Wednesday, 14 March 2018

यूजीसी के एक्सपर्ट्स की टीम का तीन दिवसीय दौरा

यूजीसी के एक्सपर्ट्स की टीम का तीन दिवसीय दौरा

12 मार्च 2018 कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने विद्यार्थियों की सांस्कृतिक प्रवृति के विकास एवं संस्कृति के अनुरूप नैतिक मूल्यों के विकास के बारे में बताया तथा विश्वविद्यालय की मूल्य आधारित शिक्षा के बारे में बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय को तपोभूमि बताते हुये कहा कि यहां आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ व आचार्य महाश्रमण की तपस्या फल्लवित हो रही है। उन्होंने बताया कि आज जिस स्थान पर विश्वविद्यालय है, वह कभी जंगल के रूप में था, लेकिन यहां आचार्यों की तपस्या का प्रभाव रहा कि यहां देश को दिशा देने वाले शैक्षिक संस्थान की महत्वूपर्ण गतिविधियों का नियमित संचालन हो रहा है। मुख्य अतिथि यूजीसी 12-बी एक्सपर्ट टीम के अध्यक्ष प्रो. प्रकाश सारंगी ने कार्यक्रम की प्रशंसा की एवं विश्वविद्यालय की गतिविधियों को सराहनीय बताया। कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की टीम के अध्यक्ष प्रो. प्रकाश सारंगी, सचिव सुरेश रानी एवं सदस्य प्रो. आरकेएस धाकड़, प्रो. गणेश कांवड़िया व प्रो. मीनाक्षी पांडा का स्वागत-सम्मान कुलपति प्रो. दूगड़, जैन विश्वभारती के अध्यक्ष रमेश चन्द बोहरा, पूर्व अध्यक्ष धर्मचंद लूंकड़, डाॅ. अमिता जैन व डाॅ. पुष्पा मिश्रा द्वारा किया गया। अंत में संयोजिका डाॅ. अमिता जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. वन्दना कुंडलिया ने किया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की पांच सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी ने यहां अपने तीन दिवसीय दौरे पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का निरीक्षण किया। इस टीम के पांच सदस्यों में कमेटी-अध्यक्ष कटक की रवेनशाॅ युनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. प्रकाश सी. सारंगी, यूजीसी की सचिव सुरेश रानी, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के जाकिर हुसैन एज्युकेशन स्टडी सेंटर की प्रो. मिनाक्षी पांडा, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के समाज विज्ञान के पूर्व डीन प्रो. गणेश कांवडिया व डाॅ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के रिसर्च डीन प्रो. आरकेएस धाकड़ शामिल हैं। यह पांच सदस्यीय दल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के सेक्शन 12-बी के तहत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के विकास व आवश्यकताओं के अनुसार अनुदान की उपयोगिता एवं स्वीकृति दिये जाने के सम्बंध में यहां निरीक्षण के लिये आया है।
इस टीम के यहां पहुंचने पर स्वागत के बाद कुलपति के साथ औपचारिक बैठक आयोजित की गई और उसके बाद संस्थान का प्रस्तुतिकरण के लिये एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें शोध निदेशक प्रो. अनिल धर द्वारा पीपीटी के माध्यम से संस्थान की समस्त गतिविधियों के बारे में संक्षेप में जानकारी दी गई। बैठक में सम्बोधित करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने विश्वविद्यालय की विशेषताओं के बारे में बताते हुये कहा कि अनेकांत एवं अहिंसा तथा मानवता के लिये शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं सहिष्णुता पर बल देने एवं श्रमणिक संस्कृति के उच्च आदर्शों को बढावा देने तथा मानव जाति के लिये सही आचरण व ज्ञान के प्रसार पर पूरा जोर दिया गया है। यह संस्थान प्राकृत भाषा और साहित्य, पाली, संस्कृत, अपभ्रंश, जैनोलॉजी एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन के अध्ययन, ज्योतिष, मन्त्रविद्या, अवधान विद्या, योग और साधना, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, रंग थेरेपी, चुंबक थेरेपी, जीवन विज्ञान और प्रेक्षा ध्यान के क्षेत्र में ज्ञान के अनुसंधान और प्रगति में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान ग्रामीण राजस्थान के गरीबी से छुटकारा दिलवाने और पिछड़े क्षेत्र की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने का महती कार्य भी कर रहा है। इसके अलावा इस विश्वविद्यालय ने सामाजिक सद्भावना, महिला साक्षरता, वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति को लोकप्रिय बनाने और विशेष रूप से योग विज्ञान और ध्यान में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में छात्रों के लिये बुनियादी सुविधायें, उत्कृष्ट केंद्रीय पुस्तकालय और रिप्रोग्राफिक सुविधाएं, केंद्रीकृत और विभागीय कंप्यूटर प्रयोगशालाएं, उच्च शोध और गुणवत्तायुक्त अनुसंधान, प्रकाशन, उत्कृष्ट प्लेसमेंट रिकार्ड, कुशल दूरस्थ शिक्षा का संचालन, पिछड़े क्षेत्र के सामाजिक दृष्टि से वंचित वर्ग की लड़कियों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने और आसपास के करीब आधे दर्जन पास के गांवों में कुशलता से संगठित विस्तार सेवाओं की पूर्ति करता है। बैठक में कुलसचिव वीके कक्कड़, प्रो. आरके यादव, प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा, डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा, डाॅ. समणी अमलप्रज्ञा, डाॅ. श्रेयांस प्रज्ञा, डाॅ. समणी मल्लीप्रज्ञा, डाॅ. समणी कुसुम प्रज्ञा, डाॅ. युवराज सिंह खंगारोत, डाॅ. पी सिंह, डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, डाॅ. बी. प्रधान, प्रो. बीएल जैन, डाॅ. गोविन्द सारस्वत, आरके जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी आदि उपस्थित थे। इस टीम ने विश्वविद्यालय के जैनोलोजी विभाग, जीवन विज्ञान विभाग, समाज कार्य विभाग, प्राकृत एवं संस्कृत भाषा विभाग, अहिंसा व शांति विभाग, अंग्रेजी विभाग, आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय आदि का निरीक्षण किया एवं पूर्ण जानकारी प्राप्त की।

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