Friday 29 January 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में रामचरित मानस में जीचन मूल्य विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

 

तुलसी ने रामकथा के माध्यम से मानव जाति के समक्ष आदर्शों की प्रतिष्ठा की- प्रो. तिवारी

लाडनूँ, 30 जनवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में ‘रामचरित मानस में जीवनमूल्य’ विषय पर एक ऑनलाईन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. कैलाश नारायण तिवारी ने कहा कि संत तुलसी ने रामकथा के माध्यम से समग्र मानव जाति के समक्ष जो आदर्श स्थापित किए, वे आज भी अद्वितीय और अनुपम हैं। शाश्वत जीवन मूल्यों का जितना सरगर्भित विवेचन रामचरित मानस में मिलता है, उतरा किसी भी दूसरे धर्मग्रन्थ में मिल पाना मुश्किल है। इस ग्रंथ में रामकथा के विभिन्न पात्रों के जरिये एक आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श मित्र, आदर्श शिक्षक, आदर्श विद्यार्थी, आदर्श अभिभावक, आदर्श भाई, आदर्श पत्नी, आदर्श मित्र, आदर्श सेवक और आदर्श शत्रु तक के स्वरूप चरित्रों को निरूपित किया गया है। रामचरित मानस में संत तुलसीदास हमारे समक्ष धर्मउपदेशक और नीतिकार के रूप में उपस्थित होते हैं। इसमें देश के सनातन जीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा के साथ अनेक नवीन जीवन मूल्यों की स्थापना भी की गई है। वेबिनार के मुख्य वक्ता वाराणसी के सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय के प्रो. राजेन्द्र मिश्रा ने अपने सम्बोधन में कहा कि वाल्मीकि रामायण में चार पुरूषार्थों का आधार तत्व बनाया गया है, लेकिन रामचरित मानस में श्रद्धा व भक्ति की भावनाओं को महत्व दिया गया है। इससे क्षमा, दया, ममता, करूणा, सतय, अहिंसा, विश्वबंधुत्व, परोपकार, उदारता आदि मूल्यों का प्रस्फुटन स्वतः ही हो जाता है। हमारी परम्परा और विरासत के महत्वपूर्ण प्रतिरूप के रूप में रामचरित मानस अपना स्थान रखता है। वेबिनार के प्रारम्भ में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने स्वागत वक्तव्य के साथ विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मूल्यों का संकट दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या के रूप में उपस्थित है। मूल्यों का नष्ट होना चिंताजनक है। इसके लिए आवश्यक हो गया है कि अपने कालजयी साहित्य का गहन अध्ययन करके हम उदात्त जीवन मूल्यों की तलाश करके उन्हें आत्मसात करने के साथ समाज में उन्हें प्रतिष्ठापित करें। वेबिनार के अंत में डाॅ. विनोद कुमार सैनी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अभिषेक चारण ने किया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शहीद दिवस पर किया गांधी को याद

 

अहिंसा के प्रतीक गांधी की शिक्षाओं में सभी समस्याओं का हल- डाॅ. लिपि

लाडनूँ, 30 जनवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के अन्तर्गत महात्मा गांधी की पुण्यतिथि शहीद दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाकर राष्ट्रपिता के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में डाॅ. लिपि जैन ने महात्मा गांधी को आधनिक युग में अहिंसा के प्रतीक के रूप में चित्रित करते हुए उनके द्वारा प्रतिपादित शिक्षाओं को वर्तमान की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए महत्वपूर्ण बताया। विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने गांधीमार्ग की विशेषताओं को रेखांकित करते हुये वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में उसका महत्व बताया तथा कहा कि इच्छाओं के अल्पीकरण एवं सरलीकरण से मानव समाज की विभिन्न समस्याओं का समाधान संभव है। डाॅ. रविन्द्रसिंह राठौड़ ने वैश्विक परिपेक्ष्य में सामाजिक समरसता के लिए गांधी के अहिंसा सिद्धांत और व्यवहार को उपयोगी बताया। डाॅ. बलवीर सिंह ने गांधी की प्रासंगिकता का भारतीय परिप्रेक्ष्य में उल्लेख किया। डाॅ. विकास शर्मा ने भारतीय स्वतंत्रका के आंदोलन में महात्मा गांधी और उनके सिद्धांतों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में मोनिका भाटी व कोमल तुनवाल ने भी अपने विचार रखे व गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। अंत में प्रेरण जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी राखी प्रजापत ने किया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ग्राीन कम्प्यूटिंग पर व्याख्यान आयोजित

