Thursday 31 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) मे नवनर्ष पर शुभकामना समारोह का आयोजन

 

खुद पर विश्वास और परिश्रम से संभव है हर चुनौती का सामना - कुलपति

लाडनूँ, 1 जनवरी 2021।जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि मेहनत से ही सफलता को प्रापत किया जा सकता है। सफलता के लिये सोच को भी बड़ा बनाने की जरूरत है। खुद की भावनाओं में जो ताकत होती है कि व्यक्ति हर चुनौती का सामना सहज रूप से कर सकता है। यह खुद पर विश्वास ही है कि व्यक्ति चुनौतियों का सामना करने के लिए जीत का विश्वास रख पाता है। उन्होंने यहां महाप्रज्ञ सभागार में नववर्ष पर आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने जीवन में नकारात्मकता को छोड़ने और नवीनतम टेक्नोलोजी को अपनाने के साथ अपने पूर्ण सामथ्र्य का उपयोग करने से चुनौतियां आसान बन जाती है। उन्होंने इस अवसर पर नव वर्ष की शुभकामनायें देने के साथ नये वर्ष में सफलता के सम्बंध में कुछ टिप्स दिये।

कार्यों का पुनरावलोकन अवश्य करें

कार्यक्रम में प्रो. नलिन शास्त्री ने नेतृत्व क्षमता के बारे में बताते हुये कहा कि चाहे कोई संस्था हो, समाज हो या देश हो, सबमें नेतृत्व शक्ति सबसे महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने बीते वर्ष के अपने कामों का पुनरावलोकन करने और नववर्ष में सुधार के साथ नई चुनौतियां का मुकाबला करने की आवश्यकता बताई। दूरसि शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने आपदाओं को अवसर में बदलने की आवश्यकता बताई। शिक्षा विभाग के प्रो. बीएल जैन, अंग्रेजी विभाग की प्रो. रेखा तिवाड़ी, समाज कार्य विभाग के डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, अहिंसा एवं शांति विभाग के प्रो. अनिल धर व विताधिकारी आरके जैन ने भी अपने विचार रखे एवं नये साल की शुभकामनायें दी। कार्यक्रम के अंत में रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत ने किया। कार्यक्रम में समस्त शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ मौजूद रहा।

नववर्ष पर मंत्रानुष्ठान

यहां जैन विश्वभारती स्थित भिक्षु विहार में मुनिश्री सुमति कुमार ने नववर्ष के अवसर पर मंत्रानुष्ठान का आयोजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जीवन को सुखी, शांतिपूर्ण और सफल बनाने के लिये जरूरी है कि हम नई शुरूआत करने के लिये संकल्प करें और पुरूषार्थ करें। हमें अपनी कमियों को दूर करके जीवन में सम्पन्नता और शांति लानी चाहिए। परिवार में शांति कायम हो, मन में शांति रहे, इसके लिये वाणी में मधुरता और मंदता होनी चाहिए। उत्तेजित होकर कभी नहीं बोलें। प्रतिदिन सोते समय श्वास ग्रहण करते समय शांति का संकल्प लें, परिवत्रन होना शुरू हो जाएगा। कार्यक्रम में उन्होंने मंगलपाठ, भक्तामर स्त्रोत का पाठ, मंत्रों के विविध प्रयोग करवाये और उनके लाभ बताए। इस अवसर पर जैन विश्वभारती एवं विश्वविद्यालय के समस्त कार्मिक एवं श्रावकगण उपस्थित रहे।

चुनौतियां स्वीकार कर नई उड़ान भरें- प्रो. जैन

2 जनवरी 2021 । जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में ऑनलाइन नववर्ष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने कहा कि चुनौतियां ही हमें नये रास्ते सिखाती है, अतः चुनौतियां से घबराना नहीं चाहिए। हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए तभी हम कार्य मे नवीनता, नवोन्मेष एवं नई उड़ान भर सकते हैं। नववर्ष नवीनता, नवोन्मेष एवं सकारात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत करता है। वर्तमान जितना खुशियों, प्रसन्नता और आनंद से भरा होगा, अतीत और भविष्य उतना ही आनंददायी होगा। वर्तमान में खुश रहने के लिए लक्ष्य परक, हुनुर विकसित एवं आनन्दप्रद कार्य करने चाहिए वर्तमान का सार्थक दिन अतीत व भविष्य में भी खुशी प्रदान करता है। कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों में से रेखा शेखावत, सरिता, रुबीना, चंचल शेखावत, हर्षिता स्वामी ने भाषण के माध्यम से, ऋतु स्वामी, मनीषा टाक, सुमन चैधरी, रजनी भाटी, आमना, साधना सैनी, चंद्रकांता सोनी, पल्लवी स्वामी ने कविता के माध्यम से, नीतू जोशी ने गाने के माध्यम से, सुनीता चैधरी ने नृत्य के माध्यम से एवं किरण सांडू ने कविता और गाने के माध्यम से अपने भावों को अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी.प्रधान, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. ममता सोनी, सुश्री प्रमोद ओला, मि. ललित कुमार आदि उपस्थित रहे। अन्त में डॉ. अमिता जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संयोजन बी.एड छात्राध्यपिका मनीषा पंवार एवं नीतू कंवर ने किया।

