महिलाओं को सामाजिक पाबंदियों से मुक्त करना होगा
लाडनूँ, 5 मार्च 2020।‘‘महिलाओं के विकास में सरकार को क्या करना चाहिये’’ इस विषय पर यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में चल रहे सात दिवसीय कार्यक्रम में पांचवें दिन विचार-गोष्ठी एवं प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रेखा शेखावत ने बताया कि महिलाओं को अपनी रक्षा स्वयं करने के लिये तैयार होना होगा तथा आत्मरक्षा के उपायों को सीख कर किसी भी परिस्थिति से मुकाबले में सक्षम बनना होगा। समाज महिलाओं को आगे आने से रोकने के लिये प्रयास करता है, लेकिन महिलाओं को इस प्रकार पाबंदियों में नहीं बांधने के लिये समाज को अपनी व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार करना होगा तथा महिलाओं की स्वतंत्रता की रखा करनी होगी। मनीषा पंवार ने निर्भया कांड का उदाहरण प्रस्तुत करते हुये कहा कि महिलाओं के साथ हुये अन्याय पर देश में न्याय भी शीघ्र नहीं मिल पाता है और इस कारण देरी से मिलने वाला न्याय स्वयं न्याय नहीं रह पाता है। महिलाओं के मामलों में सुनवाई जल्दी किये जाने के लिये कानून में बदलाव लाये जाने की जरूरत है। पूनम चारण ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि शहरी महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलायें काफी पिछड़ी हुई हैं, उनके विकास की ओर सरकार को पूरा ध्यान देना चाहिये। उनकी समस्याओं के प्रति जागरूकता बरतते हुये उनके लिये विशेष योजनायें बनाई जानी चाहिये। दीक्षा चौधरी ने कहा कि समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिये जाने की सोच विकसित करने की जरूरत है। बालिका शिक्षा को शत-प्रतिशत बनाया जाकर और बालिकाओं की उच्च शिक्षा पर पूरा ध्यान दिये जाकर ऐसा किया जा सकता है। लड़कियों को आगे बढाने एवं उन्हें शिक्षा के साथ विभिन्न प्रतियोगी क्षेत्रों में आगे बढाने के लिये हौसला अफजाई करने की ओर ध्यान दिया जाना चाहिये। कार्यक्रम में भावना ने एक गीतिका के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने किया और उन्होंने इस सम्बंध में पूछे गये प्रश्नों के जवाब देकर छात्राध्यापिकाओं की जिज्ञासायें शांत की।
महिलायें संस्कृति की संरक्षक ही नहीं संवाहक भी होती हैं- प्रो. जैन
6 मार्च 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत चल रहे महिला सप्ताह के छठे दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में एकल नृत्य, सामुहिक नृत्य, एकल गीत, समूह गीत, भजन आदि की प्रस्तुतियां छात्राध्यापिकाओं ने दी और कार्यक्रम में बढ-चढ कर हिस्सा लिया। कमलेश व समूह, प्रियंका एवं समूह, प्रमिला व समूह, दमयंती व समूह, राजन व समूह आदि ने इस अवसर पर विभिन्न राजस्थानी गीतों के साथ होली के रंग में डूबे चंग और गीतों का प्रस्तुतिकरण किया, जिनसे राजस्थानी संस्कृति जीवन्त हो गई। इन्हें सभी ने जमकर सराहा। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि महिलायें केवल अपना घर ही नहीं संवारती बल्कि संस्कृति की संवाहक, संरक्षक, संवर्द्धक के रूप में भी अपनी भूमिका निभाती है। महिलायें जहां भी जाती हैं, अपनी परम्परा और सांस्कृतिक विशेषताओं को भी ले जाती है और इस प्रकार वे संस्कृति की रक्षक ही नहीं बल्कि उसके संवहन का दायित्व भी स्वप्रेरणा से वहन करती है। महिलाओं का आचरण अपनी सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित ही होता है। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अमिताजैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. ममता सोनी, स्वाति शर्मा, रवि शर्मा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा ने किया।
निबंध प्रतियोगिता का आयोजन
7 मार्च 2020।विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में चल रहे महिला सप्ताह के अवसर पर शनिवार को महिला दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया। महिला के विकास में स्वास्थ्य शिक्षा की भूमिका विषय पर आयोजित इस निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर स्मृति कुमारी, द्वितीय रेखा परमार और तृतीय स्थान पर चन्द्रकांता रही। सभी विजेताओं को पुरस्कार के रूप में पुस्तकें प्रदान की गई। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने महिला स्वास्थ्य के बारे में बताया तथा कोरोना वायरस के लक्षणों, उससे बचने के उपाय आदि के बारे में बताया।
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