Monday, 1 April 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

छेड़छाड़ व उत्पीड़न की घटनाओं को निडर होकर सामने लायें- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 1 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के यौन उत्पीड़न विरोधी प्रकोष्ठ के तत्वावधान में ‘‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुये कहा कि जागरूकता सबके लिये आवश्यक है। छेड़छाड़ एवं यौन उत्पीड़न की घटनायें कहीं भी हो सकती है। इन्हें लेकर किसी तरह का भय नहीं रखें और जागरूक रह कर उनका मुकाबला करें। इस सम्बंध में आयोजित की गई कार्यशाला जागरूक बनाने और डर को मिटाने का काम ही करती है। घटनाओं को बर्दाश्त करना खतरनाक साबित हो सकता है। कई बार देखा गया है कि महिलायें एक-एक साल बाद ऐसी घटनाओं की शिकायत करती है। एक साल तक सहन करना या उस घटना को दबा कर रखना उस महिला की कायरता की श्रेणी में आता है। उन्होंने फब्तियां कसने, गलत मैसेज भेजने आदि की घटनाओं को हलके में नहीं लेकर गंभीरता से लेने और बिना हिचक या डर के शिकायत करने की आवश्यकता बताई।

यौन उत्पीड़न से होता है महिलाओं के विभिन्न अधिकारों का हनन

कार्यशाला में यौन उत्पीड़न विरोध के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से कार्य कर रहे विशाखा संस्थान जयपुर की डाॅ. मंजु नांगल व रचना शर्मा ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून के बारे में जानकारी दी और इस सम्बंध में समितियों के गठन और उनके कार्य तथा शिकायत दर्ज करने के तरीके के साथ महिला के अधिकारों के बारे में जानकारी दी। सामाजिक सलाहकार रचना शर्मा ने बताया कि अधिकार काफी संघर्षों के बाद मिलते हैं। कार्यस्थन पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न कानून 13 सालों के संघर्ष के बाद बन पाया। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न से महिलाओं के समानता के अधिकार, रोजगार व व्यापार करने के अधिकार और सम्मान के साथ जीने के अधिकार छीन जाते हैं। उसके संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन हो जाता है। महिलाओं के साथ उसकी पढाई के दौरान ही यह शुरू हो सकता है। कार्यशाला का संचालन यौन उत्पीड़न विरोधी प्रकोष्ठ की समन्वयक डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने किया। कार्यशाला में प्रो. बीएल जैन, सोमवीर सागवान, अभिषेक चारण, सोनिका जैन, डाॅ. प्रगति भटनागर, अपूर्वा घोड़ावत, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान आदि उपस्थित थे।

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