शोषण विहीन समाज की संरचना के लिये सापेक्ष अर्थशास्त्र अपनाना जरूरी
लाडनूँ, 3 फरवरी 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा रचित पुस्तक ‘‘महावीर का अर्थशास्त्र’’ की समीक्षा वाणिज्य व्याख्याता अभिषेक शर्मा द्वारा की गई। शर्मा ने समीक्षा प्रस्तुत करते हुये बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ ने सापेक्ष अर्थशास्त्र की बुनियाद कायम की है। उनकी पुस्तक ने शोषण विहीन समाज, नैतिकता पूर्ण आजीविका, प्रकृति व पर्यावरण हितैषी अर्थशास्त्र आदि के समबंध में व्यसापक प्रकाश डाला है। शर्मा ने बताया कि यह पुस्तक कुल नौ भागों में विभक्त की गई है, जिनमें प्रथम भाग में केन्द्र में कौन-मानो या अर्थ? द्वितीय विकास की अर्थशास्त्रीय अवधारणा, तृतीय अहिंसा और शांति का अर्थशास्त्र, चतुर्थ व्यक्तिगत स्वामित्व एवं उपभोग का सीमाकरण, पंचम पर्यावरण और अर्थशास्त्र, षष्ठ गरीबी और बेरोजगारी, सप्तम महावीर, माक्र्स, केनिज और गाँधी, अष्टम नई अर्थनीति के पेरामीटर, नवम भाग में धर्म से आजीविका: ईच्छा परिमाण में अर्थशास्त्र के बारे में व्यापक चर्चा की गई है। इस दौरान प्रो. त्रिपाठी द्वारा पुस्तक में परित्राण शब्द के शब्दार्थ एवं भावार्थ पर विषद् चर्चा की एवं संकाय सदस्यों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। इस दौरान महाविद्यालय के वाणिज्य व्याख्याता कमल कुमार मोदी ने पुस्तक समीक्षा के लिए आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संयोजन सोमवीर सांगवान ने किया। इस दौरान सहायक आचार्य डाॅ. प्रगति भटनागर, अभिषेक चारण, श्वेता खटेड़, शेरसिंह राठौड़ आदि उपस्थित रहे।
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