Tuesday 29 December 2020

जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में वित्तीय नियोजन के सम्बंध में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

 लाडनूँ, 30 दिसम्बर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में संस्थान के कुलपति प्रो. बछराज दूगड़ के निर्देशन एवं वाणिज्य संकाय के तत्वावधान में ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में वित्तीय नियोजन की भूमिका’ विषय पर एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने की। सेमिनार के प्रमुख वक्ता के रूप में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रो. पी.के. सिंह द्वारा आय, निवेश एवं व्यय समायोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक निश्चित उम्र के पड़ाव पर किस प्रकार आर्थिक निवेश करना चाहिये, को व्याख्यायित किया। केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान से डॉ. संजय कुमार पटेल ने ‘निवेश के माध्यम से टैक्स सेविंग’ किस प्रकार की जा सकती है, की जानकारी दी। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ से जुड़े वक्ता डॉ. अमित मंगलानी ने निवेश के नूतन आयामों पर विस्तृत चर्चा की। सेमिनार की शुरुआत में महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय के व्याख्याता अभिषेक शर्मा ने वक्ताओं का परिचय करवाया एवं प्रो. त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए समय-समय पर ऐसे आयोजनों के महत्व को उजागर किया और वाणिज्य संकाय के सदस्यों को इसके लिए बधाई दी। इस राष्ट्रीय वेबीनार में देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिभागियों ने भाग लिया। अंत में कमलकुमार मोदी ने आभार ज्ञापित किया। वेबीनार का संचालन व्याख्याता श्वेता खटेड़ ने किया।

Tuesday 22 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘महाकवि रसखान की कृष्ण भक्ति और उनका रचना संसार’ विषय पर व्याख्यान आयोजित


मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू धर्म और पौराणिक कथाओं से बहुत गहराई से परीचित थे रसखान

लाडनूँ, 23 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में आंतरिक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत अभिषेक चारण ने ‘महाकवि रसखान की कृष्ण भक्ति और उनका रचना संसार’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुए इस व्याख्यान में चारण ने बताया कि रसखान मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते थे और उनकामूल नाम सैयद इब्राहिम था, परन्तु कृष्ण की भक्ति उनके रोम-रोम में बसी हुई थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन कृष्ण की भक्ति और उन पर काव्य रचने में लगा दिया था। उन्होंने बृज भाषा में यमक अलंकार का प्रयोग करते हुये सवैयों की रचना की। उनकी काव्य-रचना भक्ति और श्रृंगार रस से भरी हुई रही। मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू धर्म और पौराणिक कथाओं से बहुत गहराई से वे परीचित थे। रसखान ने कृष्ण की बाल-लीलाओं से लेकर रास-लीलाओं तक का सजीव चित्रण अपनी रचनाओं में किया। साथ ही गूढ दार्शनिक तत्वों का उल्लेख उन्होंने अपनी रचनाओं में सरल शब्दों और भाषा में करके उन्हें सहज बनाया। चारण ने अपने व्याख्यान में रसखान की कविताओं को प्रसतुत करते हुये अपने व्याख्यान को रसमय बना दिया। व्याख्यान के अंत में प्रश्नोत्तरी में उपस्थित संकाय सदस्यों ने अनेक जिज्ञासाएं प्रस्तुत की, जिनके बारे में चारण ने जवाब देकर समाधान प्रस्तुत किए। सोमवीर सांगवान ने प्रारम्भ में व्याख्यान की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में कमल कुमार मोदी, विनोद कुमार सैनी, शेरसिंह, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़, डाॅ. प्रगति भटनागर आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. बलवीरसिंह चारण ने आभार ज्ञापित किया।

Sunday 20 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत ‘शिक्षा में सोचने, विचारने और खोजने पर बल’ विषय पर व्याख्यान आयोजित

 

