Wednesday 31 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान में सतर्कता जागरूकता सप्ताह के तहत रैली निकाली व शपथ दिलवाई एवं विभिन्न गतिविधियों का आयोजन


लाडनूँ, 31 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय सतर्कता आयोग नई दिल्ली के निर्देशानुसार मनाये जा रहे सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अन्तर्गत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। इसके तहत तहसील के ग्राम बाकलिया में एक विशाल जागरूकता रैली का आयोजन वहां राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के सहयेाग से किया गया। रैली का शुभारम्भ प्रधानाचार्य अर्जुनदेव राणा, विश्वविद्यालय की सहायक आचार्य डाॅ. प्रगति भटनागर व विकास शर्मा के नेतृत्व में किया गया। रैली में भ्रष्टाचार मिटाओ नया भारत बनाओ के नारे को महता देते हुये लोगों में जागृति पैदा की गई। विद्यालय में भ्रष्टाचार विषय पर एक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इसमें एनएसएसकी रश्मि बोकड़िया व सरिता शर्मा ने अपने विचार प्रकट किये। संचालन छात्रा सुनिता ने किया।

भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिये शपथ ग्रहण

इसके अलावा यहां शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाकर छात्राओं एवं समस्त स्टाफ को नये भारत के निर्माण की दिशा में भ्रष्टाचार के उन्मूलन एवं नैतिकता के विस्तार के लिये शपथ दिलवाई गई। डाॅ. प्रगति भटनागर ने सभी शिक्षकों व छात्राओं को भावी जीवन में सभी क्षेत्रों में विशेष जागरूकता रखने के लिये शपथ दिलवाई। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में छात्राओं से हर क्षेत्र में जागरूक रहने का आह्वान करते हुये उन्हें भ्रष्टाचार से दूरी बनाये रखने के लिये प्रेरित किया। समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने कार्यक्रम में नैतिक भ्रष्टाचार को व्याख्यायित किया और उससे बचने के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने केन्द्रीय सतर्कता आयोग और उसके कार्यक्रमों के बारे में बताया तथा सतर्कता जागरूकता सप्ताह के सम्बंध में विस्तार से बताया। कार्यक्रम में संस्थान के सभी प्राध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

सरदार पटेल के कारण ही सुरक्षित है देश की एकता और अखंडता- प्रो. धर

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के तत्वावधान में लौह-पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म-जयंती के उपलक्ष में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के शोध-निदेशक प्रो. अनिल धर ने देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता को सुरक्षित रखने में सरदार पटेल की भूमिका के बारे में बताया तथा कहा कि पटेल के कारण ही आज देश संघीय ढांचे में ढला हुआ है। विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने सरदार पटेल के अंग्रजी हुकूमत के खिलाफ किये गये प्रयासों एवं आजादी के लिये संघर्ष के बारे में ब्यौरा प्रस्तुत किया तथा कहा कि वे सही मायनों में लौह-पुरूष थे। उन्होंने देश के नवनिर्माण की पृष्ठभूमि तैयार की थी। डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने सरदार पटेल के विचारों के बारे में बताते हुये उनकी उपादेयता एवं प्रसंगिता कि बारे में बताया और कहा कि देश को आज भी उनकी नीतियों और सिद्धांतों के अनुसार चलना आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विकास शर्मा ने किया।

पग-पग पर व्याप्त भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकना जरूरी- स्वामी

लाडनूँ, 1 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय सतर्कता आयोग नई दिल्ली के निर्देशानुसार मनाये जा रहे सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अन्तर्गत तहसील के ग्राम दुजार में ‘‘भ्रष्टाचार मिटाओ, नया भारत बनाओ’’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान के मार्गदर्शन में दुजार स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अंकित शर्मा के निर्देशन में आयोजित प्रतियोगिता के दौरान हुये कार्यक्रम में प्रधानाचार्य भंवर लाल स्वामी ने कहा कि भ्रष्टाचार वर्तमान में इस देश में बहुत गहराई से पैठ गया है, जिसे समूल उखाड़ फेंकने के लिये हर नागरिक और बच्चे-बच्चे को जागृत होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का अपने क्षेत्र में ही कार्यरत पटवारी, ग्रामसेवक, नर्स, एएनएम, राशन वितरक आदि से आयेदिन वास्ता पड़ता है और उन्हें भ्रष्टाचार से पग-पग पर रूबरू होना पड़ता है। समाज कार्य विभाग के सहायक आचार्य अंकित शर्मा ने अपने सम्बोधन में भ्रष्टाचार को देश के लिये अभिशाप बताया तथा कहा कि हम सब मिलकर ही इसे मिटा सकते हैं। उन्होेंने बताया कि अगर हम हमेशा जागरूक रहे और अपने आस पास के लोगों को भी जागरूक बनायेंगे तो भ्रष्टाचार का मुकाबला कर पायेंगे।

