Thursday 31 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) मे नवनर्ष पर शुभकामना समारोह का आयोजन

 

खुद पर विश्वास और परिश्रम से संभव है हर चुनौती का सामना - कुलपति

लाडनूँ, 1 जनवरी 2021।जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि मेहनत से ही सफलता को प्रापत किया जा सकता है। सफलता के लिये सोच को भी बड़ा बनाने की जरूरत है। खुद की भावनाओं में जो ताकत होती है कि व्यक्ति हर चुनौती का सामना सहज रूप से कर सकता है। यह खुद पर विश्वास ही है कि व्यक्ति चुनौतियों का सामना करने के लिए जीत का विश्वास रख पाता है। उन्होंने यहां महाप्रज्ञ सभागार में नववर्ष पर आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने जीवन में नकारात्मकता को छोड़ने और नवीनतम टेक्नोलोजी को अपनाने के साथ अपने पूर्ण सामथ्र्य का उपयोग करने से चुनौतियां आसान बन जाती है। उन्होंने इस अवसर पर नव वर्ष की शुभकामनायें देने के साथ नये वर्ष में सफलता के सम्बंध में कुछ टिप्स दिये।

कार्यों का पुनरावलोकन अवश्य करें

कार्यक्रम में प्रो. नलिन शास्त्री ने नेतृत्व क्षमता के बारे में बताते हुये कहा कि चाहे कोई संस्था हो, समाज हो या देश हो, सबमें नेतृत्व शक्ति सबसे महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने बीते वर्ष के अपने कामों का पुनरावलोकन करने और नववर्ष में सुधार के साथ नई चुनौतियां का मुकाबला करने की आवश्यकता बताई। दूरसि शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने आपदाओं को अवसर में बदलने की आवश्यकता बताई। शिक्षा विभाग के प्रो. बीएल जैन, अंग्रेजी विभाग की प्रो. रेखा तिवाड़ी, समाज कार्य विभाग के डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, अहिंसा एवं शांति विभाग के प्रो. अनिल धर व विताधिकारी आरके जैन ने भी अपने विचार रखे एवं नये साल की शुभकामनायें दी। कार्यक्रम के अंत में रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत ने किया। कार्यक्रम में समस्त शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ मौजूद रहा।

नववर्ष पर मंत्रानुष्ठान

यहां जैन विश्वभारती स्थित भिक्षु विहार में मुनिश्री सुमति कुमार ने नववर्ष के अवसर पर मंत्रानुष्ठान का आयोजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जीवन को सुखी, शांतिपूर्ण और सफल बनाने के लिये जरूरी है कि हम नई शुरूआत करने के लिये संकल्प करें और पुरूषार्थ करें। हमें अपनी कमियों को दूर करके जीवन में सम्पन्नता और शांति लानी चाहिए। परिवार में शांति कायम हो, मन में शांति रहे, इसके लिये वाणी में मधुरता और मंदता होनी चाहिए। उत्तेजित होकर कभी नहीं बोलें। प्रतिदिन सोते समय श्वास ग्रहण करते समय शांति का संकल्प लें, परिवत्रन होना शुरू हो जाएगा। कार्यक्रम में उन्होंने मंगलपाठ, भक्तामर स्त्रोत का पाठ, मंत्रों के विविध प्रयोग करवाये और उनके लाभ बताए। इस अवसर पर जैन विश्वभारती एवं विश्वविद्यालय के समस्त कार्मिक एवं श्रावकगण उपस्थित रहे।

