Saturday 28 August 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में जन्माष्टमी पर कार्यक्रम का आयोजन

 

कृष्ण ने पुरूषार्थ से मानव-कल्याण का मार्ग दिखाया

लाडनूँ, 28 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में जन्माष्टमी पर्व को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सरोज राय ने इस अवसर पर भगवान कृष्ण के जीवन और जन्माष्टमी के व्यावहारिक पक्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कृष्ण ने स्थितप्रज्ञ होकर जीवन के समस्त आयामों को पूर्णता के साथ स्वीकार किया। कृष्ण ने प्राणीमात्र को कर्म करने के अधिकार के बारे में संदेश देते हुए स्पष्ट किया कि उसका फल उसके अधीन नहीं होता है। उन्होंने व्यक्ति की महानता उसके कर्मों के आधार पर व्यक्त करते हुए जन्म से श्रेष्ठता को नकारा। डॉ. राय ने कहा कि महाभारत ग्रंथ में आया श्रीकृष्ण का उपदेश युग-युगान्तर तक प्रासंगिक बना रहेगा। उनके पुरूषार्थ भरे उपदेशों में जीवन की प्रत्येक समस्या के निदान संभव है और वे जीवन के कर्मक्षेत्र में आगे बढने की सतत प्रेरणा देते हैं। कृष्ण के मानवता को सर्वोपरि स्थान दिया है तथा मानव कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करते हुए समर्पित भाव से मानवीय मूल्यों के संरक्षण के लिए जीने का संदेश दिया है। विभाग की छात्राध्यापिकाएं अमीषा पूनिया, नीतू जोशी, सोनिया राठौर, आमना, मनीषा मेहरा, किरण सान्दू, कोमल शर्मा, अमृता शर्मा व निधि गुर्जर ने कृष्ण सम्बंधी भजन एवं विचार प्रकट किए। विभागाध्यक्ष प्रो. बनवारीलाल जैन ने कृष्ण के जीवन को बहुआयामी बताते हुए कहा कि उनकी सम्पूर्ण लीलाएं रीति-नीति, कला, ज्ञान, व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करती हैं। अंत में डॉ. आभा सिंह ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, डॉ. आभासिंह आदि उपस्थित रहे।

Wednesday 25 August 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साईबर सिक्योरिटी पर व्याख्यान आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साईबर सिक्योरिटी पर व्याख्यान आयोजित

झूठे दिखावे से बेहतर है कि अपराधी की पहचान कर तिरस्कार करें- सीआई राजेंद्र सिंह

लाडनूँ, 25 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) स्थित आचार्य महाप्रज्ञ-महाश्रमण ऑडिटोरियम में आयोजित व्याख्यान के अन्तर्गत स्थानीय पुलिस थाने के थानाधिकारी राजेन्द्रसिंह कमांडो ने साईबर सिक्योरिटी पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि किसी भी डिवाइस, मशीन या उपकरण का प्रयोग करके किया गया अपराध साईबर क्राईम है, जिसमें कंप्यूटर, इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। ये साईबर अपराध चार तरीकों से किया जाता है। इनमें सोशल साईट्स के माध्यम से, फाईनेंसियल एप्लीकेशन से किए अपराध, ईमेल द्वारा अपराध कारित करने और वेबसाइटों के माध्यम से अपराध करना शामिल हैं। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की अध्यक्षता और समाजसेवी भागचंद बरड़िया के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित इस व्याख्यान में सीआई राजेन्द्र सिंह ने 32 प्रकार की सोशल साईटों, पेटीएम, फोनपे आदि 15 फाईनेंसियल एप्प, टोलफ्री नम्बरों, ट्रू कॉलर आदि के माध्यम से होने वाली ठगी आदि विभिन्न वारदातों की जानकारी देते हुए उनसे बचने के उपाय भी बताए।