Tuesday 30 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एम.ए. पोलिटीकल साईंस विषय में भी पत्राचार कोर्स शुरू

लाडनूँ, 31 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के तहत अब अन्य विषयों के साथ राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर पाठ्क्रम का लाभ पत्राचार से पढने वाले विद्यार्थी उठा सकेंगे। दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि संस्थान में दूरस्थ शिक्षा के तहत इस सत्र से एम.ए. पोलिटीकल साईंस विषय का संचालन भी शुरू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की बैठक में यह निर्णय पारित किया जाकर जैन विश्वभारती संस्थान को राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर का अध्ययन शुरू करवाने की स्वीकृति जारी की गई है।

जैन विश्वभारती संस्थान का 11वां दीक्षांत समारोह चैन्नई में सफलता पूर्वक आयोजित

एकजुटता से हर चुनौती का सामना संभव- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 30 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि संस्थान का 11वां दीक्षांत समारोह चैन्नई में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। यह एक ऐतिहासिक समारोह रहा, जिसमें अनेक बातें बहुत महत्वपूर्ण थी। इसमें सबसे बड़ी भूमिका संस्थान के स्टाफ की रही, जिन्होंने बहुत ही तन्मयता से समस्त तैयारियों को अंजाम दिया और समारोह को सम्पन्न करवाया। एकजुट होकर काम करने से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। वे यहां विश्वविद्यालय के सेमिनार हाॅल में आयोजित बैठक में विश्वविद्यालय के समस्त स्टाफ को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्थान के स्टाफ ने प्रत्येक चुनौती को स्वीकार किया है और उसे सफलता पूर्वक सम्पन्न किया है। चाहे वह यूजीसी की टीम का अवसर हो या यूजीसी की 12 बी टीम का आगमन अथवा एक्सपर्ट टीम द्वारा निरीक्षण, सभी में कर्मचारी खरे उतरे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष अब एक बड़ी चुनौती और है और वह है राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नेक) की टीम के निरीक्षण की। हम सब को इसमें भी खरा उतरना है। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने दीक्षांत समारोह के लिये विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं विश्वविद्यालय के अन्य स्टाफ के लम्बा सफर करके चैन्नई पहुंचने की सराहना की तथा कहा कि पूरी यात्रा एवं समारोह की समस्त व्यवस्थायें सराहनीय रही, चाहे वे वहां रहने-खाने की हो अथवा भ्रमण की हो। इसके लिये जैन विश्वभारती के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. धर्मचंद लूंकड़ की उन्होंने मुक्तकंठ से सराहना की। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रो. अनिल धर, प्रो. बीएल जैन, आरके जैन, डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, दीपाराम खोजा आदि उपस्थित थे।

Wednesday 24 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का 11वां दीक्षांत समारोह आयोजित

जीवन पथ को आलोकित करने वाला ज्ञान महत्वपूर्ण तत्व है- आचार्य महाश्रमण

चैन्नई, 24 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का 11वां दीक्षांत समारोह चैन्नई के माधवरम में आयोजित किया गया। समारोह वहां चातुर्मास प्रवास काल में विराजित तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में किया गया। आचार्य महाश्रमण संस्थान के तृतीय अनुशास्ता भी हैं। समारोह में संस्थान से उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से अनुशास्ता महाश्रमण ने अपने सम्बोधन में कहा कि ज्ञान मनुष्य के जीवन के लिये आवश्यक तत्वों में से एक है। यह हमारे जीवनपथ को आलोकित करने वाला पवित्रतम और सर्वोपरि तत्व है। व्यक्ति को अपने आप में ज्ञान का विकास करना चाहिये तथा इसके साथ ही उसका प्रसार भी यथासंभव करना ही चाहिये। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अज्ञानरूपी अंधकार को दूर करे, इसके लिये ज्ञान दिये का काम करता है। इसी प्रकार प्राचीन साहित्य ज्ञान को असी या तलवार भी कहा गया है यानि जो अज्ञान को काट सके वह तलवार होता है ज्ञान। उन्होंने जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय को ज्ञान के साथ आचार व संस्कारों की शिक्षा भी देता है, क्योंकि ज्ञान की निष्पत्ति आचार के साथ ही होती है।