चुनौतियां स्वीकार कर नई उड़ान भरें- प्रो. जैन

2 जनवरी 2021 । जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में ऑनलाइन नववर्ष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने कहा कि चुनौतियां ही हमें नये रास्ते सिखाती है, अतः चुनौतियां से घबराना नहीं चाहिए। हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए तभी हम कार्य मे नवीनता, नवोन्मेष एवं नई उड़ान भर सकते हैं। नववर्ष नवीनता, नवोन्मेष एवं सकारात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत करता है। वर्तमान जितना खुशियों, प्रसन्नता और आनंद से भरा होगा, अतीत और भविष्य उतना ही आनंददायी होगा। वर्तमान में खुश रहने के लिए लक्ष्य परक, हुनुर विकसित एवं आनन्दप्रद कार्य करने चाहिए वर्तमान का सार्थक दिन अतीत व भविष्य में भी खुशी प्रदान करता है। कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों में से रेखा शेखावत, सरिता, रुबीना, चंचल शेखावत, हर्षिता स्वामी ने भाषण के माध्यम से, ऋतु स्वामी, मनीषा टाक, सुमन चैधरी, रजनी भाटी, आमना, साधना सैनी, चंद्रकांता सोनी, पल्लवी स्वामी ने कविता के माध्यम से, नीतू जोशी ने गाने के माध्यम से, सुनीता चैधरी ने नृत्य के माध्यम से एवं किरण सांडू ने कविता और गाने के माध्यम से अपने भावों को अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी.प्रधान, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. ममता सोनी, सुश्री प्रमोद ओला, मि. ललित कुमार आदि उपस्थित रहे। अन्त में डॉ. अमिता जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संयोजन बी.एड छात्राध्यपिका मनीषा पंवार एवं नीतू कंवर ने किया।

Tuesday 29 December 2020

जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में वित्तीय नियोजन के सम्बंध में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

 लाडनूँ, 30 दिसम्बर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में संस्थान के कुलपति प्रो. बछराज दूगड़ के निर्देशन एवं वाणिज्य संकाय के तत्वावधान में ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में वित्तीय नियोजन की भूमिका’ विषय पर एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने की। सेमिनार के प्रमुख वक्ता के रूप में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रो. पी.के. सिंह द्वारा आय, निवेश एवं व्यय समायोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक निश्चित उम्र के पड़ाव पर किस प्रकार आर्थिक निवेश करना चाहिये, को व्याख्यायित किया। केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान से डॉ. संजय कुमार पटेल ने ‘निवेश के माध्यम से टैक्स सेविंग’ किस प्रकार की जा सकती है, की जानकारी दी। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ से जुड़े वक्ता डॉ. अमित मंगलानी ने निवेश के नूतन आयामों पर विस्तृत चर्चा की। सेमिनार की शुरुआत में महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय के व्याख्याता अभिषेक शर्मा ने वक्ताओं का परिचय करवाया एवं प्रो. त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए समय-समय पर ऐसे आयोजनों के महत्व को उजागर किया और वाणिज्य संकाय के सदस्यों को इसके लिए बधाई दी। इस राष्ट्रीय वेबीनार में देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिभागियों ने भाग लिया। अंत में कमलकुमार मोदी ने आभार ज्ञापित किया। वेबीनार का संचालन व्याख्याता श्वेता खटेड़ ने किया।

Tuesday 22 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘महाकवि रसखान की कृष्ण भक्ति और उनका रचना संसार’ विषय पर व्याख्यान आयोजित


मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू धर्म और पौराणिक कथाओं से बहुत गहराई से परीचित थे रसखान

लाडनूँ, 23 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में आंतरिक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत अभिषेक चारण ने ‘महाकवि रसखान की कृष्ण भक्ति और उनका रचना संसार’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुए इस व्याख्यान में चारण ने बताया कि रसखान मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते थे और उनकामूल नाम सैयद इब्राहिम था, परन्तु कृष्ण की भक्ति उनके रोम-रोम में बसी हुई थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन कृष्ण की भक्ति और उन पर काव्य रचने में लगा दिया था। उन्होंने बृज भाषा में यमक अलंकार का प्रयोग करते हुये सवैयों की रचना की। उनकी काव्य-रचना भक्ति और श्रृंगार रस से भरी हुई रही। मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू धर्म और पौराणिक कथाओं से बहुत गहराई से वे परीचित थे। रसखान ने कृष्ण की बाल-लीलाओं से लेकर रास-लीलाओं तक का सजीव चित्रण अपनी रचनाओं में किया। साथ ही गूढ दार्शनिक तत्वों का उल्लेख उन्होंने अपनी रचनाओं में सरल शब्दों और भाषा में करके उन्हें सहज बनाया। चारण ने अपने व्याख्यान में रसखान की कविताओं को प्रसतुत करते हुये अपने व्याख्यान को रसमय बना दिया। व्याख्यान के अंत में प्रश्नोत्तरी में उपस्थित संकाय सदस्यों ने अनेक जिज्ञासाएं प्रस्तुत की, जिनके बारे में चारण ने जवाब देकर समाधान प्रस्तुत किए। सोमवीर सांगवान ने प्रारम्भ में व्याख्यान की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में कमल कुमार मोदी, विनोद कुमार सैनी, शेरसिंह, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़, डाॅ. प्रगति भटनागर आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. बलवीरसिंह चारण ने आभार ज्ञापित किया।

