हमारी सोच का परिणाम हमारे स्वास्थ्य पर होता है- प्रो. सिंघल
लाडनूँ, 29 मई 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) एवं श्रीअग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय, केशव विद्यापीठ, जामडोली के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘मानसिक स्वास्थ्य और कोविड-19 महामारी’’ विषय पर एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जे.पी. सिंघल ने की। जैन विश्वभारती संस्थान कुलपति प्रो. बी.आर. दुग्गड तथा केशव विद्यापीठ समिति के अध्यक्ष की प्रेरणा से संयुक्त रूप से आयोजित इस वेबिनार में प्रो. सिंघल ने वेबिनार के विषय को समसामयिक व औचित्य पूर्ण बताते हुए अपने वक्तव्य में कहा हम जैसे सोचते हैं तथा विचार करते है, वैसा ही हम व्यवहार करने लगते है। हम नकारात्मक सोचेंगे तो नकारात्मक व्यवहार होगा। कोविड-19 महामारी का प्रभाव सामाजिक, शैक्षिक, राजनैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक सभी पक्षों पर पडा है। टी.वी. पर दिन-प्रतिदिन बढ़ते हुए संक्रमितों की संख्या को देखने के कारण मानसिक रूप से अस्वस्थ हो रहे हैं। हमें समग्र रूप में आकलन करना चाहिए कि इस बीमारी से संक्रमितों की संख्या के साथ स्वास्थ्य प्राप्त करने वालों, शेष रिपोर्ट की संख्या, मृत्युग्रस्त लोगों का आयु वर्ग और उनकी पूर्व बीमारी आदि सभी पक्षों का आकलन करना चाहिये। समग्र रूप में देखे जाने पर ज्ञात होता है कि संक्रमित व्यक्तियों की संख्या अन्य देशों की अपेक्षा यहां बहुत कम है। मानसिक स्वास्थ्य पर शारीरिक स्वास्थ्य का प्रभाव पड़ता है और मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर होता है। उन्होंने बताया कि शुद्ध अन्तःकरण, नवीन कार्य, सृजनात्मकता, आध्यात्मिक क्रियाएं, योग, प्राणायाम, संस्कृति के अनुकूल कार्य, प्रकृति का संरक्षण, प्रकृति का सम्मान, घर के कार्य आदि क्रियाएँ करने से स्वस्थ व प्रसन्न रह सकते हैं।
योग व आयुर्वेद से कोरोना से मुक्ति संभव
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता भारतीय वैज्ञानिक डाॅ. ओ.पी. पाण्डेय ने कोराना के आकार, संरचना, क्रियाएँ तथा प्रभाव के विषय में अवगत कराते हुए कहा कि बिना मेडीसीन लिये भी कोराना संक्रमित लोग ठीक हो रहे है, क्योंकि वे भारतीय आयुर्वेद के काढा, तुलसी, मुलैठी, हल्दी आदि का सेवन करके अपने इम्यूनिटी पावर को बढ़ा रहे है तथा आत्मबल, अभय, चिंतारहित होकर आइसोलेशन में रह रहे हैं, जिससे शीघ्र स्वस्थ हो रहे हैं। उन्होंने भारतीय योग, विभिन्न मुद्राओं तथा प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का महत्त्व बताते हुए उनकी उपयोगिता को सिद्ध किया और कहा कि अपनी भारतीय पद्धति की प्रत्येक परम्परा, रिवाज व मान्यता वैज्ञानिकता लिये हुए हैं, हमें उनका पालन करना चाहिए। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के पूर्व डीन व विभागाध्यक्ष प्रो. ए. के. मलिक ने कहा कि व्यवहार पक्ष ठीक रखें, सकारात्मकता बढ़ाये, अनर्गल विचार कम से कम मन में लावें, स्वाध्याय करें, भयमुक्त रहें, सहजता का जीवन जियंे, आत्मनिर्भर बने-परनिर्भर नहीं, बच्चों तथा माता-पिता से मधुर व्यवहार करें, अच्छे कार्य करें, विचारों में सकारात्मकता रखें इनसे हम मानसिक संतुलन रख सकते हैं।
बुरी लत छोड़ें और रसोईघर से बढायें इम्युनिटी
शिक्षा संकाय, राजस्थान विश्वविद्यालय की निर्वमान डीन व विभागाध्यक्ष प्रो. रीटा अरोड़ा ने कहा कि भारतीय रसोई हमारी सबसे बड़ी लैब है, उसे समुचित ढंग से उपयोग करना चाहिए। समाज में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। केन्द्र, राज्य सरकार तथा समाज का सहयोग करना चाहिए। वनस्थली विद्यापीठ के विभागाध्यक्ष एवं निवर्मतान डीन प्रो. मधु माथुर ने कहा कि बुरी लत जैसे-बीडी, सिगरेट, मद्यपान, गुटखा का सेवन करना, अधिक समय टी.वी. देखना, दिनभर मोबाईल में व्यस्त रहना, नकारात्मक बातें करना, दूसरे के अवगुण देखकर आलोचना करना आदि से छुटकारा पाने से स्वस्थ जीवन जीया जा सकता है। अनिद्रा, चिन्ता, तनाव आदि रोग इस लाॅकडाउन में बढ़े है, जिसका कारण नौकरी चले जाने का भय, परीक्षा नहीं होने का भय, प्लेसमेंट नहीं होना आदि है। हम घर पर रहकर अपने हुनर को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए जिससे हम आत्मनिर्भर बन सकें। प्रारम्भ में वेबिनार के समन्वयक एवं जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कार्यक्रम का परिचय व उद्देश्य प्रस्तुत करते हुये बताया कि इस वेबिनार से मानसिक स्वास्थ्य के नवाचार से सुपरिचित करवाने की दिशा में मानसिक स्वास्थ्य की विविधि युक्तियों से ओतप्रोत कराने, मानसिक संतुलन, मानसिक शक्ति और मानसिक ऊर्जा का संवर्धन करने, लाॅकडाउन की परिस्थिति व कोराना महामारी से सकारात्मकता से सामना करना आदि रहा। ऑनलाईन वेबिनार कार्यक्रम में 746 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में वेबिनार समन्वयक प्रो. रीटा शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में केशव विद्यापीठ समिति के सचिव ओ.पी. गुप्ता, संयुक्त सचिव अमरनाथ चंगोत्रा, महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष डाॅ. रामकरण शर्मा, मंत्री सूर्यनारायण सैनी आदि उपस्थि रहे।
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