सजीव व प्राणवंत शिक्षा के लिए सोचने, विचारने और खोजने की जरूरत- प्रो. जैन

लाडनूँ, 21 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत ‘शिक्षा में सोचने, विचारने और खोजने पर बल’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी को जीवन की कला सिखाने का प्रयास करना चाहिए। व्यक्तित्व निर्माण के साथ व्यक्तित्व के गुणों का विकास करने की आवश्यकता है। किताबें कम तथा शोधपत्र अधिक लिखे जाने चाहिए। शोधपत्र लिखने में समय कम लगता है, जिससे कि हम नई क्रियाओं को विद्यार्थियों को बता सकते हैं। किताब लिखने में एक या दो साल का समय लगता है। तब तक हमारा ज्ञान पुराना हो जाता है और वे किताबें उतनी उपयोगी नहीं रह पाती हैं। इसलिए विद्यार्थी को शिक्षक नए-नए शोध कार्य लिखाने एवं नवीन विषयों समझाने का प्रयास करना चाहिए।

नवीन संसाधनों को तत्काल अपनाने की जरूरत

हम पुरानी बातों को और अतीत के हुए विचारों को ही बताने का अधिक प्रयास करते हैं। वर्तमान में आयी हुई नई चीजों को हम तब बताते हैं, जब वह पुरानी चीज हो जाती है। शिक्षा में समय के साथ बदलाव और नवीन संसाधनों के प्रयोग उसी समय किये जाने चाहिये। उन्हें समयान्तर से अपनाने से उपयोगिता का असर कम हो जाता है। मानसिक विकास के लिए आवश्यक नहीं है कि बंद पुस्तक की शिक्षा ही उसे दी जाए, उसे खुले विचारों की शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए। जितना हम उसे खुले विचार खुले चिंतन लिखने के बारे में कहेंगे, उतने ही नई चीजों का विकास होगा। शिक्षा को सजीव, सक्रिय व प्राणवंत बनाने का प्रयास शिक्षक को सोचने, विचारने और खोजने से करना चाहिए। कार्यक्रम में शिक्षा संकाय के डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी. प्रधान, डॉ विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. ममता सोनी, सुश्री प्रमोद ओला, ललित कुमार, उपस्थित रहे।

Sunday 13 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में साईबर सिक्योरिटी विषय पर व्याख्यान का आयोजन

 

साईबर खतरों से बचने के लिये विशेष सतर्कता एवं सुरक्षा उपाय जरूरी- डाॅ. भटनागर

लाडनूँ, 14 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देशानुसार ‘साईबर सिक्योरिटी’ विषय पर विशेष जागरूकता के लिये एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुये इस कार्यक्रम में आईटी प्रभारी डाॅ. प्रगति भटनागर ने कहा कि डिजीलाईटेशन के दौर से गुजरते विश्व में वर्तमान में लापरवाही के कारण कभी भी कोई समस्याओं का शिकार हो सकता है। ऑनलाईन लेनेदेन और अन्य उपक्रमों में हमारे व्यक्तिगत डाटा चुराये जाने एवं अन्य तरीकों से आर्थिक नुकसान पहुंचना संभावित है। ऐसे में हमें क्रियाशील रहने के साथ ही सतर्क भी रहना होगा। डाॅ. भटनागर ने कहा कि हमें इस तरह से शिकार बनने से बचने के लिये अनेक सुरक्षात्मक उपायों को अपनाना चाहिये। हमें किसी भी अपरीचित ईमेल को नहीं खोलना चाहिये। अपने कम्प्यूटर एवं मोबाईल को किसी अच्छे एंटीवारस से सुरक्षित रखना चाहिये। सोशल मीडिया पर अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी नहीं साझा नहीं करनी चाहिये। मोबाईल में व्हाट्सअप एवं अन्य सोशल साईट्स पर आने वाले लुभावने मैसेज से खुद को बचाना चाहिये। इंटरनेट पर अक्सर प्रलोभनों के जरिये से धोखा और लूट की जा सकती है। उन्होंने अपने व्याख्यान में सरकार द्वारा साईबर क्रईम से सुरक्षा के लिये उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी दी तथा सर्टिन को साईबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने उपस्थित सदस्यों द्वारा व्याख्यान के अंत में उठाई गई जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। कार्यक्रम का संचालन सोमवीर सांगवान ने किया और अंत में विनोद कुमार सैनीने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर कमल कुमार मोदी, डाॅ. बलवीर चारण, अभिषेक चारण, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़ आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में रैगिंग अपराध निषेध सेमीनार का आयोजन

