Tuesday 29 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय हस्त कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

 

आत्म निर्भर भारत के निर्माण में हस्त कौशल कार्य की महत्वपूर्ण भूमिका-अनिल जैन

लाडनूँ,30 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय हस्त कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन कुलपति प्रो. बीआर दूगड की प्रेरणा व संरक्षण में किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञ अनिल कुमार जैन ने ब्लू मोंडियाल के निदेशक ने कहा ब्लू पोटरी पूरे देश में और यहां तक कि दुनिया में बहुत प्रसिद्ध रहा है। ब्लू पॉटरी जयपुर की पारंपरिक कला के रूप में जानी जाती है। विविध प्रकार के आइटम जैसे हाथी, दीपक, गुलदस्ता रखने के पॉट, विविध प्रकार के पक्षी आदि का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने उन सबको बनाने की प्रक्रिया से अवगत कराया। जैन ने बताया कि ब्लू पॉटरी बनाने की प्रक्रिया में क्वार्ट्ज पाउडर, ग्लास पाउडर, कतीरा, मुल्तानी मिट्टी (बेंटोनाइट), साजी (सी फोम) सामग्री को प्रयुक्त किया जाता है तथा मिश्रण की प्रक्रिया में क्वार्ट्ज पाउडर, कतीरा गोंद, ग्लास पाउडर, साजी, और मुल्तानी मिट्टी को पानी के साथ मिलाया जाता है। कार्यक्रम में कविता जैन ने बताया कि मोल्डिंग में मिश्रण को गूंध कर रोटी के आकार में बेल लिया जाता है और फिर उस रोटी को एक सांचे में डाला जाता है और राख को भर दिया जाता है। फिर उसे उलटा कर पटली पर उतार दिया जाता है और धूप में सुखाने के लिये रख दिया जाता है। इसके बाद फिनिशिंग में मिश्रण से तैयार हुआ सामान पूरी तरह से सुखा दिया जाता है और इसे अंतिम रूप देने के लिए रेगमाल से रगड़ा जाता है। क्वार्ट्ज पाउडर, सफेद कांच के पाउडर और लेई को पानी के साथ मिलकर घोल बनाया जाता है, जिसे अस्तर कहते हैं। कोबाल्ट ऑक्साइड को सिलबट्टे पर घोटा जाता है और गोंद मिलकर कलर बनाते हैं। उसके बाद ब्रश की सहायता से डिजाइन दी जाती हैं। डिजाइन के बाद ये आइटम पककर तैयार हो जाते है। प्रारम्भ में कार्यक्रम तथा विशेषज्ञ का परिचय एवं अंत में आभार ज्ञापन संयोजक प्रो. बीएल जैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग मोहन सियोल ने प्रदान किया। कार्यक्रम में देश भर के 150 शिक्षाविद, विधार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

Wednesday 23 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में कुलपति प्रोफेसर बछराज दूगड़ के संरक्षण में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन

 

परस्पर सुख.दुःख में भागीदार बनना ही सच्ची सेवा भावना. प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 24 सितम्बर 2020 । जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में कुलपति प्रोफेसर बछराज दूगड़ के संरक्षण में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोण् आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि व्यक्ति को स्वयं तक सीमित रहने के स्थान पर अपने आस पास के लोगों की तरफ ध्यान देकर उनके सुख.दुःख में भागीदार बनाना चाहिये। परोपकार की भावना में सबका उद्धार समाहित होता है। उन्होंने सेवा परमो धर्म की अवधारणा पर भी प्रकाश डालते हुए एनएसएस की स्वयंसेविकाओं को परोपकार की भावना को हृदंयगम रखने की आवश्यकता जताई। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेवा के योगदान में दिखावे के स्थान पर सच्ची सेवा का परिचय देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में स्वयंसेविका सुरभि नाहटा, दिव्यता कोठारी, स्नेहा पारीक, वर्षा राकावत तथा नफीसा बानो ने अपने कविताए गीत व भाषण ऑनलाइन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम की शुरुआत एनएसएस गीत के माध्यम से की गईए जिसकी प्रस्तुति स्वयंसेविका प्रीति फूलफगर तथा निकिता लोढ़ा ने दी। एनएसएस इकाई प्रथम की प्रभारी डॉ. प्रगति भटनागर ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुये कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और कार्यक्रम में जुड़े सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में संस्थान के विभिन्न संकाय सदस्यों सहित स्वयंसेवक एवं स्वयंसेविकाएं भी ऑनलाइन जुड़े रहे। कार्यक्रम का संयोजन इकाई द्वितीय प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह ने किया।