 

कम्प्यूटर-मोबाईल के अंधाधुंध प्रयोग से हुए पर्यावरण खतरे से निपटने के उपायों पर ध्यान जरूरी

लाडनूँ, 30 जनवरी 2021।जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में ‘ग्रीन कम्प्यूटिंग एक पर्यावरण सम्मत उपागम’ विषय पर डाॅ. मनीष भटनागर ने कहा कि आधुनिक समाज में प्रत्येक कार्य सूचना और प्रौद्योगिकी पर आधारित है और मानव जीवन के प्रत्येक कार्यक्षेत्र में कम्प्यूटर, मोबाईल जैसी तकनीकों का उपयोग बढता ही जा रहा है। सभी उपकरणों का अपशिष्ट एकत्रित होकर बढता ही जा रहा है और इनके कारण पर्यावरण खतरे भी बढने लगे हैं। इनमें अनुपयोगी विभिन्न पदार्थों के नष्ट करने से पर्यावरणीय खतरा बढता जा रहा है। इन खतरों से बचने और मानव पीढी को संरक्षित रखने की दिशा में विश्वभर में लोगों की चिंताएं बढ रही हैं। इसके लिए इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के उपयोग के काल को दीर्घ बनाने और ऊर्जा के समुचित उपयोग के लिए सोचने की आवश्यकता है। शिक्षा के माध्यम से इस सम्बंध में जागरूकता लाई जा सकती है। पर्यावरण एक सामाजिक दायित्व है और इसके संरक्षण के लिए अनुशासित होकर भावी पीढी को खतरों से बचाने के लिए काम करने की जरूरत है।

पर्यावरण सम्मत उपकरणों के निर्माण व प्रयोग को बढावा जरूरी

डाॅ. भटनागर ने कहा कि ग्रीन कम्प्यूटिंग में पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के साथ विभिन्न उपकरणों का प्रयोग सुनिश्चित करता है। कम्प्यूटर, माॅनिटर, स्टारेज डिवाइस आदि का निस्तारण भी सर्वसम्मत व सुनिश्चित होना आवश्यक है। साथ ही अवांछित उपकरणों को पुनः उपयोग में लाने योग्य बनाने की आवश्यकता है। ऊर्जा संरक्षण वाले कम्प्यूटर, प्रिंटर, सर्वर का निर्माण और सहयोगी स्टोरेज व्यवस्था को विकसित करने, ऑटो ऑफ सिस्टम लाए जाने, कंप्यूटर अपशिष्ट के लिए संग्रहण केन्द्र बनाए जाने आदि कदमों को उठाए जाने की महत्ती आवश्यकता बनी हुई है। ग्रीन कम्प्यूटिंग को एक आंदोलन के रूप में लिया जाकर अपनाना होगा। डाॅ. भटनागर ने कहा कि आज जरूरत है कि एलईडी का उपयोग करके बेहतर परिणामों को प्राप्त किया जाए एवं पर्यावरण-सम्मत उपकरणों का निर्माण किया जाए, यह आवश्यक बन गया है। व्याख्यान के पश्चात प्रश्नोत्तर सत्र किया गया, जिसमें सहभागियों के सवालों का जवाब देते हुए समाधान की दिशा में चर्चा की। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने आभार ज्ञापित किया। इस दौरान डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह, ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित गौड़ आदि उपस्थित रहे।

Thursday 28 January 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अन्तर्राष्ट्रीय कार्यो के लिए कार्यालय का उद्घाटन


 

विदेशी छात्रों व संस्थानों के साथ जैविभा विश्वविद्यालय की बढेगी गतिविधियां- कुलपति

