विविध गतिविधियों के अन्तर्गत यह आयोजन किया गया है, जिसमें छात्राध्यापिकाओं में साहित्य-सम्बंधी कार्यक्रमों के साथ नेतृत्वशीलता, प्रबंधन, सामुहिक भावना आदि के गुणों का विकास भी संभव हो पाता है। शैक्षणिक भ्रमण ज्ञान के साथ क्रिया को जोड़ कर विकास की गति को तेज करता है। सरदार शहर के आचार्य महाप्रज्ञ समाधिस्थल के सभागार में आयोजित रंगारंग कार्यक्रम में इन प्रशिक्षणार्थी छात्राओं ने भजन, लोकगीत, प्रेरक-प्रसंग, दोहे, श्लोक, चुटकुले आदि प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में मोनिका सैनी, प्रियंका सिखवाल, दुर्गा राठौड़, तगु हरखू आदि की प्रस्तुतियां विशेष सराहनीय रही। शिक्षकों डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा, मुकुल सारस्वत, देवीलाल कुमावत, दिव्या आदि ने भी अनेक प्रस्तुतियां दी। इस भ्रमण कार्यक्रम में छात्राध्यापिकाओं ने ताल छापर अभयारण्य, साईंनाथ मंदिर, सरदार शहर का इन्छापूर्ण बालाजी मंदिर, तेरापंथ के आचार्य महाप्रज्ञ का समाधि स्थल आदि का अवलोकन किया तथा उनकी सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की। भ्रमण कार्यक्रम की प्रभारी डाॅ. सरोज राय ने बताया कि प्रशिक्षणार्थियों ने क्षेत्रीय संस्कृति, अध्यात्म तपोभूमि, पर्यावरण, वन्य संरक्षण आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की।

Saturday, 18 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में फ्रेशर पार्टी का आयोजन

आत्मविश्वास से सब कुछ पाया जा सकता है- प्रो. दूगड़

लाडनूँ 18 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में नव आगन्तुक छात्राओं के लिए फ्रेसर पार्टी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के महाप्रज्ञ-महाश्रमण ओडिटोरियम में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में कुलपित प्रो. बच्छराज दूगड़़ ने कहा कि असंभव कुछ भी नहीं है, यह मान लिया जावे तो इस जीवन में बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने आत्मविश्वास को जागृत करने की आवश्यकता बताते हुये कहा कि ‘‘यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल, एक जूनून सा जगाना होता है।’’ कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ ने कहा कि केवल काम करना ही महत्वपूर्ण नही है, बल्कि कार्य को उत्साह एवं आनन्द के साथ करना ही विधार्थी जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। संस्थान के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने छात्राओं से अपने ध्येय पथ पद पर निरन्तर गतिमान बने रहने का आशीर्वाद प्रदान किया।

नगीना बानो ने जीता मिस फ्रेशर का खिताब

कार्यक्रम में एक म्युजिकल चेयर प्रतियोगिता रखी गयी, जिस की विजेता सीमा बिड़ियासर एवं नफिसा बानो रही। कार्यक्रम में मिसफ्रेशर का खिताब नगीना बानो को मिला, वहीं इस प्रतियोगिता की रनर-अप हेमलता सैनी व सैकिंड रनर-अप रूकसाना बानो रही। मिस दिवा का खिताब दिव्यता कोठारी को एवं मोस्ट टेलेंटेड का खिताब हिमांशी को गया। इस प्रतियोगिता के निर्णायक नुपुर जैन, अपूर्वा घोड़ावत एवं दिव्या राठौड़ थी। छात्राओं द्वारा गणेश वन्दना के साथ कार्यक्रम का आगाज किया गया। तत्पश्चात् महनाज बानो द्वारा गीत की प्रस्तुति दी गयी और बाद में निकिता एण्ड ग्रुप, पूजा शर्मा, सुरैया बानो, चेतन एण्ड पूजा, मानसी आदि छात्राओं द्वारा नृत्य प्रस्तुतियां दी गयी। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत अवन्तिका, रेखा व कविता भाटी ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रतिष्ठा कोठारी, दक्षता कोठारी, रेहाना बानो एवं मेहनाज बानो ने किया।

Friday, 10 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का यूजीसी की एक्सपर्ट कमेटी ने किया अवलोकन

