Friday 13 March 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में कोरोना बचाव के लिये व्यापक तैयारियां, कुलपति ने बैठक लेकर दिये निर्देश

बायोमीट्रिक उपस्थिति बंद की, पूरे कैम्पस में सेनीटाईजेशन प्रकिया शुरू

लाडनूँ, 13 मार्च 2020। विश्व भर में महामारी घोषित हुये कोरोना का कहर दिन-प्रतिदिन बढता ही जा रहा है, इसे देखते हुये यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विशेष प्रतिरोधात्मक उपाय किये जा रहे हैं। यहां कार्मिकों वगैरह की प्रतिदिन अंगूठा लगवाकर ली जाने वाली बायोमीट्रिक उपस्थिति आगामी आदेश तक बंद कर दी गई है और मैनुयल उपस्थिति ली जाने की व्यवस्था की गई है, वहीं शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन की देखरेख में सम्पूर्ण परिसर में रोजमर्रा कर्मचारियों, विद्याथियों आदि के जहां-जहां हाथों का स्पर्श होता है, वहां सभी स्थानों पर 1 प्रतिशत हाइपो-क्लोगीट केमिकल से स्टेरलाईज करके शुद्ध किया जाने का कार्य भी किया जा रहा है। इनमें समस्त दरवाजे, घुडियां, स्विच, डेस्कटॉप कम्पूयटर, की-बोर्ड, माउस, टेबल्स, ग्रिल, हेंड-रैलिंग आदि को मोपिंग किया गया है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने गत 5 मार्च को नोवेल कोरोना वायरस कोविड-19 के सम्प्र्रेषण से बचाव व कम करने के लिये आवश्यक कदम उठाने के लिये निर्देश जारी किये थे। इसके लिये एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें समस्त प्रभारी प्रशासनिक अधिकारी, समस्त शैक्षणिक विभागों के एचओडी, आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक, पुस्तकालय प्रभारी, होस्टल की वार्डन आदि को शामिल किया गया है। इन सभी की एक बैठक कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने लेकर सभी विद्यार्थियों, पुस्तकालय, विभागों, छात्रावासों आदि में स्वच्छता एवं शुद्धि तथा वायरस से बचाव के उपायों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं सम्पूर्ण कार्यालय में इनके सघन उपाय किये जाने के निर्देश दिये हैं। गौरतलब है कि यूजीसी ने कैम्पस में किसी भी तरह की भीड़ एकत्र करने वाले कार्यक्रम आयोजित किये जाने, पिछले 28 दिनों में किसी प्रकार का यात्रा-रिकॉर्ड में कोरोना प्रभाव के लिये व्यक्ति को 14 दिन घर में देखरेख में रखे जाने, किसी भी विद्यार्थी में बुखार, खांसी, सांस में परेशानी आदि के प्रति संकाय सदस्य सतर्कता बरतें तथा उसे कैम्पस में आने से रोकें व चिकित्सकीय परीक्षण करवाया जावे, संकाय सदस्यों व विद्यार्थियों आदि में साबुन व पानी से हाथ धोने, सेनिटाईजर से हाथ स्वच्छ बनाने, हाथों को आंख-नाक-मुह को नहीं छूने आदि के निर्देश दिये हैं।

Thursday 12 March 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के तत्वावधान में ग्राम व सामुदायिक विकास एवं शिक्षकों की भूमिका पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

