Monday, 8 February 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में ‘कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रति जागरूकता’ विषय पर व्याख्यान आयोजित

 

सोच बदलने की जागरूकता से संभव है कन्या भ्रूण हत्या पर नियंत्रण

लाडनूँ, 9 फरवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में आयोजित व्याख्यानमाला के अन्तर्गत ‘कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रति जागरूकता’ विषय पर डाॅ. विष्णु कुमार ने अपने व्याख्यान में कहा कि मानव का मरना इतना दुःखदायी नहीं है, जितनी मानवता की मौत- ये शब्द बांग्ला लेखक शरतचन्द्र के हैं। कन्या भ्रूण हत्या से हर साल लाखों अजन्मी कन्याओं की हत्या मानवता के अंत को प्रकट करती हैं। इससे देश की संस्कृति, सभ्यता, नैतिकता और प्राकृतिक न्याय की भी हत्या हो रही है। यहां गार्गी, मैत्रेयी, अपाला, सीता, अनुसूईया आदि महिलाओं को देश का गौरव समझा जाता रहा है और यहां यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता जैसी उक्तियों से महिला सम्मान की बात कही जाती है, वहां कन्या भ्रूण हत्या सबसे निन्दनीय विषय माना जाएगा, जिस पर सार्थक रोक आवश्यक है।

हर साल 15 लाख कन्या भ्रूण हत्याएं

उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न प्रांतों में प्रतिवर्ष 15 लाख के करीब कन्याओं की जन्म लेते ही अथवा भ्रूण अवस्था में ही हत्या कर दी जाती है। इसके लिए जरूरी है कि समाज की लैंगिक सोच में परिवर्तन किया जाए। अगर परिवार में पहला बच्चा लड़की होता है, तो माता-पिता दूसरी संतान को लड़की के रूप में पसंद नहीं करते। दूसरी संतान लड़के की आस में कन्या भ्रूण पर अन्याय होता है। यह सोच केवल गरीब या मध्यमवर्गीय परिवारों में ही नहीं बल्कि उच्च वर्ग के परिवारों एवं शिक्षित महिलाओं में भी अधिकतर देखने को मिल रही है। इस मानसिकता को रोकने और लोगों में सोच बदलने के लिए जागरूकता जरूरी है। गर्भस्थ बच्चे के लिंग परीक्षण पर सरकार ने कानून बनाकर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन जरूरत इस बात की है कि सरकार इसे प्रभावी तरीके से लागू करे।

बालिकाओं व महिलाओं की स्थिति में सुधार जरूरी

डाॅ. विष्णु कुमार ने बताया कि इन सबके साथ ही बालिकाओं एवं महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के प्रयासों पर भी सरकार को जोर देना चाहिए। केन्द्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं धनलक्ष्मी योजना, बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना, जननी सुरक्षा योजना आदि की क्रियान्विति तेज की जाए और स्वयंसेवी संगठनों, संस्थाओं को समाज में जागृति लाने के लिए अभियान चलाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों की मानसिकता में बदलाव से ही कन्या भ्रूण हत्या को रोका जा सकता है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने भी कन्या भ्रूण हत्या के लिए सामाजिक जागरूकता जरूरी बताया। इस अवसर पर डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, डाॅ. ममता, ललित, प्रमोद ओला आदि उपस्थित रहे।

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