Friday 29 May 2020

उच्च शिक्षा में मूल्य और अध्यापन-शिक्षण पर वेबिनार में मुख्य वक्ता होंगे प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 29 मई 2020। बिजनौर के विवेक ग्रुप के काॅलेज आफ एजुकेशन की इंटरनेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल के तत्वावधान में ‘‘वेल्यूज एंड टीचिंग लर्निंग इन हायर एजुकेशनः करंट प्रेक्टिश एंड प्रोस्पेक्ट्स’’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। यह ऑनलाईन वेबिनार आगामी 2 जून को प्रातः 11 बजे आयोजित की जायेगी। इस वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशक एवं परीक्षा नियंत्रक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे। वेबिनार में भाग लेने वाले समस्त प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये जायेंगे।

मानसिक स्वास्थ्य और कोविड-19 महामारी पर वेबिनार का आयोजन

हमारी सोच का परिणाम हमारे स्वास्थ्य पर होता है- प्रो. सिंघल

लाडनूँ, 29 मई 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) एवं श्रीअग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय, केशव विद्यापीठ, जामडोली के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘मानसिक स्वास्थ्य और कोविड-19 महामारी’’ विषय पर एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जे.पी. सिंघल ने की। जैन विश्वभारती संस्थान कुलपति प्रो. बी.आर. दुग्गड तथा केशव विद्यापीठ समिति के अध्यक्ष की प्रेरणा से संयुक्त रूप से आयोजित इस वेबिनार में प्रो. सिंघल ने वेबिनार के विषय को समसामयिक व औचित्य पूर्ण बताते हुए अपने वक्तव्य में कहा हम जैसे सोचते हैं तथा विचार करते है, वैसा ही हम व्यवहार करने लगते है। हम नकारात्मक सोचेंगे तो नकारात्मक व्यवहार होगा। कोविड-19 महामारी का प्रभाव सामाजिक, शैक्षिक, राजनैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक सभी पक्षों पर पडा है। टी.वी. पर दिन-प्रतिदिन बढ़ते हुए संक्रमितों की संख्या को देखने के कारण मानसिक रूप से अस्वस्थ हो रहे हैं। हमें समग्र रूप में आकलन करना चाहिए कि इस बीमारी से संक्रमितों की संख्या के साथ स्वास्थ्य प्राप्त करने वालों, शेष रिपोर्ट की संख्या, मृत्युग्रस्त लोगों का आयु वर्ग और उनकी पूर्व बीमारी आदि सभी पक्षों का आकलन करना चाहिये। समग्र रूप में देखे जाने पर ज्ञात होता है कि संक्रमित व्यक्तियों की संख्या अन्य देशों की अपेक्षा यहां बहुत कम है। मानसिक स्वास्थ्य पर शारीरिक स्वास्थ्य का प्रभाव पड़ता है और मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर होता है। उन्होंने बताया कि शुद्ध अन्तःकरण, नवीन कार्य, सृजनात्मकता, आध्यात्मिक क्रियाएं, योग, प्राणायाम, संस्कृति के अनुकूल कार्य, प्रकृति का संरक्षण, प्रकृति का सम्मान, घर के कार्य आदि क्रियाएँ करने से स्वस्थ व प्रसन्न रह सकते हैं।