शिक्षा को फिर से समाजोन्मुखी बनाने की आवश्यकता है- प्रो. नरेशे

लाडनूँ, 12 मार्च 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के तत्वावधान में पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का शुभारम्भ गुरूवार को यहां सेमिनार हाल में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की अध्यक्षता में किया गया। रूरल इमर्सन एंड कम्युनिटी एंगेजमेंट्स विषय पर आधारित इस फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन महात्मा गांधी नेशनल कौंसिल आफ रूरल एजुकेशन एवं भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त सहयोग से आयोजित की जा रही है। कार्यशाला के शुभारम्भ सत्र में मुख्य अतिथि वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा के पूर्व कुलपति प्रो. नरेश दाघीच ने कहा कि भारत में ग्रामीण क्षेत्र में समुदाय का महत्व अधिक है। यहां इस बात का अध्ययन किया जायेगा कि ग्रामी व सामुदायिक विकास का आधार कया होना चाहिये। जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा आदि के आधार पर बने समुदायों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने और उन्हें विकास से सीधा जोड़े जाने के लिये यह कार्यशाला उपयोगी बन पायेगी। उन्होंने कहा कि जब तक योजनाओं की क्रियान्विति में आर्थिक पूंजी के साथ सामाजिक पूंजी नहीं जुड़ती, तब तक योजनायें सफल नहीं हो पाती है। सामाजिक पूंजी का तात्पर्य सामाजिक नेटवर्किंग से है। सामाजिक सहयोग से ही आर्थिक नीतियां सफल हो सकती है। पश्चिमी देशों की तर्ज पर भारत में भी अर्बनाईजेशन ट्रेंड चल रहा है। ग्रामों से शहरीकरण की प्रक्रिया के कारण गांवों का समुचित विकास नहीं हो पाता है। हमारी शिक्षा पद्धति हमें हमारे समुदायों से अलग करती है, लेकिन अब वापस शिक्षा को समुदायोन्मुखी बनाना होगा। इसके लिये अध्यापक वर्ग को पहल करनी होगी। वे ग्रामीण क्षेत्रों से अपने आपको जोड़ें और उनकी विशेषताओं को पुनर्जीवित करने में सहायक बनें।

दो दशक से उच्च शिक्षा की बाढ, पर गुणवता घटी

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि भारत दुनिया में उच्च शिक्षा की दृष्टि से द्वितीय स्थान रखता है, यहां पिछले दो दशकों से उच्च शिक्षा बाढ की तरह से बढी है, लेकिन इससे शिक्षकों की गुणवता में कमी भी आई है। यही कारण है कि आज फेकल्टी डवलेपमेंट कार्यक्रमों का संचालन करना पड़ रहा है। आज अध्यापन, शोध एवं शिक्षण में नवाचार बहुत बढे हैं, जिनकी पूर्ण जानकारी होनी आवश्यक है। फेकल्टी को समाज में व्याप्त स्किल को देखने-पहचानने और उसे विकसित करने के साथ समुदाय को उसे सिखाने की जिम्मेदारी भी है। उच्च शिक्षा के समक्ष आज बुहत सी चुनौतियां हैं। अपनी स्किल को विकसित करके समाज के समक्ष जायें और उन्हें सीखाकर आत्मनिर्भर बनायें। इसके लिये विद्यार्थियों का सहयोग भी लिया जा सकता है। यहां समाज कार्य विभाग के विद्यार्थी व शिक्षक इसे कर रहे हैं। गुजरात विद्यापीठ के गांधी अध्ययन केन्द्र की प्रो. पुष्पा मोटियानी ने कहा कि महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक ग्राम स्वराज्य में गांवों के विकास पर जोर दिया था। गांवों को स्वावलम्बी बनाने की आवश्यकता है। वहां आरोग्य, शिक्षण एवं जीवनोपयोगी वस्तुओं में आत्मनिर्भरता दी जानी आवश्यक है, लेकिन पश्चिमी विकास से प्रभावित होकर गांवों को उपेक्षित कर दिया गया है। हम प्रकृति को भूल रहे हैं। प्रकृति के साथ तारतम्यता टूटने से ही विकृतियां आई हैं।