शिक्षा की कड़ी को पुनः जोड़ने का काम कर रहा है विश्वविद्यालय-प्रो. दूगड़


लाडनूँ, 9 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से यह संस्थान इस क्षेत्र के ऐसे लोग जो किन्हीं घरेलु परिस्थितियों की वजह से पढाई से दूर हो चुके, उन्हें पुनः शिक्षा से जोड़ने का काम सफलता के साथ कर रहे हैं। इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़े, अल्पसंख्यक आदि वर्ग के लोगों और कामकाजी व गृहिणी महिलाओं के साथ वृद्धों व वैरागी लोगों को भी इस दूरस्थ शिक्षा से अपनी पढाई पूरी करने का अवसर मिला है। यहां से जैनोलोजी व योग व जीवन विज्ञान से डिग्रियां कर रहे विद्यार्थियों ने विश्व रिकाॅर्ड बनाये हैं तथा विश्व के अनेक देशों में योग-प्रशिक्षक आदि के रूप में काम करके भारतीय ज्ञान व संस्कृति की शिक्षा का प्रसार कर रहे हैं। वे यहां विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओडीएल मोड के लिये गठित एक्सपर्ट कमेटी के समक्ष संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रस्तुतिकरण के समय सम्बोधित कर रहे थे। कुलपति सेमिनार हाॅल में आयोजित इस बैठक में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के सम्बंध में सम्पूर्ण विवरण का प्रस्तुतिकरण पीपीटी के माध्यम से भी किया गया। निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने जानकारी दी कि निदेशालय से 500 से अधिक ऐसे उम्रदराज व्यक्तियों ने भी डिग्रियां हासिल की हैं, जिनकी उम्र 80 वर्ष तक पहुंच चुकी थी। दूरस्थ शिक्षा से डिग्री करनेवालों ने यूजीसी के नेट को भी क्लीयर किया है।
इस प्रस्तुतिकरण बैठक में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के अलावा एक्सपर्ट कमेटी के अध्यक्ष हेमचन्द्राचार्य नोर्थ गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीए प्रजापति, कमेटी के समन्वयक यूजीसी के एजुकेशन आफिसर डाॅ. अमित कुमार वर्मा, सदस्य पंजाब विश्वविद्यालय की प्रो. कंचन जैन, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रो. गौरीशंकर वैंकटेश्वर प्रसाद, डीओयू गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी, पूणे विश्वविद्यालय के डाॅ. श्रीधर पी गेज्जी एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. चन्दन कुमार चौबे तथा प्रो. नलिन शास्त्री, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी, कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़, उप कुलसचिव डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा, प्रो. समणी संगीतप्रज्ञा, समणी अमल प्रज्ञा, समणी विनयप्रज्ञा, प्रो. अनिल धर, डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, आरके जैन, मुमुक्षु अजीता, मुमुक्षु प्रियंका आदि उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की व्यवस्थायें देखी

यूजीसी की एक्सपर्ट टीम ने गुरूवार को यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का अवलोकन किया। टीम ने दूरस्थ शिक्षा के तहत संस्थान में संचालित किये जाने वाले समस्त पाठ्यक्रमों, विद्यार्थियों, केन्द्रों, व्यवस्थाओं आदि की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने स्वयं विजिट करके समस्त व्यवस्थाओं का आकलन किया। दूरस्थ शिक्षा की चल रही परीक्षाओं की व्यवस्थाओं को देखा। टीम ने संस्थान की प्रयोगशालाओं, संस्थान परिसर, केन्द्रीय पुस्तकालय, आर्ट गैलरी, आयुर्वेदिक रसायनशाला, मातृ-संस्था के सचिवालय आदि का अवलोकन किया। टीम ने सभी व्यवस्थाओं के अवलोकन के पश्चात संतोष व्यक्त किया तथा कहा कि यहां की सभी व्यवस्थायें अच्छी हैं तथा डिस्टेंस व ओपन एजुकेशन में संस्थान बेहतरीन कार्य कर रहा है।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित

शिक्षा को सेवा व समर्पण भाव से जोड़ा जाना लाभदायक- प्रो. प्रजापति

10 अगस्त 2018। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओडीएल मोड के लिये गठित एक्सपर्ट कमेटी के चैयरमेन व हेमचन्द्राचार्य नोर्थ गुुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीए प्रजापति ने कहा है कि जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय अन्य विश्वविद्यालयों से बिलकुल अलग है। यहां सेवा व समर्पण भाव के साथ शिक्षण कार्य को जोड़ा गया है, जो लाभदायक है। शिक्षा व दूरस्थ शिक्षा के लिये यह संस्थान बहुत ही अच्छा कार्य कर रहा है। उन्होंने यहां महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुये ये उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने छात्राओं द्वारा दी गई प्रस्तुतियों की भी सराहना की। जैन विश्वभारती संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने टीम का स्वागत करते हुये संस्थान की विशेषताओं के बारे में बताया तथा कहा कि यहां का आध्यात्मिक वातावरण विद्यार्थियों को शांति व मर्यादा पालन सिखाता है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