आर्थिक शुचिता से ही बढेगा देश आगे

उन्होंने विद्यार्थियों से जीवन में विनय और नैतिकता अपनाने की आवश्यकता बताई तथा कहा कि विनय विद्या का आभूषण होता है। जीवन में विद्या प्राप्ति के साथ ज्ञान वृद्धि के लिये निरन्तर उड़ान भरते रहना चाहिये। हमेशा अपने व्यवहार में नैतिकता रहनी आवश्यक है। नैतिकता का सबसे बड़ा अंग है आर्थिक शुचिता। जो पैसा न्याय नीति और नैतिकता से अर्जित किया जाता है, वह शुद्ध होता है और समाज का भला करने वाला होता है। राजनीति हो या शिक्षा का सभी क्षेत्रों में आर्थिक शुचिता को महत्व दिया जाना आवश्यक है, तभी हमारा देश आगे बढ पायेगा। इस संतों की भूमि में धर्म, नैतिकता व अध्यात्म का प्रभाव बढना ही चाहिये।

उपाधि केवल पड़ाव है मंजिल नहीं

इस अवसर पर साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने शिक्षा को एक पथ बताया तथा कहा कि यह केवल गंतव्य ही नहीं है। विद्यार्थी उपाधि प्राप्त करके एक पड़ाव तक पहुंचे हैं, लेकिन उनकी मंजिल यह नहीं है। शिक्षा के माध्यम से प्रसिद्धि, ऐश्वर्य, पद और सता तक प्राप्त की जा सकती है, लेकिन इनसे आगे के क्षेत्रों की तलाश को खत्म नहीं किया जाना चाहिये। जीवन को ऊपर उठाने की राह को खोलने के लिये कुछ मौलिक किया जाना चाहिये। शिक्षा से जीवन के रूपांतरण की ज्योति निकलनी चाहिये। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल थे और अध्यक्षता संस्थान की कुलाधिपति सावित्री जिन्दल ने की। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, कुल सचिव विनोद कुमार कक्कड़, जैन विश्वभारती के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोहरा, डाॅ. धर्मचंद लूंकड़, अरविन्द संचेती, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, उपकुलसचिव डाॅ. प्रद्युम्र सिंह शेखावत, युवराज सिंह खांगारोत, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में इस वर्ष के शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियां, एमए, एमएससी उतीर्ण विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र, उपाधियां व मैडल प्रदान किये गये।

Monday 22 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) को मिला दर्शन के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान

लाडनूँ, 22 अक्टूबर 2018। अखिल भारतीय दर्शन परिषद ने दर्शन एवं दर्शन की विभिन्न शाखाओं के अन्तर्गत प्रसार, विकास एवं शोध सम्बंधी अद्वितीय कार्य करने के उपलक्ष में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) वर्ष 2018 का डाॅ. श्रीप्रकाश दुबे स्मृति राष्ट्रीय दर्शन पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह राष्ट्रीय पुरस्कार संस्थान को लखनउ में आयोजित दर्शन परिषद के 63वें अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में प्रदान किया गया। इस समारोह में राज्यसभा सांसद डाॅ. अशोक वाजपेयी के मुख्य आतिथ्य एवं लखनउ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। समारोह में जैन विश्वभारती संस्थान के प्रतिनिधि के रूप में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने ग्रहण किया। डाॅ. श्रीप्रकाश दुबे राष्ट्रीय दर्शन पुरस्कार के संयोजक पंकज दुबे ने इस अवसर पर बताया कि दर्शन जगत के ख्यातनाम व्यक्तित्व एसपी दुबे की स्मृति में दिया जाता है। जो शिक्षण संस्था दर्शन के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करती है, उन्हें इससे नवाजा जाता है। यह दर्शन क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है। राष्ट्रीय पुरस्कार निर्णायक समिति ने दर्शन विषय के उन्नयन के लिये जैन विश्वभारती संस्थान को 2018 के पुरस्कार के लिये चयन किया है। अखिल भारतीय दर्शन परिषद का दर्शन के क्षेत्र में यह विशेष पुरस्कार इससे पूर्व वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित केन्द्रीय विश्वविद्यालय को दिया जा चुका है।