Tuesday 22 September 2020

जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत सात दिवसीय आईसीटी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

 

गुगल फाॅर्म के माध्यम से शिक्षा के विविध पहलु बताये

लाडनूँ, 23 सितम्बर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत बुधवार को सात दिवसीय आईसीटी प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। कार्यशाला के प्रथम दिवस दीपक माथुर ने गूगल फॉर्म का प्रशिक्षण प्रदान करते हुए बताया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के समय विद्यार्थियों की परीक्षा कराने, उपस्थिति लेने, आंतरिक तथा बाह्य मूल्यांकन करने, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कराने आदि में गूगल फार्म काफी उपयोगी रहा हैं। उसकी वर्तमान में भी आवश्यकता बनी हुई है। माथुर ने सभी संभागियों के समक्ष गूगल फॉर्म की भूमिका प्रस्तुत करते हुए उसकी प्रक्रिया से रूबरू करवाया और प्रशिक्षण में बताया कि कैसे गूगल फॉर्म पर जाया जाता है, कैसे नया फॉर्म क्रियेट करते हैं, कैसे नया प्रश्न क्रियेट करते है, क्या-क्या सावधानियां रखी जानी चाहिये आदि। यह सब जानकारी उन्होंने विभाग के सभी संकाय सदस्यों को दिया। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो.बी.एल.जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रश्नोतरी में गूगल फार्म के उपयोग पर शिक्षकों को प्रशिक्षण

26 सितम्बर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विद्यालय) के शिक्षा विभाग में चल रही सात दिवसीय आईसीटी प्रशिक्षण कार्यशाला के पंचम दिवस शिक्षकों को गूगल फार्म में काम करने की तकनीक और विधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। विषय विशेषज्ञ दीपक माथुर ने इस सम्बंध में बोलते हुये गूगल फॉर्म के अंतर्गत प्रश्नोतरी तैयार करने, उसकी जांच करने, मूल्यांकन करने आदि के सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने प्रश्नोतरी तैयार करने के लिये सैटिग, जर्नल, प्रजेंटेशन तथा क्विज बारे में जानकारी प्रदान की। साथ ही प्रश्नोतरी होने के बाद कैसे उत्तर तथा अंको को सेट किया जाता है, छात्रों के प्रत्युत्तर को एक्सल में ले जाकर कैसे उस प्रश्नोतरी से परिणाम तैयार किया जाता है आदि का प्रशिक्षण विभाग के सभी संकाय सदस्यों को दिया। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि यह जानकारी बहुत ही उपयोगी है। वर्तमान समय में इस प्रकार की ऑनलाइन तकनीक की जानकारी सभी शिक्षकों को होना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित भी किया।

आईसीटी प्रशिक्षण कार्यशाला के छठे दिवस समझाई मूल्यांकन प्रक्रिया

28.सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में चल रही सात दिवसीय आईसीटी कार्यशाला के छठे दिवस दूर बैठी हुई छात्राओं की शैक्षिक गतिविधियों का सुचारू रूप से संचालन करने के लिये अेक्नोलोजी के इस्तेमाल के बारे में विशेषज्ञ दीपक माथुर ने सभी संभागियों को समझाया। साथ ही उन्होंने प्रश्नोतरी प्रतियोगिता व सामान्य ज्ञान के माध्यम से छात्राओं के अध्ययन का साप्ताहिक, मासिक व अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन करने के बारे में जानकारी भी दी। छात्राओं से उनकी शैक्षिक गतिविधियों से सम्बंधित सूचनाओं के आधार पर उनकी विभिन रिपोर्ट्स के प्रवेश, परीक्षा व सम्बंधित विषय-अध्यापक के लिए उपयोगी बनने के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ऑनलाइन क्लासों में छात्राओं से उनकी उपस्थिति को गूगल फॉर्म के माध्यम से प्रत्येक दिन लेना व उसकी मासिक रिपोर्ट तैयार करने की भी जानकारी दी। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बी. एल. जैन ने आभार ज्ञापित किया।