कार्यक्रम में सरिता शर्मा व समूह द्वारा प्रस्तुत मारवाड़ी नृत्य को सभी ने सराहा। ताम्बी दाधीच के शास्त्रीय संगीत पर आधारित शिव तांडव नृत्य, पूर्णिमा व प्रियंका केे मारवाड़ी पैरोडी गीत पर युगल नृत्य, सोनम कंवर व समूह के राजस्थानी हरयाली बन्ना गीत पर सामुहिक नृत्य, मानसी के भवई नृत्य व कृष्ण लीला के कार्यक्रम को भी खूब दाद मिली। कार्यक्रम में ललिता व समूह तथा अतिश्री एवं समूह के सामुहिक नृत्य, कीमती के रंगीलो म्हारो ढोलना गीत पर एकल नृत्य व आकांक्षा व प्रीति के युगल पंजाबी नृत्य भी प्रभावी प्रस्तुति रहे। मुमुक्षु बहिनों ने कार्यक्रम में नाट्य प्रस्तुति दी। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में डाॅ. अशोक भास्कर के निर्देशन में योग के विभिन्न आसनों की प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम का प्रारम्भ संध्या व समूह द्वारा गणेश वंदना करते हुये किया गया। समस्त अतिथियों का प्रारम्भ में स्वागत किया गया।
कार्यक्रम में जैन विश्वभारती संस्थान कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के अलावा कमेटी के सदस्य हेमचन्द्राचार्य नोर्थ गुुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीए प्रजापति, कमेटी के समन्वयक यूजीसी के एजुकेशन आफिसर डाॅ. अमित कुमार वर्मा, सदस्य पंजाब विश्वविद्यालय की प्रो. कंचन जैन, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रो. गौरीशंकर वैंकटेश्वर प्रसाद, डीओयू गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी, पूणे विश्वविद्यालय के डाॅ. श्रीधर पी गेज्जी एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. चन्दन कुमार चौबे तथा प्रो. नलिन शास्त्री, जैन विश्वभारती के ट्रस्टी भागचंद बरड़िया व मंत्री जीवन मल मालू, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़, उप कुलसचिव डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, आदि उपस्थित रहे। अंत में डाॅ. अमिता जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन नुपूर जैन ने किया।

Monday, 6 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) द्वारा सुजानगढ की छात्राओं के लिये संस्थान द्वारा निःशुल्क बस सेवा शुरू

लाडनूँ, 6 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) द्वारा सुजानगढ से आने वाली छात्राओं के लिये नई बस सेवा सोमवार को शुरू की गई है। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि इस वर्ष नये सत्र में प्रवेश लेने वाली सभी छात्राओं के लिये एक साल तक यह बस सेवा निःशुल्क रहेगी। गौरतलब है कि संस्थान के अधीन संचालित आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय की छात्राओं के लिये संस्थान में बेहतरीन सुविधाओं से युक्त छात्रावास सुविधा उपलब्ध है, वहीं विभिन्न ग्रामीण अंचलों से आने वाली छात्राओं के लिये वाहनों की सुविधा भी दी जा रही है।


संस्थान के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान मे दो दिवसीय आमुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन

समाज में नैतिकता व सेवा के विस्तार के लिये हो शिक्षा का उपयोग- प्रो. त्रिपाठी


लाडनूँ, 6 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय आमुखीकरण कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुये आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि कोरी शिक्षा सारहीन और निर्जीव होती है। शिक्षा तभी सार्थक है, जब उसका उपयोग समाज में नैतिकता के विस्तार और सेवा कार्य को प्रसारित करना होता है। इस सम्बंध में जैन विश्वभारती संस्थान के समाज कार्य विभाग के छात्र समाज सुधार व सेवा कार्यों में निरन्तर लगे हुये हैं तथा समाज को नशाबंदी, स्वच्छता, रोगमुक्ति आदि के कार्यक्रमों के साथ जन जागृति के उत्तम कार्य को ध्येय बनाकर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि समाज में केवल उन्हीं लोगों का लोग अनुकरण करते हैं, जो चरित्रवान होते हैं। प्रो. त्रिपाठी ने संस्थान की विशेषताओं, व्यवस्थाओं एवं सुविधाओं के बारे में भी बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने एम.एसडब्लू. के दो वर्षीय पाठ्यक्रम का वर्णन प्रस्तुत किया तथा कहा कि अनुशासन और मूल्यों का पालन इस संस्थान की विशेषता है। यहां नैतिक मूल्यों को शिक्षा के साथ जोड़ा गया है, जो आज समाज के लिये सबसे ज्यादा जरूरी बन गये हैं। कार्यक्रम में इन्द्रा राम पूनिया, चांदनी सिंह आदि शोधार्थी, विद्यार्थी एवं व्यख्यातागण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अंकित शर्मा ने किया।

