Monday, 2 November 2020

जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

 

साधन और साध्य दोनों की शुद्धता से मिटेगा भ्रष्टाचार- प्रो. वीपी सिंह

लाडनूँ, 3 नवम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत अंतिम दिन ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गोवा के भूतपूर्व डीजीपी अमोध कंठ, डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीपी सिंह थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दूरस्थ शिक्षा विभाग जैन विश्वभारती संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने की। प्रोफेसर वीपी सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि भ्रष्टाचार रूपी दीमक का सफाया करना अत्यंत आवश्यक है। हमारे साधन और साध्य दोनों ही पवित्र होने चाहिए। हमें अपने स्वभाव पर विजय प्राप्त करनी होगी तथा जीवन को राष्ट्र के विकास में लगाना होगा। उनका कहना था कि सभी संस्थानों से भ्रष्टाचार को दूर किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने दर्शन के माध्यम से भ्रष्टाचार दूर करने के लिए विभिन्न समाधान बताएं। उन्होंने चुनाव शुद्धि की बात की तथा इस बात पर बल दिया कि मानव को मानव बनाने का कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य का सूर्य ही जीवन में प्रकाश कर सकता है। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए। आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से सही मायने में मानव, मानव बन सकता है। मानव को मानवीय गुणों से ओतप्रोत होना चाहिए। मनुष्य में प्रामाणिकता का गुण होना चाहिए। कार्यक्रम में अमोध कंठ ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के प्रारंभ में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष ने अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत और अभिनंदन किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। अंत में डॉ. भाबाग्रही प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम के संयोजक के रूप में डॉ. बिजेंद्र प्रधान तथा सह संयोजक डाॅ. भाबाग्राही प्रधान थे। कार्यक्रम का संचालन समाज कार्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विकास शर्मा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अमित सिंह, अश्विनी कुमार, प्रो. आरके यादव, डॉ. पुष्पा मिश्रा तथा जैन विश्व भारती संस्थान के अन्य विभिन्न संकाय सदस्य आदि उपस्थित थे।

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