ऋषि दिखाते थे समाज को दिशा

अखिल भारतीय दर्शन परिषद के 63वें अधिवेशन के शुभारम्भ पर मुख्य अतिथि सांसद डॉ. अशोक बाजपेयी ने कहा कि पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का अलग महत्व है। प्राचीन परंपरा से ही इसमें अध्यात्म का बड़ा योगदान रहा है। हमारे ऋषि जंगलों में जाकर तपस्यायें करते थे। इसके बाद वे समाज को दिशा दिखाते थे कि क्या किया जाना चाहिए। धर्म, संस्कृति और नैतिकता एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनको अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में कट्टरता नहीं है। लचीलापन होने की वजह से समय-समय पर होने वाले अच्छे बदलाव इसका हिस्सा बने हैं। हमारी संस्कृति अक्षुण्ण है। धर्म, नैतिकता एवं सस्कृति विषय पर आधारित इस तीन दिवसीय अधिवेशन में वक्ताओं ने विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के पहले दिन शुभारंभ के अवसर पर पुरस्कारों का वितरण भी किया गया। इनमें अखिल भारतीय दर्शन आजीवन परिलब्धि पुरस्कार प्रो. राजेंद्र स्वरूप भटनागर को, आचार्य राम प्रसाद त्रिपाठी स्मृति पुरस्कार-प्रो.नरेंद्र नाथ पांडेय को, स्वामी प्रणवानंद दर्शन पुरस्कार-स्व. प्रो.सत्यपाल गौतम को, श्री स्वचेंद्र सिंह नागर स्मृति पुरस्कार-डॉ.श्रीकांत सिंह को, प्रो. सोहनराज दर्शन पुरस्कार-डॉ. रमेशचंद्र वमा को, वैद्य गणपतराम गुजरात पुरस्कार-डॉ. रेणुबाला को, स्वामी दयानंद निबंध पुरस्कार-मनोज कुमार मिश्र को, कमला देवी जैन स्मृति सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र पुरस्कार-डॉ. आलोक को तथा अखिल भारतीय युवा दार्शनिक पुरस्कार-डॉ. पवन कुमार यादव को दिया गया।

Saturday 20 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में प्रसार भाषण माला में समावेशी शिक्षा में मूल्य शिक्षा के योगदान पर व्याख्यान


विद्यार्थियों की व्यक्तिगत समस्या को समझ कर करें पाठ-योजना के प्रयोग- प्रो. शर्मा

लाडनूँ, 20.अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में प्रसार भाषण माला के अन्तर्गत इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) नई दिल्ली के शिक्षा संकाय के प्रो. महेश चन्द्र शर्मा ने ‘‘समावेशी शिक्षा में आईसीटी, मूल्यांकन, मूल्य शिक्षा का योगदान’’ विषय पर अपने सम्बोधन में कहा कि एक अच्छे शिक्षक को अपने विद्यार्थियों में चारित्रिक मूल्यों का विकास करना चाहिये तथा मूल्य, ज्ञान, संस्कृति, व्यवहार, आत्म-प्रेरणा तथा व्यक्तिगत समस्या को समझते हुये उदाहरण प्रस्तुत करने चाहिये। शिक्षक को अपने विद्यार्थी का मित्र, पथ-प्रदर्शक, निर्देशक की भमिका निभाने में सक्षम होना चाहिये। अगर शिक्षक इन सब पर ध्यान देगा तो विद्यार्थी उसकी कक्षा में निरन्तर सहभागी बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षक को समावेशी शिक्षा में विद्यार्थियों की व्यक्तिगत समस्याओं को समझ कर अपनी पाठयोजना में आईसीटी का सशक्त रूप में प्रयोग करना चाहिये। नैतिक मूल्यों को शिक्षक को अपने विषय में समाहित कर लेना चाहिये, तभी विद्यार्थियों में इन नैतिक मूल्यों को विकसित किया जा सकेगा। विषयों से जुड़े हुये मूल्य आधारित उदाहरण प्रस्तुत करके विद्यार्थी के समक्ष अगर पाठ को रखा जायेगा तो विद्यार्थी मूल्यों को आसानी से ग्रहण कर पायेगा। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बनवारी लाल जैन ने प्रारम्भ में व्याख्यानकर्ता का परिचय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रो. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. विष्णु कुमार तथा अन्य संकाय सदस्य व छात्राध्यापिकायें उपस्थि रही।

Wednesday 17 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा से बी.ए. तथा एम.ए. करने आवेदन करने की अंतिम तिथि 20 तक

लाडनूँ, 17 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के अन्तर्गत बी.ए. तथा एम.ए. कोर्स पत्राचार से करने के इच्छुक अभ्यर्थी 20 अक्टूबर तक अपने आवेदन कर सकते हैं। दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि दूरस्थ शिक्षा से घर बैठे स्नातक व स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिये जैन विश्वभारती संस्थान में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के अन्तर्गत अंतिम तिथि 20 अक्टूुबर तक इच्छुक आवेदक अपने आवेदन पत्र जमा करवा कर प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं।