Friday, 3 August 2018

नवागन्तुक विद्यार्थियों का स्वागत कार्यक्रम का आयोजन

आचार के बिना महत्वहीन है ज्ञान- डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा

लाडनूँ, 3 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी सगीत प्रज्ञा ने कहा है कि ज्ञान तभी सार्थक बन सकता है, जब आचार उन्नत होता है। बिना आचार के ज्ञान महत्वहीन हो जाता है। ज्ञान और आचरण दोनों के समान रूप से उन्नत होने से ही व्यक्तित्व का विकास होता है और जीवन में व्यक्ति सफल बन पाता है। वे यहां अपने विभाग के नवागन्तुक विद्यार्थियों के स्वागत के लिये किये गये आयोजन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने विद्यार्थियों को संस्कृत वार्तालाप के लिये प्रेरित किया तथा उन्होंने कहा कि जितना अध्ययन करें, वह जागरूकता पूर्वक करे, ताकि उसे अन्य के लिये भी अध्यापन में सहायक बनाया जा सके। वरिष्ठ संस्कृत विद्वान प्रो. दामोदर शास्त्री ने इस अवसर पर कहा कि जब व्यक्ति अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेता है तो उसे अपनी पूरी शक्ति को केन्द्रित करके झोंक देना चाहिये। अपनी शक्ति का विकिरण करना विद्यार्थी के लिये हानिकर सिद्ध होता है। इस अवसर पर संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने आये विदेशी विद्यार्थियों ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि यह संस्थान अपने आप में विलक्षण है, जहां विद्यार्थी शिक्षा के साथ नैतिकता सीखते हैं। कार्यक्रम में सभी नव-प्रवेशित विद्यार्थियों ने अपना परिचय प्रस्तुत किया। उन्हें भी फैकल्टी से परीचित करवाया गया। कार्यक्रम के दौरान विविध गेम्स भी खिलाये गये। कार्यक्रम का प्रारम्भ मुमुक्षु बहिनों के मंगलाचरण से किया गया। अंत में मुमुक्षु दर्शिका ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन मुमुक्षु वंदना व करिश्मा ने किया।

Thursday, 2 August 2018

जैन विश्वभारती संस्थान के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के तत्वावधान में तीन दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन

जीवन में मूल्यों के धारण से निखरता है व्यक्तित्व- कक्कड़

लाडनूँ, 2 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के तत्वावधान में तीन दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारम्भ यहां कुलसचिव वीके कक्कड़ के मुख्य आतिथ्य में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने की तथा दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, डाॅ. हेमलता जोशी व डाॅ. विनोद सियाग विशिष्ट अतिथि थे। शिविर का शुभारम्भ करते हुये कुलसचिव वीके कक्कड़ ने कहा कि व्यक्ति के जीवन का समुचित विकास तभी कहा जायेगा, जब उसका व्यक्तित्व संतुलित और निखार वाला हो। व्यक्तित्व में निखार आता है मूल्यों को जीवन में उतारने से। नैतिक मूल्यों के धारण से सम्पूर्ण मानवता पोषित होती है। व्यक्ति का दृष्टिकोण बदल जाता है। दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि जीवन में उच्च चरित्र ही सफलता का मापदंड होता है। इसे ध्यान में रखते हुये इस जैन विश्वभारती संस्थान में चरित्र निर्माण पर पूरा जोर दिया गया है। उन्होंने शिविर के सम्भागियों को संस्थान में संचालित पाठ्यक्रमों, विशेषताओं, व्यवस्थाओं व सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। शिविर के समन्वयक डाॅ. अशोक भास्कर ने प्रेक्षाध्यान, योग व जीवन विज्ञान के बारे में बताया तथा इनके माध्यम से व्यक्तित्व विकास के मार्ग पर प्रकाश डाला। शुभारम्भ के पश्चात के सत्र में सभी सम्भागियों को कायोत्सर्ग का अभ्यास करवाया गया।