ये बताए सिक्योरिटी के उपाय

थानाधिकारी ने साईबर अपराध से बचने के लिए अपनी प्राईवेसी को गोपनीय रखने, निजी फोटो शेयर नहीं करने, अपनी फ्रेंडलिस्ट शो नहीं करने, अनजान लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं भेजने, किसी की सही जानकारी के बिना फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करने, कहीं सफर में जाने की फोटो व जानकारी स्टेटस में नहीं लगाने, अपनी लाईव लोकेशन को शेयर नहीं करने, किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करने, नेट पर आने वाले लुभावने प्रलोभनों में नहीं फंसने, किसी तरह के लालच से दूर रहने, किसी आकर्षक न्यूज लिंक को भी नहीं खोलने की सलाह देते हुए सीआई ने बताया कि आपकी व्यक्तिगत जानकारी, फोटो और डाटा चुराने से बचाने की जरूरत है। उन्होंने स्मार्टफोन में सभी निरर्थक एप्प डाउनलोड नहीं करने, मोबाइल में अधिक एप्लिकेशन नहीं रखने और उन्हें डिलीट करने, गेम हटाने, सब आवश्यक एप्प के लिए लोक रखने, अपने नाम या मिलते-जुलते नाम से बनी फेसबुक आईडी की रिपोर्ट करके उसे बंद करवाने, पासवर्ड या कोड को सरल व मिलता-जुलता नहीं रख कर दस से अधिक अक्षरों, अंकों व सिम्बलों के सामंजस्य से बनाने और हर साल पासवर्ड बदलते रहने की सलाह दी।

अपराधी का सामाजिक तिरस्कार जरूरी

सीआई राजेन्द्र सिंह ने सोशल मीडिया पर जाति-धर्म और परस्पर वैमनस्यता सम्बंधी पोस्ट पर प्रतिबंध के लिए समाज की जिम्मेदारी आवश्यक बताई तथा कहा कि झूठे सामाजिक सरोकार का दिखावा करने वाले और सस्ती लोकप्रियता के लिए कुछ लोग अनुचित पोस्ट और शेयर करते हैं। किसी को भी किसी जाति-धर्म के लिए कुछ भी गलत कहने का कोई अधिकार नहीं होता। अगर धार्मिक भावनाओं को कोई सोशल साईट पर डालता है, तो उसे आईडल नहीं बनाया जाना चाहिए। अपराधी की पहचान करके प्रशासन को सूचित करें और ऐसे व्यक्ति का सामाजिक तिरस्कार किया जाना चाहिए। साईबर क्राईम का हिस्सा बनने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे आपतिजनक मैसेज, फोटो या वीडियो को पोस्ट करने, उसे पढने और शेयर करने वाला भी बराबर का अपराधी होता है। ऐसी पोस्ट आने पर उसे शेयर नहीं करें। पोस्ट करने वाले व्यक्ति को रिमूव करें और पोस्ट को तत्काल डिलीट करें। इस सम्बंध में बीट ऑफिसर, सीएलजी सदस्य और पुलिस थाने में दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसी पोस्ट को या रिपोर्ट को प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी पोस्ट का स्क्रीन-शॉट लेने से पूर्व उस व्यक्ति को अपनी कॉंटेस्ट लिस्ट से डिलीट करके उसके नाम के बजाए केवल नम्बर के साथ स्क्रीन शॉट लें, ताकि वह बच नहीं सके