योग व आयुर्वेद से कोरोना से मुक्ति संभव

कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता भारतीय वैज्ञानिक डाॅ. ओ.पी. पाण्डेय ने कोराना के आकार, संरचना, क्रियाएँ तथा प्रभाव के विषय में अवगत कराते हुए कहा कि बिना मेडीसीन लिये भी कोराना संक्रमित लोग ठीक हो रहे है, क्योंकि वे भारतीय आयुर्वेद के काढा, तुलसी, मुलैठी, हल्दी आदि का सेवन करके अपने इम्यूनिटी पावर को बढ़ा रहे है तथा आत्मबल, अभय, चिंतारहित होकर आइसोलेशन में रह रहे हैं, जिससे शीघ्र स्वस्थ हो रहे हैं। उन्होंने भारतीय योग, विभिन्न मुद्राओं तथा प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का महत्त्व बताते हुए उनकी उपयोगिता को सिद्ध किया और कहा कि अपनी भारतीय पद्धति की प्रत्येक परम्परा, रिवाज व मान्यता वैज्ञानिकता लिये हुए हैं, हमें उनका पालन करना चाहिए। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के पूर्व डीन व विभागाध्यक्ष प्रो. ए. के. मलिक ने कहा कि व्यवहार पक्ष ठीक रखें, सकारात्मकता बढ़ाये, अनर्गल विचार कम से कम मन में लावें, स्वाध्याय करें, भयमुक्त रहें, सहजता का जीवन जियंे, आत्मनिर्भर बने-परनिर्भर नहीं, बच्चों तथा माता-पिता से मधुर व्यवहार करें, अच्छे कार्य करें, विचारों में सकारात्मकता रखें इनसे हम मानसिक संतुलन रख सकते हैं।

बुरी लत छोड़ें और रसोईघर से बढायें इम्युनिटी

शिक्षा संकाय, राजस्थान विश्वविद्यालय की निर्वमान डीन व विभागाध्यक्ष प्रो. रीटा अरोड़ा ने कहा कि भारतीय रसोई हमारी सबसे बड़ी लैब है, उसे समुचित ढंग से उपयोग करना चाहिए। समाज में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। केन्द्र, राज्य सरकार तथा समाज का सहयोग करना चाहिए। वनस्थली विद्यापीठ के विभागाध्यक्ष एवं निवर्मतान डीन प्रो. मधु माथुर ने कहा कि बुरी लत जैसे-बीडी, सिगरेट, मद्यपान, गुटखा का सेवन करना, अधिक समय टी.वी. देखना, दिनभर मोबाईल में व्यस्त रहना, नकारात्मक बातें करना, दूसरे के अवगुण देखकर आलोचना करना आदि से छुटकारा पाने से स्वस्थ जीवन जीया जा सकता है। अनिद्रा, चिन्ता, तनाव आदि रोग इस लाॅकडाउन में बढ़े है, जिसका कारण नौकरी चले जाने का भय, परीक्षा नहीं होने का भय, प्लेसमेंट नहीं होना आदि है। हम घर पर रहकर अपने हुनर को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए जिससे हम आत्मनिर्भर बन सकें। प्रारम्भ में वेबिनार के समन्वयक एवं जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कार्यक्रम का परिचय व उद्देश्य प्रस्तुत करते हुये बताया कि इस वेबिनार से मानसिक स्वास्थ्य के नवाचार से सुपरिचित करवाने की दिशा में मानसिक स्वास्थ्य की विविधि युक्तियों से ओतप्रोत कराने, मानसिक संतुलन, मानसिक शक्ति और मानसिक ऊर्जा का संवर्धन करने, लाॅकडाउन की परिस्थिति व कोराना महामारी से सकारात्मकता से सामना करना आदि रहा। ऑनलाईन वेबिनार कार्यक्रम में 746 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में वेबिनार समन्वयक प्रो. रीटा शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में केशव विद्यापीठ समिति के सचिव ओ.पी. गुप्ता, संयुक्त सचिव अमरनाथ चंगोत्रा, महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष डाॅ. रामकरण शर्मा, मंत्री सूर्यनारायण सैनी आदि उपस्थि रहे।

Thursday 28 May 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) ने शुरू की ‘‘ऑनलाईन लर्निंग एप’’ की निःशुल्क सुविधा

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं एवं प्रवेश-परीक्षाओं की तैयारियां कर सकेंगे जैन विश्वभारती संस्थान के विद्यार्थी