लाडनूँ, 29.जनवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अन्तर्राष्ट्रीय कार्यो को गति देने हेतु एक कार्यालय का उद्घाटन संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ द्वारा किया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कुलपति दूगड़ ने अन्तर्राष्ट्रीय कार्यों के नौ सूत्रीय कार्यक्रमों की ओर आकर्षित करते हुए बताया कि इस कार्यालय के माध्यम से विदेशी छात्रों के स्वागत और समर्थन से संबंधित सभी मामलों का समन्वय किया जाएगा। विदेशी छात्रों के बीच प्रवेश प्रक्रिया से संबंधित जानकारी का प्रसार किया जाएगा। देश से बाहर होने वाली प्रचार गतिविधियों और ब्रांड निर्माण सम्बंधी अभियान में यह कार्यालय संलग्न रहेगा। विदेशी संस्थानों के साथ सभी सहयोगी गतिविधियों को पूरा करने के लिए यह सिंगल पॉइंट संपर्क रखेगा। विदेशी छात्रों और प्रायोजक एजेंसी के बीच संपर्क निकाय के रूप में यह कार्यालय काम करेगा। सभी प्रकार के मामलों में इस कार्यालय द्वारा विदेशी छात्रों की शिकायतों को दूर किये जाने का काम किया जाएगा। साथी छात्रों के साथ नेटवर्किंग की सुविधा की जाएगी। विदेशी छात्रों के भारत में प्रवास को आरामदायक और समृद्ध बनाने के लिए तथा उन्हें नए सांस्कृतिक वातावरण के अनुकूल बनाने के सम्बंध में हर संभव सहायता प्रदान करने का कार्य करेगा। इस अवसर पर उन्होंने कार्यालय की समन्वयक को कार्यो को गति देने के सम्बंध में आवश्यक निर्देश भी प्रदान किए।

विदेशी छात्रों के लिए होंगे सुविधापूर्ण कोर्स

इस अवसर पर दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि संस्थान में विगत कई वर्षों से अन्तर्राष्ट्रीय कार्यों की दिशा में कुछ प्रयत्न होते रहे हैं। किन्तु अब यह केन्द्र खुल जाने से इस दिशा में विशेष गति मिल पाएगी। अहिंसा एवं शान्ति विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने कहा कि अनेकान्त शोधपीठ के अन्तर्गत विदेशी छात्रों के लिए बनाई गई योजनाओं को अब इस कार्यालय के माध्यम से आगे बढ़ाने का काम किया जा सकेगा। अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के इस कार्यालय की समन्वयक प्रगति चैरड़िया ने इन्टरनेशनल अफेयर्स की विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करते हुए बताया कि कार्यालय के माध्यम से संस्थान की बेवसाइट पर इन्टरनेशनल अफेयर्स की गतिविधियों को प्रकाशित किया जायेगा तथा इस सम्बंध में एक पत्रिका भी लांच की जायेगी। विदेशी छात्रों की सुख-सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमण्डलों की मेजबानी के लिए सम्भावनाएं तलाशी जायेगी। विदेशी छात्रों के लिए सर्टिफिकेट, स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी शुरू किये जायेंगे। कुलसचिव रमेश मेहता ने इस अवसर शुभकामनां प्रस्तुत करते हुए सबके सहयोग से कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये प्रेरित किया।

जैविभा को मिलेगा अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. नलिन शास्त्री ने कहा कि संस्थान में अन्तर्राष्ट्रीय कार्यों के लिए पहले से ही काम होता रहा है, किन्तु संस्थान इस दिशा में अब बड़े कदम बढायेगा। एक विस्तृत कार्य योजना के साथ समयबद्ध कार्य किये जायेंगे और तदनुरूप इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किये जायेंगे। इससे इस संस्थान को अब अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप प्राप्त हो सकेगा। प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. प्रद्युम्न सिंह, डाॅ. विकास शर्मा आदि ने इस संदर्भ में कुछ सुझाव दिये। कार्यक्रम के प्रारंभ में डाॅ. अरिहन्त जैन ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। अन्त में कार्यक्रम समन्वयक चैरड़िया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम संयोजना में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की सहायक आचार्य आयुषी शर्मा ने सहयोग प्रदान किया।

Friday 22 January 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित

 