Monday 15 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में गरबा नृत्य का शानदार आयोजन

गरबा में होती है नारी शक्ति की भावनायें अभिव्यक्त- कक्कड़

लाडनूँ, 15 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय एवं कैरियर काउंसलिंग सेल के संयुक्त तत्वावधान में नवरात्रा के अवसर पर संस्थान परिसर में डांडिया नृत्य (गरबा) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर भर की महिलाओं की भीड़ उमड़ी। कनक दूगड़ की अध्यक्षता में आयोजित इस गरबा नृत्य कार्यक्रम में अंजम बैद मुख्य अतिथि थी। कुलसचिव कक्कड़ ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को हम स्वयं उस पर अमल करके ही संभाल कर रख सकते हैं। नवरात्रा का पर्व पवित्रता के साथ महिला शक्ति का समर्थक पर्व है, जिसमें नारी को शक्ति का रूप मान कर उसकी पूजा किये जाने का विधान है। गरबा नृत्य में महिलायें उन्मुक्त रूप से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं, लेकिन मर्यादित स्वरूप में ही। यही इस पर्व की विशेषता है। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने गरबा को नारी-गौरव का प्रतीक बताया तथा कहा कि गरबा में नृत्य की कला के साथ विभिन्न भाव-भंगिमायें नारी के महत्व को प्रतिपादित करती है। उन्होंने अतिथियों का स्वागत करते हुये संस्थान में हर साल होने वाले गरबा कार्यक्रम के बारे में बताया। कैरियर काउंसलिंग सेल के समन्वयक डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच ने कहा कि डांडिया नृत्य के माध्यम सेे यहां अध्ययनरत छात्राओं के अलावा उनकी माताओं व अभिभावकों का भी संस्थान के साथ गहरा जुड़ाव होता है। विभिन्न पारम्परिक वेशभूषा में सजी-धजी छात्राओं के सभी दस समूहों के गरबा नाच के अलावा कार्यक्रम में समागत अभिभावकों ने भी अपने गरबा नृत्य का प्रस्तुतिकरण सामूहिक रूप से किया।

दस समूहों ने किया गरबा नृत्य

कार्यक्रम में गरबा में भाग लेने वाली छात्राओं के 10 समूह गठित किये गये। इन समूहों द्वारा बारी-बारी से गरबा नृत्यों का प्रदर्शन किया, जिनके आधार पर निर्णायकगणों ने मूल्यांकन करके विजेता घोषित किये। इनमें प्रथम स्थान पर मुस्कान एवं समूह रहा। इस समूह में महिमा, योगिता, सृष्टि, कीमती, स्नेहा, मुस्कान, रश्मि व मानसी शामिल थी। द्वितीय स्थान पर ताम्बी एवं समूह रहा, जिसमें ताम्बी, ज्योति, मधु, जयश्री, नीतू, सरिता, विमला व कीर्ति शामिल थी। तृतीय स्थान पर दीप्ति एवं समूह रहा, जिसमें छात्रा दीप्ति, वसुंधरा, तब्बसुम, यास्मीन, निलोफर, किरण, रोहाना व कोमल शामिल थी। विजेता रहे सभी समूहों की छात्राओं को कार्यक्रम के अंत में पुरस्कार प्रदान किये गये। इन छात्राओं के अलावा अभिभावकों में से गरबा खेलने वालों को विशिष्ट पुरस्कार भी प्रदान किये गये, जिनमें सुजानगढ के सुरेश, सोनिका जैन व रश्मि बोकड़िया को पुरस्कृत किया गया।

Saturday 6 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शिक्षा के साथ-साथ लड़कियां सीखती है घुड़सवारी भी

घोड़े पर बैठ कर दौड़ लगाती है यहां हर शनिवार काॅलेज की लड़कियां

लाडनूँ, 6 अक्टूबर 2018। लड़कियां और घुड़सवारी, यह सुनने में थोड़ा सा अजीब लग सकता होगा, लेकिन यहां आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में हर शनिवार को लड़कियां घोड़े पर बैठ कर दौड़ लगाती है। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में परिसर के अन्दर शनिवार को लड़कियां घाडे़ पर सवार होने के लिये अपनी बारी का इंतजार करती है। शैक्षेणेत्तर गतिविधियों के अन्तर्गत गठित यहां रानी लक्ष्मी बाई क्लब में शामिल लड़कियों को घुड़सवारी सिखाई जाती है। यहां घुड़सवारी में रूचि रखने वाली लड़कियों के लिये घुड़सवारी का प्रशिक्षण निःशुल्क रखा गया है। कुशल प्रशिक्षक हर शनिवार को अपना घोड़ा लेकर यहां आता है और इन लड़कियों को घोड़े पर बैठने से लेकर लगाम थामना, उसे चलाना और दौड़ाना सभी कुछ सिखाया जाता है। इस समय इस महाविद्यालय में पढने वाली कुल 20 लड़कियां रानी लक्ष्मीबाई क्लब में शामिल होकर घुड़सवारी सीख रही है।

