Wednesday 26 September 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के पदाधिकारियों ने किया जैविभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष व मंत्री का स्वागत समारोह आयोजित

जैन विश्वभारती के नवनिर्वाचित अध्यक्ष व मंत्री ने किया दायित्व ग्रहण

लाडनूँ 26 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती के नवनिर्वाचित अध्यक्ष, मुख्य ट्रस्टी व अन्य पदाधिकाारियों के बुधवार को यहां दायित्व ग्रहण के लिये आने पर यहां उनका भावभीना स्वागत किया गया। जैन विश्वभारती के पहली पट्टी गेट पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ व स्टाफ तथा निवर्तमान अध्यक्ष रमेश बोहरा आदि ने उन्हें तिलक करके एवं साफे पहना कर स्वागत किया। उन्हें ढोल-नगाड़े के साथ जैन विश्वभारती में प्रवेश करवाया गया। सभी नये पदाधिकारियों ने जैन विश्वभारती में स्थित आचार्य तुलसी स्मारक पर दर्शन व पूजा-अर्चना की तथा मुनि चमपालाल भाईजी महाराज की समाधि पर दर्शन किये। इसके बाद वे सभी यहां भिक्षु विहार में विराजित मुनिश्री जयकुमार के दर्शनों के लिये पहुंचे तथा उनसे सभी ने आर्शीवाद प्राप्त किया। इसके बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष अरविन्द संचेती व अन्य पदाधिकारियों परिसर में स्थित 108 फुट ऊंचे जैन-ध्वज को रिमोट से बटन दबा कर फहराया। इसके बाद उन्होंने सचिवालय में पहुंच कर अपना दायित्व ग्रहण किया। नवनिर्वाचित अध्यक्ष अरविन्द संचेती के साथ मुख्य ट्रस्टी मनोज लूणिया, उपाध्यक्ष अरूण संचेती, मंत्री गौरव जैन, सहमंत्री अशोक चिंडालिया व जहवन मल मालू, कार्यकारिणी सदस्य मूलचंद बैद व उम्मेद कोचर थे। इन सबका स्वागत कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़, निवर्तमान अध्यक्ष रमेश बोहरा, निवर्तमान मुख्य ट्रस्टी भागचंद बरडिया, प्रो. बीएल जैन, प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, डाॅ. प्रद्युम्र सिंह शेखावत, डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. जसबीर सिंह, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान आदि उपस्थित थे।

संगठित टीम के सहयोग से देंगे संस्था को नई उंचाईयां- संचेती

लाडनूँ, 27 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अरविन्द संचेती ने कहा है कि तेरापंथ धर्मसंघ के महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का नाम हम गौरव के साथ ले सकते हैं। आचार्य तुलसी ने इसे समाज की कामधेनु कहा था। आचार्य महाप्रज्ञ व आचार्य महाश्रमण ने भी इस संस्थान को महत्वपूर्ण और जनमानस में चरित्र-निर्माण का संस्थान कहा था। तीन आचार्यों का आशीर्वाद साथ लिये यह संस्थान निरन्तर उन्नति कर रहा है। जैन विश्व भारती का अध्यक्ष पद संभालने से इस संस्थान से जुड़ने का सुअवसर भी मिला है। इसका वे पूरा सदुपयोग करेंगे। उन्होंने यहां आचार्य महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में संस्थान द्वारा उनके दायित्व ग्रहण के पश्चात आयोजित सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। समारेाह के मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने संस्थान को निरन्तर सहयोग की भावना अभिव्यक्त की तथा कहा कि उन्हें संगठित टीम का साथ मिला है, इन सबके निरन्तर सहयोग से वे अपने दायित्वों का समुचित निर्वहन कर पायेंगे। निवर्तमान अध्यक्ष रमेश बोहरा ने संस्था की नई टीम को बधाई देते हुये कहा कि सामने आचार्य महाप्रज्ञ का रजत जयंती वर्ष और जैन विश्व भारती का स्वर्ण जयंती वर्ष की समस्त जिम्मेदारी इस टीम पर है।

नई सोच व क्षमतावान है नई सोच

समारोह की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने जैन विश्व भारती की स्थापना से लेकर वर्तमान स्वरूप तक के सफर का विवरण प्रस्तुत करते हुये स्थापना और विकास के कार्य में सहयोगी रहे सभी जनों का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि समय बदलने से विकास की संभावनाओं में परिवर्तन आया है। मातृसंस्था जैन विश्व भारती का सतत सहयोग संस्थान को मिलता रहा है। आचार्यों ने भी कहा था कि समाज और मातृसंस्था को संस्थान पर बराबर ध्यान देते रहना चाहिये। उन्होंने पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र चैरड़िया, डाॅ. धर्मचंद लूंकड़ व रमेश बोहरा का उल्लेख उनके कार्यों व विशेषताओं का हवाला देते हुये संस्था की प्रगति में दिये गये योगदान के लिये किया तथा मुख्य ट्रस्टी भागचंद बरड़िया का योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिये चिंतन की मूक भूमिका के लिये उल्लेख किया। नवनिर्वाचित पदाधिकारियों में अध्यक्ष अरविन्द संचेती को क्षमतावान व नई सोच का व्यक्तित्व बताया। मंत्री गौरव जैन को आज तक का सबसे युवा मंत्री बताते हुये कहा कि उनका बड़े कारोबारियों से उच्च सम्पर्क हैं तथा नवीन तकनीक को सबसे पहले आजमाने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने प्रधान ट्रस्टी मनोज लूणियां सहित पूरी टीम को श्रेष्ठ संयोग व क्षमतावान बताया तथा कहा कि इनसे संस्था को बल व विकास मिलेगा, संस्था नई उंचाइयों तक पहुंच पायेगी। उन्होंने बताया कि जैन विश्व भारती की स्थापना के 50 वर्ष इनके कार्यकाल में होने जा रहे हैं, तो इनकी जिम्मेदारियां अधिक बढ गई हैं।

