Thursday 30 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साईबर सिक्योरिटी जागरूकता अभियान के तहत एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में साईबर सिक्योरिटी जागरूकता अभियान के तहत एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

सोशल मीडिया व बैंकिंग फ्रॉड से बचने के लिए सिक्योरिटी नियमों का पालन जरूरी- डॉ. शेखावत

लाडनूँ, 30 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा चलाए जा रहे साईबर सिक्योरिटी जागरूकता अभियान के तहत गुरूवार को ‘साइबर सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय द्वारा की पहल’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता योग एवं जीवनविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने साईबर क्राइम के बारे में बताते हुए कम्प्यूटर एवं इंटरनेट के उपयोग से होने वाले सभी क्राइम्स को साइबर क्राइम में सम्मिलित बताया तथा इनसे सुरक्षा रखने को वर्तमान में सबसे अधिक महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया और तथा बैंकिंग फ्रॉड से बचने के उपाय बताते हुए कहा कि मोबाईल में एप्स की परमीशन सोच-समझ कर दें, किसी अनजाने व्यक्ति को सोशल मीडिया पर मित्र नहीं बनाएं, किसी अनजाने लिंक्स को बिना सोच-समझे क्लिक नहीं करें, मोबाईल का हमेशा बैक कैमरा ही ऑन रखें, एटीएम का पिन अपने मोबाईल में कभी सेव नहीं करे आदि सावधानियों से साइबर क्राइम से बचा जा सकता है।

मुख्यतः मोबाइल बना साइबर क्राइम का जरिया

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि मोबाईल के उपयोग में हमें अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। यदि मोबाईल हमारा दोस्त है तो सबसे बड़ा शत्रु भी है। यह आज सर्वाधिक उपयोग में आने वाला यंत्र है तथा साईबर क्राईम का जरिया भी सबसे अधिक हमारा मोबाईल ही बन रहा है। प्रारम्भ में कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गिरधारी लाल शर्मा ने सेमीनार के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फेसबुक, इंस्टाग्राम तथा ट्विटर जैसे लिंक्स एवं साइबर सिक्योरिटी वेबसाइट की जानकारी दी तथा कहा कि संस्थान के सभी शैक्षणिक व शैक्षेत्तर सदस्यों तथा विद्यार्थियों को साइ्रबर क्राइम से सतर्क रहते हुए साइबर सिक्योरिटी सुनिश्चित रखनी चाहिए। कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे। अंत में आभार ज्ञापन डॉ. गिरधारीलाल शर्मा ने किया।

Saturday 25 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में राजस्थान राज्य रेफरी एवं जजों की ऑनलाइन ट्रेनिंग कार्यशाला आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में राजस्थान राज्य रेफरी एवं जजों की ऑनलाइन ट्रेनिंग कार्यशाला आयोजित

जीवन में बदलाव के लिए प्रेक्षाध्यान की उपसम्दाएं उपयोगी- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 25 सितम्बर 2021। नेशनल योग स्पोर्टस एसोसियेशन के तत्वावधान में आयोजित हो रही राजस्थान राज्य रेफरी एवं जजों की ट्रेनिंग कार्यशाला में शनिवार को मुख्य कार्यक्रम का संयोजन जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के योग विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आनन्द बालयोगी जो पांडिचेरी ने की। जैन विश्वभारती संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने मुख्य वक्ता के रूप में प्रेक्षाध्यान की उपसंपदाओं के रेफरी एवं जजों के व्यवहार एवं कार्यों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव की चर्चा की। उन्होंने योग की उपादेयता समझाते हुए मनुष्य जीवन में मानवीय मूल्यों के प्रयोगों के लिए योग को श्रेष्ठ माध्यम बताया तथा कहा कि योग जीवन जीने की कला है, जो जीवन को सद्गति की ओर ले जाकर भविष्य का जीवन-निर्माण करता है। जीवन को हमें योगमय बनाना चाहिए। प्रो. त्रिपाठी ने महावीर के आत्म दीपोभव, हरिभद्र के योग को मोक्ष की आरे ले जाने वाला तथा आचार्य तुलसी के हम बदलेंगे, जग बदलेगा के नारे का प्रयोग करते हुए योगमार्ग को सबसे श्रेष्ठ जीवन-मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि जैन आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने प्रेक्षाध्यान के माध्यम से पूरी जीवन शैली को नई दिशा प्रदान की थी। उन्होंने प्रक्षाध्यान की उपसम्पदा के माध्यम से भावक्रिया, प्रतिक्रिया विरति, मैत्री, मिताहार व मितभाषण के पांच मूलभूत सूत्र प्रदान किए। इनके द्वारा व्यक्ति सदैव वर्तमान में रहता है और अनेक राग-द्वेष भावों से बचा रहता है और वह अप्रमाद में रहता है। वैरभाव का त्याग करना और सारे प्राणी जगत् में मित्रता का व्यवहार करना इसका मुख्य आधार है, ऐसा जैन वांगमय में विभिन्न जगहों पर आया है। प्रो. त्रिपाठी ने मिताहार और मितभाषण को जीवन को विभिन्न दुविधाओं और रोगों से मुक्त होने का मार्ग बताया।