ग्राम विकास के लिये महिला चेतना जरूरी

कोटा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. केएस सक्सेना ने कहा कि ग्रामीण विकास में महिलाओं की भागीदारी होने से ही सफलता मिल सकती है और उसके लिये उनका शिक्षित होना आवश्यक है। गांवों में विकास के साथ राजनीति की गंदगी बढती जा रही है और इसके कारण गांवों में आपसी प्रेमभाव व आत्मीयता खो रही है। राजनीति को हटाने पर ही गांवों में यह सब वापस लाये जा सकते हैं। गांवों के विकास के लिये शिक्षा व स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा ध्यान जरूरी है और इनके लिये बसे ज्यादा बजट भी आता है, लेकिन वह भ्रष्टाचार की भेंटठ चढ जाता है। गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा व महिला चेतना की जागृति आवश्यक है। महात्मा गांधी नेशनल कौंसिल आफ रूरल डेवलेपमेंट हैदराबाद के डाॅ. शत्रुघ्न भारद्वाज ने प्रारम्भ में कार्यशाला का परिचय प्रस्तुत किया औरबताया कि महात्मा गांधी कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है; उनका सपना था कि गांव स्वालम्बी हो, गांवों की सरकार अलग से बनी, लेकिन आज गांवों से शहरों की ओर पलायन हो रहा है। इसलिये गांवों के समुचित विकास पर ध्यान देना आवश्यक है। अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया और विषय प्रवर्तन किया। कार्यक्रम समणी प्रणव प्रज्ञा के संगल संगान से प्रारम्भ किया गया। अंत में डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर समणी नियोजिका डाॅ. समणी मल्लीप्रज्ञा, प्रो. समणी सत्यप्रज्ञा, प्रो. बीएल जैन, प्रो. प्रेमानन्द मिश्रा, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, डाॅ. जसबीर सिंह, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. योगेश जैन, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. विनोद सियाग आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. वंदना कुंडलिया ने किया।

Saturday 7 March 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में विश्व महिला दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

महिला व पुरूष एक-दूसरे के पूरक होते हैं- प्रो. तिवाड़ी

लाडनूँ, 7 मार्च 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) एवं राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में यहां आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस एवं जेंडर चैम्पियन से सम्बंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुये प्रो. रेखा तिवाड़ी ने कहा कि महिला व पुरूष परस्पर एक दूसरे के पूरक होते हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा रहता है। महिला सशक्तिकरण को कभी पुरूष विरोधी नहीं बनाया जाना चाहिये। भारतीय संस्कृति में महिलायें हमेशा दैव्य स्वरूप में मानी गई है और उसकी महत्ता को पहचाना गया है। एनएसएस प्रभारी डाॅ. प्रगति भटनागर ने महिला दिवस की बधाइ्र देते हुये सभी छात्राओं को अबला के बजाये सबला बनने और सामाजिक दायित्वों को वहन करने की सहाल दी। डाॅ. विनोद सियाग ने महिला दिवस की सार्थकता बताई और महिलाओं को अपने आपको कमजोर नहीं समझने के लिये प्रेरित किया। कार्यक्रम में नफीसा, स्नेहा पारीक, महिमा प्रजापत, दक्षता आदि स्वयंसेवी छात्राओं ने महिला दिवस सम्बंधी कविताओं का पाठ किया। रूबीना बानो, दिव्यता कोठारी, नवनिधि दौलावत, सविता भोजक, योगिता, मुस्कान बल्खी आदि ने महिला सशक्तिकरण एवं लैंगिक भेदभाव मिटाने के सम्बंध में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, अभिषेक चारण, अभिषेक शर्मा, मांगीलाल, अजयपाल सिंह भाटी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दक्षता कोठारी व आयशा ने किया।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में होली के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन

