Friday 24 May 2019

नियमित के मुकाबले सक्षम सिद्ध हुई है दूरस्थ शिक्षा

नियमित के मुकाबले सक्षम सिद्ध हुई है दूरस्थ शिक्षा - प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 24 मई 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि आज की अर्थप्रधान एवं व्यस्ततम जिंदगी में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिये दूरस्थ शिक्षा का महत्व बहुत अधिक बढ गया है। घर बैठे, अपने व्यवसाय या नौकरी करते हुये शिक्षा को सतत बनाये रखने में दूरस्थ शिक्षा की भूमिका महती है। आज तो यह नियमित अध्ययन का मुकाबला करने में सक्षम हो चुकी है। घर बैठे अध्ययन की यह सुविधा देश में उच्च शिक्षा में कीर्तिमान कायम कर रही है। नौकरीपेशा लोगों के लिये तो यह बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो रही है। वे यहां दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की दूरस्थ शिक्षा में प्रवेश सम्बंधी व्यवस्थाओं को लेकर आहूत बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जैन विश्वभारती संस्थान मे दूरस्थ शिक्षा में प्रवेश प्रारम्भ हो चुका है। यहां बी.ए., बी.काॅम. और एम.काॅम. के लिये आवेदन भरे जा रहे हैं। इनमें पोस्ट ग्रेजुयेट कोर्स में जैनालोजी, योग एवं जीवन विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी तथा राजनीति विज्ञान विषयों में प्रवेश की सुविधा है। इस बैठक में सेक्शन इंचार्ज पंकज भटनागर, समन्वयक जेपी सिंह, मयंक जैन, ओमप्रकाश सारण, करण गुर्जर, कृष्णा, सुरेश पारीक, मदनसिंह, अंजुला जैन आदि उपस्थित थे।

Tuesday 14 May 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में महिला शिक्षा के बढते कदम पुस्तिका का विमोचन

बालिकाओं को उच्चतम शिक्षा दिलवाकर प्रतिभाओं को बढने का मौका दें- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 14 मई 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय द्वारा प्रकाशित ‘‘महिला शिक्षा के बढते कदम’’ पुस्तिका का विमोचन मंगलवार को महाविद्यालय के सेमीनार हाॅॅल में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने पुस्तिका की विशेषताओं और उपयोगिता के बारे में बताते हुये बताया कि यह पुस्तिका कन्या शिक्षा के क्षेत्र में बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि आज सब जगह कन्यायें अपना परचम फहरा रही है। लड़कियों की काबिलियत के सभी कायल हैं, ऐसे में आवश्यकता यह है कि कहीं ऐसा न हो कि उनकी शिक्षा में कोई अड़चन पैदा हो और प्रतिभा को फलने-फूलने से रोक दिया जावे। अपने क्षेत्र में उच्चतम शिक्षा की व्यवस्था करने एवं बालिकाओं को शिक्षा के साथ संस्कारवान, चरित्रवान और नैतिक मूल्यों से सराबोर बनाने का काम इस क्षेत्र में महिला शिक्षा को निरन्तर बढावा दे रहा है यह आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय। यहां अध्ययनरत छात्राओं के सर्वांगीण विकास की ओर पूरा ध्यान दिया जाता है। यहां शैक्षणेत्तर गतिविधियों का संचालन विविध क्लबों का गठन किया जाकर किया जाता है, जिनमें व्यक्तित्व विकास, वक्तृत्व कला, लेखन कला, नृत्य व संगीत, विविध खेल अभ्यास व स्पर्धायें, ध्यान, घुड़सवारी आदि कार्यक्रम निरन्तर करवाये जाते हैं। इनके अलावा एनएसएस, एनसीसी की इकाइयों के संचालन से भी उनका विकास किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये भी यहां विशेष व्यवस्था उपलब्ध है। इस महाविद्यालय में उत्कृष्ट व्यवस्था व सुविधाओं वाला छात्रावास, स्वास्थ्यदायी भोजन व्यवस्था, सुदूर गांवों तक बसों की व्यवस्था, पूरे परिसर में वाई-फाई की सुविधा आदि उपलब्ध है। इस अवसर पर डाॅ. प्रगति भटनागर, कमल कुमार मोदी, अभिषेक चारण, रत्ना चैधरी, बलबीर सिंह चारण, योगेश टाक, घासीलाल शर्मा आदि उपस्थित रहे।