बेहिचक सुझाव दें लाडनूँवासी

नवनिर्वाचित प्रधान ट्रस्टी मनोज लूणियां ने कहा कि समाज और गुरू ने उन पर जो विश्वास किया है, उसे वे कायम रखेंगे। उन्होंने लाडनूँवासियों से संस्था के हित में बेहिचक सुझाव देने की अपील की तथा कहा कि वे उन पर अमल करने में कोई संकोच नहीं करेंगे। उन्होंने जैन विश्व भारती एवं जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) को एक-दूसरे का पूरक बताया और कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में यह संस्थान जो काम कर रहा है, उसके कारण कहीं भी इसका नाम लेने पर भी गौरव की अनुभूति होती है। नव निर्वाचित मंत्री गौरव जैन ने कार्यकर्ता के रूप में काम करने का संकल्प व्यक्त किया। कार्यक्रम में विमल विद्या विहार सीनियर सैकेंडरी स्कूल की प्राचार्य वनिता धर, नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष अरूण संचेती, मुमुक्षु प्रेक्षा व मुमुक्षु सरिता ने भी अपने विचार व्यक्त किये। प्रारम्भ में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया।

इन्होंने किया स्वागत-सम्मान

समारोह में नवनिर्वाचित टीम के अध्यक्ष अरविन्द संचेती, उपाध्यक्ष अरूण संचेती, मंत्री गौरव जैन, सहमंत्री अरूण चिंडालिया, जीवन मल मालू, कार्यकारिणी सदस्य मूलचंद बैद व उम्मेद कोचर एवं निवर्तमान मुख्य ट्रस्टी भागचंद बरड़िया का शाॅल, स्मृति चिह्न व पुष्प गुच्छ प्रदान करके सम्मान किया गया। नई टीम को सम्मान करने वालों में निवर्तमान अध्यक्ष रमेश बोहरा, कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, ओसवाल पंचायत के प्रमुख सरपंच नरेन्द्र सिंह भूतोड़िया, विजय सिंह कोठारी, शांतिलाल बैद, व्यापार मंडल के अध्यक्ष हनुमान मल जांगिड़, कांग्रेस अध्यक्ष रामनिवास पटेल, भारत विकास परिषद के संरक्षक रमेश सिंह राठौड़, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के मंत्री राजेश खटेड़, ओसवाल सभा के अध्यक्ष छतरसिंह बैद, सैनी समाज के अध्यक्ष मुरली मनोहर टाक, मंत्री महावीर प्रसाद तंवर, बृजेश माहेश्वरी, अभय नारायण शर्मा, अरविन्द नाहर आदि शामिल रहे। अंत में विजयश्री ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन दूरस्थ शिक्षा की सहायक निदेशक नुपूर जैन ने किया।

Monday 24 September 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘‘भारतीय संस्कृति का भविष्य’’ विषयक व्याख्यान आयोजित

विश्व के अस्तित्व की सुरक्षा भारतीय संस्कृति से ही संभव- डाॅ. गुप्ता

लाडनूँ 24, सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की महादेवलाल सरावगी अनेकांत शोध पीठ के तत्वावधान में आचार्य तुलसी श्रुत-संवर्द्धिनी व्याख्यानमाला के अन्तर्गत सोमवार को यहां महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में ‘‘भारतीय संस्कृति का भविष्य’’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुनिश्री जयकुमार के सान्निध्य में आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम में व्याख्यानकर्ता आरएसएस के उत्तर क्षेत्र संघचालक डाॅ. बजरंगलाल गुप्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति से ही यह देश सुरक्षित है। विश्व के भविष्य के लिये भारत का रहना आवश्यक है और भारत के लिये भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को अपनाना होगा। भारत का प्राण तत्व इसकी संस्कृति ही है। केवल भौतिक रूप से अस्तित्व अलग है, लेकिन असली पहचान संस्कृति से ही होती है। उन्होंने भारतीय संस्कृति के लिये कहा कि यह पुरातन है, लेकिन नित्य नूतन भी है। यह सनातन, शाश्वत, चिरन्तन है और निरन्तर विकासमान, नैतिक मूल्यों का प्रवाह है। यहां हर युग में मनीषी व आचार्य होते आये हैं और इसे सदैव नवीनता प्रदान करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज की मुख्य समस्या है कि संवेदना लुप्त होती जा रही है। इस पर ध्यान देना आवश्यक है। डाॅ. गुप्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रकृति को मातृत्व व देवत्व के रूप में लिया जाता है, जबकि पश्चिमी संस्कृति में प्रकृति को दासी स्वरूप में लेकर उसका उपयोग करते हैं। हम प्रकृति का शोषण नहीं, बल्कि दोहन करते हैं, लेकिन इसमें देने व लेने का क्रम नहीं टूटने देते। यहां गीता के अनुुसार सृष्टि चक्र, यज्ञ चक्र व प्रकृति चक्र की अवधारणा का पालन किया जाता है। उन्होंने भारत के जैविक परिवार, सर्वमंगलकारी चिंतन, विविधता में एकता, धर्म व नैतिकता आदि के बारे में विस्तार से बताते हुये भारतीय संस्कृति की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