Saturday 19 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ऑनलाइन राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन

 

राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में 274 ने भाग लिया

लाडनूँ, 20 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ऑनलाइन राष्ट्रीय स्तरीय प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में स्नात्तक एवं स्नात्तकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिए आयोजित की गयी। प्रतियोगिता में देश के विभिन्न प्रांतों से 274 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इनमें से 189 विद्यार्थियों ने प्रतियोगिता में 60 प्रतिशत से अधिक स्कोर प्राप्त किये। विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक प्रभारी डॉ. अमिता जैन ने बताया कि कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशन में आयोजित इस प्रतियोगिता में भाग लेकर विद्यार्थियों ने अपने ज्ञान का सदुपयोग किया। प्रतियोगिता में 60 प्रतिशत या इससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट प्रदान किया जायेगा।

Sunday 13 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में हिंदी की वर्तमान में प्रासंगिकता पर राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम आयोजित

 

हिन्दी का विपुल साहित्य हमें आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम- प्रो. शर्मा

लाडनूँ, 14 सितम्बर 2020। हिन्दी दिवस के अवसर पर एक राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के पूर्व डीन एवं शिक्षाशास्त्री प्रो. गोपीनाथ शर्मा ने ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में हिंदी को महत्त्व दिया हैं। उन्होंने हिंदी दिवस मनाने का औचित्य, प्रासंगिकता एवं अवदान पर प्रकाश डालते हुये बताया कि 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को भारत संघ की भाषा के रूप में घोषित किया गया। 15 वर्ष तक अर्थात सन 1965 तक अग्रेंजी की अनिवार्यता को भी लागू कर दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 365 के उपबन्ध 1, 2 व 3 में लिखा हैं कि संसद कोई नियम नहीं बनावें तो संसद की कार्यवाही हिंदी में होगी। उस समय अग्रेंजी की लगायी गयी वैसाखी आज तक कष्ट दे रही हैं। 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित कर दिया गया, जिसमें यह व्यवस्था कर दी गयी हिंदी के साथ अग्रेंजी का उपयोग सदा के लिए अनिवार्य रहेगा। हिंदी का साहित्य विपुल है, हम हिंदी भाषा से भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। यह भाषा चिन्तन, सोच, रचनात्मकता विकसित करती हैं।

आधा तीतर आधा बटेर कर रहे हैं

केशव विद्यापीठ जामडोली जयपुर के श्रीअग्रेसन स्नात्तकोतर शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय सी.टी.ई की प्रो. रीटा शर्मा ने द्वितीय विशेषज्ञ के रूप में कहा कि आजकल की अग्रेंजी से हम आधा तीतर आधा बटेर के समान हो गये हैं। ना तो हम अग्रेंजी ठीक बोल पा रहे हैं ना ही हिंदी। हमें इस पर विचार करना होगा। अधिकांशत हिंदी व अंग्रेजी का मिश्रित रूप प्रचलन में आ गया हैं। हिंदी दिवस की प्रासंगिकता को विविध कार्यक्रमों जैसे वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता, शब्दकोश का संवर्धन, हिंदी की मानक शब्दावली का प्रयोग, कविता लेखन, वर्तनी आदि से बढ़ाना होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में हिंदी भाषा ही समर्थ होगी। अधिकाशतः भारत के प्रान्त हिंदी में ही वार्ता, संवाद, विचार-विनिमय करते हैं। हिंदी आज आमजन, बाजार, घरेलू भाषा के रूप में सशक्त हैं। गीत, भजन, संगीत का आनन्द और परमानन्द हिंदी में ही समाहित हैं। कुछ लोग हिंदी का गुणगान हिंदी दिवस पर करते हैं, बाकी दिवस अग्रेंजी में कार्य करते हैं। हमें राजकीय, प्रशासकीय, तकनीकी, विज्ञान, संगणक आदि में इस भाषा का प्रयोग बढ़ाना होगा। संसद, विधानसभा, नगरपरिषद तथा पंचायत हिंदी भाषा में ही चलानी चाहिए। हिंदी ने ही राष्ट्र का चहुमुखी विकास किया हैं।

