Friday 27 November 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम में ‘तनाव प्रबंधन में योग शिक्षा की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान आयोजित

 

योग से व्यक्ति के तनाव व मनोदैहिक रोगों का उपचार संभव- डाॅ. राय

लाडनूँ, 28 नवम्बर 2020।जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत शनिवार को डाॅ. सरोज राय ने ‘तनाव प्रबंधन में योग शिक्षा की भूमिका’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। डाॅ. राय ने बताया कि वर्तमान युग में लोगों के लिये तनाव सामान्य अनुभव बन चुका है, ऐसे में तनाव सम्बंधी रोगों को रोकने के लिये योग शिक्षा पूरी तरह से सफल सिद्ध हो रही है। योग एक जीवन पद्धति है, जिसका तनाव और स्वास्थ्य के प्रति सदैव समग्र दृष्टिकोण रहा है। इसमें मन, शरीर व आत्मा तीनों का उपचार सम्मिलित है। उन्होंने कहा कि जीवन की बदलती दिनचर्या और जीवन की भूमिकाओं के बीच मनुष्य अनेक मनोदैहिक विचारों के बीच सिमटता चला जा रहा है। इसके लिये उसके अस्तित्व से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसलिये तनाव प्रबंधन में पारम्परिक योग शारीरिक गतिशीलता को सक्रिय बनाए रखने के लिये नियंत्रण, संतुलन स्थापित करने के लिये उपचार की आवश्यकता है। संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किये एवं आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अमिता जैन आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

Tuesday 10 November 2020

जैन विश्व भारती संस्थान में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘सतत विकास एवं शिक्षा’ विषय पर पत्र-वाचन

 


पर्यावरण संरक्षण शिक्षा के हर स्तर पर अनिवार्य हो- डाॅ. आभा

लाडनू 11 नवम्बर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘सतत विकास एवं शिक्षा’ विषय पर डाॅ. आभा सिंह द्वारा पत्र-वाचन किया गया। अपने पत्र वाचन में डाॅ. आभा सिंह ने मनुष्य द्वारा अपने विकास की कीमत प्रकृति को नष्ट कर के चुकाए जाने पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि मनुष्य अपनी अप्राकृतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्रकृति का अनावश्यक दोहन करता है और प्राकृतिक ससाधनों को समाप्त करने एवं उन्हें विकृत बनाने का जितना भी प्रयास करता है, उन सबका दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। इसी कारण यह जरूरी है कि समय रहते हम सब संभलें और शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य रूप से जोड़ कर आने वाली पीढियों को सतर्क करें और पर्यावरण की रक्षा के लिये उन्हें तैयार करें। पत्र वाचन के विषय पर संकाय सदस्यों द्वारा विस्तार से चर्चा की गई। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस एवं दीपावली पर्व के उपलक्ष में एक ऑनलाईन कार्यक्रम का आयोजन

 


सद्गुणों का विकास करता है दीपावली का पर्व- प्रो. बीएल जैन

लाडनूँ, 11 नवम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस एवं दीपावली पर्व के उपलक्ष में एक ऑनलाईन कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि दीपावली के पर्व को व्यक्ति में सद्गुणों का विकास करने वाला बताया तथा कहा कि इस पर्व पर सभी में आपसी मेल-मिलाप से प्रेम, नम्रता, विनम्रता, मान, सम्मान, आदर, सत्कार, अभिवादन आदि के भाव प्रकट होते हैं। यह पर्व ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का पर्व है। कार्तिक अमावस्या को भारतवर्ष के घर-घर में अंधकार को दूर कर प्रकाश का दीप प्रत्येक घर में जलाया जाता हैं। वर्तमान में मलिन होते जा रहे आत्मा के प्रकाश को शुद्ध करने के लिये मन में दूषित विचारों के आधिक्य को कम करना होगा। हमें एक दूसरे के आच्छादित हो रहे प्रति घृणा, ईष्र्या, द्वेष, अहंकार के भावों को मिटाने के लिये प्रयास करना चाहिये। मान्यता है कि इन अवगुणों के कारण लक्ष्मी का शुभागमन नहीं होता हैं। दूषित विकारों से बचने में दीपावली पर्व का आयोजन लाभकारी एवं उपयोगी हैं। दीपावली का पर्व त्यौहारों का पर्वराज है। इस त्यौहार के प्रारंभ होने से पूर्व और बाद में भी अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व पांच दिवस तक निरंतर आयोजित किया जाता है। दिवाली से पूर्व धनतेरस और छोटी दीवाली तथा दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और भैयादूज को मनाया जाता है। इस प्रकार से दिवाली का यह पर्व पांच दिन तक हम सभी में श्रेष्ठ गुणों का विकास करता है। भारतीय संस्कृति के इन पर्वों के कारण ही विश्व में हमारी पहचान अलग रूप में है। ये पावन पर्व हमें विविधता में एकता के सूत्र में बांधते हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों में से अंबिका शर्मा एवं रेखा शेखावत ने भाषण के माध्यम से, हर्षिता स्वामी ने गाने के माध्यम से, ऋतु स्वामी ने कविता के माध्यम से, रेखा परमार, सीमा देवड़ा, सरिता शर्मा और मेराज ने नृत्य के माध्यम से अपने भावों को अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी. प्रधान, डॉ. सरोज राय, डॉ.आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित कुमार एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अमिता जैन ने किया।

