Friday 30 November 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में व्याख्यानमाला का आयोजन

भक्तिकालीन संत भक्ति के साथ सामाजिक बदलाव के अग्रदूत थे- चारण

लाडनूँ, 30 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालु कन्या महाविद्यालय के अन्तर्गत संचालित मासिक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत ‘‘भक्ति आंदोलन एवं समरसता’’ विषय पर अभिषेक चारण ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने भक्तिकाल के विभिन्न संतों का उल्लेख करते हुये उनके द्वारा जाति प्रथा, पांखड और अंधविश्वासों पर अपनी काव्य-वाणी द्वारा की गई चोटों का विवरण प्रस्तुत किया तथा लोक मानस में उनके प्रभाव का अंकन अपने व्याख्यान में किया। चारण ने संत कबीर, नामदेव, रामानन्द आदि के उदाहरण देते हुये कहा कि भक्तिकाल में पूरे देश में सामाजिक समरसता कायम करने का बीड़ा तत्कालीन संत समाज ने उठाया था, जो अद्वितीय है। उन्होंने केवल भक्ति की धारा ही समाज में प्रवाहित नहीं की बल्कि उन्होंने समाज के बदलाव में अग्रणी भूमिका निभाई थी। उनकी वाणी ने जनमानस को झकझोर कर रख दिया था। संतों की समरसता की वाणी आज भी उद्धृरणीय है और वह समाज को संदेश देने व बदलाव लाने में सक्षम हैं। इस अवसर पर डाॅ. प्रगति भटनागर, सोनिका जैन, रत्ना चैधरी, बलवीर चारण, डाॅ. सोमवीर सांगवान, कमल मोदी, डाॅ. मधुकर, योगेश टाक आदि ने व्याख्यान की समीक्षा एवं शोधपत्र के बिन्दुओं पर चर्चा करते हुये प्रस्तुत व्याख्यान को उच्च कोटि का बताया। अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने आभार ज्ञापन में भक्तिकालीन संतों के अवदान को राष्ट्र की एकता और अखंडता को कायम करनेवाला बताया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. दूगड़ की प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्ति के अवसर पर समारोह का आयोजन

कर्मरत रहने से ही बढा जा सकता है आगे- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 30 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अपने प्रोफेसर पद से सेवा निवृत्ति के अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुये कहा कि हमेशा कर्म को महत्व देना चाहिये। केवल कर्म ही व्यक्ति को प्रत्येक सफलता तक पहुंचाने में समर्थ होते हैं। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय को दी गई अपनी सेवाओं का जिक्र करते हुये उन्हें कर्म क्षेत्र में किया गया प्रयोग बताया और कहा कि कर्मरत रहने पर ही वे निरन्तर आगे बढ पाये थे। उन्होंने अपने कर्मस्थल के प्रति निष्ठा व समर्पण की आवश्यकता बताते हुये कहा कि यह सबके लिये आवश्यक है कि वे जहां कार्य करें, उसमें पूरी लगन व समर्पण का भाव अवश्य रखें। इस अवसर पर संस्थान के शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ आदि ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुये संस्थान की स्थापना से लेकर अब तक अनवरत दी जा रही प्रो. दूगड़ की सेवाओं की सराहना की तथा कहा कि वे प्रोफेसर पद से सेवानिवृत हो रहे हैं, लेकिन कुलपति के रूप में उनकी सेवाओं का लाभ संस्थान निरन्तर उठाता रहेगा। प्रो. दूगड़ ने इससे पूर्व जैन विश्वभारती में विराजित मुनिश्री जयकुमार एवं अन्य जैन संतों का आशीर्वाद ग्रहण किया एवं उन्हें गोचरी प्रदान की। कार्यक्रम में जैन विश्वभारती के पूर्व अध्यक्ष ताराचंद रामपुरिया, अशोक चिंडालिया, प्रो. आशुतोष प्रधान, प्रवीण बगड़िया, जीवणमल मालू, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. बीएल जैन, कनक दूगड़, डाॅ. शांता जैन, डाॅ. वीणा जैन, विजयश्री, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, सोनिका जैन, डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. अशोक भास्कर, डाॅ. जसबीर सिंह आदि उपस्थित थे।

Thursday 29 November 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में चलाया जा रहा है प्राकृतिक चिकित्सा का पाठ्यक्रम