आत्मशक्ति व राष्ट्रप्रेम से सराबोर थे नेताजी सुभाष बोस

लाडनूँ, 23 जनवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित करके मनाया गया। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि आत्मविश्वास, आत्मशक्ति, सूझबूझ एवं राष्ट्रप्रेम की भावना उनमें प्रबल थी। नेताजी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व बहुत ही निराला था। उन्होंने नेताजी के जीवन से मिलने वाली ग्रहणीय शिक्षाओं से अवगत कराया। प्रो. अनिल धर ने कहा कि सर्वप्रथम गांधीजी को नेताजी ने ही संबोधित किया था। नेताजी में राष्ट्रप्रेम, देश प्रेम, देशभक्ति और स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा था। विदेशी शासन से मुक्त कराने की भावना और देशवासियों में निडर रहने का साहस उन्होंने जाग्रत किया। प्रो. बी.एल.जैन ने कहा कि नेताजी जवानों में प्राण फूंकने वाले थे। पूरा देश उनके जन्म दिवस को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मना रहा है। उन्होंने गुलामी को कभी जीवन में नहीं अपनाने पर बल दिया था। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अमिता जैन ने कहा कि मनुष्य को अपने उद्देश्य की प्राप्ति करनी चाहिए। इसके लिए श्रद्धा और आत्मविश्वास का होना अति आवश्यक है। छात्राध्यापिका रुबीना, शोभा स्वामी और नेहा पारीक ने भी अपने अपने भावों को भाषण के माध्यम से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी.प्रधान, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित कुमार आदि संस्थान के समस्त संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनोद सियाग ने किया।

Tuesday 19 January 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत संचालित आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में ‘भारतीय राजनीति में गत्यात्मकता’ पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

 

परिपक्व नेतृत्व को पहचानने और स्थापित करने में महत्वपूर्ण रही है भारतीय राजनीति- प्रो. आढा

लाडनूँ, 20 जनवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत संचालित आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में ‘भारतीय राजनीति में गत्यात्मकता’ विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के मार्गदर्शन एवं निर्देश्सन में आयोजित इस वेबिनार में मुख्य वक्ता जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के राजनीति विज्ञान के आचार्य प्रो. आरएस आढा ने कहा कि भारतीय राजनीति में परिपक्व नेतृत्व को पहचानने और उसे वैधता प्रदान करना मुख्य गत्यात्मकता रही है। व्यक्ति केन्द्रीकृत प्रवृति भारतीय राजनीति की मुख्य गत्यात्मकता रही है। उन्होंने भारत में राजनीतिक दलों के संदर्भ में भी राजनीति की गत्यात्मकता को चिह्नित किया। महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार के डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने अपने वक्तव्य में परिवर्तन को प्रकृति का नियम बताते हुये भारतीय संस्कृति में मौजूद आदर्शों सत्य, अहिंसा, धर्म-सहिष्णुता, समानता, न्याय तथा स्वतंत्रता को सार्वभौमिक मानते हुए हामारी सरकारों की गत्यात्मकता को अपनाने की के बारे में जानकारी दी। एसएस जैन सुबोध पीजी महाविद्यालय की सहायक आचार्य डाॅ. मधुबाला ने राजनीति को सामाजिकता, विकास और चुनावी व्यवस्था के मुख्य बिन्दुओं के रूप में अभिव्यक्त करते हुये महत्वपूर्ण बदलावों को चिह्नित किया। उन्होंने ‘वन नेशन - वन इलेक्शन’ की प्रकृति पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने स्वागत वक्तव्य में वेबिनार की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। वेबिनार समन्वयक डाॅ. बलवीर सिंह चारण ने कार्यक्रम का संचालन किया। अंत में अभिषेक चारण ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबिनार में तकनीकी सहयोग मोहन सियोल का रहा। कार्यक्रम में डाॅ. सत्यानारायण भारद्वाज, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. प्रगति भटनागर डाॅ. जेपी सिंह, डाॅ. लिपि दूगड़ कमल कुमार मोदी, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़, डाॅ. विनोद कुमार सैनी, आयुषी शर्मा आदि समस्त संकाय सदस्यो के अलावा 100 से अधिक विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

Sunday 10 January 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति का सम्मान


 

प्राकृतिक चिकित्सा का पशु चिकित्सा की दिशा में उपयोग पर भी काम होना जरूरी- प्रो. शर्मा

लाडनूँ, 11 जनवरी 2021। पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के साथ सहयोगी रूप में कार्य करने की इच्छा जताई है। यह बात उन्होंने यहां जैविभा विश्वविद्यालय के अवलोकन और जानकारी प्राप्त करने के बाद बैठक में जाहिर की। उन्होंने कहा कि लाडनूँ में यह विश्वविद्यालय बहुत ही अच्छा कार्य कर रहा है। विशेष रूप से यहां की प्राकृतिक चिकित्सा की व्यवस्था सराहनीय है। वे चाहते हैं कि इसका उपयोग पशु चिकित्सा की दष्टि से भी किया जावे और इस दिशा में विकास व अनुसंधान हो। दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने उन्हें जैविभा विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों की जानकारी दी और यहां की विशेषताओं के बारे में बताया। इस अवसर पर यहां उनका विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों द्वारा स्वागत-सम्मान किया गया। प्रो. नलिन शास्त्री ने उन्हें विश्वविद्यालय का स्मृति चिह्न और साहित्य भेंट किया। इस अवसर पर उनके साथ पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ वेटरनरी एजुकेशन एंड रिसर्च, जयपुर की डीन प्रो. संगीता शर्मा व प्रसार शिक्षा निदेशालय के निदेशक डाॅ. राजेश धूड़ीया भी थे। उनका भी इस अवसर पर स्वागत किया गया। उनके साथ आयोजित बैठक में रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. अनिल धर, आरके जैन, डाॅ. विजेन्द्र प्रधान, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत आदि उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विभागाध्यक्ष रहे प्रो. वर्मा को श्रद्धांजलि