देश को बदलने के लिये नौजवान आगे आयें-सांसद मदनलाल सैनी

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सांसद मदनलाल सैनी ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति अनेक विशेषताओं वाली संस्कृति है। यहां सामाजिक दायित्वों के बारे में व्यक्ति जिम्मेदार होता है और उस व्यक्ति के लिये समाज खड़ा हो जाता है। केवल अपनी ही सोचने वालों के बारे में समाज भी नहीं सोचा करता है। मंदिर में झुकने पर उस व्यक्ति का अहं तिरोहित हो जाता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि आज देश को तोड़ने वाली शक्तियां सक्रिय है। आतंकवाद को पैसा और पनाह देने वालों से सावधान रहने की आवश्यकता है। उन्होंने नौजवानों से आह्वान किया कि वे ही इस देश को बदल सकते हैं। उन्होंने शिक्षा को डिग्री के लिये नहीं बल्कि देश की सेवा की शिक्षा भी जरूरी बताई। सैनी ने गाय के विनाश पर भी चिंता जताई तथा कहा किजैन समाज ने गाय की रक्षा का संकल्प लिया है और बहुत बड़ा काम हाथ में लिया है जो सराहनीय है। उन्होंने आचार्य तुलसी प्रणीत अणुव्रतों का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके द्वारा दिखाई गई दिशा को अगर थोड़ा सा भी ग्रहण किया जावे तो जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।

भारतीय संस्कृति पुरातन है, पर सनातन है

व्याख्यानमाला को सान्निध्य प्रदान करते हुये मुनिश्री जयकुमार ने कहा कि हमारी संस्कृति अतीत, वर्तामान व अनागत तीनों को समाहित रखती है। यह संस्कृति कभी समाप्त नहीं हो सकती। इसमें परिवर्तन, परिवर्द्धन व परिशोधन की संभावना हमेशा रहती है। जहां अनाग्रह पूर्वक परिवर्तन की प्रक्रिया चलती है, उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता है। भारत में चाहे कोई युग रहा हो, यहां के संस्कार कभी समाप्त नहीं हो पाये हैं। उन्होंने कहा कि यह संस्कृति पुरातन है, लेकिन सनातन है। हमारी संस्कृति मिलन की, साथ बैठने की, साथ चिंतन करने की और साथ में निर्णय लेने की संस्कृति है।

जहां कर्मवाद और पुरूषार्थवाद हो वहां निराशा नहीं आती

संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि भारतीय संस्कृति का आधार धर्म है। धर्म शाश्वत है इसलिये भारतीय संस्कृति भी शाश्वत है। इस संस्कृति में सुव्यवस्था है। चाहे आश्रमवाद हो, कर्मवाद व पुनर्जन्मवाद हो, यह व्यवस्था निरन्तर संस्कृति को पोषण देती है और विकसित करती है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति आशावाद से ओतप्रोत है। इसमें जो कर्मवाद और पुरूषार्थवाद की धारा बहती है, उससे निराशावाद कभी नहीं आ सकता है। हम दूसरों को आत्मसात करने की परम्परा रखते हैं, हम दूसरों के विकास में बाधक नहीं बनते हैं। हम हर परिवर्तन को समावेश करके आगे बढ रहे हैं। हम प्रेय के बजाये श्रेय को महत्व देते हैं। त्याग, धैर्य और संतुलन जिस संस्कृति में समाविष्ट हो, वह संस्कृति कभी काल-कवलित नहीं हो सकती है। प्रारम्भ में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने व्याख्यानमाला की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में जैन विश्वभारती के मुख्य ट्रस्टी भागचंद बरड़िया व जीवनमल मालू विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचस्थ थे। इस अवसर पर प्रभारी डाॅ. योगेश कुमार जैन, रजिस्ट्रार विनोद कुमार कक्कड़, उपकुलसचिव डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. बीएल जैन, डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, डाॅ. गोविन्द सारस्वत, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, हरीश शर्मा, अशोक सुराणा, सागरमल नाहटा आदि उपस्थित थे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एनएसएस दिवस मनाया

सेवा से जीवन में ताजगी आती है- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 24 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाईयों के संयुक्त तत्वावधान में एनएसएस दिवस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि सेवा की भावना होने से ही जीवन की सफलता कही जा सकती है। सेवा हमेशा निःस्वार्थ होती है, जिसमें एक हाथ से सेवा करें तो दूसरे हाथ को आभास तक नहीं हो। सेवा का ढिंढोरा पीटना तो सेवा नहीं बल्कि केवल प्रदर्शन होता है। सेवा संवेदना के बिना संभव नहीं है। संवेदना से किसी के प्रति करूणा भाव जागृत होता है और सेवा के लिये व्यक्ति तत्पर हो जाता है। उन्होंने कहा कि जीवन का महत्वपूर्ण गुण गतिशीलता सेवा से आता है। इससे जीवन में झरने की भांति ताजगी और पारदर्शिता रहती है। जिस प्रकार गतिहीनता के कारण ठहरा हुआ पानी सड़ जाता है, वहीं व्यक्ति गति के बिना किसी महत्व का नहीं रहता है। डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने कहा कि छोटे-छोटे संकल्पों के माध्यम से जीवन में सेवा भाव को सहज रूप से विकसित किया जा सकता है। सेवाभाव के जीवन में आने से व्यक्ति सरल, सहज, उदार, करूणामयी और सामाजिक बन जाता है। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय की एनएसएस इकाई की समन्वयक डाॅ. प्रगति भटनागर ने एनएसएस के स्थापना के समय से लेकर वर्तमान तक की गतिविधियों आदि पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में स्वयं सेविका माधुरी सोनी ने राष्ट्रीय सेवा योजना के उद्देश्य, कार्यक्रमों एवं सेवा कार्यों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की। प्रारम्भ में सरिता शर्मा ने एनएसएस गीत प्रस्तुत किया।