 लाडनूँ, 14 दिसम्बर 2020।जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में सोमवार को एंटी रैगिंग सेल व एंटी स्क्वाड सेल के तत्वावधान में रैगिंग अपराध निषेध सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम कुलपति एवं सेल के अध्यक्ष प्रो .बीआर दूगड़ के नेतृत्व में आयोजित किया गया। एंटी रैगिंग सेल कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बीएल जैन ने प्रारम्भ में विषय की जानकारी देते हुए कहा उच्च शिक्षा संस्थान में रैगिंग अपराध निषेध विनियम रैगिंग में नवीन प्रवेशार्थी या अन्य विद्यार्थियों से रंग, प्रजाति, धर्म, जाति, जातिमूल, लिंग, भाषा, जन्म, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना का कृत्य रैगिंग अपराध हैं। रैगिंग में आपराधिक षड्यंत्र, शालीनता और नैतिकता भंग, चोट पहुंचाना, प्रहार करना, धमकी देना, अपमानित करना, बलात ग्रहण करना, दुर्व्यवहार करना, अनुशासनहीनता का वातावरण बनाना, भय का वातावरण उत्पन्न करना, आर्थिक शोषण करना, नंगा करना, अश्लील हरकत करना, गाली देना आदि रैगिंग के अंतर्गत आता है। ऐसे दुष्कृत्य में किसी के दोषी पाये जाने पर संस्थान की कमेटी प्रशासनिक कारवाई करते हुए संस्थान से निष्कासित कर सकती है और कानूनी कारवाई कर सकती है। एंटी रैगिंग स्क्वाड सेल के संयोजक व कुलसचिव रमेश मेहता ने कहा कि स्क्वाड सेल संस्थान, कैंटीन, छात्रावास आदि में औचक निरीक्षण का कार्य करती है, अभी संस्थान में कोविड -19 महामारी के कारण विधार्थी नहीं आ रहे है फिर भी कोई इस संदर्भ शिकायत हो तो अवगत करा सकते है। अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने कहा हमे मित्रता, प्रेम, सहयोग की भावना से रहना चाहिए, जिसे इस प्रकार की कठिनाई नहीं हो। कमेटी के सदस्यों का परिचय एवं आभार ज्ञापन प्रो.बी.एल.जैन ने किया। कार्यक्रम में कमेटी के डॉ. आभासिंह, डॉ. बिजेंद्र प्रधान, वीके शर्मा, डॉ. प्रगति भटनागर तथा संस्थान के सभी विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Friday 11 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा में प्रवेश के लिये आवेदन की अंतिम तिथि बढाई

 लाडनूँ, 12 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में प्रवेश की अंतिम तिथि यूजीसी के निर्देशानुसार बढा कर 20 दिसम्बर कर दी गई है। निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि दूरस्थ शिक्षा में नये प्रवेश के लिये विद्यार्थी 20 दिसम्बर तक अपने आवेदन फार्म ऑनलाईन भर सकते हैं। कोई भी विद्यार्थी जो दूरस्थ शिक्षा से बीए तथा बीकॉम प्रथम वर्ष एवं एमए पूर्वार्द्ध में सत्र 2020-21 के लिये प्रवेश प्राप्त करना चाहता हो, उसके द्वारा अपना आवेदन ऑनलाइन फॉर्म भर कर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में अधिक एवं अन्य जानकारी के लिए दूरस्थ शिक्षा विभाग के हेल्पलाइन नंबर 9462658501 पर संपर्क किया जा सकता है और व्हाट्सअप मैसेज से जानकारी ली जा सकती है।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित ‘संकाय सवर्द्धन कार्यक्रम’ में व्याख्यान का आयोजन

 

नई शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन देश को नई दिशा देने में सक्षम

लाडनूँ, 12 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित ‘संकाय सवर्द्धन कार्यक्रम’ में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: तथ्य और चुनौतियां’ विषय पर डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा ने अपने व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के बारे में चर्चा करते हुये स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा तथा शिक्षक शिक्षा के बारे में सुधारों की व्याख्या की। उन्होने बताया कि स्कूल शिक्षा में 5 + 3 + 3 + 4 पैटर्न, कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा का प्रारम्भ, कक्षा 5 तक अनिवार्य मातृभाषा में शिक्षा, शिक्षक शिक्षा में 2030 तक चार वर्षीय एकीकृत बीएड को ही मान्यता, शिक्षक पात्रता परीक्षा में बदलाव, शिक्षक भर्ती में डेमो व साक्षात्कार की अनिवार्यता आदि सुधार प्रमुख हैं, जिन्हें लागू करने में अनेक चुनौतियां हैं। इनमें राज्य सरकारों का सहयोग, वित्तीय व्यवस्था, मानवीय संसाधनों की आपूर्ति, भाषा सम्बंधी चुनौतियां प्रमुख हैं। इनका सामना सबके सहयोग से ही किया जा सकता है। यह नई शिक्षा प्रणाली ‘रीड टू लर्न’ के स्थान पर ‘लर्न टू रीड’ पर जोर देती है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने इस अवसर पर कहा कि नई शिक्षा नीति के प्रावधान शिक्षा के विभिन्न आयामों को नई दिशा देने वाले हैं। अगर इनका क्रियान्वयन सफल तरीके से होता है, तो यह नई प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों में समकक्ष ले जाएगी। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. ममता सोनी, ललित गौड़ आदि शिक्षा संकाय के सदस्य उपस्थित रहे।