लाडनूँ, 28 मई 2020।जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) द्वारा राज्य भर के अपने विद्यार्थियों के लिये विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं एवं प्रवेश-परीक्षाओं की तैयारियों के लिये युनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, जयपुर के सहयोग से एक ‘’ऑनलाईन लर्निंग एप’’ की सुविधा उपलब्ध करवाए जाने की व्यवस्था की गई है। इस ऑनलाईन सॉफ्टवेयर के माध्यम से बैंक, एसएससी, एलआईसी, रेलवे इत्यादि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं एवं विभिन्न प्रवेश-परीक्षाओं यथा नीट, आईआईटी, जी, एनटीएसई, सीए, सीएस फाउंडेशन, बीबीए एंट्रेंस, सीएमएटी-एमएटी आदि की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिये निःशुल्क ऑनलाईन सहायक अध्ययन सामग्री वीडियो लेक्चर, पाठ्य-पुस्तकें (सामान्य ज्ञान, समसामयिकी, व्याकरण आदि) तथा पत्र-पत्रिकाएं, नोट्स आदि की सुविधा उपलब्ध करवाए जाने की व्यवस्था की गई है।

मिलेगी माॅक टेस्ट की सुविधा भी

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया कि यह सम्पूर्ण पाठ्य-सामग्री हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। पंजीकृत विद्यार्थी को इस एप्लिकेशन साॅफ्टवेयर पर उपलब्ध विभिन्न ई-बुक्स पूर्णतः ’निःशुल्क डाउनलोड’ करने की सुविधा भी प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि इस एप के माध्यम से विद्यार्थी समय-समय पर अपनी तैयारियों का जायजा लेने हेतु एवं प्रतियोगी परीक्षाओं का वास्तविक अनुभव करने हेतु संबंधित परीक्षाओं के ’मॉक टेस्ट’ भी दे सकेंगे, जिससे विद्यार्थियों को स्वयं की तैयारियों का जायजा लेने एवं मूल्यांकन करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। प्रो. दूगड़ ने बताया कि यह ’एप डेक्सटाॅप एवं मोबाईल दोनों के लिए’ विकसित की गई है। सर्वप्रथम विद्यार्थी को एप के माध्यम से स्वयं को पंजीकृत करना होगा। पंजीयन से 24 घंटे की अवधि के भीतर विद्यार्थी को उक्त के प्रयोग की स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी एवं विद्यार्थी इस एप में उपलब्ध सभी सुविधाओं का निःशुल्क लाभ प्राप्त कर सकेगा। लेकिन पंजीकृत उपयोगकर्ता को पंजीयन तिथि से एक माह की अवधि के भीतर जैन विश्वभारती संस्थान का विद्यार्थी होने का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। कुलपति प्रो. दूगड़ ने इस एप के एंड्रोयड फोन एवं डेस्कटोप कम्प्यूटर पर डाउनलोड करने के लिये लिंक भी जारी किये हैं।

Monday 25 May 2020

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में ‘‘कोविड-19 के दौरान तनाव-प्रबंधन’’ पर राष्ट्रीय सिम्पोजियम का आयोजन