छात्रा सुमन चैधरी एवं हृषिता स्वामी ने हिंदी को सामाजिक जन-जीवन, व्यवहार एवं व्यापर में प्रयोग की जाने वाली भाषा कहा। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बी.एल. जैन ने विशेषज्ञ का परिचय कराते हुए कहा राष्ट्र की पहचान के लिए राष्ट्र भाषा का होना आवश्यक है, हिंदी ही समृद्ध, सशक्त और गौरव प्रदान करने वाली भाषा है। आभार ज्ञापन डॉ. सरोज राय ने किया। तकनीकी कार्य मोहन सियोल ने किया। कार्यक्रम में डॉ. सुनीता, डॉ रेणु शर्मा, डॉ नवनीत शर्मा, डॉ अनीता जैन, नन्द किशोर, डॉ. संतोष शर्मा, अलका जैन, संस्थान के संकाय सदस्य एवं आदि शिक्षाविद तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

अन्य विभागों ने भी मनाया हिन्दी दिवस

आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में हिन्दी दिवस पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्ष्ज्ञता में हुआ। प्रो. त्रिपाठी ने हिन्दी की महता पर प्रकाश डालते हुये इस भाषा की विशेषताओं के बारे में बताया तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान के लिये राजेन्द्र सिन्हा को याद किया और उनकी स्वर्णजयंती 14 सितम्बर का महत्व बताया। कार्यक्रम में मुमुक्षु आयुषी ने प्रियंका राठौड़ ने हिन्दी कवितायें प्रस्तुत की। डाॅ. बलवीर सिंह व सोमवीर सांगवान ने हिन्दी दिवस एवं हिन्दी भाषा के महत्व के बारे में बताया। अभिषेक चारण ने तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष मुस्तफा कमाल का उदाहरण देते हुये राष्ट्रभाषा के महत्व के बारे में बताया। जैविभा विश्वविद्यालय के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में हिन्दी दिवस कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने हिन्दी को सम्पूर्ण देश की भाषा बताया तथा कहा कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं बल्कि यह संस्कृति है। संत तुलसीदास से लेकर आधुनिक कवियों तक हिन्दी के काव्यों की सृजना हुई है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के सहायक आचार्य अरिहंत जैन ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।

Thursday 10 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में गूगल क्लासरूम की उपयोगिता और तकनीक पर व्याख्यान आयोजित

 