योगासन माप के लिए विश्वस्तर के मानक बनाए

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. आनन्द बालयोगी पुड्डुचेरी ने बताया कि सटीक एवं व्यावहारिक आंकलन के लिए योग के की-पॉइंट बनाये गये हैं, जिससे विश्व में योगासनों को मापने के मानक स्थापित हो सके। नेशनल योग स्पोर्टस एसोसियेशन के अध्यक्षता सी.पी. पुरोहित ने कार्यशाला की उपयोगिता बताते हुए प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में एसोसियेशन के प्रदेश सचिव प्रदीप कुमार शर्मा, नागौर जिला सचिव सुरेश कुमार दाधीच, सभी जिलों के जिलाध्यक्ष एवं सचिव व प्रशिक्षक कार्यक्रम में उपस्थित रहे। डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा जानकारी दी कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पश्चात् जज एवं रेफरियों के प्रशिक्षण हेतु लिखित परीक्षा का आयोजन 27 सितम्बर को किया जायेगा, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वालों को ही सर्टीफिकेट दिया जायेगा एवं आगामी प्रतियोगिताओं में उन्हें निर्णायक चुना जायेगा। कार्यक्रम में कुल ऑनलाइन 370 प्रतिभागी जुड़े रहे। अंत में डॉ. अशोक भास्कर ने आभार ज्ञापित किया। तकनीकी संचालन दशरथ सिंह ने किया।

Saturday 18 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्धन व्याख्यानमाला के अन्तर्गत योग विज्ञान के वास्तविक स्वरूप पर व्याख्यान का आयोजन

 

