खुद पर विश्वास और परिश्रम से संभव है हर चुनौती का सामना - कुलपति
लाडनूँ, 1 जनवरी 2021।जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि मेहनत से ही सफलता को प्रापत किया जा सकता है। सफलता के लिये सोच को भी बड़ा बनाने की जरूरत है। खुद की भावनाओं में जो ताकत होती है कि व्यक्ति हर चुनौती का सामना सहज रूप से कर सकता है। यह खुद पर विश्वास ही है कि व्यक्ति चुनौतियों का सामना करने के लिए जीत का विश्वास रख पाता है। उन्होंने यहां महाप्रज्ञ सभागार में नववर्ष पर आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने जीवन में नकारात्मकता को छोड़ने और नवीनतम टेक्नोलोजी को अपनाने के साथ अपने पूर्ण सामथ्र्य का उपयोग करने से चुनौतियां आसान बन जाती है। उन्होंने इस अवसर पर नव वर्ष की शुभकामनायें देने के साथ नये वर्ष में सफलता के सम्बंध में कुछ टिप्स दिये।
कार्यों का पुनरावलोकन अवश्य करें
कार्यक्रम में प्रो. नलिन शास्त्री ने नेतृत्व क्षमता के बारे में बताते हुये कहा कि चाहे कोई संस्था हो, समाज हो या देश हो, सबमें नेतृत्व शक्ति सबसे महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने बीते वर्ष के अपने कामों का पुनरावलोकन करने और नववर्ष में सुधार के साथ नई चुनौतियां का मुकाबला करने की आवश्यकता बताई। दूरसि शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने आपदाओं को अवसर में बदलने की आवश्यकता बताई। शिक्षा विभाग के प्रो. बीएल जैन, अंग्रेजी विभाग की प्रो. रेखा तिवाड़ी, समाज कार्य विभाग के डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, अहिंसा एवं शांति विभाग के प्रो. अनिल धर व विताधिकारी आरके जैन ने भी अपने विचार रखे एवं नये साल की शुभकामनायें दी। कार्यक्रम के अंत में रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत ने किया। कार्यक्रम में समस्त शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ मौजूद रहा।
नववर्ष पर मंत्रानुष्ठान
यहां जैन विश्वभारती स्थित भिक्षु विहार में मुनिश्री सुमति कुमार ने नववर्ष के अवसर पर मंत्रानुष्ठान का आयोजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जीवन को सुखी, शांतिपूर्ण और सफल बनाने के लिये जरूरी है कि हम नई शुरूआत करने के लिये संकल्प करें और पुरूषार्थ करें। हमें अपनी कमियों को दूर करके जीवन में सम्पन्नता और शांति लानी चाहिए। परिवार में शांति कायम हो, मन में शांति रहे, इसके लिये वाणी में मधुरता और मंदता होनी चाहिए। उत्तेजित होकर कभी नहीं बोलें। प्रतिदिन सोते समय श्वास ग्रहण करते समय शांति का संकल्प लें, परिवत्रन होना शुरू हो जाएगा। कार्यक्रम में उन्होंने मंगलपाठ, भक्तामर स्त्रोत का पाठ, मंत्रों के विविध प्रयोग करवाये और उनके लाभ बताए। इस अवसर पर जैन विश्वभारती एवं विश्वविद्यालय के समस्त कार्मिक एवं श्रावकगण उपस्थित रहे।
चुनौतियां स्वीकार कर नई उड़ान भरें- प्रो. जैन
2 जनवरी 2021 । जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में ऑनलाइन नववर्ष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने कहा कि चुनौतियां ही हमें नये रास्ते सिखाती है, अतः चुनौतियां से घबराना नहीं चाहिए। हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए तभी हम कार्य मे नवीनता, नवोन्मेष एवं नई उड़ान भर सकते हैं। नववर्ष नवीनता, नवोन्मेष एवं सकारात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत करता है। वर्तमान जितना खुशियों, प्रसन्नता और आनंद से भरा होगा, अतीत और भविष्य उतना ही आनंददायी होगा। वर्तमान में खुश रहने के लिए लक्ष्य परक, हुनुर विकसित एवं आनन्दप्रद कार्य करने चाहिए वर्तमान का सार्थक दिन अतीत व भविष्य में भी खुशी प्रदान करता है। कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों में से रेखा शेखावत, सरिता, रुबीना, चंचल शेखावत, हर्षिता स्वामी ने भाषण के माध्यम से, ऋतु स्वामी, मनीषा टाक, सुमन चैधरी, रजनी भाटी, आमना, साधना सैनी, चंद्रकांता सोनी, पल्लवी स्वामी ने कविता के माध्यम से, नीतू जोशी ने गाने के माध्यम से, सुनीता चैधरी ने नृत्य के माध्यम से एवं किरण सांडू ने कविता और गाने के माध्यम से अपने भावों को अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी.प्रधान, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. ममता सोनी, सुश्री प्रमोद ओला, मि. ललित कुमार आदि उपस्थित रहे। अन्त में डॉ. अमिता जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संयोजन बी.एड छात्राध्यपिका मनीषा पंवार एवं नीतू कंवर ने किया।
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