Saturday 4 May 2019

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में व्याख्यानमाला आयोजित

दलित समाज में जागृति की ज्वाला लेकर आये बाबू जगजीवन राम

लाडनूँ, 4 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में मासिक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस बार ‘‘अनुसुचित जाति समुदाय के सशक्तिकरण में बाबू जगजीवन राम का योगदान’’ विषय पर वाणिज्य संकाय की व्याख्याता अपूर्वा घोड़ावत द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। घोड़ावत ने अपने व्याख्यान में बताया कि पांच दशक तक सक्रिय राजनीति में बाबू जगजीवनराम जी ने अपना पूर्ण जीवन देश की सेवा व दलितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उनके प्रयासों के कारण ही दलितों को आरक्षण मिला, शिक्षा और नौकरी मिली तथा बराबरी वाले समाज में बराबर उठने-बैठने की महत्ता मिली। बाबूजी दलित समाज की एक ऐसी चिन्गारी के रूप में उभरे जिसमें समूचे दलित समाज में जागृति की ज्वाला जगा दी और दलित समाज को पंक से निकाल कर प्रतिष्ठा तक पहुंचा दिया। इस व्याख्यानमाला में महाविद्यालय के व्याख्याता डाॅ. प्रगति भटनागर, कमल कुमार मोदी, अभिषेक चारण, रत्ना चैधरी, बलबीर सिंह चारण, सोनिका जैन, योगेश टाक आदि उपस्थित रहे। व्याख्यानमाला का संचालन सोमवीर सांगवान द्वारा किया गया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अल्पकालीन अंग्रेजी सम्भाषण कोर्स का समापन

जीवन में आवश्यक बन गई है अंग्रेजी सम्भाषण कला- शर्मा

लाडनूँ, 4 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में कौशल विकास के लिये संचालित अल्पकालीन कोर्सेज के अन्तर्गत इंग्लिश स्पोकन कोर्स का समापन गुरूवार को किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये समन्वयक विजयकुमार शर्मा ने कहा कि अंग्रेजी भाषा की जानकारी आज वैश्विक जरूरत बन चुकी है। अंग्रेजी सम्भाषण कला सीखने के बाद व्यक्ति विश्व में कहीं भी जाये तो उसे भाषा की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विविध अल्पकालीन पाठ्यक्रमों की जानकारी दी और ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान उनमें प्रवेश लेकर कौशल सीखने के लिये प्रेरित किया। प्रशिक्षक डाॅ. सोमवीर सांगवान ने बेहिचक अंग्रेजी बोलने के लिये प्रेरित किया और कहा कि अंग्रेजी आज देश-विदेश में सम्प्रेषण की भाषा बन चुकी है। डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने अंग्रेजी सीखने की आवश्यकता को प्रतिपादित किया। डाॅ. विकास शर्मा ने कहा कि विद्यार्थी को हुनर सीखने की आवश्यकता बताई तथा कहा कि प्रत्येेक सीखी हुई विद्या जीवन भर काम आती है। डाॅ. जगदीश यायावर व अजयपाल सिंह भाटी ने भी अंग्रेजी को अपने रोजमर्रा काम में लेकर इसमें पारंगत बनने की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर प्रशिक्षु भूमिका सोनी, लीला मंडा, वेदिका स्वामी, विकास ढाका, धीरज स्वामी, महेन्द्र जांगिड़ आदि ने अपने कक्षा में सीखे हुये ज्ञान के बारे में अनुभव साझा किये तथा अंग्रेजी में वक्तव्य देते हुये बताया कि यहां वे बहुत ही आसानी से अंग्रेजी बोलना सीख पाये। इस अवसर पर सभी प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किय गये।