समस्याओं के समाधान को प्रशस्त करता है शोध का व्यावहारिक पक्ष- प्रो. भट्टाचार्य
लाडनूँ, 15 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के अन्तर्गत शोध-छात्रों के लिये आयोजित की गई रिसर्च ओरियेंटेशन वर्कशोप में बंगाल के शांति निकेतन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जगतराम भट्टाचार्य ने कहा कि शोध-प्रक्रिया एवं शोध के अंग-प्रत्यंगों सहित विविध पहलुओं पर चर्चा करते हुये रोचक ढ़ंग से शोध करने के लिये उसके व्यावहारिक पक्ष को बताया तथा कहा कि ज्ञान में व्यवहार वह होता है, जो समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि शोध में किसी भी घटना-परिघटना के कार्य-कारण सम्बंध को निर्धारित करके उसके समाधान को भी साथ में ढूंढना आवश्यक होता है। इसमें जीवन के विविध विषयों और समस्याओं का सही ज्ञान होने के साथ उनके नियोजन और सुधारात्मक उपचार को प्रस्तुत करना चाहिये। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र से सम्बंधित और प्रासंगिक जानकारी भी छात्रों को प्रदान करके उन्हें लाभन्वित किया। उन्होंने इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रश्नों के उत्तर भी दिये और जिज्ञासा शांत करते हुये उन्हें समाधान प्रदान किया। विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा ने प्रारम्भ में प्रो. भट्टाचाय्र का परिचय प्रस्तुत करते हुये स्वागत किया। यहां फ्रांस से शोध करने यहां आई ओयेमी डेलिघ्रांस भी उपस्थित थी, वे यहां आयुर्वेद के ग्रंथों पर शोध कर रही है। इस अवसर पर करीब 20 शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रो. सत्यनारायण भारद्वाज ने आभार ज्ञापित किया।
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