छात्र सीख रहे हैं वाष्प स्नान, कटि स्नान, मसाज, रंग चिकित्सा के विविध प्रयोग

लाडनूँ, 29 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के अन्तर्गत एम.ए. के विद्यार्थियों को प्राकृतिक चिकित्सा की विभिन्न विधियां सिखाई जा रही है। विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने बताया कि विभाग में योग के अलावा विद्यार्थियों को प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न आयामों को भी पढ़ाया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञ सहायक आचार्य डाॅ. अशोक भास्कर ने बताया कि पाठ्यक्रम में प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत कक्षा में भाप स्नान, मिट्टी पट्टी, मसाज, रंग चिकित्सा, कटि स्नान, उपवास आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है। संस्थान में पंचकर्म सहित अन्य उपकरणों की व्यवस्था है। मसाज एक्सपर्ट विद्यार्थी विश्वजीत ने बताया कि मसाज से मांसपेशी एवं जोड़ों के दर्द सर्वाईकल आदि बीमारियां दूर हो जाती है। संस्थान के छात्र एवं छात्रायें योग के द्वारा चिकित्सा की अन्य वैकल्पिक पद्धतियां सीख रहे हैं। योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाने के संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ का मार्गदर्शन सतत् प्राप्त होता रहता है। सभी विद्यार्थी यहां से शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न क्षेत्रों में अपने कॅरियर के साथ समाज सेवा से जुड़ना चाहते है।

Thursday 15 November 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत आयोजित खेल सप्ताह का आयोजन


लाडनूँ, 15 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत आयोजित खेल सप्ताह का शुभारम्भ गुरूवार को गोला फेंक प्रतियोगिता में गोला फेंक कर की गई। संस्थान के विताधिकारी आरके जैन ने सर्वप्रथम गोला फेंका और प्रतियोगिताओं का शुभारम्भ किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि सभी विद्यार्थियों को खेलों में अपनी रूचि दिखानी चाहिये। खेल उनके सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं। इससे प्रतिस्पर्धा की शक्ति विकसित होती है और शरीरिक व मानसिक विकास भी संभव होता है। संस्थान के खेल सचिव डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि संस्थान में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताओं में पहले दिन गोला फेंक, डिस्क थ्रो, कैरम, शतरंज व टेबिल टेनिस प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि डिस्क थ्रो में कुल 40 छात्राओं ने भाग लिया, जिनमें से प्रथम स्थान पर कीमती शर्मा, द्वितीय करिश्मा खान व तृतीय स्थान पर ललिता शर्मा रही। गोला फेंक प्रतियोगिता के छात्रा वर्ग में कुल 50 छात्राओं ने हिस्सा लिया, जिनमें से प्रथम सीमा देवी रही। द्वितीय स्थान पर सोनिका व तृतीय पूजा शर्मा रही। छात्र वर्ग में कुल 20 छात्रों ने भाग लिया, जिनमें से प्रथम विश्वजीत, द्वितीय नवीन व तृतीय आमिक रहा।

खेलों से होता है व्यक्तित्व का विकास- कक्कड़

28 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत आयोजित खेलकूद प्रतियोगिता सप्ताह के समापन पर कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ में कहा कि खेल-कूद से सर्वांगीण विकास संभव होता है। खेलों से जहां शारीरिक क्षमताओं में वृद्धि होती है, वहीं मानसिक व भावनात्मक क्षमतायें भी बलशाली बनती है। विद्यार्थी के व्यक्तित्व का विकास भी खेलों से संभव होता है। उन्होंने प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले विजेता और अन्य सभी प्रतिभागियों को बधाई दी। कार्यक्रम में शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, डाॅ. विकास शर्मा, दिव्या राठौड़, मुकुल सारस्वत, रतना चैधरी उपस्थित रहे। आकाश व संजय ने सहयोग प्रदान किया। डाॅ. सरोज राय ने अंत में आभार ज्ञापित किया।

खो-खो में पूजा, कबड्डी में लीला के समूह रहे प्रथम

संस्थान के खेल प्रभारी डाॅ. रवीन्द्र सिंह राठौड़ ने प्रतियोगिताओं के परिणामों की घोषणा करते हुये बताया कि खो-खो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर पूजा शर्मा व समूह, द्वितीय स्थान पर रिद्धि व समूह तृतीय स्थान पर किरण जुणावा और समूह रहा। कबड्डी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर लीला मण्डा और समूह, द्वितीय स्थान पर सीमा देवी और समूह, तृतीय स्थान पर हेमलता और समूह रहा। 100 मी. दौड़ प्रथम राजू जाट, द्वितीय स्थान रीता, तृतीय शारदा डारा रही। 200 मी. दिव्या पारीक प्रथम, द्वितीय मन्जू कलवानिया, तृतीय स्थान पर अन्तिमा रही। छात्रों में 100 मी. दौड़ प्रथम साकेत, द्वितीय अर्जुन, तृतीय मुक्तो रहे। 200 मी. दौड़ प्रथम अर्जुन, द्वितीय मुक्तो एवं तृतीय साकेत रहा।