Sunday 20 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत ‘शिक्षा में सोचने, विचारने और खोजने पर बल’ विषय पर व्याख्यान आयोजित

 

सजीव व प्राणवंत शिक्षा के लिए सोचने, विचारने और खोजने की जरूरत- प्रो. जैन

लाडनूँ, 21 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत ‘शिक्षा में सोचने, विचारने और खोजने पर बल’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी को जीवन की कला सिखाने का प्रयास करना चाहिए। व्यक्तित्व निर्माण के साथ व्यक्तित्व के गुणों का विकास करने की आवश्यकता है। किताबें कम तथा शोधपत्र अधिक लिखे जाने चाहिए। शोधपत्र लिखने में समय कम लगता है, जिससे कि हम नई क्रियाओं को विद्यार्थियों को बता सकते हैं। किताब लिखने में एक या दो साल का समय लगता है। तब तक हमारा ज्ञान पुराना हो जाता है और वे किताबें उतनी उपयोगी नहीं रह पाती हैं। इसलिए विद्यार्थी को शिक्षक नए-नए शोध कार्य लिखाने एवं नवीन विषयों समझाने का प्रयास करना चाहिए।

नवीन संसाधनों को तत्काल अपनाने की जरूरत

हम पुरानी बातों को और अतीत के हुए विचारों को ही बताने का अधिक प्रयास करते हैं। वर्तमान में आयी हुई नई चीजों को हम तब बताते हैं, जब वह पुरानी चीज हो जाती है। शिक्षा में समय के साथ बदलाव और नवीन संसाधनों के प्रयोग उसी समय किये जाने चाहिये। उन्हें समयान्तर से अपनाने से उपयोगिता का असर कम हो जाता है। मानसिक विकास के लिए आवश्यक नहीं है कि बंद पुस्तक की शिक्षा ही उसे दी जाए, उसे खुले विचारों की शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए। जितना हम उसे खुले विचार खुले चिंतन लिखने के बारे में कहेंगे, उतने ही नई चीजों का विकास होगा। शिक्षा को सजीव, सक्रिय व प्राणवंत बनाने का प्रयास शिक्षक को सोचने, विचारने और खोजने से करना चाहिए। कार्यक्रम में शिक्षा संकाय के डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी. प्रधान, डॉ विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. ममता सोनी, सुश्री प्रमोद ओला, ललित कुमार, उपस्थित रहे।

Sunday 13 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में साईबर सिक्योरिटी विषय पर व्याख्यान का आयोजन

 