काफी पसंद कर रही है लड़कियां

प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में छात्राओं के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुये संचालित की जाने वाली विविध गतिविधियों में घुड़सवारी को काफी पसंद किया जा रहा है। इस गतिविधि को महाविद्यालय में सतत जारी रखा जायेगा। छात्रायें इसके लिये काफी उत्सुक है, लेकिन एक समूह को अच्छी तरह से तैयार करने के बाद दूसरे समूह को भी तैयार किया जायेगा। उन्होंने बताया कि छात्राओं को यहां घुड़सवारी का प्रशिक्षक प्रदान करने के लिये प्रसिद्ध घुड़सवार अशोक भार्गव की सेवायें ली जा रही है। महाविद्यालय में रानी लक्ष्मीबाई क्लब का प्रभारी अपूर्वा घोड़ावत व योगेश टाक को बनाया गया है। ये दोनों अपनी देखरेख में लड़कियों को घुड़सवारी सिखाने के लिये कार्य कर रहे हैं। घोड़े को दौड़ाने के लिये जैन विश्वभारती संस्थान का परिसर पर्याप्त है। यहां बहुत लम्बी-चैड़ी खुली जगह होने से प्रशिक्षक और प्रशिक्षणार्थी लड़कियों किसी को भी इसमें परेशानी नहीं होती है।

जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में अन्तर्महाविद्यालय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन

अन्तर्महाविद्यालयी सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में काॅमर्स संकाय की छात्रायें रही विजेता

लाडनूँ, 6 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में विवेकानन्द क्लब के तत्वावधान में अन्तर्महाविद्यालय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन शनिवार को किया गया। प्रतियोगिता में महाविद्यालय की विज्ञान, वाणिज्य एवं कला तीनों वर्गों की छात्राओं ने अपनी-अपनी टीम बनाकर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में चार टीमें गठित की गई, जिनमें काॅमर्स की छात्राओं की सी-टीम विजेता रही। उप विजेता के रूप में डी-टीम की विज्ञान संकाय की छात्रायें रहीं। चिजेता व उप विजेता रही दोनों समूहों की समस्त छात्राओं को प्राचार्य आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने पुरस्कृत किया। इस प्रतियोगिता का आयोजन, संचालन आदि सभी छात्राओं द्वारा ही किया गया। विवेकानन्द क्लब के प्रभारी अभिषेक चारण के निर्देशन में क्लब की छात्रा सचिव कंचन स्वामी एवं सरिता शर्मा ने सभी टीमों से सवाल पूछे तथा मेहनाज बानो ने संचालन किया। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि महाविद्यालय में हर शनिवार को नियमित रूप से विभिन्न गैर शैक्षणिक गतिविधियों का संचालन किया जाता है, जिसके लिये अलग-अलग रूचि की छात्राओं के लिये अलग-अलग क्लब बनाये गये हैं। इन क्लबों द्वारा अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहता है। इससे छात्राओं में हुनर पनपता है और वे अपने रूचि के विषय में पारंगत हो जाती है। कार्यक्रम में अभिषेक चारण, डाॅ. प्रगति भटनागर, डाॅ. बलवीर चारण, डाॅ. सोमवीर सांगवान, कमल मोदी, सोनिका जैन, रत्ना चैधरी, मुकुल सारस्वत, मधुकर दाधीच, अपूर्वा घोड़ावत आदि भी उपस्थित रहे।

Friday 5 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ कार्यक्रम का आयोजन