योग विशुद्ध विज्ञान है, जिसमें प्रयोगों क रूख आंतरिक होता है- प्रो. जैन

लाडनूँ, 18 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में शनिवार को संकाय संवर्धन व्याख्यानमाला के अन्तर्गत योग विज्ञान के वास्तविक स्वरूप पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला में विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल.जैन ने कहा कि योग को किसी भी तरह से धर्म के रूप में माना जाना गलत है। गणित, फिजिक्स व कैमिस्ट्री की तरह योग भी एक विशुद्ध विज्ञान है-योग नियमों का विज्ञान हैं और जैसे विज्ञान में प्रयोग से परिणाम प्राप्त किये जाते हैं, वैसे ही योग में अभ्यास से अनुभव प्राप्त किये जाते है। विज्ञान में प्रयोगों का रूख बाहर की ओर होता है, जबकि योग में आंतरिक प्रयोग किये जाते हैं। योग अस्तित्वगत, अनुभवजन्य, और प्रायोगिक है। पतंजलि ने गणित के फार्मूले की तरह सटीक सूत्र प्रदान किये है, जो दो और दो चार की भांति लागू होते हैं। योग के सूत्र ‘करो और जानो’ की तरह हैं, जैसे- पानी को सौ डिग्री तक गर्म करो, वाष्प बन जायेगा। प्रो. जैन ने बताया कि योग चिकित्सा विज्ञान भी नहीं है, लेकिन योग रोगोपचार में भी काम आता है, उपयोगी है। पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक भी इसे मानते हैं, इसलिए योग को वे बीमार, रोगग्रस्त लोगों के लिए चिकित्सा विज्ञान मान लेते हैं। योग रोगियों के लिए नहीं है, अपितु पूर्णतः स्वस्थता के लिए योग अधिक उपयोगी है। चिकित्सा विज्ञान तो रोगियों के लिए ही काम करता हैं, लेकिन योग स्वस्थ्य व रोगी व्यक्ति के लिए दोनों ही स्थितियों में काम करता है। स्वस्थ्य व्यक्ति को योग दिव्य सत्ता के साथ जोड़ने का कार्य करता है। योग मन को क्रियाकलाप से रोकता है, मन योग में है तो शांत, स्थिर और एकाग्र होगा। आत्मशुद्धि, निर्मल अंतः करण, शुद्ध हृदय और शांत मन ही वास्तविक योग है। कार्यक्रम के अंत में सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे। अंत में सबका आभार ज्ञापित किया गया।

Tuesday 14 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

हिन्दी भावों की भाषा है- प्रो. जैन

लाडनूँ, 14 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने की तरफ ध्यान दिया जाना जरूरी है। अध्ययन व अध्यापन में हिन्दी का प्रयोग बढाने पर हम सबको जोर देना चाहिए। उन्होंने हिन्दी को भावों की भाषा बताते हुए इसे महत्व दिए जाने की आवश्यकता बताई। साथ ही कहा कि अन्य कोई भी भाषा को हटाने या उसकी आलोचना की जरूरत नहीं है, बल्कि सबको समन्वय आवश्यक है। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सरोज राय ने कहा कि हिन्दी वर्तमान में वैश्विक मंच पर सम्मानजनक स्थान पर आसीन हो रही है। संभावना है कि आने वाले समय में इसका स्थान विश्व में सर्वश्रेष्ठ होगा। उन्होंने बताया कि हिन्दी भाषा व्यक्तित्व को उभारती है, संवारती है। यह युवाओं को अपनी संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों से जोड़ती है। डॉ. अमिता जैन ने अपने सम्बोधन में बताया कि हिन्दी गरिमामय भाषा है, इसमें सम्बोधन करने में अपनापन के भाव का अहसास होता है। इस कार्यक्रम में अमीषा पूनिया, अंकिता व प्रीति राजपुरोहित नेभी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमीषा पूनिया, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, प्रमोद ओला, डॉ. ममता सोनी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन छात्राध्यापिका किनण सान्दू ने किया।

Monday 13 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्व मैत्री दिवस मनाया और परस्पर खमत-खामणा की

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्व मैत्री दिवस मनाया और परस्पर खमत-खामणा की