साईबर खतरों से बचने के लिये विशेष सतर्कता एवं सुरक्षा उपाय जरूरी- डाॅ. भटनागर

लाडनूँ, 14 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देशानुसार ‘साईबर सिक्योरिटी’ विषय पर विशेष जागरूकता के लिये एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुये इस कार्यक्रम में आईटी प्रभारी डाॅ. प्रगति भटनागर ने कहा कि डिजीलाईटेशन के दौर से गुजरते विश्व में वर्तमान में लापरवाही के कारण कभी भी कोई समस्याओं का शिकार हो सकता है। ऑनलाईन लेनेदेन और अन्य उपक्रमों में हमारे व्यक्तिगत डाटा चुराये जाने एवं अन्य तरीकों से आर्थिक नुकसान पहुंचना संभावित है। ऐसे में हमें क्रियाशील रहने के साथ ही सतर्क भी रहना होगा। डाॅ. भटनागर ने कहा कि हमें इस तरह से शिकार बनने से बचने के लिये अनेक सुरक्षात्मक उपायों को अपनाना चाहिये। हमें किसी भी अपरीचित ईमेल को नहीं खोलना चाहिये। अपने कम्प्यूटर एवं मोबाईल को किसी अच्छे एंटीवारस से सुरक्षित रखना चाहिये। सोशल मीडिया पर अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी नहीं साझा नहीं करनी चाहिये। मोबाईल में व्हाट्सअप एवं अन्य सोशल साईट्स पर आने वाले लुभावने मैसेज से खुद को बचाना चाहिये। इंटरनेट पर अक्सर प्रलोभनों के जरिये से धोखा और लूट की जा सकती है। उन्होंने अपने व्याख्यान में सरकार द्वारा साईबर क्रईम से सुरक्षा के लिये उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी दी तथा सर्टिन को साईबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने उपस्थित सदस्यों द्वारा व्याख्यान के अंत में उठाई गई जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। कार्यक्रम का संचालन सोमवीर सांगवान ने किया और अंत में विनोद कुमार सैनीने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर कमल कुमार मोदी, डाॅ. बलवीर चारण, अभिषेक चारण, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़ आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में रैगिंग अपराध निषेध सेमीनार का आयोजन

 लाडनूँ, 14 दिसम्बर 2020।जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में सोमवार को एंटी रैगिंग सेल व एंटी स्क्वाड सेल के तत्वावधान में रैगिंग अपराध निषेध सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम कुलपति एवं सेल के अध्यक्ष प्रो .बीआर दूगड़ के नेतृत्व में आयोजित किया गया। एंटी रैगिंग सेल कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बीएल जैन ने प्रारम्भ में विषय की जानकारी देते हुए कहा उच्च शिक्षा संस्थान में रैगिंग अपराध निषेध विनियम रैगिंग में नवीन प्रवेशार्थी या अन्य विद्यार्थियों से रंग, प्रजाति, धर्म, जाति, जातिमूल, लिंग, भाषा, जन्म, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना का कृत्य रैगिंग अपराध हैं। रैगिंग में आपराधिक षड्यंत्र, शालीनता और नैतिकता भंग, चोट पहुंचाना, प्रहार करना, धमकी देना, अपमानित करना, बलात ग्रहण करना, दुर्व्यवहार करना, अनुशासनहीनता का वातावरण बनाना, भय का वातावरण उत्पन्न करना, आर्थिक शोषण करना, नंगा करना, अश्लील हरकत करना, गाली देना आदि रैगिंग के अंतर्गत आता है। ऐसे दुष्कृत्य में किसी के दोषी पाये जाने पर संस्थान की कमेटी प्रशासनिक कारवाई करते हुए संस्थान से निष्कासित कर सकती है और कानूनी कारवाई कर सकती है। एंटी रैगिंग स्क्वाड सेल के संयोजक व कुलसचिव रमेश मेहता ने कहा कि स्क्वाड सेल संस्थान, कैंटीन, छात्रावास आदि में औचक निरीक्षण का कार्य करती है, अभी संस्थान में कोविड -19 महामारी के कारण विधार्थी नहीं आ रहे है फिर भी कोई इस संदर्भ शिकायत हो तो अवगत करा सकते है। अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने कहा हमे मित्रता, प्रेम, सहयोग की भावना से रहना चाहिए, जिसे इस प्रकार की कठिनाई नहीं हो। कमेटी के सदस्यों का परिचय एवं आभार ज्ञापन प्रो.बी.एल.जैन ने किया। कार्यक्रम में कमेटी के डॉ. आभासिंह, डॉ. बिजेंद्र प्रधान, वीके शर्मा, डॉ. प्रगति भटनागर तथा संस्थान के सभी विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Friday 11 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा में प्रवेश के लिये आवेदन की अंतिम तिथि बढाई