होली के रंग में हुये सब सराबोर, विश्वविद्यालय परिसर में मचाई होली गीतों की धूम

लाडनूँ, 7 मार्च 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में होली के अवसर पर शनिवार को भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें समस्त कार्मिकों एवं प्रशासनिक व शैक्षणिक अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने सबको होली पर्व की बधाई व शुभकामनायें देते हुये कहा कि हमेशा शालीनता व पवित्रता के साथ होली खेला जाना चाहिये। मौसम में परिवर्तन के साथ होली का त्यौंहार हमें रोगों और कीटाणुओं से लडने की शक्ति प्रदान करता है। होली के अवसर पर हम मन के गुब्बार निकाल कर मस्ती लेते हैं, लेकिन सबमें सदैव मर्यादा कायम रहनी चाहिये। अनुशासन के साथ प्रेम का पर्व है, जिसमें परस्पर स्नेह के भाव उमड़ते हैं। कार्यक्रम में सबने चंग बजाते हुये होली एवं देशभक्ति के गीत गाये और खूब नृत्य करके मस्ती ली। इस अवसर पर परस्पर गुलाल लगाकर एक दूसरे के बीच का भेदभाव मिटाया और परस्पर बधाइयां दी। कार्यक्रम के अंत में अल्पाहार का कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, कुलसचिव रमेश कुमार मेहता, प्रो. बीएल जैन, जीवनमल मालू, कनक दूगड़, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, डाॅ. प्रद्युम्रसिंह शेखावत, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, मोहन सियोल, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. प्रगति भटनागर, डाॅ. सुनिता इंदौरिया, डाॅ. विनोद सियाग, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. बलबीर सिंह चारण, डाॅ. अशोक भास्कर, सोमवीर सांगवान, प्रगति चैरडिया, महिमा जैन, विजय कुमार शर्मा, दीपाराम खोजा, पंकज भटनागर, अभिषेक चारण, रमेश दान चारण, दीपक माथुर, अजयपाल सिंह भाटी, डाॅ. वीरेन्द्र भाटी आदि उपस्थित थे।

Friday 6 March 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में फिट इंडिया क्लब की बैठक में विभिन्न कार्यक्रमों पर चर्चा


लाडनूँ, 6 मार्च 2020। भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे ‘‘फिट इंडिया’’ अभियान के तहत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में गठित की गई फिट इंडिया क्लब की एक बैठक नोडल अधिकारी डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में क्लब के तत्वावधान में गत एक माह की गतिविधियों के बारे में बताया गया तथा वर्तमान में चल रहे व आगे किये जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में विचार-विमर्श किया गया। बैठक में जंक फूड की रोकथाम, फिट रहने के लिये क्या किया जाना चाहिये, समाज के हर व्यक्ति को फिट बनाने के लिये उठाये जाने वाले कदमों, खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन और उनमें भाग लेने आदि पर चर्चा की गई। बैठक में डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, मोहन सियोल, डाॅ. आभासिंह, करण गुर्जर, शेर सिंह, डाॅ. विकास शर्मा, अभिषेक शर्मा, प्रगति चैरड़िया, ओमप्रकाश सारण आदि उपस्थित रहे। संचालन खेल प्रशिक्षक अजयपाल सिंह भाटी ने किया।

Thursday 5 March 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में महिलाओं के विकास से सम्बंधित विचार गोष्ठी एवं प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम आयोजित