भुगतने से बेहतर है बचाव करना

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने आज अधिकतर लोग साईबर अपराध के शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट के कारण जो भुगते हैं, उन्हें इन सब बातों को ग्रहण करके सावधानी बरतनी चाहिए, जो भुगतने से बेहतर है। जो टिप्स सीआई ने बताए हैं, वे बचाव के लिए उपयोगी हैं। उन्होंने पुलिस को जनता की सहायक बताते हुए कहा कि पुलिस से दूर रहने सोच पुरानी हो गई है, अब पुलिस को मित्र बना कर चलने की जरूरत है। अंत में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने आभार ज्ञापित करते हुए राजेन्द्रसिंह के व्याख्यान को उपयोगी बताया। कार्यक्रम में नगरपालिका के पूर्व उपाध्यक्ष याकूब शेख, पार्षद अनिल सिंघी, समाज सेवी नरेन्द्र सिंह भूतोड़िया, राजेश विद्रोही, उम्मेदसिंह चारण, विमल विद्या विहार की प्रिंसिपल रचना बालानी, कुल सचिव रमेश कुमार मेहता, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. बीएल जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी, विताधिकारी आरके जैन, डॉ। प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज, डॉ. प्रगति भटनागर, महिमा जैन आदि उपस्थित रहे।

Tuesday 24 August 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में सात दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

 

प्राकृत भाषा को पुनः जनोपयोगी बनाने की आवश्यकता है- प्रो. शास्त्री

लाडनूँ, 24 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में सप्तदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृत भाषा कार्यशाला के शुभारम्भ पर पं. बंगाल के शांतिनिकेतन विश्वभारती विश्वविद्यालय के प्रो. जगतराम भट्टाचार्य ने प्राकृत भाषा के उद्भव और विकास यात्रा के बारे में बताते हुए उसकी समृद्ध साहित्य रचना और आज के संदर्भ में उसके महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज प्राकृत भाषा को पुनः जनोपयोगी बनाने की आवश्यकता है। इससे पूर्व डॉ. समणी संगीतप्रज्ञा ने अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यशाला का शुभारम्भ समणी प्रणव प्रज्ञा के मंगलाचरण से किया गया। कार्यशाला में देश-विदेश के 144 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज ने बताया कि प्रतिदिन सायं 4 से 6 बजे तक 2 घंटे तक इस कार्यशाला में विशेष भाषा कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं।

भारतीय संस्कृति के लिए जीवनदायिनी है प्राकृत भाषा- प्रो. जैन

7 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में कुलपति प्रो. बच्छराजू दूगड़ के निर्देशन में आयोजित सात दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. धर्मचंद जैन ने अपने सम्बोधन में कहा है कि प्राकृत भाषा भारतीय भाषाओं का ताज है। यह भाषा जीवित ही नहीं जीवनदायिनी भी है। भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के साथ-साथ इस भाषा ने उसे आगे भी बढाया है। उन्होंने प्राकृत भाषा एवं साहित्य के विषय में कहा कि वर्तमान समय में अनेक विद्वान हैं, जो प्राकृत भाषा में अपनी साहित्य-सर्जना करते हुए इस भाषा का संरक्षण एवं संवर्द्धन कर रहे हैं। कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ विश्व भारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पं. बंगाल के प्रो. जगतराम भट्टाचार्य ने प्राकृत के प्रशिक्षण पर जोर देते हुए कहा कि यदि इस भाषा के प्रशिक्षण के लिए प्राच्यविद्या संस्थान प्रयास करें, तो यह भाषा अपने जनभाषा के रूप में पुनः स्थापित हो सकती है। अपने सात दिवस के प्रशिक्षण-काल में उन्होंने प्राकृत भाषा की बारीकियों से प्रशिक्षणार्थियों को अवगत करवाया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए जैविभा संस्थान विश्वविद्यालय के प्रो. दामोदर शास्त्री ने प्राकृत के साथ-साथ संस्कृत सीखने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि हमें प्राकृत सीखनी है तो संस्कृत के बिना प्राकृत को सीखना असंभव है। उन्होंने अनेक उदाहरणों द्वारा प्राकृत व संस्कृत की परस्पर पूरकता को स्पष्ट किया। कार्यशाला के करीब 10 प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन होते रहने से प्रशिक्षुओं को लाभ मिलने के साथ भाषा का उत्थान भी संभव होता है। कार्यक्रम का प्रारम्भ डा. अरिहन्त जैन के मंगलाचरण से किया गया। स्वागत वक्तव्य डा. समणी संगीतप्रज्ञा ने प्रस्तुत किया। अंत में कार्यशाला संयोजक डा. सत्यनारायण भारद्वाज ने आभार ज्ञापित किया। इस कार्यशाला में देश-विदेश के कुल 146 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

