बहुपक्षीय शिक्षाप्रक्रिया में शांति की शिक्षा महत्वपूर्ण आयाम- प्रो. श्रीवास्तव
लाडनूँ, 5 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के संरक्षण एवं निर्देशन में अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा शिक्षक दिवस के विशेष उपलक्ष्य में ‘शांति शिक्षा की गुणवत्ता व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ विषय पर एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में मुख्य अतिथि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी बिहार के शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष व डीन प्रो. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ विद्यार्थी को एक संकाय से जुड़े रहने के स्थान पर अनेक विकल्पों के चयन की पद्धति लागू करने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि काफी उपयोगी होगा। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि शिक्षा एक बहुपक्षीय प्रक्रिया है, जिसमें शांति की शिक्षा भी एक महत्वपूर्ण आयाम है। वेबिनार के विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी, बिहार के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के डॉ. जुगल किशोर दाधीच ने कहा कि शांति की शिक्षा हर प्रकार की समस्या का हल खोजने का प्रभावी माध्यम होती है । अतः अहिंसा एवं शांति की शिक्षा सार्वभौमिक शिक्षा है, जिसका अध्ययन एवं अध्यापन काफी महत्वपूर्ण आयाम सिद्ध हो सकता है। इससे व्यक्तिगत स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की समस्याओं का समाधान सहज रूप में संभव हो सकता है। प्रारंभ में अहिंसा व शांति विभाग की सह आचार्य डॉ. लिपि जैन ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम का संयोजन किया। वेबीनार का विषय परिचय डॉ. रविंद्र सिंह राठौड़ ने प्रस्तुत किया। इस वेबीनार में विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर, प्रो. बीएल जैन, डॉ. अमिता जैन, डॉ. पुष्पा मिश्रा, डॉ. आभा सिंह, डॉ. बलबीर सिंह, डॉ. विनोद सिहाग आदि संकाय सदस्यों के अलावा संस्थान के विभिन्न शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के साथ-साथ केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के अनेक विद्यार्थी तथा शोधार्थी भी जुड़े रहे।
No comments:
Post a Comment