शोध में कट-पेस्ट को हटाकर स्तर सुधारने की जरूरत- प्रो. व्यास
लाडनूँ, 16 अप्रेल 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शोध-अध्येताओं के लिये कोर्स वर्क एंड रिसर्च मैथडोलोजी पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। संस्थान के शोध निदेशक प्रो. अनिल धर की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. के.एन. व्यास ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने शोध में पुनरावृति नहीं होने देने का जरूरी बताते हुये कहा कि रिसर्च में कट एंड पेस्ट की आदत भी ठीक नहीं है; प्लेगेरिज्म का होना एक अपराध है, इसलिये इससे बचना चाहिये तथा जो उद्धरण लिया जा रहा है, उसका रेफरेंस अवश्य उल्लेख करना चाहिये। प्रो. व्यास ने इस बात पर दुःख जताया कि देश में शोध का स्तर गिरता जा रहा है। पहले जो शोध की प्रतिष्ठा थी, वह अब नहीं रही। शोध के स्तर को उच्च बनाने के लिये उन्होंने शोधार्थियों के लिये पूर्व तैयारी को आवश्यक बताया। उन्होंने शोध का अर्थ बताते हुये कहा कि इसमें नये तथ्यों की खोज, पुराने तथ्यों का पुनर्परीक्षण और कार्य-कारण के अन्तर्सम्बंधों का पता लगाना समाहित है। शोध के लिये विषय की खोज में जरूरी है कि विषय नया, रूचिकर और उत्तरदाताओं से सीधा सम्बंधित हो। इसके बाद उपलब्ध सम्बंधित साहित्य का अध्ययन करना होता है, जिसके लिये पुस्तकालय, इंटरनेट एवं ई-लाईब्रेरी का सहयोग लिया जा सकता है। इसके बाद उपकल्पना का निर्धारण करना होता है। उन्होंने बताया कि उपकल्पना ऐसा दिशासूचक होती है, जो शोधकर्ता को दिशा देता है। इससे समय, धन व शक्ति का अपव्यय रूकता है। उपकल्पना को स्रोत व्यक्त्गित अनुभव, सामान्य संस्कृति, सादृश्यता एवं वैज्ञानिक सिद्धांत होते हैं। उपकल्पना उपलब्ध प्रविधियों, साधनों के अनुकूल हो, जिसमें टूल एंड टेक्नीक का उपयोग हो सके तथा वह वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुकूल भी हो। उन्होंने शोध तैयार करने की विधियों के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। प्रारम्भ में प्रो. धर ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर डाॅ. रविन्द्र सिंह, डाॅ. जसबीर सिंह एवं शोधार्थी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने किया।
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