एकल गायन प्रतियोगिता का आयोजन

इस अवसर पर एकल गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें प्रथम स्थान पर अर्चना शर्मा रही। द्वितीय स्थान पर सरिता शर्मा और तृतीय स्थान पर निलोफर व प्रियंका सोनी रही। कार्यक्रम में कमल कुमार मोदी, रत्ना चैधरी, सोमवीर सांगवान, डाॅ. बलवीर सिंह, योगेश टाक, अपूर्वा घोड़ावत आदि उपस्थित थे।

Sunday 23 September 2018

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

सीखने की शैली ही नवीन ज्ञान की रचना को संभव बनाती है- प्रो. ज्ञानानी

लाडनूँ 23 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारम्भ सत्र में शिक्षण शैली के सम्बंध में बोलते हुये मुख्य अतिथि प्रो. टीसी ज्ञानानी ने कहा है कि प्राच्य कक्षा शिक्षण विधि में केवल व्याख्यान व प्रवचन ही शामिल थे, लेकिन अब इसमें गतिविधि व प्रबंधन के सिद्धांत भी शामिल कर लिये गये हैं। शिक्षण की विभिन्न विधियों में एक नयी संकल्पना रचनावाद को लेकर आई है। इसमें विद्यार्थी द्वारा निरन्तर सीखने, अपने ज्ञान में वृद्धि करने, उसमें विस्तार व प्रसार करने तथा संशोधन करने की प्रक्रिया लगातार जारी रखता है, कक्षा प्रबंधन के अन्तर्गत विद्यार्थी के सीखने की शैली को समझने की जरूरत है, क्योंकि सीखने की शैली ही नवीन ज्ञान की रचना संभव बनाती है। बच्चों के ज्ञानात्मक व्यवहार में निरन्तर अंतर आया है। स्मार्ट फोन जैसे आविष्कारों ने शिक्षण शँैली को बदला है। कक्षा के वातावरण का प्रबंध छात्रों के सीखने पर पूरा प्रभाव डालता है।

प्रभावी शिक्षण के लिये प्रभावी संचार जरूरी

सत्र की अध्यक्षता करते हुये रजिस्ट्रार विनोद कुमार कक्कड़ ने कहा कि शिक्षण की तकनीक निरन्तर बदलती रहती है। इस प्रकार का बदलाव हर प्रबंधन एवं कार्य में आता है, लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि हम इस बदलाव में अपने आप को कैसे ढालें। उन्होंने मनोवैज्ञानिक रूप से विद्यार्थियों में आने वाले अन्तर को समझ कर उनमें ज्ञान का संचार करने पर जोर दिया तथा कहा कि जब तक हमारे द्वारा सिखाई गई बात विद्यार्थी के मन-मस्तिष्क तक नहीं समाती तो वह सही संख्या नहीं कहा जा सकता। शिक्षा का प्रस्तुतिकरण एवं उसका छात्र में ग्रहण दोनों ही प्रभावी होने आवयश्क है और ऐसी पद्धति ही शिक्षण की श्रेष्ठ प्रणाली कही जा सकती है। विशिष्ट अतिथि प्रो. गोपीनाथ शर्मा ने संगोष्ठी में कहा कि जहां हमें ज्ञान से अपने असाचरण में बदलाव करना चाहिये, वैसे ही हमें अपने आचरण, व्यवहार और शब्द प्रयोग से विद्यार्थी में सिखाने का काम भी करना चाहिये।

सूचना और ज्ञान के अंतर को समझना आवश्यक

विशिष्ट अतिथि प्रो. संतोष मित्तल ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षा के लिये सम्प्रेषण महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे समय, परिस्थितियां बदलती है, वैसे-वैसे आवश्यकतायें बदलती है और आवश्यकतायें बदलने से शिक्षा के तरीकों में भी बदलाव आते हैं। हमें हमेशा शिक्षण को प्रभावी बनाने का प्रयास करना चाहिये। विषय, टॉपिक, परिवेश, विश्वविद्यालय के उद्देश्य, सीखने वाले छात्र आदि के आधार पर हमारे द्वारा शिक्षण कार्य करवाने की विधि में बदलाव आता है। उन्होंने शिक्षण की सुविधा पद्धति, तुलनात्मक पद्धति, सहकारी पद्धति आदि के बारे में बताया तथा कहा कि शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिये हमें खुद भी निरन्तर पढना होगा और अपनी समीक्षा भी करते रहना होगा। उन्होंने सूचना और ज्ञान के अंतर को भी समझाया और कहा कि दोनों के बीच संतुलन आवश्यक है। ज्ञान की क्रियान्विति व्यवहार में होनी आवश्यक है। सत्र के प्रारम्भ में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने अतिथियों का परिचय करवाया। डाॅ. मनीष भटनागर ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्देश्यो ंपर प्रकाश डाला। डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. गिरधारीलाल, डाॅ. सरोज राय व डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। प्रारम्भ में छात्राओं ने मंगलाचरण व स्वागत गीत प्रस्तुत किया। अंत में डाॅ. भाबाग्रही प्रधान ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. अमिता जैन ने किया। संगोष्ठी में डाॅ. प्रद्युम्र सिंह शेखावत, डाॅ. सावित्री शर्मा, डाॅ. संतोष शर्मा, शिवानी भेाजक, मनीष चैधरी, भावना पारीक, प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. जुगलल किशोर दाधीच, जेपी सिंह आदि राज्य भर से आये शिक्षक उपस्थित थे।