जैन विश्वभारती संस्थान में फिट इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत खेल समिति की बैठक आयोजित

 लाडनूँ, 24 अगस्त 2021। युवा एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में चल रहे ‘फिट इंडिया कार्यक्रम’ की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए खेल समिति के समन्वयक प्रो. बीएल जैन की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में फिट इंडिया कार्यक्रम के तहत संचालित किए जा रहे कार्यक्रमों पर चर्चा की गई तथा यह निर्णय लिया गया कि फिट इंडिया कार्यक्रम की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन कार्यक्रमों को व्यापक किया जाए। इस अभियान के अंतर्गत प्राप्त निर्देशों के अनुरूप गतिविधियों का आयोजन किया जाए और आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों का एक वार्षिक कैलेंडर बनाने की आवश्यकता बताई गई। बैठक में समिति के सदस्यों के रूप में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, खेल सचिव डॉ. रविंद्र सिंह राठौड़, राजनीति विज्ञान के सहायक आचार्य डॉ. बलबीर सिंह तथा संस्थान के खेल प्रशिक्षक अजयपाल सिंह भाटी उपस्थित रहे।

Thursday 19 August 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आतंरिक व्याख्यानमाला के अंतर्गत युवाचार्य महाश्रमण रचित पुस्तक ‘आओ हम जीना सीखें’ की समीक्षा

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आतंरिक व्याख्यानमाला के अंतर्गत युवाचार्य महाश्रमण रचित पुस्तक ‘आओ हम जीना सीखें’ की समीक्षा

सभी क्रियाओं को सम्यक् बनाना ही जीवन जीने की कला है

लाडनूँ, 19 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में आयोजित आतंरिक व्याख्यानमाला के अंतर्गत डॉ. गिरधारी लाल शर्मा ने युवाचार्य महाश्रमण रचित पुस्तक ‘आओ हम जीना सीखें’ की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस पुस्तक में बताए गए सूत्रों से जीवन सुखद, सरल व संकट मुक्त बन सकता है। पुस्तक में आचार्य महाश्रमण ने आत्मा और शरीर दोनों की युति का नाम जीवन बताया है तथा जीवन जीने से अधिक महत्वपूर्ण ‘कलात्मक जीवन जीने’ को कहा है। समीक्ष्य पुस्तक में जीने की कला को सीखने का अर्थ ‘जीवन की सभी क्रियाओं को सम्यक बनाने’ को कहा है। इसमें बताया गया है कि चलने, उठने, खाने, सोने, बोलने, देखने, सहने और चिंतन में सम्यक दृष्टिकोण अपनाकर जीवन को सफल एवं सुखी बनाया जा सकता है। महाश्रमण के अनुसार व्यक्ति को वाणी तथा आहार संयम पर विशेष ध्यान देना चाहिए। आहार तथा चिंतन के सम्बन्ध में- मित, हित तथा ऋत की त्रिपदी को आचरण में लाना चाहिए तथा भाषा विवेक हेतु मितभाषिता, मधुर भाषिता, सत्य भाषिता एवं समीक्ष्य भाषिता के सूत्रों को जीवन में धारण करना चाहिए। वृद्धावस्था जीवन का वह काल होता है, जिसे काफी मुश्किल माना जाता है, किन्तु आचार्य महाश्रमण ने इस पुस्तक में कुछ ऐसे सूत्र दिए हैं, जिनको अपनाकर बुढ़ापे को वरदान बनाया जा सकता है। ये सूत्र हैं- खाद्य संयम, आवेश शमन, भाषा विवेक, प्रेक्षाध्यान, सक्रियता एवं बच्चों में सुसंस्कार वपन। डॉ. शर्मा ने बताया कि यह पुस्तक कलात्मक जीवन जीना सिखाने की महत्वपूर्ण कृति है, जिसका अध्ययन सभी को करना चाहिए। व्याख्यान के अंत में विभाग अध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने पुस्तक को अनमोल बताते हुए आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. भाबाग्रही प्रधान , डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. ललित गौड़ आदि सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