Monday 2 November 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में बीएड व एमएड के नवीन सत्र का ऑनलाईन शुभारम्भ

 लाडनूँ, 3 नवम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में नवीन सत्र-2020-21 का शुभारम्भ यहां ऑनलाईन किया गया। इस ऑनलाईन उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्ष्साता विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने की। कार्यक्रम में प्रो. जैन ने विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय और उसकी व्यवस्थाओं-सुविधाओं के बारे में बताया। उन्होंने शिक्षा विभाग और उसके संकाय सदस्यो के बारे में विस्तार से बताते हुये सभी का परचिय करवाया। साथ ही पाठ्यक्रम के बारे में भी बताया। प्रो. जैन ने इस अवसर पर ऑनलाईन अध्ययन एवं ऑफलाईन अध्ययन के बारे में बताया तथा अध्ययन के दौरान आने वाली विद्यार्थियों की समस्याओं के बारे में जानकारी देते हुये उनका समाधान बताया। उन्होंने विद्यार्थियों से भी उनकी समस्याओं और शंकायें पूछी तथा उनका भी समाधान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य उपस्थित थे और उन्होंन ऑनलाईन ही सभी विद्यार्थियों को शुभकामनायें प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. आभासिंह ने किया।

जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

 

साधन और साध्य दोनों की शुद्धता से मिटेगा भ्रष्टाचार- प्रो. वीपी सिंह

लाडनूँ, 3 नवम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत अंतिम दिन ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गोवा के भूतपूर्व डीजीपी अमोध कंठ, डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीपी सिंह थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दूरस्थ शिक्षा विभाग जैन विश्वभारती संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने की। प्रोफेसर वीपी सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि भ्रष्टाचार रूपी दीमक का सफाया करना अत्यंत आवश्यक है। हमारे साधन और साध्य दोनों ही पवित्र होने चाहिए। हमें अपने स्वभाव पर विजय प्राप्त करनी होगी तथा जीवन को राष्ट्र के विकास में लगाना होगा। उनका कहना था कि सभी संस्थानों से भ्रष्टाचार को दूर किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने दर्शन के माध्यम से भ्रष्टाचार दूर करने के लिए विभिन्न समाधान बताएं। उन्होंने चुनाव शुद्धि की बात की तथा इस बात पर बल दिया कि मानव को मानव बनाने का कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य का सूर्य ही जीवन में प्रकाश कर सकता है। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए। आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से सही मायने में मानव, मानव बन सकता है। मानव को मानवीय गुणों से ओतप्रोत होना चाहिए। मनुष्य में प्रामाणिकता का गुण होना चाहिए। कार्यक्रम में अमोध कंठ ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के प्रारंभ में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष ने अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत और अभिनंदन किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। अंत में डॉ. भाबाग्रही प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम के संयोजक के रूप में डॉ. बिजेंद्र प्रधान तथा सह संयोजक डाॅ. भाबाग्राही प्रधान थे। कार्यक्रम का संचालन समाज कार्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विकास शर्मा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अमित सिंह, अश्विनी कुमार, प्रो. आरके यादव, डॉ. पुष्पा मिश्रा तथा जैन विश्व भारती संस्थान के अन्य विभिन्न संकाय सदस्य आदि उपस्थित थे।