 लाडनूँ, 12 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में प्रवेश की अंतिम तिथि यूजीसी के निर्देशानुसार बढा कर 20 दिसम्बर कर दी गई है। निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि दूरस्थ शिक्षा में नये प्रवेश के लिये विद्यार्थी 20 दिसम्बर तक अपने आवेदन फार्म ऑनलाईन भर सकते हैं। कोई भी विद्यार्थी जो दूरस्थ शिक्षा से बीए तथा बीकॉम प्रथम वर्ष एवं एमए पूर्वार्द्ध में सत्र 2020-21 के लिये प्रवेश प्राप्त करना चाहता हो, उसके द्वारा अपना आवेदन ऑनलाइन फॉर्म भर कर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में अधिक एवं अन्य जानकारी के लिए दूरस्थ शिक्षा विभाग के हेल्पलाइन नंबर 9462658501 पर संपर्क किया जा सकता है और व्हाट्सअप मैसेज से जानकारी ली जा सकती है।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित ‘संकाय सवर्द्धन कार्यक्रम’ में व्याख्यान का आयोजन

 

नई शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन देश को नई दिशा देने में सक्षम

लाडनूँ, 12 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित ‘संकाय सवर्द्धन कार्यक्रम’ में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: तथ्य और चुनौतियां’ विषय पर डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा ने अपने व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के बारे में चर्चा करते हुये स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा तथा शिक्षक शिक्षा के बारे में सुधारों की व्याख्या की। उन्होने बताया कि स्कूल शिक्षा में 5 + 3 + 3 + 4 पैटर्न, कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा का प्रारम्भ, कक्षा 5 तक अनिवार्य मातृभाषा में शिक्षा, शिक्षक शिक्षा में 2030 तक चार वर्षीय एकीकृत बीएड को ही मान्यता, शिक्षक पात्रता परीक्षा में बदलाव, शिक्षक भर्ती में डेमो व साक्षात्कार की अनिवार्यता आदि सुधार प्रमुख हैं, जिन्हें लागू करने में अनेक चुनौतियां हैं। इनमें राज्य सरकारों का सहयोग, वित्तीय व्यवस्था, मानवीय संसाधनों की आपूर्ति, भाषा सम्बंधी चुनौतियां प्रमुख हैं। इनका सामना सबके सहयोग से ही किया जा सकता है। यह नई शिक्षा प्रणाली ‘रीड टू लर्न’ के स्थान पर ‘लर्न टू रीड’ पर जोर देती है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने इस अवसर पर कहा कि नई शिक्षा नीति के प्रावधान शिक्षा के विभिन्न आयामों को नई दिशा देने वाले हैं। अगर इनका क्रियान्वयन सफल तरीके से होता है, तो यह नई प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों में समकक्ष ले जाएगी। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. ममता सोनी, ललित गौड़ आदि शिक्षा संकाय के सदस्य उपस्थित रहे।

Friday 4 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में “संकाय संवर्धन कार्यक्रम” के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन

 

तेजी से बढते मनोरोगों के प्रति जागरूकता जरूरी- डाॅ. अमिता जैन

लाडनूँ, 5 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में “संकाय संवर्धन कार्यक्रम” के अंतर्गत “वर्तमान में मानसिक रोगों के लक्षण, कारण तथा उपाय” विषय पर डॉ. अमिता जैन ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मानसिक रोगों की बढ़ती संख्या ने व्यक्ति, समाज व देश को प्रभावित किया है। मानसिक रोगों की संख्या वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद तेजी से फैली है। व्यक्ति में भय, तनाव, अनिद्रा आदि के कारण यह रोग तेजी से बढ़ा है। इच्छाएं, आकांक्षा और आवश्यकताओं की पूर्ति के अभाव के कारण मनोरोग ग्रस्तता बड़ी है। मानसिक रोग गंभीर समस्या के रूप में उभर कर हमारे समक्ष उपस्थित है। यह अति आवश्यक हो गया है कि मानसिक रोगों के प्रति लोगों को जागरूक किया जावे। मानसिक रोगों के कारण विभिन्न प्रकार के शारीरिक रोगों का उद्भव भी हो रहा है। जिस वातावरण के कारण मानसिक रोगी बढ़ रहे हैं, उसके बढ़ने का कारण जानना आवश्यक हैं और फिर उसे रोकने के उपाय खोजने होंगे। डाॅ. जैन ने इस विषय पर गहन चिंतन तथा मनन की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि स्वस्थ व्यक्तियों से ही देश का विकास संभव है। बीमारु देशों ने कभी भी अपना विकास नहीं किया है। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि अवकाश के समय का सदुपयोग, रचनात्मक कार्य एवं सकारात्मक सोच आदि से मानसिक रोगों से बचा जा सकता है। कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारीलाल, डॉ. ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित कुमार आदि उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विभिन्न दायित्वों के लिये समितियों का गठन

