दायित्व के प्रति समर्पण के साथ नियमितता व समयबद्धता जरूरी- प्रो. त्रिपाठी
लाडनूँ, 27 फरवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कार्यवाहक कुलपति प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि अगर व्यक्ति अपने कर्तव्य से प्रेम रखता है, तो उसके सामने आने वाली समस्त चुनौतियां स्वतः ही हल होती जाती हैं। दायित्वों के प्रति समर्पण के साथ नियमितता और समयबद्धता दोनों का होना ही श्रेष्ठ गुण होता है। वे यहां समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान के सेवानिवृति पर आयोजित मंगलभावना समारोह के अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने गुरू के लिए आवश्यक बताया कि वह केवल प्रिय बोले और सत्य नहीं बोले तो अनुचित होता है। सत्य को प्रकट नहीं करना विनाश का कारण बन सकता है। उन्होंने छात्रों के साथ शिक्षक का तादात्म्य रखने और संस्थान के प्रति समर्पण की भावना रखने को विकास के लिए आवश्यक बताया। इस अवसर पर डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान और उनकी पत्नी को शाॅल ओढा कर एवं प्रतीक चिह्न भेंट करके सम्मानित किया गया। डाॅ. प्रधान ने अपने सम्बोधन में अपने अनुभवों और सहकर्मियों के साथ पारस्परिक सम्बंधों के बारे में बताते हुए कहा कि व्यक्ति को जीवन भर सीखने की ललक रखनी चाहिए। हमेशा नवीनतम को ग्रहण करने की इच्छा से ही व्यक्ति आगे बढ सकता है। उन्होंने बताया कि समयबद्धता केवल समय पर आने या उपस्थित होने को ही नहीं कहा जा सकता है, बल्कि अपने जिम्मे आए प्रत्येक कार्य को समय पर पूर्ण करने की प्रवृति ही समयबद्धता होती है। कार्यक्रम में डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, आरके जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी व प्रो. अनिल धर ने डाॅ. प्रधान के भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं देते हुए उनकी कार्यशैली की प्रशंसा की। कार्यक्रम के अंत में रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता ने उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए बताया कि सेवानिवृति के समय स्वास्थ्य, संतानों के कार्य और बीती सेवाओं के बारे में अक्सर पूछा जाता है और तीनों की सवालों में डाॅ. प्रधान संतोषजनक होने की सुखद स्थिति है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के समस्त शैक्षणिक व अशैक्षणिक कार्मिक उपस्थित रहे।
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