समाज में नैतिकता व सेवा के विस्तार के लिये हो शिक्षा का उपयोग- प्रो. त्रिपाठी
लाडनूँ, 6 अगस्त 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय आमुखीकरण कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुये आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि कोरी शिक्षा सारहीन और निर्जीव होती है। शिक्षा तभी सार्थक है, जब उसका उपयोग समाज में नैतिकता के विस्तार और सेवा कार्य को प्रसारित करना होता है। इस सम्बंध में जैन विश्वभारती संस्थान के समाज कार्य विभाग के छात्र समाज सुधार व सेवा कार्यों में निरन्तर लगे हुये हैं तथा समाज को नशाबंदी, स्वच्छता, रोगमुक्ति आदि के कार्यक्रमों के साथ जन जागृति के उत्तम कार्य को ध्येय बनाकर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि समाज में केवल उन्हीं लोगों का लोग अनुकरण करते हैं, जो चरित्रवान होते हैं। प्रो. त्रिपाठी ने संस्थान की विशेषताओं, व्यवस्थाओं एवं सुविधाओं के बारे में भी बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने एम.एसडब्लू. के दो वर्षीय पाठ्यक्रम का वर्णन प्रस्तुत किया तथा कहा कि अनुशासन और मूल्यों का पालन इस संस्थान की विशेषता है। यहां नैतिक मूल्यों को शिक्षा के साथ जोड़ा गया है, जो आज समाज के लिये सबसे ज्यादा जरूरी बन गये हैं। कार्यक्रम में इन्द्रा राम पूनिया, चांदनी सिंह आदि शोधार्थी, विद्यार्थी एवं व्यख्यातागण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अंकित शर्मा ने किया।
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