क्षमा का आदान-प्रदान नहीं होने से बढती है कटुता- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 13. सितम्बर 2021। विश्व मैत्री दिवस के अवसर पर यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) मे कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रो. दूगड़ ने कहा कि क्षमा का आदान-प्रदान करने से मन का कलुष मिट जाता है। अगर लम्बे समय तक क्षमा का आदान-प्रदान नहीं हो पाता है तो परस्पर कटुता बढती है। उन्होंने संवत्सरी महापर्व पर चलने वाले व्रतों, प्रतिक्रमण व अंत में प्रायश्चित के विशेष स्थान के बारे में बताया तथा कहा कि संवत्सरी प्रत्याख्यान का विषय है। उन्होंने आह्वान किया कि प्रतिदिन अपने काम के समाप्त होने पर प्रतिक्रमण करना चाहिए। प्रो. दूगड़ ने कहा कि ‘खमत खामणा’ का अर्थ ही है कि क्षमा का आदान-प्रदान किया जाए। यदि किसी भी व्यवहार, वचन व कर्म से किसी भी व्यक्ति को कोई ठेस पहुंची हो तो उसके लिए भावपूर्वक क्षमा मांग लेनी चाहिए और इसी तरह दूसरों के व्यवहार आदि के लिए क्षमा कर देनी भी चाहिए। इसी प्रकार कोई हमसे कामना या आकांक्षा रखता है और उसे पूर्ण नहीं किए जाने से उसे जो पीड़ा अनुभूत हुई हो, उसके लिए भी क्षमाभाव जरूरी है और फिर कभी उसे पूर्ण करने की भावना होनी चाहिए। इस खमत-खामणा दिवस के अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के समस्त शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक स्टाफ, मातृसंस्था, अन्य समस्त व्यवहार में आने वालों के प्रति क्षमायाचना व्यक्त की। प्रो. नलिन के. शास्त्री ने कार्यक्रम में सुखद मित्रता को क्षमा का परिणाम बताते हुए कहा कि क्षमा से आत्मा के स्तर पर हींसा के भावों का पराभव होता है और शुद्ध अहिंसा का उद्भव होता है। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि विश्व के सभी धर्मों में क्षमा का महत्व है। उन्होंने इस मैत्री पर्व पर समूची वसुधा को मित्र मानते हुए किसी से भी वैरभाव नहीं करने के लिए प्रेरित किया तथा कहा कि इस मैत्री पर्व को भारत का राष्ट्रीय पर्व घोषित किया जाना चाहिए। यह मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने का पर्व है। यह राष्ट्रीय एकता को बढावा देता है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने जप, तप, व्रत के इस पर्व को विश्वशांति में सहायक बताया। अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा तिवाड़ी ने क्षमायाचना को अचरण में उतारने की जरूरत पर बल दिया। प्राकृत व संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री ने कोरोना वायरस के विभिन्न वैरियंट की तरह से आध्यात्मिक वायरस के कषायों को समाप्त करने के लिए क्षमा को बचाव का उपाय बताया। कार्यक्रम में प्रो. अनिल धर, योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, विताधिकारी आरके जैन, समाज कार्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पुष्पा मिश्रा, जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के डॉ. आलोक कुमार जैन, परीक्षा विभाग के डॉ. सत्यनारायण भारद्धाज, डॉ. युवराजसिंह खंगारोत ने भी खमत खामणा करते हुए प्राणी मात्र से मैत्री रखे जाने की जरूरत बताई। इस अवसर पर डॉ. लिपि जैन, दीपाराम खोजा, डॉ. आभासिंह, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. रविन्द्रसिंह राठौड़, डॉ. जेपी सिंह, महिमा जैन, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. सरोज राय, प्रगति चौरड़िया, पंकज भटनागर, श्वेता खटेड़ आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. युवराजसिंह ने किया।

Friday 10 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में फिट इंडिया कार्यक्रम के तहत निकाली जागरूकता रैली

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में फिट इंडिया कार्यक्रम के तहत निकाली जागरूकता रैली

लाडनूँ, 10 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में भारत सरकार तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार आयोजित हो रहे ‘फिट इण्डिया’ कार्यक्रम के तहत एक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली को शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक तथा आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, कार्यक्रम के आयोजक डॉ. रविंद्रसिंह राठौड़, डॉ. अमिता जैन, डॉ. आभा सिंह, डॉ. विष्णु सिंह, डॉ. सरोज राय, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. बलबीर सिंह, अभिषेक चारण, श्वेता खटेड़, घासीलाल शर्मा, देशना चारण, हीरालाल, शिवा परिहार के अलावा संस्थान के विद्यार्थियों ने भाग लिया।

Thursday 9 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन

 

ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में गरिमा, रमा व मोनिका प्रथम रही