तकनीकी ज्ञान के साथ संस्कारों का बीज-वपन आवश्यक- प्रो. ऋजुप्रज्ञा

24 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुये प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने कहा कि वर्तमान में उस शिक्षणशैली की आवश्यकता है, जो विद्यार्थियों में ज्ञानवृद्धि के साथ संस्कारों के बीज भी बो सके। उन्होंने शिक्षण में तकनीक के प्रयेाग को वर्तमान की आवश्यकता बताते हुये कहा कि शिक्षक को तकनीकी संसाधनों पर अपनी निर्भरता कायम नहीं करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि शिक्षण शैली वह बेहतरीन है, जिसमंे कक्षा में सरसता बनी रहें, विद्यार्थियों को पढने में आनन्द आये और वे पढाई को बोझ या बोर करने वाला नहीं समझे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि विश्व का कोई भी मूल्य अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्कि उसका उपयेाग हम किस रूप में कर रहे हैं और परिस्थितियां कैसी है, इन पर निर्भर करता है। उन्होंने शिक्षण के साथ क्रियात्मकता जरूरी बताते हुये कहा कि क्रियाकलाप शिक्षण को प्रभावी बना देते हैं। अभिज्ञान शाकुन्तलम, गीता आदि ग्रंथों मे आये सरस प्रसंगों को शिक्षणशैली में शामिल करके शिक्षण को रूचिकर, सरस व प्रभावी बनाया जा सकता है। संस्थान के कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल आयोजन की सराहना की तथा कहा कि समस्त शिक्षकों एवं छात्राध्यापिकाओं को इस संगोष्ठी का लाभ मिलेगा तथा इससे शिक्षण शैली में व्यापक सुधार की गुंजाइश बनेगी। संगोष्ठी में राजस्थान व अन्य प्रांतों के विभिन्न महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों से शिक्षकों ने भाग लिया; संगोष्ठी के सम्भागी शिवम मिश्रा व रवीन्द्र मारू ने जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) और राष्ट्रीय संगोष्ठछी की सराहना की। कार्यक्रम का प्रारम्भ मंगलाचरण से किया गया। अतिथियों के स्वागत में मोनिका व समूह ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। अतिथियों का परिचय डाॅ. गिरीराज भोजक ने प्रस्तुत किया। डाॅ. भाबाग्रही प्रधान ने राष्ट्रीय संगोष्ठी की रिपोर्ट पेश की। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा ने किया। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभा सिंह, मुकुल सारस्वत, देवीलाल कुमावत, दिव्याराठौड़ आदि उपस्थित थे।

Tuesday 18 September 2018

गुजरात के भुज से आये विद्यार्थियों ने किया जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का अवलोकन

समाज कार्य के अध्ययन से सकारात्मकता पनपती है- डाॅ. प्रधान

लाडनूँ 18 सितम्बर 2018। गुजरात के भुज स्थित बाबा नाहर सिंह काॅलेज के समाजकार्य विभाग के 70 विद्यार्थी अपने प्राचार्य डाॅ. गोविन्द एवं सहायक आचार्य डाॅ. हरीश के नेतृत्व में यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शैक्षणिक भ्रमण के लिये आये। उन्होंने संस्थान के विभिन्न विभागों, काॅलेज, पुस्तकालय, परिसर आदि का अवलोकन किया तथा उनके बारे में जानकारी प्राप्त की। यहां समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाकर सबका स्वागत किया और उन्हें संस्थान व समाज कार्य विभाग के कार्यक्रमों, गतिविधियों, पाठ्यक्रमों आदि की जानकारी दी। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने कहा कि समाज कार्य विषय ऐसा क्षेत्र है, जिसमें विद्यार्थी उच्च शिक्षा पाने के साथ-साथ देश की सेवा का अवसर भी प्राप्त करता है। समाज की किसी देश की संगठित इकाई होता है और इस क्षेत्र में काम करने से व्यक्ति सामाजिक और राष्ट्रीय एकता के रूप में परिपक्व बन जाता है। विद्यार्थी में इस विषय के अध्ययन से सकारात्मक सोच पनपती है और समाज में रचनात्मक कार्य करने के लिये प्रेरित होता है; उन्होंने बताया कि जैन विश्वभारती संस्थान से सोशल वर्क में स्नातकोत्तर करने वाले विद्यार्थियों का शत-प्रतिशत प्लेसमेंट हो जाता है तथा वे केन्द्र, राज्य सरकारों तथा विभिन्न औद्योगिक, कार्पोरेट एवं एनजीओ से जुड़ कर अपना भविष्य संवार रहे हैं। उन्होंने दो संस्थानों के विद्यार्थियों के बीच परस्पर ज्ञान के आदान-प्रदान की परम्परा को बेहतर बताते हुये कहा कि इससे वे अधिकतम जानकारियों से रूबरू हो पाते हैं। डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के अन्तर्गत संचालित पाठ्यक्रम की विषयवस्तु एवं उसके विविध आयामों के बारे में विस्तार से बताया। बाबा नाहर सिंह काॅलेज भुज के डाॅ. गोविन्द व डाॅ. हरीश ने अपने काॅलेज में समाज कार्य विभाग द्वारा संचालित की जाने वाली अनेक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। दोनों संस्थानों के विद्यार्थियों ने भी इस कार्यक्रम में अपने-अपने अनुभव भी साझा किये। कार्यक्रम के अंत में सहायक आचार्य अंकित शर्मा ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विकास शर्मा ने किया।

