अहिंसा व शांति प्रधान रही है भारतीय संस्कृति- प्रो. धर
लाडनूँ, 23 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के तत्वावधान में यहां एक दिवसीय अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में शोध निदेशक प्रो. अनिल धर ने भारतीय संस्कृति अहिंसा एवं शांति की संस्कृति रही है, इसमें नैतिक मूल्यों और मानवाधिकारों पर सर्वाधिक ध्यान दिया गया है। उन्होंने अहिंसा को जीवन के विकास का मुख्य सूत्र बताया तथा कहा कि विश्व में बढते हिंसक वातावरण में अहिंसा का प्रशिक्षण आवश्यक बन गया है। जैविभा विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के लिये संस्कार निर्माण के साथ उन्हें अहिंसक व मानसिक रूप से परिपक्व बनाने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाने की व्यवस्था की गई है। अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच ने अहिंसा के महत्व को बताते हुये विश्वशांति में अहिंसा के योगदान को चित्रित किया तथा अहिंसा प्रशिक्षण की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि समूचे विश्व में यह एकमात्र विश्वविद्यालय है, जहां अहिंसा का शिक्षण व प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि आज मिसाईल का जमाना है, लेकिन जब अहिंसा का मंत्र मिसाईल रूपी शस्त्र बनकर सामने आता है तो समस्त दुश्मनों पर आसानी से विजय पाई जा सकती है और विनाश से बचा जा सकता है।
यौगिक क्रियाओं का करवाया अभ्यास
योग विशेषज्ञ डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने योग के महत्व को समझाते हुये विभिन्न यौगिक क्रियाओं से रोगमुक्ति एवं स्वस्थ जीवन के उपाय बताये तथा शिविरार्थियों को उनका अभ्यास करवाया। उन्होंने दैनिक जीवन में योग के नियमित अभ्यास को आवश्यक बताया। अंत में डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने आभार ज्ञापित किया। शिविर में मौलाना आजाद उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं लाडमनोहर बाल निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय के 11वीं व 12वीं कक्षाओं के 130 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में इमरान खां, जितेन्द्र भोजक, अंजना भोजक आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विकास शर्मा ने किया।
No comments:
Post a Comment