सबका साथ सबका विकास भावना से कार्य करना आवश्यक- प्रो. जैन

लाडनूँ, 5 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि सबका साथ सबका विकास की भावना से कार्य करने पर ही देश को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। हम सभी देशवासियों को देश की एकता कायम रखने और उसे महान राष्ट्र के रूप में प्रतिस्थापित करने की दिशा में सदैव सजग रह कर कर्मशील रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि जब तक हम केवल अर्जन में विश्वास रखेंगे तब तक देश का चिंतन नहीं कर सकते हैं, इसके लिये विसर्जन की भावना आनी आवश्यक है। आत्म-प्रशंसा की भावना के बजाये हर व्यक्ति को राष्ट्र-सेवा को सर्वोपरि रखना चाहिये। डाॅ. विष्णु कुमार ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके सिद्धांतों पर चल कर हम अपने देश को श्रेष्ठ भारत के रूप में स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने उच्च या निम्न वर्ग की सोच को बदलने और हर नागरिक को एक समान भाव से माने जाने को बल देने की जरूरत बताई। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा, मुकुल सारस्वत, देवीलाल, दिव्या राठौड़ आदि एवं सभी छात्राध्यापिकायें उपस्थित थी।

Tuesday 2 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान में महात्मा गांधी के 150वें जयंती दिवस पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन

जरूरतों और आय के संतुलन से ही दूर होगी आर्थिक असमानता- कक्कड़

लाडनूँ, 2 अक्टूबर 2018। महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष के अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के तत्वावधान में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग के तत्वावधान में यहां आचार्य महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ ने आवश्यकता और आय के संतुलन को आवश्यक बताते हुये कहा कि महात्मा गांधी का यह मुख्य सिद्धांत था कि अपनी जरूरत के लिये आमदनी करनी चाहिये, लेकिन अपनी आमदनी के लिये जरूरतों को बढाना नहीं चाहिये। उन्होंने देश की आबादी के एक प्रतिशत के पास आय का एकत्रिकरण और 75 प्रतिशत आबादी की आवश्यकतायें तक पूरी नहीं हो पाने को अनुचित व असंतुलन बताते हुये कहा कि इससे जो आम नागरिक की प्रति व्यक्ति आय का औसत निकाला जाता है, वह कभी सही नहीं कहा जा सकता है। महात्मा गांधी ने इसी कारण जरूरतों के हिसाब से आय को बढाने की आवश्यकता बताई, ताकि आय का वितरण आम आदमी तक पहुंचना समान रूप से संभव हो सके। कक्कड़ ने यह भी बताया कि महात्मा गांधी ने अहम के त्याग को महत्व दिया था, क्योंकि अहम के कारण ही हिंसा का जन्म होता है। अहम व्यक्तियों को परस्पर एक दूसरे से दूर करता है और हिंसा का पैदा करता है। कोई भी व्यक्ति कोई पद ग्रहण करता है तो उसे अहम को छोड़ कर पद की गरिमा को बनाये रखना चाहिये। इससे छोटी-मोटी समस्यायें तो स्वतः ही दूर हो जाती है।

गांधी प्रतिपादित मूल्यों को अपनाने की जरूरत

कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने महात्मा गांधी के जीवन के अनेक अछूते प्रसंगों का उल्लेख किया तथा उनके द्वारा प्रतिपादित जीवन मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आत भारत सरकार ने स्वच्छ भारत का नारा देकर महात्मा गांधी के आदर्शों को क्रियान्वित करना शुरू किया है और इस मुहिम में पूरा देश खुले में शौच मुक्त होने जा रहा है और पूर्ण स्वच्छता की ओर संकल्पबद्ध होकर आगे बढ रहे हैं। शोध निदेशक प्रो. अनिल धर ने महात्मा गांधी के बताये मूल्यों पर चलने की आवश्यकता बताई। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने बताया कि गांधी ने सर्वांगीण शिक्षा पर जोर दिया था तथा बच्चों के सर्वांगीण विकास की आवश्यकता बताई। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने गांधी के आदर्शाें पर चलते हुये दलितों से दूरियां घटाने पर बल दिया। अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. गोविन्द सारस्वत ने गांधी के सत्य व अहिंसा के रास्ते में समस्त समस्याओं के समाधान का मार्ग बताया और वंचितों के उत्थान पर ध्यान देने की जरूरत बताई। कार्यक्रम में मुमुक्षु सारिका, छात्र पारस जैन व मेहनाज बानो ने भी अपने विचार प्रकट किये। डाॅ. प्रगति भटनागर ने अंत में आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रो. रेखा तिवाड़ी, आरके जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, डाॅ. योगेश जैन, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. अशेाक भास्कर, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, अभिषेक चारण, सोनिका जैन आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच ने किया।