तनाव से मुक्ति का उपाय है- व्यस्त रहें, मस्त रहें: प्रो. शर्मा

राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों ने कहा, रेतीले गर्म क्षेत्रों में रहने वालों का इम्युनिटी पावर बहुत अधिक
लाडनूँ, 25 मई 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में ‘‘कोविड-19 के दौरान तनाव-प्रबंधन’’ विषय पर एक दिवसीय ई-राष्ट्रीय सिम्पोजियम का आयोजन ऑनलाईन किया गया। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की प्रेरणा से आयोजित इस सिम्पोजियम में बुलंदशहर के शिकारपुर स्थित श्यामलाल पीजी काॅलेज के प्राचार्य प्रो. अशोक शर्मा एवं आगरा के एमबीएस काॅलेज के शिक्षा संकाय के प्रो. विनोद कुमार शर्मा मुख्य वक्ता रहे। प्रो. अशोक शर्मा ने अपने वक्तव्य में बताया कि मन की छोटी सोच और वैर की मोच से व्यक्ति आगे नहीं बढ सकता है। कोविड-19 से आधे लोग तो बिना बीमारी, बिना क्वारंटाईन और बिना आइसोलेशन के ही तनावग्रस्त हो रहे हैं। वे टीवी, मोबाईल या रेडियो पर कोरोना संक्रमितों की संख्या देखते रहते हैं, लेकिन वे यह नहीं देखते-विचारते कि कितने लोग स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज भी हो रहे हैं। यह निराशावादी सोच मन में भय पैदा करती है और तनाव बढा रही हैं। इस देश के लोगों में इम्युनिटी पावर बहुत अधिक है, क्योंकि यहां के लोग मेहनती, पसीने में रहने वाले, गर्म पानी पीने वाले, रेतीले मैदान व मिट्टी में रहने वाले हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुये कहा कि एक 12 वर्षीया बालिका मात्र 7 दिनों में 1200 किमी की दूरी में साईकिल से चक्कर लगाकर आ सकती है। उस देश में कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। उन्होंने बताया कि हम बच्चों की किलकारी, चिड़ियों को दाना, पशुओं को चारा और गरीबों को भोजन बांटेंगे तो हमें तनाव नहीं हो सकता है। बनावटी हंसी के स्थान पर वास्तविक हंसी के वातावरण में जीने से तनाव कभी भी हमारे समीप नहीं आ सकता है। अनर्गल सोच, विचार व चिंता में रहने के कारण तनाव हमारे ऊपर हावी हो जाता है और हम बेवजह ही परेशान, चिंताग्रस्त व तनावग्रस्त हो जाते हैं। प्रो. शर्मा ने कहा कि बिखरी हुई झाड़ू कभी कचरा साफ नहीं कर सकती, बल्कि वह स्वयं कचरा बन जाती है। इसी प्रकार हमारे विचार बिखरे, उखड़े व अतार्किक हुये तो वे हमें तनावग्र्रस्त बनाते हैं। हमें इनसे बचने का प्रयास करना चाहिये। इसके लिये अपनी नियमित दिचर्या सही रखें, योग, प्राणायाम, ध्यान व आसनों के साथ-साथ पुस्तकों का स्वाध्याय करें। इससे तनाव व चिंता स्वतः ही खत्म हो जायेंगे। खाली दिमाग शैतान का घर माना गया है, इसलिये अपने आपको हमेशा व्यस्त रखने और मस्त रहने की कला सीखनी चाहिये।

स्वाध्याय व आत्मसंयम से तनावमुक्ति संभव

प्रो. विनोद कुमार शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोरोना का रोना रोने से ही हम तनावग्रस्त हो रहे हैं। दिन भर इसी का राग गाते रहने से ही हमें दुःख प्राप्त होता है। मन में विचारों का आना स्वाभाविक है, लेकिन हरदम उनका गाना गाते रहने और टीवी ही देखते रहने से तनाव का कारण बनता है। समय का सदुपयोग, स्वाध्याय, आत्मनियंत्रण, आत्म-साक्षात्कार से तनाव को दूर किया जा सकता है। छिद्रान्वेषण, नकारात्मक सोच, निष्क्रियता और निष्प्रयोजन वाले व्यक्ति में तनाव अधिक रहता है। हमें विकृत विचारों से बचना होगा, तभी स्वस्थ और खुशहाल रह सकते हैं। प्रारम्भ में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने अतिथियों का स्वागत किया और अपने उद्बोधन में बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 महामारी के आगमन के बाद से ही दुःख, हानि, अशुभ, प्रतिकूल सोच तथा बुरे विचारों के अधिक प्रवाह से व्यक्ति में तनाव होना स्वाभाविक है। तनाव के कारण व्यक्ति का जीवन दुर्भर हो जाता है। जबकि जीवन में सुख-दुःख, लाभ-हानि, अच्छा-बुरा आदि चलता ही रहता है। जीवन के इस चक्र में कभी नकारात्मक पक्ष प्रबल हो जाता है तो कभी सकारात्मक पक्ष प्रबल बन जाता है। यह एक संघर्ष है, जिसमें कोई वीर बन कर उतरता है और कोई कायर बन कर लड़ता है। कोई हंस कर परिस्थितियों को स्वीकार करता है तो कोई रोते हुये समय को बीताता है। लेकिन इतना तो तय है कि सभी को यह संघर्ष करना होता है, तो इसके लिये हमें कोविड-19 की संकट की अवस्था को साहस, सहनशीलता, धैर्य, आत्मविश्वास के साथ योद्धा बन कर संघर्ष करना चाहिये, यही विजय का मंत्र है। इससे पूर्व डा. अमिता जैन ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की प्रतिकूल परिस्थितियों में तनाव पर विजय पाने के लिये विविध युक्तियों से अवगत करवाना और जीवन शैली को संयमित करके तनावमुक्त जीवन जीने के उपायों पर विचार करना ही कार्यक्रम का मुख्य ध्येय है। कार्यक्रम का संचालन मोहन सियोल ने किया।

