Monday, 18 March 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का 29वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन

समस्याओं के समाधान को नये ढंग से सोचने वाला ही सफल- प्रो. दाधीच

लाडनूँ, 18 मार्च 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के 29वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि वर्द्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी कोटा के पूर्व कुलपति एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विचार विभाग के प्रदेशाध्यक्ष प्रो. नरेश दाधीच ने किसी व्यक्ति के समाज में सफल होने के लिये केवल कागजी शिक्षा ही आवश्यक नहीं है, बल्कि जीवन के हर अनुभव से ग्रहण की जाने वाली शिक्षा महत्वपूर्ण होती है। समस्या के समाधान को नये तरीके से करने वाला व्यक्ति ही आगे बढ सकता है। किताबें पढने व नैतिकता सीखने के साथ अपने मस्तिष्क को समस्याओं का मुकाबला नये ढंग से करने में लगाने का प्रयास व्यक्ति को सफल बनाता है। महान व्यक्ति का जन्म अलग से नहीं होता, बल्कि उनका समस्याओं के प्रति अलग दृष्टिकोण होता है, जिससे उनकी महान बनने की संभावनायें बनती है। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत यह विश्वविद्यालय जैन विद्या के अलावा आधुनिक शिक्षा के साथ नैतिकता का पाठ युवाओं को पढा रहा है। इस दृष्टि से यह अद्वितीय यह संस्थान है। वर्तमान में दुनिया में नैतिकता का अभाव हो रहा है, इसमें यह संस्थान यह सिद्ध कर रहा है कि नेतिकता आज भी प्रासंगिक है।

नेचुरोपैथी एवं योगा थैरेपी काॅलेज की स्थापना होगी

कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने समारोह की अध्यक्षता करते हुये अपने सम्बोधन में कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान इस विश्वविद्यालय में आचार्य महाप्रज्ञ काॅलेज एंड हाॅस्पिटल आफ नेचुरोपैथी एंड योगा थैरेपी की स्थापना होने जा रही है। इसके अलावा वर्ष भी आचार्य महाप्रज्ञ जयंती शताब्दी वर्ष के अवसर पर देश-विदेश में व्याख्यानों का आयोजन एवं पुस्तकों का प्रकाशन किया जायेगा। हमने लक्ष्य रखा है कि अपने शिक्षकों की क्षमताओं को और अधिक बढाने और नई ऊर्जा को उजागर करने का कार्य करेंगे। विद्यार्थी सुविधाओं का विस्तार किया जायेगा। विश्वविद्यालय में प्लसेमेंट अधिकारी की नियुक्ति की जायेगी, ताकि युवाओं को रोजगार की सुविधा उपलब्ध हो सके। उन्होंने विश्वविद्यालय की इंटरनेशनल नेटवर्किंग एवं एल्युमिनी एसोसियेशन को सुसंगठित करके पूर्व छात्रों का संस्थान के विकास में उपयोग लिया जाने का प्रयास किया जायेगा। प्रो. दूगड़ ने पर्यावरण संरक्षण को बढावा देने के लिये घोषणा की कि विश्वविद्यालय में समस्त कार्यालयीन कार्य को यथासंभव पेपरलेस किया जायेगा। संस्थान को उच्च मानकों तक ले जाने के लिये सारा स्टाफ सक्रिय हैं। उन्होंने सबसे आग्रह किया कि अपने क्षेत्र में नवाचार करें और नये-नये प्रयेाग करें। नई सोच चाहे छोटी ही क्यों न हो, वह बड़े परिणाम दे सकती है।

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