रैली निकाल कर दिया जागरूकता का संदेश

इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाइयों की स्वयंसेविकाओं ने जन-जागरूकता रैली का आयेाजन किया। रैली में छात्राओं ने विविध नारे लिखी तख्तियां लेकर एवं नारे लगाते हुये महात्मा गांधी के संदेशों को आम जन तक पहुंचाया। रैली को मंगलवार को प्रातः संस्थान परिसर से आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इस अवसर पर प्रो. अनिल धर, डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, डाॅ. प्रगति भटनागर, सोनिका जैन आदि उपस्थित रही। एनएसएस ने गत 15 सिसतम्बर से एक पखवाड़े का आयेाजन करके विविध कार्यक्रमों व प्रतियागिताओं का आयोजन किया। इनमें सम्पूर्ण परिसर की साफ-सफाई, स्वच्छमा से सम्बद्ध प्रतियागिताओं में निबंध लेखन, गायन व पोस्टर प्रतियोगिता शामिल थी। मंगलवार को गांधी जयंती के अवसर पर विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। निबंध प्रतियोगिता में प्रथम सरिता शर्मा, द्वितीय महिमा प्रजापत व तृतीय नर्मदा धेतरवाल रही। पोस्टर प्रतियोगिता में मनोज दुसाद प्रथम एवं बीनू द्वितीय रही। गायन में अर्चना शर्मा प्रथम, निलोफर व प्रियंका सोनी द्वितीय तथा सरिता शर्मा तृतीय रही। एनएसएस की समस्त छात्राओं को स्वच्छता की डाॅक्यमेंटरी फिल्म दिखाई गई। मंगलवार को समस्त विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये गये। इस पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने की। मुख्य अतिथि जगदीश यायावर थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. जुगल किशोर दाधीच व डाॅ. प्रगति भटनागर ने किया।

प्रतियेागिताओं का आयोजन

संस्थान में महात्मा गांधी जयंती के 150वें जयंती उत्सव के तत्वावधान में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें भजन प्रतियोगिता में 28 प्रतिभागी छात्राओं ने भाग लिया, जिनमें से प्रथम स्थान पर पूजा कुमारी रही। द्वितीय स्थान पर मुमुक्षु आरती व तृतीय स्थान पर मुमुक्षु सारिका रही। नाटक प्रतियोगिता में सम्भागी रहे 20 प्रतिभागियों में से रश्मि एवं समूह ने प्रथम स्थान और नन्दिनी एवं समूह ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इन दोनों प्रतियोगिताओं में निर्णाक डाॅ. पुष्पा मिश्रा व डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा थे। पोस्टर प्रतियोगिता में संस्थान की कुल 23 विद्यार्थी प्रतिभागी रही, जिनमें से प्रथम स्थान पर मनोज, द्वितीय किरण एवं तृतीय रीतिका दाधीच व प्रीति फुलफगर रही। श्लोगन प्रतियोगिता में 13 प्रतिभागियों में से पहले स्थान पर यास्मीन बानो, द्वितीय पारस जैन व तृतीय स्थान पर रूचिका दाधीच व रीतिका दाधीच रही। इन प्रतियोगिताओं में निर्णायक के रूप में अपूर्वा व मुकुल सारस्वत रही।

छात्राओं व शिक्षकों ने मिल कर की सफाई

संस्थान के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें विभाग के विभिन्न परिसरों की साफ-सफाई का विभाग के शिक्षकों डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा, दिव्या राठौड़, मुकुल सारस्वत आदि ने छात्राओं के साथ मिलकर सफाई-कार्य में अपना श्रमदान किया।

Monday 1 October 2018

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में सर्जिकल स्ट्राइक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

सेना की बदौलत ही सुरक्षित हैं हम और देश की सीमायें- प्रो. जैन

लाडनूँ, 1 अक्टूबर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में सर्जिकल स्ट्राइक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाकर जवानों की कीर्ति का स्मरण किया गया तथा छात्राओं को राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा प्रदान की गई। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कार्यक्रम में बताया कि भारतीय सेना ने आतंकवादियों के सीमा-पार स्थित ठिकानों को नष्ट करने के लिये सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया। उन्होंने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक को गोपनीय तरीके से केवल चुनिन्दा लोगों तक सीमित जानकारी के साथ किया गया आकस्मिक हमले के रूप में क्रियान्वित किया जाता है, जिसमेें आंतकियों के छिपे ठिकानों को लक्ष्य बनाया जाता है। इसमें किसी भी नागारिक या अन्य किन्हीं लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है। प्रो. जैन ने बताया कि हम सभी नागरिगण एवं देश की सीमायें सैनिकों की देशभक्ति के कारण ही सुरक्षित हैं। हमें भी उनके शहीद हो जाने की स्थिति में उनके परिवार जनों की सहायता व सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना चाहिये। कार्यक्रम में सभी छात्राध्यापिकायें एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।