हिन्दी भावों की भाषा है- प्रो. जैन
लाडनूँ, 14 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने की तरफ ध्यान दिया जाना जरूरी है। अध्ययन व अध्यापन में हिन्दी का प्रयोग बढाने पर हम सबको जोर देना चाहिए। उन्होंने हिन्दी को भावों की भाषा बताते हुए इसे महत्व दिए जाने की आवश्यकता बताई। साथ ही कहा कि अन्य कोई भी भाषा को हटाने या उसकी आलोचना की जरूरत नहीं है, बल्कि सबको समन्वय आवश्यक है। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सरोज राय ने कहा कि हिन्दी वर्तमान में वैश्विक मंच पर सम्मानजनक स्थान पर आसीन हो रही है। संभावना है कि आने वाले समय में इसका स्थान विश्व में सर्वश्रेष्ठ होगा। उन्होंने बताया कि हिन्दी भाषा व्यक्तित्व को उभारती है, संवारती है। यह युवाओं को अपनी संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों से जोड़ती है। डॉ. अमिता जैन ने अपने सम्बोधन में बताया कि हिन्दी गरिमामय भाषा है, इसमें सम्बोधन करने में अपनापन के भाव का अहसास होता है। इस कार्यक्रम में अमीषा पूनिया, अंकिता व प्रीति राजपुरोहित नेभी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमीषा पूनिया, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, प्रमोद ओला, डॉ. ममता सोनी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन छात्राध्यापिका किनण सान्दू ने किया।
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