 लाडनूँ, 11 जनवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. आरबीएस वर्मा के निधन पर यहां समाज कार्य विभाग में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करके उन्हें श्रद्धांजलि अपित की गई। विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द प्रधान ने बताया कि वे बहुत ही सुलझे हुये विद्वान थे। उन्होंने देश की सेवा के लिये युवा वर्ग को नई दिशा प्रदान की थी। इस अवसर पर संकाय सदस्य डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. विकास शर्मा ने भी अपने विचार रखते हुये प्रो. वर्मा के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। इस अवसर पर सभी विद्यार्थी उपस्थित थे।

Monday 4 January 2021

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में आंतरिक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत ‘समावेशी शिक्षा एवं शिक्षण अधिगम प्रक्रिया’ विषय पर व्याख्सानमाला कार्यक्रम का आयोजन

 

शिक्षक प्रशिक्षण की भावी चुनौतियों में नवाचार व तकनीक अपनायें- डाॅ. भोजक

लाडनूँ, 5 जनवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संचालित आंतरिक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत डाॅ. गिरीराज भोजक ने ‘समावेशी शिक्षा एवं शिक्षण अधिगम प्रक्रिया’ विषय पर अपना व्याख्यान देते हुय विभिन्न नवाचारों एवं लचीलापन अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा की विविध चुनौतियों एवं उनके अनुरूप शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में नवाचार एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओं पर आधारित लोचशीलता अपनाना आवश्यक है। कक्षा में व्याप्त विभिन्न परिस्थितियों यथा प्रतिभाशाली, औसत और न्यून उपलब्धि वाले विद्यार्थियों के सीखने के तरीकों में भिन्नतायें पाई जाती है। भारतीय संविधान भी एक समावेशी समाज की अवधारणा लेकर विभिन्न जाति, धर्म, सम्प्रदाय तथा सामाजिक, आर्थिक विषमता से मुक्त परिवेश की स्थापना पर बल देता है। भविष्य में सामान्य वैयक्तिक विभिन्नता के साथ-साथ दिव्यांग बालकों को भी सामान्य विद्यालय से जोड़ने पर एक शिक्षक तथा शैक्षिक प्रबंधन के समक्ष अनेक चुनौतियां प्रस्तुत होगी, जैसे सीखने का सार्वभौमिक अभिकल्प, शैक्षिक तकनीकी सम्बंधी उपकरण, कक्षा-कक्ष गतिविधियां, सामान्य तथा दिव्यांग बालकों का समन्वय आदि। नेशनल सेंटर आॅन युनिवर्सल डिजाईन फाॅर लर्निंग (2016) के द्वारा मस्तिष्क के सीखने सम्बंधी शोध कार्यों के आधार पर अधिगम के सार्वभैमिक अभिकल्प (यूडीएल) के द्वारा विविध अधिगम शैलियों के समागम हेतु प्रतिनिधित्व के साधन, विद्यार्थी अभिव्यक्ति के अवसरों में वृद्धि के साथ विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है। डाॅ. भोजक ने भावी शिक्षकों के रूप में सभी प्रशिक्षकों को अधिकाधिक समावेशी शिक्षा की चुनौतियों तथा संभावित समाधानों के लिये सघन प्रशिक्षण एवं नवाचारों को अपनाने पर बल दिया। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने सभी संकाय सदस्यों को शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में आने वाली भावी चुनौतियों के अनुरूप नवाचार तथा तकनीकी साधनों को अपनाने के लिये प्रेरित किया। इस व्याख्यान कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. बी. प्रधान, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा, डाॅ. ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित गौड़ आदि उपस्थित थे।