आम नागरिक की इकोनोमी के प्रति जागरूकता ही आर्थिक अपराधों को रोक सकती है- शर्मा
लाडनूँ, 22 फरवरी 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में ‘‘वित्तीय अनियमितताओं की रोकथाम के उपाय’’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुये प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिये वहां होने वाली वित्तीय अनियमिततायें सबसे अधिक नुकसानदायी होती है। इनके द्वारा सारा आर्थिक व्यवहार दिन्न-भिन्न हो जाता है और बड़ी संख्या में लोग आर्थिक समस्याओं से जूझने को मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने विभिन्न बैंक घोटालों, चिटफंड कम्पनियों, मनी सर्कुलेशन योजनाओं आदि का उदाहरण देते हुये कहा कि देश को खोखला करने में ये सबसे अधिक भूमिका निभाते हैं। इन पर प्रभावी नियंत्रण कायम करने में सरकारों की विफलता के कारणों में विशेषज्ञों की पर्याप्त सहायता नहीं मिलना है। आम नागरिक इन समस्याओं से ग्रसित होता है, इसलिये इस तरफ सबकी जागृति जरूरी है। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के संदर्भ व्यक्ति शांतिलाल शर्मा थे। शर्मा ने शेयर मार्केट में होने वाली हलचलों और उतार-चढाव में प्रभावी सेगमेंट्स पर प्रकाश डाला और बताया कि सन 1988 से देश में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड सेबी बना हुआ है। सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है। उन्होंने बताया कि सेबी प्रतिभूति बाजार से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करता है और निवेशकों के लिये शिक्षा प्रोत्साहन प्रदान करता है। समस्त प्रकार के प्रतिभूति बाजार, व्यवहार और म्युचुअल फंड और समब्ंधित व्यक्तियों के नियमन का अधिकार सेबी के पास है। जनता से 100 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि जुटाने वाली सभी योजनायें सेबी के अधीन हैं। सेबी को तलाशी, जब्ती व संपत्ति कुर्क करने का अधिकार है। नियमों का पालन नहीं करने वालों को हिरासत में लेने का अधिकार भी सेबी के पास है और देश-विदेश के नियामकों से सूचनाएं मांगने की अनुमति भी सेबी को प्राप्त है। उन्होंने सेबी के रिसोर्स में शिकायतें दर्ज करवाने और उनके निपटारे की प्रक्रिया के बारे में भी बताया। श्वेता खटेड़ ने भी संगोष्ठी में देश में व्याप्त वित्तीय अनियमितताओं के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि जब तक इन पर व्यापक नियंत्रण नहीं किया जाता है, तब तक देश को मजबूती नहीं मिल सकती। प्रारमभ में अभिषेक शर्मा ने अपने वक्तव्य में अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में सेबी के संदर्भ व्यक्ति शांतिलाल शर्मा ने देश भर में फैले विभिन्न स्तर पर आर्थिक अपराधों की गतिविधियों के बारे में बताया और उनकी रोकथाम के उपाय सुझाये। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक आम नागरिक जागरूक नहीं रहेगा और इकोनोमी को नहीं समझेगा, तब तक उसका लाभ ऐसे आर्थिक अपरााी उठाते रहेंगे। संगोष्ठी में कमल कुमार मोदी, डाॅ. प्रगति भटनागर व प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने भी विभिन्न वित्तीय अनियमितताओं के समबंध में विचार व्यक्त किये। अंत में सेबी के शांतिलाल शर्मा ने सभी विद्यार्थियों एवं सम्भागियों की शंकाओं व जिज्ञासाओं का समाधान प्रस्तुत किया।
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