Saturday 23 May 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं प्रे्रक्षाध्यान विभाग के अन्तर्गत समग्र स्वास्थ्य के विकास में योग की भूमिका पर वेबिनार को आयोजन

लाडनूँ, 23 मई 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं प्रे्रक्षाध्यान विभाग के अन्तर्गत समग्र स्वास्थ्य का विकास विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार के मुख्य वक्ता योग एवं जीवन विज्ञान के डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने स्वास्थ्य के विभिन्न आयामों जैसे- शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य का वर्णन किया तथा योग में वर्णित आठ अंगों यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि और प्रेक्षाध्यान के द्वारा समग्र स्वास्थ्य का विकास किस प्रकार से किया जाये। इस पर विस्तार से चर्चा की। इसके साथ वर्तमान परिस्थिति में योग की उपयोगिता एवं प्रेक्षाध्यान द्वारा रोग-निवारण पर किए गये विभिन्न शोधों का भी विस्तार पूर्वक वर्णन किया। इस वेबिनार का संचालन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की सहायक आचार्या डाॅ. प्रगति चोरड़िया ने किया। वेबिनार में तकनीकी सहयोग मोहन सियोल द्वारा दिया गया।

Tuesday 19 May 2020

महामारी के दौरान कार्यकर्ता की भूमिका पर जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का ऑनलाइन वेबिनार आयोजित

कोरोना संकट में सामाजिक कार्यकर्ता में आयेगा अधिक निखार- प्रो. संजय भट्ट

लाडनूँ,19 मई 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग द्वारा मंगलवार को एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। ‘‘कोविड-19 महामारी के दौर में सामाजिक क्रिया और व्यावसायिक-सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका’’ विषय पर आयोजित इस वेबिनार का आयोजन कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की प्रेरणा से किया गया, जिसके मुख्य अतिथि लखनऊ विश्विद्यालय लखनऊ के प्रोफेसर आरबीएस वर्मा थे और मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय भट्ट थे। वेबिनार के विशिष्ट अतिथि के रूप में जनार्दन राय नागर विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के सह आचार्य डॉ. लालाराम जाट थे। मुख्य वक्ता प्रो. संजय भट्ट ने अपने वक्तव्य में कहा कि व्यावसायिक समाज कार्यकर्ता के लिए कोविड-19 के वर्तमान समय बहुत ही चुनौतियों भरा है। यह तकनीकी क्रांति का युग है, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ताओ को समय के साथ परिवर्तन लाना आवश्यक है। उन्होंने घर से कार्य करने पर जोर देते हुये कहा कि घर से काम करने केे लिये क्लाइंट के साथ विश्वास और बढ़ाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह समय सामाजिक कार्यकर्ता के लिये अपने-आपको को साबित करने का समय है, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता निखर कर सामने आएंगे। उन्होंने सामाजिक क्रिया के मैथड को उपयोग करते हुए परिवारों के साथ कार्य करने का एक नये मैथड पर भी बल दिया।

पुलिस व स्वास्थ्य कर्मियों से समन्वय रखें

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपने वक्तव्य में प्रो. आरबीएस वर्मा ने कहा कि हमें एक सहयोगात्मक रणनीति को अपनाते हुए सभी को साथ में लेकर चलना पड़ेगा। हमें किसी के साथ भी किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों तथा अन्य कर्मचारियों के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं को समन्वय बनाकर सामाजिक समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। प्रो. वर्मा ने आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत अणुव्रत आंदोलन पर विशेष बल देते हुए कहा कि जैन धर्म के अन्तर्गत वर्तमान परिस्थिति में अणुव्रत का पालन बहुत ही प्रासंगिक होगा। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी आगामी पुस्तक में भी इसको समिलित किया है। डॉ. लालाराम ने कहा कि गांवों से शहरों की ओर पलायन चल रहा था, वह अब बदला है और इस महामारी के दौरान शहरों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग वापस लौट रहे हैं। इसके प्रभाव को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बिजेंद्र प्रधान ने सभी विद्वतजनों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। अंत में समाज कार्य विभाग की सहायक आचार्या डॉ. पुष्पा मिश्रा ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग जैन विश्वभारती संस्थान के सिस्टम एनालिस्ट मोहन सियोल ने दिया। कार्यक्रम का संचालन समाज कार्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विकास शर्मा ने किया।