Wednesday 18 August 2021

जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में ‘विश्व नागरिक’ की अवधारण पर होगा नए शैक्षिक पाठ्यक्रमों का निर्माण

 जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में ‘विश्व नागरिक’ की अवधारण पर होगा नए शैक्षिक पाठ्यक्रमों का निर्माण

उच्च शिक्षा का अन्तर्राष्ट्रीकरण किया जाएगा- कुलपति प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 18 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया है कि संस्थान के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू होने के साथ यहां स्थापित ऑफिस ऑफ इंटरनेशन अफेयर्स के माध्यम से वैश्विक स्तर पर कार्य करते हुए भारतीय संस्कृति व मूल्यों के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहा है। अब यूजीसी के नए निर्देशों के अनुरूप वैश्विक नागरिक की अवधारणा पर भी काम करेगा तथा उच्च शिक्षा का अन्तर्राष्ट्रीयकरण किया जाएगा। इसके लिए संस्थान ने काम शुरू कर दिया है। आईसीटी के माध्यम से यह सारी व्यवस्थाएं संभव हो पाएंगी। हमें फैकल्टी, स्टुडेंट और प्रोग्राम के एक्सचेंज के लिए काम करना है। वे यहां कुलपति सभागार में संस्थान के समस्त विभागों एवं आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के शैक्षणिक स्टाफ की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

विश्व नागरिक बनाने के सम्बंध में तैयारियां

बैठक में कुलपति के विशेषाधिकारी प्रो. नलिन शास्त्री ने उच्च शिक्षा के अन्तर्राष्ट्रीयकरण के सम्बंध में यूजीसी द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में बताते हुए कहा कि विश्व स्तर पर सभी विश्वविद्यालयों के बीच संवाद स्थापित किया जाएगा तथा ऐसे विद्यार्थी तैयार किए जाएंगे, जो ‘वैश्विक नागरिक’ के रूप में अपनी पहचान बनाकर प्रतिष्ठित हो सकें और वैश्विक मुद्दों पर हस्तक्षेप व विचार व्यक्त कर सकें। इसके लिए अपनी क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर समृद्ध करना होगा। पाठ्यक्रमों में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को भी समाहित करके उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय आयाम दिया जाना आवश्यक है। भारत की संस्कृति, चेतना और चिंतन को पाठ्यक्रमों में शामिल करना होगा। स्थानीय भाषा को इस प्रकार डिजाइन करना होगा, जिसमें विदेशी छात्रों को अंग्रेजी माध्यम से प्राकृत भाषा की तरफ लाया जा सके। शिक्षकों को भी नए ढंग से तैयार करने की आवश्यकता है, ताकि वे छात्रों में सृजनात्मक शक्ति का विकास कर सके। इसके साथ ही हमें अपने विद्यार्थियों में उनकी क्षमता व सोच-चिंतन में तार्किकता का समावेश करना होगा, उन्हें तकनीकी ज्ञान से समृद्ध बनाना और अपनी संस्कृति के साथ दूसरी संस्कृतियों की समझ, स्वीकार्यता और हर परिस्थिति में समायोजन होने की स्थिति को भी विकसित करना होगा। यह सब भी पाठ्यक्रम में शामिल करने होंगे।