लाडनूँ, 9 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में गुरूवार को ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। “शिक्षक जागरूकता” विषय पर यह प्रतियोगिता स्नात्तक एवं स्नात्तकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिए आयोजित की गयी। प्रतियोगिता में 162 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सांस्कृतिक सचिव डॉ. अमिता जैन ने बताया कि इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर तीन प्रतिभागी गरिमा प्रजापत, रमा प्रजापत व मोनिका शर्मा रही। द्वितीय स्थान पर चैदह प्रतिभागियों का चयन किया गया, जिनमें मोनिका चैधरी, दिव्या, निशा कँवर, खुशबू चैधरी, आयशा परवीन, रुकसाना, संतोष थोलिया, पूनम स्वामी, झंकृति शर्मा, ममता कँवर, कुसुम, नेहा कँवर, निकिता मेघवाल व अरुणा शामिल हैं। तृतीय स्थान पर चयनित रहीं पंद्रह प्रतिभागियों में उषा रेगर, लक्ष्मी चैधरी, हिमानी गिटाला, संतोष जाखड़, मोनिका शर्मा, सपना टाटू, ऋतु शर्मा, निशा जाट, दीपिका, आरती खीचड़, निरमा, यशोदा स्वामी, दमयन्ती, कोमल मुंडेल, निशा स्वामी आदि सम्मिलित हैं। प्रतियोगिता का आयोजन सांस्कृतिक सचिव डॉ. अमिता जैन एवं सदस्य डॉ. विनोद कस्बां व डॉ. लिपि जैन ने किया।

Wednesday 8 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विशेष व्याख्यानमाला आयोजित

 

प्राकृत के विशाल ग्रंथों में झलकती है भारतीय संस्कृति- प्रो. प्रेमसुमन

लाडनूँ, 8 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में आयोजित मासिक व्याख्यानमाला में सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेमसुमन जैन ने अपने विशेष व्याख्यान में कहा कि प्राकृत भाषा भारतीय संस्कृति का आधार है। इस भाषा में सृजित विशाल ग्रंथों की परम्परा में हम अपनी संस्कृति को प्रत्यक्ष देख सकते हैं। उन्होंने प्राकृत की तुलना अन्य भारतीय भाषाओं के साथ करते हुए प्राकृत को अति प्राचीन भाषा बताया तथा कहा कि इसके प्रमाण हमें वेदों में भी मिल जाते हैं। प्राकृत व संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री ने प्राकृत को सर्वजन सुलभ बनाने की आवश्यकता बताई तथा कहा कि इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है। कार्यक्रम डॉ. सुमत कुमार जैन के मंगलाचरण से प्रारम्भ किया गया तथा डॉ. समणी संगीत प्रज्ञा ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस विशेष व्याख्यान में देश-विदेश के 90 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया।

Monday 6 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान में एनएसएस ने शिक्षक दिवस मनाया

 लाडनूँ, 6 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान में राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के मार्गदर्शन तथा निर्देशन में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन शिक्षक दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने शिक्षक शब्द की विस्तार से व्याख्या की। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने गुरु-शिष्य की परंपरा की महत्ता को उजागर किया और समाज में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में बीएड तृतीय सेमेस्टर की छात्रा किरण सान्दू, समाज कार्य विभाग के तृतीय सेमेस्टर के छात्र कुंजन शर्मा तथा बीएससी-बीएड छात्रा स्मृति कुमारी ने व्याख्यान के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए तो बीएससी पांचवें सेमेस्टर की छात्रा पूजा शर्मा, बीए तृतीय सेमेस्टर की छात्रा शहनाज बानो तथा बीए-बीएड तृतीय सेमेस्टर की छात्रा वृंदा दाधीच ने विभिन्न कविताओं के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के प्रारम्भ में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रथम प्रभारी डॉ. प्रगति भटनागर ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। अंत में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वितीय के प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह ने सभी का आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संयोजन बीकॉम पांचवें सेमेस्टर की छात्रा नवनिधि दौलावत ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अमिता जैन, डॉ. रविंद्र सिंह राठौड़, डॉ. सरोज राय, जैन डॉ. आभा सिंह, डॉ. लिपि जैन, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. विनोद कस्वॉ, अभिषेक चारण, श्वेता खटेङ, अभिषेक शर्मा, प्रमोद ओला, अजयपाल सिंह भाटी, देशना चारण आदि के साथ विद्यार्थी भी ऑनलाइन जुड़े रहे।