Monday 18 May 2020

जैन विश्वभारती संस्थान के तत्वावधान में आगामी 21 मई को ‘‘योग एवं प्रेक्षाध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक स्वास्थ्य का विकास’’ विषय पर एक निःशुल्क वेबिनार का आयोजन

लाडनूँ, 18 मई 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के तत्वावधान में आगामी 21 मई मंगलवार को प्रातः 11 से दोपहर 12.30 बजे तक एक निःशुल्क वेबिनार का आयोजन किया जायेगा। वेबिनार की समन्वयक प्रगति चैरड़िया ने बताया कि ‘‘योग एवं प्रेक्षाध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक स्वास्थ्य का विकास’’ विषय पर होने वाले इस वेबिनार के मुख्य वक्ता योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत होंगे। इस पर कोई भी व्यक्ति अपने मोबाईल या कम्प्यूटर में वेब-लिंक को खोलकर जुड़ सकता है।

Thursday 14 May 2020

छात्रहितों के लिये एक तिहाई कार्मिकों को बुलाकर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में किया कामकाज शुरू

विद्यार्थियों के लिये घर बैठे परीक्षा देने की सुविधा की जायेगी

लाडनूँ, 14 मई 2020। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार एवं व्यापक छात्र-हितों को ध्यान में रखते हुये जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) द्वारा आवश्यक कार्मिकों को ड्यूटी पर बुलाकर प्रशासनिक कामकाज प्रारम्भ किया है। विश्वव्यापी कोरोना महामारी और देश भर में लाॅकडाउन के कारण लम्बे समय से संस्थान के समस्त प्रशासनिक कामकाज ठप्प ही थे। केवल विद्यार्थियों के लिये विभिन्न आॅनलाईन एप्प के माध्यम से उन्हें घर बैठे पढाई करवाई जा रही थी। प्रशासनिक कामकाज के लिये विश्वविद्यालय द्वारा एक तिहाई से भी कम कर्मचारियों को कार्यालय में बुलाया गया है। इन सभी कार्मिकों की प्रतिदिन नियमित स्वास्थ्य जांच एवं पूर्ण सेनिटाईज करने की समस्त व्यवस्थायें इस्तेमाल की जा रही हैं। संस्थान द्वारा छात्रहितों में आवश्यक प्रशासनिक कार्यों को करते समय कार्मिकों में सामाजिक दूरी, सेनेटाइजेशन, मास्क, थर्मल-स्केनिंग, आरोग्य-सेतु एप एवं अन्य आवश्यक सुरक्षा मार्गदर्शकों की भी परिपालना सुनिश्चित की गई है।

केन्द्र व राज्य सरकार के आदेशों की पालना

कुलपति के निजी सचिव मोहन सियोल ने बताया कि राजस्थान सरकार के आदेश संख्या प.18(2)शिक्षा-4/2019, दिनांक 03-05-2020 एवं राजस्थान सरकार द्वारा जारी लोकडाउन 3.0 के दौरान जारी दिशा-निर्देशानुसार तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के 29 अप्रैल, 2020 के परीक्षाओं एवं शैक्षणिक-कैलेण्डर के दिशा-निर्देशों के अनुरूप व्यापक छात्र-हित को ध्यान में रखते हुए जैन विश्वभारती संस्थान ने अपने आवश्यक प्रशासनिक कार्यों को प्रारम्भ किया है। ये प्रशासनिक कार्य एक-तिहाई से भी कम कर्मचारियों द्वारा संचालित करवाए जा रहे हैं। इन कार्यों में विद्यार्थियों के आन्तरिक-मूल्यांकन, सेशनल-वर्क, आॅनलाईन कक्षाओं के आयोजन की सुव्यवस्था के साथ ही उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए परीक्षाओं के आयोजन की व्यवस्था एवं सरकारी नियमों के तहत करणीय आवश्यक लेखा-कार्य तथा राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् हेतु किये जाने वाले कार्य प्रारम्भ किये गए हैं।