Saturday 15 September 2018

स्वच्छता ही सेवा अभियान का शुभारम्भ

स्वच्छता को जन आंदोलन बनाने के लिये चलाया जायेगा- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ 15 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) एवं आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाईयों के अन्तर्गत शनिवार को यहां स्वच्छता ही सेवा-2018 अभियान का शुभारम्भ किया गया। शुभारम्भ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने स्वच्छता के महत्व को बताते हुये कहा कि स्वच्छ भारत मिशन की चौथी वर्षगांठ एवं महात्मा गांधी के 150वें जयंती महोत्सव के अवसर पर स्वच्छता ही सेवा अभियान आगामी 2 अक्टूबर तक एनएसएस के तत्वावधान में चलाया जायेगा। इस अभियान का लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत के विजन को जन-आंदोलन के रूप में विकसित करने का है। प्रधानमंत्री ने इस अभियान की शुरूआत शनिवार को प्रातःकाल से की है। इस अभियान के आगामी 17 दिनों में प्रतिदिन विविध निर्धारित कार्यक्रम संचालित किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि इस अभियान के अन्तर्गत जनमानस में सफाई के प्रति नजरिये व व्यवहार को बदलने के लिये घर-घर तक पहुंच कर प्रेरित किया जायेगा। स्वच्छता को लेकर जन-जागरण के लिये नुक्कड़ नाटक, स्ट्रीट प्ले, लोकगीतों एवं लोकनृत्यों आदि का आयोजन करना, हर घर से कचरा संग्रहण, गलियां, नालियां एवं अन्य स्वच्छता की मोनिटरिंग करने, गांवों एवं विद्यालयों द्वारा रैली निकाली जाकर सफाई के प्रति जागरूकता पैदा करने, सार्वजनिक स्थानों पर दीवार-लेखन करने आदि अनेक कार्यक्रम एनएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा सम्पन्न करवाये जायेंगे। कार्यक्रम का संचालन प्रभारी डॉ. प्रगति भटनागर ने किया। कार्यक्रम में सोनिका जैन, कमल मोदी, मधुकर दाधीच, रत्ना चैधरी, योगेश टाक आदि के अलावा एनएसएस की स्वयंसेवी छात्रायें भी उपस्थित थी।

Thursday 13 September 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में गणेश चतुर्थी व हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

लिपि के आविष्कर्ता थे गणेश- प्रो. जैन

लाडनूँ 13 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में गणेश चतुर्थी पर्व के साथ हिन्दी दिवस भी मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने गणेश चतुर्थी को उत्साहवर्द्धक त्यौंहार बताया तथा कहा कि इस अवसर पर होने वाले महोत्सव इस देश की पहचान के रूप में देखे जाते हैं। उन्होंने बताया कि लिपि के आविष्कारक के रूप में गणेश को माना गया है, इसलिये हिन्दी दिवस पर उन्हें मनाने की प्रासंगिकता भी है। उन्होंने हिन्दी भाषा में नई शब्दावलियों के निर्माण की जरूरत बताते हुये कहा कि इससे हिन्दी समृद्ध बनेगी। प्रभारी डाॅ. गिरीराज भोजक ने कहा कि गणेश की प्रतिमा में जो उनका विलक्षण स्वरूप दिखाई देता है, वह शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिये प्रेरणादायी व शिक्षाप्रद है। संयोजक डाॅ. सरोज राय ने कहा कि हमें अपनी राष्ट्रभाषा को अपनाना चाहिये तथा उसका प्रयोग करके गर्व का अनुभव होना चाहिये। कार्यक्रम में छात्राध्यापिका प्रियंका सिखवाल व सरोज ने भी विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा, डाॅ. आभासिंह, मुकुल सारस्वत, देवीलाल कुमावत आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मोनिका सैनी ने किया।

हिन्दी साहित्यकारों के नामों पर अंताक्षरी

आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में हिन्दी दिवस के अवसर पर छात्राओं ने हिन्दी साहित्यकारों के नामों पर आधारित अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में 30-30 छात्राओं के समूह बनाकर उनमें प्रतिद्वंद्विता करवाई गई। प्रतियोगिता में निरमा प्रजापत एवं समूह विजेता रहा। द्वितीय स्थान पर प्रीति भूतोड़िया एवं समूह रहा। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने हिन्दी को उत्तर से दक्षिण तक मान्य भाषा बनाने की आवश्यकता बताते हुये कहा कि इसके लिये व्यापक अभियान चलाया जाना चाहिये। सोमवीर सांगवान ने हिन्दी को व्यावसायिक एव शैक्षणिक स्तर पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में अपनाये जाने की आवश्यकता बताई। अभिषेक चारण ने बताया कि हिन्दी हमेशा समृद्ध भाषा रही है और इसमें अकूत साहित्य की रचना हुई है। प्रसिद्ध अंग्रेज विद्वानों ने यहां की प्रसिद्ध हिन्दी पुस्तकों के माध्यम से हिन्दी को सीखा था। कार्यक्रम में कुसुम नाई, महिमा प्रजापत, रश्मि बोकड़िया, भगवती निठारवाल, सरिता शर्मा व सुरैया बानो ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन कंचन स्वामी ने किया।

Saturday 8 September 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में घुड़सवारी गतिविधि की शुरूआत

लाडनूं में काॅलेज छात्राओं की घोड़े पर सवार होकर दौड़

लाडनूँ 8 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में शनिवार को छात्राओं को घुड़सवारी सिखाने की गतिविधि का शुभारम्भ किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने हरी झंडी दिखा कर घोड़े को रवाना किया और प्रशिक्षण के कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ छात्राओं के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुये विविध गतिविधियों का संचालन किया जाता है; इसके लिये एक साप्ताहिक दिवस का निर्धारण किया गया है। अपनी रूचि के अनुकूल विषय में प्रशिक्षण लेने के लिये महाविद्यालय की छात्राओं को हर सप्ताह गतिविधि दिवस शनिवार का इंतजार रहता है। उन्होंने बताया कि घुड़सवारी का प्रशिक्षण यहां गठित की गई रानी लक्ष्मीबाई क्लब के अन्तर्गत दिया जा रहा है। इसके लिये अब पहले दिन 21 छात्राओं का पंजीयन घुड़सवारी सीखने के लिये किया गया है तथा बहुत सारी छात्राओं ने घुड़सवारी प्रशिक्षण के प्रति अपनी रूचि जाहिर की है, उनका भी पंजीकरण किया जा रहा है।