सोशल डिस्टेंसिंग में ऑनलाइन कक्षाओं के लिये गूगल क्लासरूम का महत्व

लाडनूँ, 11 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में आंतरिक व्याख्यान श्रृंखला के अन्तर्गत शुक्रवार को प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठीकी अध्यक्षता में व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान श्रृंखला के प्रािम व्याख्यान के रूप में डाॅ. प्रगति भटनागर ने गूगल क्लासरूम द्वारा आॅनलाईन पढाई के बारे में अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होने कूगल क्लासरूम एप्प के जरिये अध्ययन-अघ्यापन के विविध आयामों एवं तकनीक के बारे में जानकारी दी। डाॅ. भटनागर ने बताया कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। आज सभी पाठ्यक्रमों एवं सेमिनारों तक के ऑनलाइन किये जाने की जरूरत है। गूगल क्लासरूप एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिस पर अलग-अलग कक्षाओं का संचालन किया जा सकता है। क्लासरूम के ऑननलाईन मैनेजमेंट के लिये इस प्लेटफार्म की अपनी खूबियां हैं। उन्होंने गूगल क्लासरूम में कक्षा क्रियेट करने, उसे नाम देकर जेनरेट करने, विद्यार्थियों द्वारा जाॅइन करने, कोड एंटर करने, टाॅपिक जोड़ने, शिक्षक को आमंत्रित करने, पाठ्य सामग्री जोड़ने, उसे पोस्ट करने, असाइनमेंट बनाने, डोक्यूमेंट्स क्रियेट करने आदि विविध पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और उसे स्मार्ट बोर्ड पर पे्रक्टिकली बताया। उन्होंने बाद में इस सम्बंध में उपस्थित लोगों की जिज्ञासाओं एवं सवालों के जवाब भी दिये। प्रारम्भ में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने विषय के सम्बंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह समय की आवश्यकता है कि कुछ नया सीखा जावे। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते ऑनलाइन कक्षाओं का महत्व बढ गया है। इस सम्बंध में विभिन्न तकनीकियों के बारे में सबके लिये जानकारी आवश्यक है। उन्होंने शुरू की गई व्याख्यानमाला की जानकारी दी और बताया कि इसमें प्रत्येक 15 दिन पश्चात किसी नये निर्धारित विषय पर व्याख्यान का आयेाजन किया जायेगा। कार्यक्रम का संचालन समन्वयक सोमवीर सांगवान ने किया। इस अवसर पर डाॅ. बलवीर सिंह चारण, डाॅ. विनोद सैनी, श्वेता खटेड़, अभिषेक चारण, कमल कुमार मोदी आदि उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एनएसएस की छात्राओं ने किया पौधारोपण


 लाडनूँ, 11 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों ईकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में छात्राओं एवं कार्मिकों ने मिलकर विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण किया। इस अवसर पर कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने एनएसएस स्वयंसेविकाओं को धरती व पर्यावरण के लिये वृक्षों की उपयोगिता के बारे में बताया और कहा कि वृक्ष हमारे प्राणदायी भी होते हैं। वे जहां इस सृष्टि का सौंदर्य होते हैं, वहीं वे हमें प्राणवायु, फल आदि सामग्रियां देकर हमारा पोषण भी करते हैं। उन्होंने पेड़ लगाने की आवश्यकता भी बताई। इस अवसर पर आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, एनएसएस प्रभारी डाॅ. प्रगति भटनागर, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, विताधिकारी राकेश कुमार जैन, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डाॅ. बलवीर सिंह चारण आदि के साथ स्वयंसेविकायें उपस्थित रही और परिसर में 21 छायादार व पुष्पवान पौधों का रोपण किया।

Friday 4 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन

 

शैक्षिक पाठ्यक्रमों में शोध एवं कौशल विशेषज्ञता को बढावा जरूरी- प्रो. यादव

लाडनूँ, 5 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 - शिक्षा का श्रेष्ठ दस्तावेज’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी में द्वितीय दिवस पर एकेडमिक अफेयर्स पी.टी. लक्ष्मीचंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ पेर्फोमिंग एंड विसुअल आर्ट्स रोहतक के डीन प्रो. आर.एस. यादव ने अपने सम्बोधन में भारतीय उच्च शिक्षा की चुनौतियों एवं उनके समाधान पर प्रकाष्श डाला। उन्होंने उच्च शिक्षा में बहुअनुशासनात्मक विश्वविद्यालय, पाठ्यचर्या में लोचशीलता, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता आदि विषयों पर समालोचनात्मक चिंतन एवं विश्लेषण प्रस्तुत किया। प्रो. यादव ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की उच्च शिक्षा तक पहुंच के तरीकों तथा केन्द्र व राज्यों की सरकारों के बीच समन्वय की आवश्यकता के बारे में बताते हुये विदेशी विश्वविद्यालयों के आगमन पर भी चिंता व्यक्त की। प्रो. यादव ने कहा कि बहुअनुशासनात्मक शिक्षा का दायरा सीमित करने के साथ’-साथ विषय एवं कौशलों में विशेषज्ञता को बढावा दिया जाना आवश्यक है। उच्च शिक्षा संस्थानों में अकादमिक पाठ्यक्रमों एवं शोध के बीच समन्वय होने से ही सम्पूर्ण विकास का आधार बनना संभव होता है।