विदेशियों की जीवन शैली के अनुरूप सुविधाएं जरूरी

प्रो. शास्त्री ने बताया कि विदेशी छात्रों के आने पर उनकी जीवन शैली के अनुरूप सुविधाएं उपलब्ध करवाना और अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि व सांस्कृतिक मूल्य अलग होते हैं, उन्हें चुनौतीपूर्वक लेने की जरूरत है। विदेशी छात्रों या विदेशी फेकल्टी के लिए मित्रवत् व्यवस्थाएं जरूरी हैं। उन्होंने बताया कि ऑनलाईन व ऑफलाईन अध्ययन को समेकित करके उनमें परस्पर ट्यूनिंग करनी होगी। पूरा विश्व एक गांव के रूप में होने की अवधारणा कोरोना काल में सामने आई है और तकनीकी संचार साधनों के माध्यम से परस्पर सम्पर्क आसान हुए हैं। इनका बेहतरीन उपयोग करना होगा। साथ ही यूजीसी के नए प्रावधान व निर्देशों के अनुसार विदेशी छात्रों की क्रेडिट की पहचान, स्थानान्तरण, प्रमाणित करने और उनको समाहित करने के साथ विदेशी विश्वविद्यालयों से एमओयू स्थापित करने की आवश्यकता है। इस सबके बीच इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि हमारे राष्ट्रीय हितों के साथ कोई समझौता नहीं हो। बैठक में ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफयर्स की प्रभारी प्रगति चौरड़िया, आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा तिवाड़ी, प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर, योग व जीवन विज्ञान विभाग के डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज, डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. विनोद कुमार सैनी, डॉ. युवराज सिंह खांगारोत, सुनील त्यागी, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. आभासिंह, डॉ. पुष्पा मिश्रा, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. अशोक भास्कर, डॉ. गिरीराज भोजक, अभिषेक चारण आदि उपस्थित थे।

Tuesday 17 August 2021

बदले जाएंगे विश्वविद्यालयों के सभी पाठ्यक्रम, जैन विश्वभारती संस्थान में बैठक का आयोजन

बदले जाएंगे विश्वविद्यालयों के सभी पाठ्यक्रम,  जैन विश्वभारती संस्थान में बैठक का आयोजन

 

अब पढाई के लिए भी बनेगा क्रेडिट बैंक, जिसमें जमा होंगे विद्यार्थियों के पढाई के आंकड़े

यूजीसी की नई व्यवस्था में अंतराल के बावजूद भी जुड़ेगी विद्यार्थी के पिछले अध्ययन की क्रेडिट

लाडनूँ, 17 अगस्त 2021।अब किसी भी शिक्षण संस्थान में अपनी पढाई अधूरी छोड़ कर गए विद्यार्थी को देश में कहीं भी और किसी भी विश्वविद्यालय में पुनः प्रवेश लेकर अपनी छोड़ी हुई पढाई को उससे आगे फिर से शुरू किया जा सकता है। जैन विश्वभारती संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने समस्त विभागों एवं आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के शैक्षणिक स्टाफ के साथ बैठक लेकर बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अब एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स की स्थापना की जाएगी, जिसमें समस्त शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की पढाई की क्रेडिट के पॉइंट्स के रूप में जमा रहेंगे। इससे किसी विद्यार्थी के किन्हीं भी कारणों से अपनी पढाई में अंतराल आने के बावजूद उसके द्वारा पूर्व में की गई पढाई को बैंक क्रेडिट के आधार पर सम्मिलित करते हुए उससे आगे की पढाई की जाकर अपनी डिग्री प्राप्त की जा सकेगी। प्रो. दूगड़ ने बताया कि विद्यार्थी की यह क्रेडिट सात वर्षों तक बैंक में जमा रखी जाएगी और उसके पश्चात् उसे लेप्स कर दिया जाएगा। यह व्यवस्था आगामी शिक्षण सत्र से प्रारम्भ की जाएगी। नई व्यवस्था के अनुसार अंडर ग्रेजुएट कोर्स में 1 वर्ष करने पर उसे सर्टिफिकेट और 2 वर्ष पूर्ण करने पर डिप्लोमा तथा 3 वर्ष पूर्ण करने पर डिग्री दी जाएगी। साथ ही 4 वर्ष का अध्ययन पूरा कर लेने पर उसे ग्रजुएशन ऑनर्स या रिसर्च की डिग्री मिलेगी। इसी प्रकार पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एक साल में डिप्लोमा और दो साल पूर्ण करने पर डिग्री प्रदान की जाएगी। 4 साल का ग्रेजुएशन ऑनर्स या रिसर्च करने वाला विद्यार्थी एक वर्ष में एम.ए. कर सकेगा। इस नई शिक्षण व्यवस्था से शिक्षा में लचीलापन आएगा तथा बीच में पढाई छोड़ने वाले विद्यार्थियों को पूरा लाभ मिल पाएगा।

