Wednesday, 9 May 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अंग्रेजी सम्प्रेषण दक्षता निखारने हेतु कार्यशाला का आयोजन

सम्भागियों को बताये विभिन्न परिस्थितियों में अंग्रेजी संवाद कायम करने के तरीके

लाडनूँ, 9 मई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आयोजित अंग्रेजी सम्भाषण एवं सम्पर्क कला कार्यशाला में मंगलवार को विभिन्न काल्पनिक परिस्थियों का नाट्य प्रस्तुतिकरण करवाते हुए मनोरंजक ढंग से अंग्रेजी सम्भाषण को परिपक्व बनाया गया। विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. गोविन्द सारस्वत के निर्देशन में आयोजित इस कार्यशाला में लाडनूँ के पर्यटन व धार्मिक स्थलों के सम्बंध में गाइड व पर्यटकों के बीच वार्ता, रोगी व चिकित्सक के बीच के संवाद, जन्मदिन पर पार्टी आयोजित करने के लिए मित्रों के दबाव का वार्तालाप, लड़के व लड़की के रिश्ते के सम्बंध में दोनों पक्षों के बीच परस्पर सम्पर्क-संवाद तथा ट्रेन में बिना टिकिट के पकड़े गये यात्री एवं टिकिट चैकर के बीच की वार्ता को नाट्य-रूपान्तरित किया गया। कार्यशाला में निर्देशक डाॅ. गोविन्द सारस्वत व प्रो. रेखा तिवाड़ी ने सभी प्रतिभागियों को संवाद की कुशलता, शब्दों के चयन, व्याकरण के प्रयोग एवं बेझिझक अंग्रेजी वार्तालाप करने के नुस्खे बताये। गौरतलब है कि संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ को अविरल अंग्रेजी संवाद के लिए तैयार करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह निःशुल्क कार्यशाला एक माह तक संचालित की जायेगी।

झिझक दूर होने पर अंग्रेजी बोलना सरल- डाॅ. सारस्वत

लाडनूँ, 15 मई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अंग्रेजी भाषा विभाग के तत्वावधान में विश्वविद्यालय के समस्त शैक्षिक एवं गैर शैक्षिक कार्मिकों के लिए आयोजित की जा रही अंग्रेजी सम्भाषण एवं सम्पर्क कला के विकास के लिए निःशुल्क कार्यशाला का मंगलवार को समापन किया गया। इस अवसर पर विभागध्यक्ष डाॅ. गोविन्द सारस्वत ने कहा कि अंग्रेजी को अपने कार्यस्थल व रोजमर्रा के जीवन की भाषा बनाने के लिए आवश्यक है कि अपनी दिनचर्या के हिस्सों में आवश्यक छोटे-छोटे वाक्यांश को प्रयोग में लाया जावे। जब तक अंग्रेजी बोलने की झिझक नहीं मिटेगी, उसे सरलता से नहीं बोला जा सकेगा। इसलिए नियमित अभ्यास को जारी रखा जाना चाहिए। कार्यशाला के सम्भागियों ने भी इस अवसर पर अपने विचार व अनुभव अंग्रेजी में साझा किये तथा कुछ सम्भागियों ने वार्तालाप के जरिये अपनी भावनायें व्यक्त की। विजय कुमार शर्मा, मुकुल सारस्वत, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. हेमलता जोशी, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, गीता पूनिया, डाॅ. बीएल जैन, सोनिका जैन डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, कमल कुमार मोदी, डाॅ. विवेक माहेश्वरी, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. वीरेन्द्र भाटी, डाॅ. अमिता जैन आदि ने इन कक्षाओं को लाभदायक बताया तथा कहा कि इससे सम्भागियों की अंग्रेजी बोलने की झिझक दूर हुई है।

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