गरीब, दिव्यांग व महिला वर्ग तक उच्च शिक्षा की पहुंच जरूरी

केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के प्रो. आशुतोष प्रधान ने सामाजिक समावेशन पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि शिक्षा के माध्यम से समाज के समस्त वर्गों का समुचित विकास समानरूप से होना आवश्यक है। शिक्षा की पहुंच दिव्यांगों, गरीबों तथा महिलाओं तक होनी जरूरी है। शिक्षा नीति की अनुपालना से सामाजिक न्याय, समरसता तथा समग्र विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव होगा। नेशनल विश्वद्यालय जयपुर की स्कूल शिक्षा की रिसर्च एडवाईजर प्रो. रीटा अरोड़ा ने उच्च शिक्षा से जुड़े संदर्भों पर विचार व्यक्त करते हुये बताया कि उच्च शिक्षा के माध्यम से वैश्विकता और सांस्कृतिकता का समन्वय अत्यन्त चुनौतीपूर्ण है। शिक्षा के द्वारा रोजगारपरकता, सांस्कृतिक विकास, सामाजिक उत्थान जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रशासन, शिक्षक व नीतिगत निर्णयों की परस्परता आवश्यक है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संयोजक व शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने अतिथियों का परचिय प्रस्तुत किया एं अंत में डाॅ. भाबाग्रही प्रधान ने आभार जताया।

रामकृष्ण ने विवेकानंद और रामदास ने देश को शिवाजी दिये थे- प्रो. त्रिपाठी

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। महाविद्यालय से निकलने वाले छात्र की राष्ट्र का भविष्य बन कर सामने आते हैं। इस प्रकार शिक्षक ही देश के भविष्य का निर्माण करता है। जिस प्रकार एक कुम्भकार आकर्षक व सुडौल घड़ा बनाने के लिये चोट करता है, ठीक वैसे ही छात्र के निर्माण के लिये शिक्षक भी उसको डांटने, आंख दिखाने, उसे अनुशासित रखने और सुधारने की प्रक्रिया को पूरा करता है। इस अवसर पर प्रो. त्रिपाठी ने डाॅ. राधाकृष्ण को याद किया और सबको शुभकामनायें देते हुये कहा कि हमारे देश के इतिहास में गुरू-शिष्य की श्रेष्ठतम जोड़ियों का निर्माण होता रहा है। रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानन्द जैसा शिष्य देश को दिया। कौटिल्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य का निर्माण किया। गुरू रामदास की शिक्षा से छत्रपति शिवाजी ने मुगलों के छक्के छुड़ाये। गौड़पाद ने गुरू बनकर जगद्गुरू शंकराचार्य का निर्माण किया। आचार्य तुलसी ने आचार्य महाप्रज्ञ को तैयार किया था। उन्होंने इस अवसर पर अरस्तू और सिकन्दर के दृष्टान्त भी प्रस्तुत किये। ऑनलाइन आयोजित किये गये इस कार्यक्रम के प्रारम्भ में डाॅ. बलवीर सिंह चारण ने शिक्षक दिवस की भूमिका प्रस्तुत की। छात्राओं ममता एवं संगीता ठोलिया ने भी शिक्षक दिवस पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में कमल कुमार मोदी, सोमवीर सांगवान, शेरसिंह, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़, डाॅ. विनोद सियाग आदि उपस्थित रहे।