बदले जाएंगे समस्त पाठ्यक्रम

कुलपति प्रो. दूगड़ ने बताया कि यूजीसी के निर्देशानुसार इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए समस्त कोर्सेज को मोडिफाई किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऑनलाईन अध्ययन के प्लेटफार्म ‘स्वयं’ और ‘मूक्स’ के पाठ्यक्रमों को भी इस व्यवस्था में विश्वविद्यालय को स्वीकार करना होगा। इसके लिए 40 प्रतिशत तक ‘स्वयं’ या ‘मूक्स’ के पाठ्यक्रम को समाहित करते हुए और 60 प्रतिशत तक विश्वविद्यालय के अपने पाठ्यक्रम स्वीकार्य होंगे। स्वयं व मूक्स आधारित कोर्सेज अंडर ग्रेजुएअ के 83 और पोस्ट ग्रेजुएट के 40 कोर्सेज हैं। विश्वविद्यालय द्वारा संशोधित किए जाने वाले पाठ्यक्रमों को एकेडमिक कौंसिल और बोर्ड ऑफ स्टडीज के द्वारा एप्रूवल किए जाने के बाद ही लागू किए जाएंगे। कुलपति ने इस सम्बंध में सभी संकायों के विभागाध्यक्षों से विस्तृत चर्चा भी की और उन्हें समस्त नवीन प्रावधानों के बारे में पूरी जानकारी दी। उन्होंने यूजीसी निर्देशों के अनुसार विभिन्न विषयों पर ‘शॉर्ट टर्म कोर्सेज’ के बारे में भी जानकारी दी। बैठक में कुलपति के अलावा प्रो. नलिन शास्त्री, आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा तिवाड़ी, प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर, योग व जीवन विज्ञान विभाग के डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज, डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. विनोद कुमार सैनी, डॉ. युवराज सिंह खांगारोत, प्रगति चौरड़िया, सुनील त्यागी, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. आभासिंह, डॉ. पुष्पा मिश्रा, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. अशोक भास्कर, डॉ. गिरीराज भोजक, अभिषेक चारण आदि उपस्थित थे।

Saturday 14 August 2021

जैन विश्वभारती संस्थान में सामुहिक राष्ट्रगान के साथ दौड़ व योग का आयोजन

 जैन विश्वभारती संस्थान में सामुहिक राष्ट्रगान के साथ दौड़ व योग का आयोजन

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अन्तर्गत कार्यक्रम

लाडनूँ, 14 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड के मार्गदर्शन में संचालित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अन्तर्गत संस्थान के शिक्षा विभाग, आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय एवं राष्ट्रीय कैडेट कोर के संयुक्त तत्वावधान में यहां सामूहिक राष्ट्रगान एवं स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला तथा कहा कि हमारा कर्तव्य है कि प्रत्येक राष्ट्रीय कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाएं। सभी संकाय सदस्यों, कैडेट्स एवं छात्राओं द्वारा सामुहिक राष्ट्रगान के अलावा इस अवसर पर विभिन्न शारीरिक गतिविधियों दौड़, आसन, प्रेक्षाध्यान का अभ्यास भी किया गया। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन के निर्देशन में डाॅ. आभासिंह व अजयपाल सिंह भाटी ने कार्यक्रम का संचालन किया।