महिलाओं को सामाजिक पाबंदियों से मुक्त करना होगा

लाडनूँ, 5 मार्च 2020।‘‘महिलाओं के विकास में सरकार को क्या करना चाहिये’’ इस विषय पर यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में चल रहे सात दिवसीय कार्यक्रम में पांचवें दिन विचार-गोष्ठी एवं प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रेखा शेखावत ने बताया कि महिलाओं को अपनी रक्षा स्वयं करने के लिये तैयार होना होगा तथा आत्मरक्षा के उपायों को सीख कर किसी भी परिस्थिति से मुकाबले में सक्षम बनना होगा। समाज महिलाओं को आगे आने से रोकने के लिये प्रयास करता है, लेकिन महिलाओं को इस प्रकार पाबंदियों में नहीं बांधने के लिये समाज को अपनी व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार करना होगा तथा महिलाओं की स्वतंत्रता की रखा करनी होगी। मनीषा पंवार ने निर्भया कांड का उदाहरण प्रस्तुत करते हुये कहा कि महिलाओं के साथ हुये अन्याय पर देश में न्याय भी शीघ्र नहीं मिल पाता है और इस कारण देरी से मिलने वाला न्याय स्वयं न्याय नहीं रह पाता है। महिलाओं के मामलों में सुनवाई जल्दी किये जाने के लिये कानून में बदलाव लाये जाने की जरूरत है। पूनम चारण ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि शहरी महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलायें काफी पिछड़ी हुई हैं, उनके विकास की ओर सरकार को पूरा ध्यान देना चाहिये। उनकी समस्याओं के प्रति जागरूकता बरतते हुये उनके लिये विशेष योजनायें बनाई जानी चाहिये। दीक्षा चौधरी ने कहा कि समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिये जाने की सोच विकसित करने की जरूरत है। बालिका शिक्षा को शत-प्रतिशत बनाया जाकर और बालिकाओं की उच्च शिक्षा पर पूरा ध्यान दिये जाकर ऐसा किया जा सकता है। लड़कियों को आगे बढाने एवं उन्हें शिक्षा के साथ विभिन्न प्रतियोगी क्षेत्रों में आगे बढाने के लिये हौसला अफजाई करने की ओर ध्यान दिया जाना चाहिये। कार्यक्रम में भावना ने एक गीतिका के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने किया और उन्होंने इस सम्बंध में पूछे गये प्रश्नों के जवाब देकर छात्राध्यापिकाओं की जिज्ञासायें शांत की।

महिलायें संस्कृति की संरक्षक ही नहीं संवाहक भी होती हैं- प्रो. जैन

6 मार्च 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत चल रहे महिला सप्ताह के छठे दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में एकल नृत्य, सामुहिक नृत्य, एकल गीत, समूह गीत, भजन आदि की प्रस्तुतियां छात्राध्यापिकाओं ने दी और कार्यक्रम में बढ-चढ कर हिस्सा लिया। कमलेश व समूह, प्रियंका एवं समूह, प्रमिला व समूह, दमयंती व समूह, राजन व समूह आदि ने इस अवसर पर विभिन्न राजस्थानी गीतों के साथ होली के रंग में डूबे चंग और गीतों का प्रस्तुतिकरण किया, जिनसे राजस्थानी संस्कृति जीवन्त हो गई। इन्हें सभी ने जमकर सराहा। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि महिलायें केवल अपना घर ही नहीं संवारती बल्कि संस्कृति की संवाहक, संरक्षक, संवर्द्धक के रूप में भी अपनी भूमिका निभाती है। महिलायें जहां भी जाती हैं, अपनी परम्परा और सांस्कृतिक विशेषताओं को भी ले जाती है और इस प्रकार वे संस्कृति की रक्षक ही नहीं बल्कि उसके संवहन का दायित्व भी स्वप्रेरणा से वहन करती है। महिलाओं का आचरण अपनी सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित ही होता है। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अमिताजैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. ममता सोनी, स्वाति शर्मा, रवि शर्मा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा ने किया।

निबंध प्रतियोगिता का आयोजन

7 मार्च 2020।विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में चल रहे महिला सप्ताह के अवसर पर शनिवार को महिला दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया। महिला के विकास में स्वास्थ्य शिक्षा की भूमिका विषय पर आयोजित इस निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर स्मृति कुमारी, द्वितीय रेखा परमार और तृतीय स्थान पर चन्द्रकांता रही। सभी विजेताओं को पुरस्कार के रूप में पुस्तकें प्रदान की गई। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने महिला स्वास्थ्य के बारे में बताया तथा कोरोना वायरस के लक्षणों, उससे बचने के उपाय आदि के बारे में बताया।