निःशुल्क है घुड़सवारी का प्रशिक्षण

प्राचार्य प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि घुड़सवारी का प्रशिक्षण निःशुल्क रखा गया है। पंजीयन के लिये छात्राओं को केवल एक बार 100 रूपये का शुल्क रखा गया है। घुड़सवारी के प्रशिक्षक प्रसिद्ध घुड़सवार अशेाक भार्गव की सेवायें ली जा रही है तथा इसके लिये प्रभारी अपूर्वा घोड़ावत व योगेश टाक को बनाया गया है। घुड़सवारी के शुभारम्भ के अवसर पर शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, अभिषेक चारण, प्रगति भटनागर, सोनिका जैन, रत्ना चैधरी आदि उपस्थित थे। प्राचार्य ने बताया कि महाविद्यालय में अन्य गतिविधियों के निमित्त गठित क्लबों में नृत्य कला के प्रशिक्षण के लिये सोनल मानसिंह क्लब में ताम्बी दाधीच द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है व प्रभारी सोनिका जैन हैं। अपर्णा सेन क्लब में छात्राओं को चित्रकला का प्रशिक्षण सुरभि जैन द्वारा प्रदान किया जा रहा है व प्रभारी रत्ना चैधरी है। इसके अलावा विवेकानन्द क्लब में छात्राओं को वक्तृत्व कला में पारंगत बनाने के लिये एवं महाश्रमण क्लब में लेखन कला प्रशिक्षण के लिये अभिषेक चारण व सोमवीर सागवान अपनी सेवायें दे रहे हैं। इसी प्रकार खेलकूद की गतिविधियों के लिये पीटी उषा क्लब में छात्रायें डाॅ. बलवीर सिंह व मधुकर दाधीच से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। इन सभी क्लबों के लिये पर्यवेक्षक के रूप में डाॅ. प्रगति भटनागर व कमल मोदी को नियुक्त किया गया है।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान मे विश्व साक्षरता दिवस पर दुजार में कार्यक्रम का आयोजन

साक्षर व्यक्ति बच सकता है अनेक मुश्किलों से- डाॅ. मिश्रा

लाडनूँ 8 सितम्बर 2018। विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में निकटवर्ती ग्राम दुजार में एक कार्यक्रम का आयोजन करके साक्षरता के प्रति जागरूकता पैदा की गई। विभागाध्यक्ष बिजेन्द्र प्रधान व अंकित शर्मा के निर्देशन में समाज कार्य विभाग के विद्यार्थियों द्वारा राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राजेन्द्र कुमार ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. पुष्पा मिश्रा थी। डाॅ. मिश्रा ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि पढाई के अभाव में किसान एवं ग्रामीणों को बहुत प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ता रहा है। साक्षर होने के बाद उनसे आसानी से बचा जा सकता है। प्रधानाचार्य राजेन्द्र कुमार ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुये कहा कि अगर बाल्यावस्था में ही विद्यालय भेजना शुरू कर दिया जावे, तो कोई भी अनपढ नहीं रह सकता है। कार्यक्रम में आयुष जैन ने साक्षरता दर के बारे में बताया तथा कहा कि हमें देश के विकास की धारा के साथ रहने के लिये शिक्षा का प्रसार करना होगा। विद्यालय की छात्रा शांति स्वामी व पूजा स्वामी ने गांव-गांव में लोगों में साक्षरता के प्रति जागरूकता लाने की बात कही और कहा कि साक्षरता बढाने केे लिये हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। प्रारम्भ में जितेन्द्र उपाध्याय ने साक्षरता दिवस के महत्व को बताया तथा स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। अंत में प्रिया सिंह ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विकास शर्मा ने किया।

Wednesday 5 September 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में प्रतिभा खोज एवं शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन

आगे बढने के लिये केवल सकारात्मकता ही काम आयेगी- कक्कड़

लाडनूँ,5 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में प्रतिभा खोज एवं शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ ने छात्राध्यापिकाओं को वर्तमान के नकारात्मकता भरे माहौल में रह कर भी अपनी सकारात्मकता को बनाये रखने की चुनौती है। हर व्यक्ति में माइनस पाॅइंट व पाॅजिटीव पाॅइंट दोनों होते हैं। ऐसा कोई नहीं होता, जिसमें केवल माइनस या केवल पाॅजिटीव पाॅइंट ही हो। हमें किसी भी इंसान के माइनस पाॅइंट को नहीं देखना है, बल्कि हमें सदैव पाॅजिटीव पाॅइंट को ही ध्यान में रखना चाहिये। आगे बढने के लिये हमेशा सकारात्मकता ही काम आती है। उन्होंने तीन सूत्र दिये- टीम वर्क, जीवन का नजरिया और नेटवर्किंग। उन्होंने बताया कि लोगों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता होनी चाहिये। टीम वर्क से ही काम में सफलता आसान हो सकती है। अपनी जिन्दगी को आप किस दृष्टि से देखते हैं, यह भी सफलता के लिये आवश्यक है। इसके साथ ही अपना खुद का सर्कल बनायेंगे तो वह जिन्दगी में बहुत मदद करेगा। ये बातें छोटी-छोटी सीढियां हैं, जो आपको लक्ष्य तक ले जायेगी।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