प्रतिनिधियों ने मांगी जैविभा विश्वविद्यालय की जानकारी और अवलोकन कर व्यवस्थाएं सराही

 प्रतिनिधियों ने मांगी जैविभा विश्वविद्यालय की जानकारी और अवलोकन कर व्यवस्थाएं सराही

श्रीक्षेत्र श्रवणबेलगोला से भट्टारक चारूकीर्ति की शुभाशंषाएं

लाडनूँ, 6 सितम्बर 2021। कर्नाटक के श्रीक्षेत्र श्रवणबेलगोला के पीठाधीश स्वस्तिश्री भट्टारक चारूकीर्ति की विशेष शुभाशंषाएं लेकर सोमवार को यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आए श्रीक्षेत्र के प्रबंधन मंडल से सम्बद्ध एव बैंगलुरू के उद्योगपति अशोक सेठी ने विश्वविद्यालय की समस्त कार्य-व्यवस्थाओं का गहराई से अवलोकन किया तथा श्रीक्षेत्र में विकसित हो रहे प्राकृत विश्वविद्यालय के बारे में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भट्टारक चारूकीर्ति ने श्रीक्षेत्र के विकास के लिए अभिनव कदम उठाए हैं। 20 से अधिक शिक्षण संस्थाएं, अस्पताल एवं सामाजिक संस्थाओं का संचालन और 40 से अधिक मंदिरों का संचालन, 10 शिष्य भट्टारक बनकर अलग-अलग मठों का संचालन कर रहे हैं और अब उनका संकल्प प्राकृत यूनिवर्सिटी बनाने का है। उन्होंने बताया कि जैन साहित्य और अन्य साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिवर्ष अनेक साहित्यकार, विद्वान, पत्रकारों को पुरस्कार दिया जाता है एवं समय-समय पर सम्मेलन भी किए जाते हैं। प्राचीन साहित्य प्रकाशन के लिए अक्षर कलश योजना प्रारम्भ की गई है। कुलपति प्रो. दूगड़ के साथ पर प्रो. नलिन के. शास्त्री व प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने उन्हें जैविभा विश्वविद्यालय की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी और व्यवस्था संचालन के बारे में बताया। उन्होंने यहां संचालित पाठ्यक्रमों प्राकृत व संस्कृत, अहिंसा एवं शांति, जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन, योग एवं जीवन विज्ञान आदि के बारे में अवगत करवाया तथा केन्द्रीय पुस्तकालय ग्रंथागार और प्राचीन दुर्लभ हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर उनके साथ अखिल भारतीय जैन पत्रकार संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश तिजारिया भी थे। अशोक सेठी व रमेश तिजारिया दोनों यहां सपत्नीक आए थे। उन्होंने भी यहां कुलपति प्रो. दूगड़ से विश्वविद्यालय की अकादमिक गतिविधियों की पूर्ण जानकारी ली और कुलपति से इस सम्बंध में चर्चा की। इस अवसर पर कुलपति प्रो. दूगड़ ने उनका स्वागत-सम्मान किया तथा उन्हें साहित्य भेंट किया।

Saturday 4 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान में ‘शांति शिक्षा की गुणवत्ता व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ विषय पर एक दिवसीय वेबीनार

 