बेडमिंटन में राजदीप, शतरंज में दक्षता व कैरम में प्रवीणा रही विजेता

रविन्द्र सिंह ने बताया कि प्रतियोगिताओं में पुरूष बेडमेण्टन में प्रथम राजदीप, द्वितीय साकेत, तृतीय पारस जैन रहे। छात्रा वर्ग शतरंज में प्रथम विजेता दक्षता, द्वितीय कृष्णा, तृतीय मोनालिका रही। कैरम में प्रथम स्थान प्रवीणा कंवर द्वितीय भावना भाटी, तृतीय मन्जू सैनी रही। पुरूष वर्ग में शतरंज प्रथम विपुल, द्वितीय धनराज, तृतीय विश्वजीत रहे। लम्बीकूद छात्रा वर्ग में प्रथम राजू जाट, द्वितीय रेखा परमार, तृतीय राजलक्ष्मी रही। ऊँची कूद में प्रथम राजलक्ष्मी द्वितीय राजू जाट रही। पुरूष वर्ग लम्बीकूद के प्रथम विजेता साकेत द्वितीय अर्जुन, तृतीय मुक्तो रहा। पुरूष वर्ग के ऊँची कूद के विजेता प्रथम सौरभ द्वितीय अर्जुन, तृतीय आनन्द पाल रहे। पुरूष वर्ग में कबड्डी के प्रथम विजेता नवीन सोनी, द्वितीय विजेता अर्जुन और समूह रहा। खेलकूद प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका इन्द्रा राम पूनिया व मुक्ते, तथा मनोज मण्डा ने निभाई। पुरूष वर्ग कैरम में प्रथम विजेता विश्वजीत, द्वितीय नवीन सोनी, तृतीय स्थान पर आमिक रहा। पुरूष वर्ग में टेबल-टेनिस के प्रथम विजेता विक्रम, द्वितीय महेश, तृतीय राजदीप रहे।

Wednesday 14 November 2018

जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में बालदिवस का आयोजन

बालदिवस पर किया नेहरू को याद

लाडनूँ 14 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस को बालदिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुये इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच ने बताया कि पं. नेहरू हमेशा भविष्य की ओर देखते थे। इसी कारण उन्हें नई पीढी से बेहद लगाव था। वे चाहते थे कि शिक्षा का प्रसार हो और उच्च शिक्षा के लिये अधिक संख्या में छात्र आगे आयें। प्राचार्य त्रिपाठी ने नेहरू के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुये जेल से अपनी पुत्री इंदिरा को लिखे पत्रों का हवाला देते हुये एक पिता द्वारा अपनी संतान को सही मार्गदर्शन व संस्कार प्रदान किये जाने की मिसाल बताया। व्याख्याता अभिषेक चारण ने नेहरू के राजस्थान दौरे व यहां विपरीत परिस्थितियों के बावजूद शिक्षा की ललक से ली गई प्रेरणा के बारे में बताया। चारण ने बताया कि नेहरू ने इसका जिक्र संसद में भी किया था। कार्यक्रम में छात्रा रश्मि बोकड़िया व करिश्मा खान ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार पूरा उपस्थित रहा।

Friday 2 November 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में दीपावली महोत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन

सहिष्णुता व ईमानदारी से बदला जा सकता है जीवन- डाॅ. भटनागर

लाडनूँ 2 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में दीपावली उत्सव के अवसर पर शुक्रवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में छात्राध्यापिकाओं एवं शिक्षकों को सम्बोधित करते हुये डाॅ. मनीष भटनागर ने दीपोत्सव पर्व पर सहिष्णुता एवं ईमानदारी जैसे गुणों को भगवान राम से ग्रहण करने की आवश्यकता बताई तथा कहा कि अगर इन गुणों को जीवन में उतार लिया जाये तो पूरे समाज और राष्ट्र को नई दिशा दी जा सकती है। डाॅ. गिरीराज भोजक ने दीवाली पर की जाने वाली लक्ष्मी पूजा और साधना में विधि लक्ष्मियों के बारे में बताया तथा कहा कि उलूक पर सवार लक्ष्मी से प्राप्त धन शुद्ध नहीं होता, लेकिन गजलक्ष्मी पूजन से प्राप्त धन पूरी तरह से सात्विक होता है। उन्होंने दीवाली के अवसर पर गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने की प्रेरणा दी। डाॅ. सरोज राय ने गणेश, लक्ष्मी व सरस्वती इन तीन देवी-देवताओं की पूजा का रहस्य बताया। डाॅ. भाबाग्रही प्रधान व डाॅ. विष्णु कुमार ने दीपावली के व्यावहारिक पक्ष और सैद्धांतिक पक्ष को व्याख्यायित किया और गृह-कलह को मिटाकर सुख-शांति को लाकर घर-घर में उल्लास व खुशी से त्यौंहार मनाये जाने की आवश्सकता बताई। कार्यक्रम में नीतू जोशी, मनीषा शर्मा व बादू ने भी अपने विचार एवं गीत प्रस्तु किये। कार्यक्रम का संचालन एकजा जोशी ने किया।