कार्यक्रम का शुभारम्भ आकांक्षा द्वारा नृत्य के साथ गणेश-स्तुति से किया गया। प्रारम्भ में अतिथियों एवं शिक्षकों ने सरस्वती के चित्र को माल्यार्पण किया गया। इस समारोह में पूनम ने घूमर नृत्य, रितिका, प्रियंका राठौड़, दुर्गा राठौड़ आदि ने राजस्थानी लोक गीतों एवं अन्य गीतों पर मोहक नृत्य की प्रस्तुतियां दी। प्रियंका एवं समूह आदि ने सामुहिक नृत्य प्रस्तुत किया।पूजा कुमारी व सरोज ने गीत व कवितायें प्रस्तुत की। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षकों पर आधारित फिल्मी गीतों को जोड़ कर बनाई गई पीपीटी का प्रदर्शन करके सबका मनोरंजन किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि शिक्षक अपने ज्ञान, कौशल और अनुभव को विद्यार्थी को देता है, लेकिन इसके साथ ही यह ध्यान भी रखता है कि वह विद्यार्थियों की कमजोरियों को दूर करे और उन्हें अपनी क्षमताओं को उभार कर बाहर निकालने में सहायता करे। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. गिरीराज भोजक ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. विष्णु कुमार, मुकुल, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान आदि ने सहयोग प्रदान किया।

जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में शिक्षक दिवस आयोजित

देश को नई दिशा देते हैं शिक्षक- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 5 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में शिक्षक दिवस पर छात्राओं ने स्वयं शिक्षक की भूमिका निभाते हुये आदर्श अध्यापन का प्रस्तुतिकरण किया। इसके अलावा इस अवसर पर भाषण प्रतियोगिता, बधाई कार्ड प्रतियोगिता, प्राचार्य पद चयन प्रतियोगिता आदि विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्छ प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित इन प्रतियोगिताओं में भाषण प्रतियोगिता में प्रथम दीपिका सोनी, द्वितीय मेहनाज बानो एवं तृतीय सुरैया बानो रही। बधाई कार्ड प्रतियोगिता में प्रथम पूजा शर्मा, द्वितीय सुरैया बानो एवं तृतीय स्थान पर दो छात्राएं क्रमशः आशा स्वामी एवं आरती सिंगारिया रही। प्राचार्य पद चयन प्रतियोगिता में प्रथम वर्ष की छात्रा पूजा प्रजापत को अंतिम रूप से चयनित करते हुए प्राचार्य बनाया गया। सभी सफल छात्राओं को मोमेण्टो भेंटकर सम्मानित किया गया। इसके बाद इस अवसर पर शिक्षकों के लिये ‘‘पासिंग दी पिलो’’ प्रतियोगिता एवं नीम्बू चम्मच दौड़ रखी गयी, जिसमें सोनिका जैन एवं अभिषेक चारण क्रमशः प्रथम स्थान पर रहे। अंत में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि महाविद्यालय की सभी छात्राओं ने अपने स्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया, इसके लिये वे बधाई की पात्र हैं। उन्होंने सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्ण के जीवन पर प्रकाश डाला तथा शिक्षकों के महत्व को प्राचीन व अर्वाचीन समय के अनुसार बताया तथा कहा कि शिक्षक केवल नई पीढी का निर्माण ही नहीं करते बल्कि वे देश को नई दिशा भी देते हैं।

Saturday 1 September 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम का आयोजन

पर्वों के कारण तनाव से मुक्ति मिलती है और उत्साह का संचार होता है- प्रो. जैन

लाडनूँ 1 सितम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने पर्व मनाये जाने की अहमियत बताते हुये कार्यक्रम में कहा कि भारत में समय-समय पर जो विभिन्न पर्व मनाये जाते हैं, वे पर्व हमें खुशी, उत्साह व उमंग प्रदान करते हैं। इनसे हम तनाव, घुटन व संघर्ष से मुक्त होते हैं। इन पर्वों को मनाने से मन को बहुत शांति मिलती है, खुशी मिलती है और प्रेरणा मिलती है। ये पर्व जीवन की दिशा बदल देते हैं। कार्यक्रम संयोजक डाॅ. सरोज राय ने कृष्ण को सामाजिक नेता व जननायक बताते हुये कहा कि केवल मानव मात्र ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के लिये उन्होंने उपकारी कार्य किये थे। उन्होंने कृष्ण को नियति के प्रति प्रतिबद्ध, समय के लिये प्रतिबद्ध, संगठन शक्ति कारक एवं कर्मयोगी बताया तथा कहा कि उनके उपदेशों को आत्मसात करके हमें भी धर्मयुद्ध के लिये तत्पर रहना चाहिये।

मोबाईल के कारण बचपन की अठखेलियां खो गई

डाॅ. गिरीराज भोजक ने कहा कि कृष्ण ने अधर्म पर धर्म की स्थापना के लिये शस्त्र उठाने से नहीं चूकने का संदेश दिया था। वे एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक दर्शन थे जिनके जीवन की हर घटना हमें प्रेरणा एवं संदेश देती है। उन्होंने कृष्ण की बाल्यावस्था व युवावस्था का वर्णन करते हुये उनमें घटित प्रमुख घटनाओं से मिलने वाले संदेश का उल्लेख किया तथा कहा कि उस समय जो बचपन होता था, वह आज खो चुका है। उस खेलते-कूदते बचपन को मोबाईल के चलन ने लील लिया है। कार्यक्रम में डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, नीतू जोशी, पूजा, मुग्धा आदि ने कृष्ण के जीवन पर आधारित भजन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का प्रारम्भ कृष्ण के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया तथा अंत में प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन छात्राध्यापिका मोनिका ने किया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में भी जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि कृष्ण को लेकर विश्व भर में सबसे ज्यादा साहित्य की रचना की गई है। कृष्ण की लीलाओं के बहुत ही सारगर्भित अर्थ हैं, उन्हें हर व्यक्ति अपने ही नजरिये से देखता है। अभिषेक चारण ने कृष्ण के जीवन पर प्रकाश डाला। छात्राओं ने भी कृष्ण के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।