बहुपक्षीय शिक्षाप्रक्रिया में शांति की शिक्षा महत्वपूर्ण आयाम- प्रो. श्रीवास्तव

लाडनूँ, 5 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के संरक्षण एवं निर्देशन में अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा शिक्षक दिवस के विशेष उपलक्ष्य में ‘शांति शिक्षा की गुणवत्ता व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ विषय पर एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में मुख्य अतिथि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी बिहार के शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष व डीन प्रो. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ विद्यार्थी को एक संकाय से जुड़े रहने के स्थान पर अनेक विकल्पों के चयन की पद्धति लागू करने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि काफी उपयोगी होगा। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि शिक्षा एक बहुपक्षीय प्रक्रिया है, जिसमें शांति की शिक्षा भी एक महत्वपूर्ण आयाम है। वेबिनार के विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी, बिहार के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के डॉ. जुगल किशोर दाधीच ने कहा कि शांति की शिक्षा हर प्रकार की समस्या का हल खोजने का प्रभावी माध्यम होती है । अतः अहिंसा एवं शांति की शिक्षा सार्वभौमिक शिक्षा है, जिसका अध्ययन एवं अध्यापन काफी महत्वपूर्ण आयाम सिद्ध हो सकता है। इससे व्यक्तिगत स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की समस्याओं का समाधान सहज रूप में संभव हो सकता है। प्रारंभ में अहिंसा व शांति विभाग की सह आचार्य डॉ. लिपि जैन ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम का संयोजन किया। वेबीनार का विषय परिचय डॉ. रविंद्र सिंह राठौड़ ने प्रस्तुत किया। इस वेबीनार में विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर, प्रो. बीएल जैन, डॉ. अमिता जैन, डॉ. पुष्पा मिश्रा, डॉ. आभा सिंह, डॉ. बलबीर सिंह, डॉ. विनोद सिहाग आदि संकाय सदस्यों के अलावा संस्थान के विभिन्न शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के साथ-साथ केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के अनेक विद्यार्थी तथा शोधार्थी भी जुड़े रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शिक्षक दिवस कार्यक्रम आयोजन

 जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शिक्षक दिवस कार्यक्रम आयोजन

अज्ञान का अंधेरा दूर करते हैं शिक्षक- प्रो. जैन

लाडनूँ, 4 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में शिक्षक दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि शिक्षक का पद बहुत ही गरिमामय होता है। जिस अज्ञान रूपी अंधकार को सूर्य तथा चंद्रमा भी दूर नहीं कर सकते, उसे दूर करने का कार्य शिक्षक करता है। शिक्षक को हमेशा सकारात्मक सोच के साथ विद्यार्थियों तथा समाज को सही दिशा देनी चाहिए। इस महामारी के दौर में भी शिक्षकों ने अपने शैक्षिक व सामाजिक दायित्वों का पूर्ण रुप से पालन किया है, जो प्रशंसनीय है। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर ने कहा कि शिक्षण वास्तव में एक सेवा होते हुए भी आज यह पूर्णतः व्यवसाय का रूप लेता जा रहा है, जिस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। डॉ. गिरधारी लाल शर्मा ने कहा कि प्रलय तथा निर्माण शिक्षक की गोद में पलता है। हमें निर्माण को प्रोत्साहन देना है तथा अपने कर्तव्य को पूर्ण निष्ठा से पालन करते हुए शिक्षक धर्म निभाना है। कार्यक्रम का संचालन तथा आभार ज्ञापन डॉ. अमिता जैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा संकाय सदस्य डॉ. भाबाग्राही प्रधान, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, ममता सोनी, प्रमोद ओला एवं प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।

Thursday 2 September 2021

जैन विश्वभारती संस्थान में “आजादी के अमृत महोत्सव का वैशिष्टय” विषय पर ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता आयोजित

 

ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता में स्मृति प्रथम रही

लाडनूँ, 2 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान की सांस्कृतिक समिति के तत्वावधान में “आजादी के अमृत महोत्सव का वैशिष्टय” विषय पर आयोजित ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा की गई है। सांस्कृतिक सचिव डॉ. अमिता जैन ने बताया कि प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर स्मृति कुमारी, द्वितीय स्थान पर निकिता बोथरा, कोमल मुंडेल, आमना, नीतू जोशी, कल्पना, ममता एवं तृतीय स्थान पर प्रियंका, भागौति मंडा, सरिता मंडा, रवीना बाजिया, शिवानी पूनिया ने रही। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह प्रतियोगिता स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिए आयोजित की गयी। प्रतियोगिता के आयोजन का दायित्व सांस्कृतिक सचिव डॉ. अमिता जैन के साथ सदस्य डॉ. विनोद कस्बां और डॉ. लिपि जैन पर था।