 लाडनूँ, 5 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत विभिन्न कार्यों के क्रियान्वयन के लिये संचालित विभिन्न समितियों, प्रकोष्ठों का नवीनीकरण एवं पुनर्गठन किया गया है। रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता ने बताया कि संस्थान की क्रय समिति में संयोजक प्रो. बीएल जैन, सांस्कृतिक समिति की संयोजक प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा, खेल समिति के संयोजक प्रो. बीएल जैन, प्रकाशन प्रकोष्ठ के संयोजक डीआर खोजा, एंटी रैंगिंग सेल के अध्यक्ष प्रो. बीआर दूगड़, एंटी रैंगिंग स्क्वाड के समन्वयक रमेश कुमार मेहता, महिला शिकायत व यौन उत्पीड़न प्रकोष्ठ की समन्वयक प्रो. रेखा तिवाड़ी, अजा-जजा प्रकोष्ठ एवं सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो. बीआर दूगड़, नेटवर्किंग, सोफ्टवेयर डेवलपमेंट एवं आईटी मामलात प्रकोष्ठ के संयोजक मोहन सियोल, विश्वविद्यालय वेबसाइट विकास समिति के संयोजक मोहन सियोल, शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के संयोजक प्रो. एपी त्रिपाठी, एल्यूम्नी एसोसियेशन के अध्यक्ष डाॅ. आलम अली, प्लेसमेंट एवं कैरियर काउंसलिंग सेल के संयोजक डाॅ. पीएस शेखावत, एकेडमिक ऑडिट सेल के समन्वयक प्रो. दामोदर शास्त्री, एकेडमिक कैलेंडर कमेटी के संयोजक प्रो. एपी त्रिपाठी, एनसीसी एवं एनएसएस के प्रभारी आयुषी शर्मा व बलवीर सिंह, प्रसार प्रकोष्ठ की संयोजक डाॅ. पुष्पा मिश्रा, दिव्यांग-योजनाओं के क्रियान्वयन प्रकोष्ठ केे समन्वयक कमल कुमार मोदी तथा पर्यावरण समिति के समन्वयक डाॅ. पीएस शेखावत को नियुक्त किया गया है।

Tuesday 1 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट एचआईवी व एड्स दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन

 

जागरूकता ही बचाव बन कर एड्स फैलने को नियंत्रित कर सकती है- डाॅ. प्रधान

लाडनूँ, 2 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट एचआईवी व एड्स दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने कहा कि एड्स से भयभीत होने के स्थान पर उसके फैलने के कारणों को जानकार उसका मुकाबला करना चाहिये। अगर हमें इस बारे में भलीभांति पता रहे कि एचआईवी-एड्स किन कारणों से प्रसार पाता है तो हम उन सबसे अपना बचाव कर सकते हैं और इस प्रकार एड्स से बचा जा सकता है। डाॅ. प्रधान ने एड्स के फैलने के समस्त कारणों के बारे में विस्तार से बताया और सावधानी बरतने की आवश्यकतायें बताई। उन्होंने इस बारे में समाज में जागरूकता फैलाने की बात कहते हुये कहा कि जागरूकता इस घातक रोग से बचाव करने के लिये सहायक सिद्ध हो रही है। डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने समाज कार्य विभाग के विद्यार्थियों से विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, संगठनों, समुदाय आदि से अपने फील्ड वर्क के दौरान जुड़ कर जागरूकता के कार्यों को गति दे सकते हैं। इसके लिये संगोष्ठी, सेमिनार, कार्यशाला, प्रतियोगिताओं आदि अनेक कार्यक्रमों को आयोजित किया जा सकता है। उन्होंने कोरोना के समय में काम करने एवं जागरूकता पैदा करने के बारे में बताया और कहा कि इन सब माध्यमों से एचआईवी-एड्स फैलने से रोका जा सकता है। कार्यक्रम में संकाय सदस्यों के अलावा विद्यार्थी, शोध छात्र, अभिभावक आदि सम्मिलित रहे।