परीक्षाओं के सम्बंध में समिति की बैठक आयोजित

कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया कि विद्यार्थियों की परीक्षाओं के लिए तत्संबंधी गठित एक समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में लिये गए निर्णयों को वैधानिक निकाय से स्वीकृति के पश्चात् विद्यार्थियों को संसूचित किया जा सकेगा। समिति के सदस्यों ने जानकारी दी कि परीक्षाओं के आयोजन में विद्यार्थियों के हितों को व्यापक रूप से ध्यान में रखा गया है तथा इस बात की अनुशंसा भी की गई है कि विद्यार्थी घर बैठे आवश्यक परीक्षाएं दे सकें। संवैधानिक निकाय की स्वीकृति के पश्चात् इनका विस्तृत विवरण उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का कोई भी विद्यार्थी कोविड-महामारी काल में परेशान न हो, इसके लिए जैन विश्वभारती संस्थान की वेबसाइट पर ‘काउण्टर कोविड-19 काउण्सलिंग सैल’ के माध्यम से परामर्श का कार्य प्रारम्भ किया गया है जिसमें विद्यार्थी अपनी समस्याओं का निदान ई-मेल अथवा वाट्सएप के द्वारा भी प्राप्त कर सकते हैं एवं इस हेतु शीघ्र ही एक तीन-स्तरीय मार्गदर्शन सेवा का भी प्रारम्भ किया जाएगा, जिससे विद्यार्थी कोई समस्या होने की स्थिति में सम्पर्क कर सकेंगे।

Friday 8 May 2020

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में ऑनलाईन पढाई से छात्राध्यापिकायें प्रसन्न व उत्साहित


लाडनूँ, 7 मई 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में ऑनलाईन पढाई जारी है। यहां एम.एड., बीएससी-बीएड, बीए-बीएड की ऑनलाईन क्लासें विविध ऑनलाईन एप्प पर करवाई जा रही है, विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने बताया कि जूम, फेसबुक लाईव, व्हाट्सअप आदि एप्प पर विद्यार्थियों से शिक्षकगण सीधा सम्पर्क करके निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार व्याख्यानों का लाईव प्रसारण करते हैं। उन्होंने बताया कि कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशों से शुरू की गई ऑनलाईन पढाई से समस्त छात्राध्यापिकायें प्रसन्न हैं एवं उत्साहित हैं और वे रूचिपूर्वक अपनी ऑनलाईन कक्षाओं को ज्वाइन कर रही हैं। कुलपति हमेशा नवाचार का प्रयोग शिक्षण कार्य में करवाने के लिये प्रेरित करते रहते हैं। प्रो. जैन के अनुसार ऑनलाईन कक्षाओं के साथ ही छात्राओं ने स्वयं ही एनसीएफ 2005, पाठ्य निर्माण के सिद्धांत, ज्ञान के स्रोत आदि पर वीडियो तैयार किये हैं और ऑनलाईन कक्षाओं के दौरान अपना प्रजेंटेशन भी ऑनलाईन दे रही हैं। इनके अलावा बीएससी-बीएड एव बीए-बीएड की तृतीय वर्ष की छात्रायें एकता जोशी, सरिता चैधरी, पूर्णिमा चैधरी, अमृता शेखावत, अंजलि शर्मा आदि ने कोविड-19 के सम्बंध में विविध संदेश भी तैयार किये हैं, जिन्हें जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। एकता जोशी ने पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धांत विषय पर अपना एसाईनमेंट तेयार किया है। उन्होंने बताया कि यूजीसी के निर्देशों के अनुसार ऑनलाईन स्रोतों का उपयोग शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों ही कर रहे हैं।