शिक्षा में नेतृत्वशीलता के गुणों का विकास होना आवश्यक- डाॅ. प्रमोद कुमार

04 सितम्बर। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020- शिक्षा का श्रेष्ठ दस्तावेज’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में प्रारम्भ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के डाॅ. प्रमोद कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की परिचयात्मक पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार शैक्षिक गुणवता, अध्यापन सम्बंधी शिक्षा से जुड़े संस्थानों की गुणवता को बढाने, शैक्षिक संस्थानों की स्वायतता, समय-समय पर नियत पदोन्नति की नीति तैयार करने, शोध की गुणात्मकता को बढाने, नवाचारों को बढावा देने, आधारभूत स्रोतों का परस्पर साझीकरण, सर्वशिक्षा अभियान के तहत शिक्षा की सार्वभौमिकता को बढाने, पूर्व अध्यापकों एवं सामाजिक कार्यकताओं को शिक्षा से जोड़ने, नेतृत्वशीलता के गुणों का विकास करने आदि बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उनके पश्चात चैधरी रणवीरसिंह विश्वविद्यालय जींद के प्रो. संदीप बेरवाल ने व्यावसायिक शिक्षा को बढावा देने पर अपने विचारों को केन्द्रित करते हुये रोजगार परक शिक्षा के लिये विविध कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाने, विषय चयन के लिये लचीलापन प्रयोग में लाने, लेखन-‘वाचन व पठन की क्षमताओं का विकास करने, शिक्षा के क्षेत्र में डिजीटल संसाधनों के प्रयोग को बढावा देने एवं उनका प्रशिक्षण दिया जाने, मूल्य शिक्षा को बढावा देते हुये शोध व नावाचारों को प्रोत्साहित करने पर विचार व्यक्त किये।

शिक्षक के बूते ही संभव है नई शिक्षा नीति की सफलता

जैन विश्व भारती संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षक के बलबूते पर ही चिकित्सक, अभियंता एवं शिक्षक आदि को तैयार किया जाना संभव है। शिक्षक कंकर को शंकर बना सकता है। प्रारम्भ में कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बीएल जैन ने कार्यक्रम का उद्देश्य, विषय का परिचय एवं अतिथियों के बारे में बताया। अंत में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने आभार ज्ञापित किया। ई-संगोष्ठी में तकनीकी संचालन का कार्य मोहन सियोल ने किया। कार्यक्रम में प्रो. आशुतोष प्रधान, प्रो. आरएस यादव, प्रो. रीटा अरोड़ा, डाॅ. नन्दि नी गुप्ता, डाॅ. कुसुम लता, डाॅ. नवनीत शर्मा, डाॅ. अनीता जैन, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, डाॅ. ममता सोनी आदि उपस्थित थे।

Wednesday 2 September 2020

जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) को मिला तीसरा आईएसओ प्रमाण पत्र

 

लाडनूँ, 3 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) को फिर से आई.एस.ओ. का मानक प्रमाण प्रत्र ‘‘आईएसओ 14001: 2015’’ प्राप्त हुआ है। यह प्रमाण पत्र संस्थान को पर्यावरण प्रबंधन तंत्र के क्षेत्र में प्रदान किया गया है। प्रमाण पत्र में बताया गया है कि जैन विश्वभारती संस्थान कला, विज्ञान, वाणिज्य, शिक्षा, सामाजिक विज्ञान, शांति अध्ययन आदि क्षेत्रों में समाज के लिये विभिन्न स्नातक एवं स्नातकोत्तर शैक्षणिक कार्यक्रम प्रदान करके उत्कृष्टता के उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों पर शिक्षा, शिक्षण और अनुसंधान के माध्यम से समाज में योगदान दे रहा है, जिसमें ओरियेंटल अध्ययन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यहां के सारे कार्यक्रम नियमित एवं दूरस्थ शिक्षण व्यवस्था के माध्यम से संचालित किये जाते हैं। यह इस संस्थान को तीसरा आईएसओ प्रमाण पत्र मिला है। इससे पूर्व जैविभा विश्वविद्यालय को व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रबंधन के क्षेत्र में उच्च मानदंडों की अनुपालना के आधार पर हाल ही में गत अगस्त माह में आई.एस.ओ. का सर्टिफिकेशन अवार्ड प्राप्त हुआ था। जैन विश्वभारती संस्थान ने अपनी स्थापना के 30 वर्षों में लगातार गुणवता, प्रबंधन, स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण आदि विभिन्न क्षेत्रों में विशेष सजगता एवं जागरूकता के साथ उच्च मानकों को स्थापित किया है। संस्थान को यह तीसरा आई.एस.ओ. प्रमाण पत्र मिला है, जिस पर यहां समस्त स्टाफ ने हर्ष जताया है।