Friday 4 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में “संकाय संवर्धन कार्यक्रम” के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन

 

तेजी से बढते मनोरोगों के प्रति जागरूकता जरूरी- डाॅ. अमिता जैन

लाडनूँ, 5 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में “संकाय संवर्धन कार्यक्रम” के अंतर्गत “वर्तमान में मानसिक रोगों के लक्षण, कारण तथा उपाय” विषय पर डॉ. अमिता जैन ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मानसिक रोगों की बढ़ती संख्या ने व्यक्ति, समाज व देश को प्रभावित किया है। मानसिक रोगों की संख्या वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद तेजी से फैली है। व्यक्ति में भय, तनाव, अनिद्रा आदि के कारण यह रोग तेजी से बढ़ा है। इच्छाएं, आकांक्षा और आवश्यकताओं की पूर्ति के अभाव के कारण मनोरोग ग्रस्तता बड़ी है। मानसिक रोग गंभीर समस्या के रूप में उभर कर हमारे समक्ष उपस्थित है। यह अति आवश्यक हो गया है कि मानसिक रोगों के प्रति लोगों को जागरूक किया जावे। मानसिक रोगों के कारण विभिन्न प्रकार के शारीरिक रोगों का उद्भव भी हो रहा है। जिस वातावरण के कारण मानसिक रोगी बढ़ रहे हैं, उसके बढ़ने का कारण जानना आवश्यक हैं और फिर उसे रोकने के उपाय खोजने होंगे। डाॅ. जैन ने इस विषय पर गहन चिंतन तथा मनन की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि स्वस्थ व्यक्तियों से ही देश का विकास संभव है। बीमारु देशों ने कभी भी अपना विकास नहीं किया है। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि अवकाश के समय का सदुपयोग, रचनात्मक कार्य एवं सकारात्मक सोच आदि से मानसिक रोगों से बचा जा सकता है। कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारीलाल, डॉ. ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित कुमार आदि उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विभिन्न दायित्वों के लिये समितियों का गठन

 लाडनूँ, 5 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत विभिन्न कार्यों के क्रियान्वयन के लिये संचालित विभिन्न समितियों, प्रकोष्ठों का नवीनीकरण एवं पुनर्गठन किया गया है। रजिस्ट्रार रमेश कुमार मेहता ने बताया कि संस्थान की क्रय समिति में संयोजक प्रो. बीएल जैन, सांस्कृतिक समिति की संयोजक प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा, खेल समिति के संयोजक प्रो. बीएल जैन, प्रकाशन प्रकोष्ठ के संयोजक डीआर खोजा, एंटी रैंगिंग सेल के अध्यक्ष प्रो. बीआर दूगड़, एंटी रैंगिंग स्क्वाड के समन्वयक रमेश कुमार मेहता, महिला शिकायत व यौन उत्पीड़न प्रकोष्ठ की समन्वयक प्रो. रेखा तिवाड़ी, अजा-जजा प्रकोष्ठ एवं सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो. बीआर दूगड़, नेटवर्किंग, सोफ्टवेयर डेवलपमेंट एवं आईटी मामलात प्रकोष्ठ के संयोजक मोहन सियोल, विश्वविद्यालय वेबसाइट विकास समिति के संयोजक मोहन सियोल, शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के संयोजक प्रो. एपी त्रिपाठी, एल्यूम्नी एसोसियेशन के अध्यक्ष डाॅ. आलम अली, प्लेसमेंट एवं कैरियर काउंसलिंग सेल के संयोजक डाॅ. पीएस शेखावत, एकेडमिक ऑडिट सेल के समन्वयक प्रो. दामोदर शास्त्री, एकेडमिक कैलेंडर कमेटी के संयोजक प्रो. एपी त्रिपाठी, एनसीसी एवं एनएसएस के प्रभारी आयुषी शर्मा व बलवीर सिंह, प्रसार प्रकोष्ठ की संयोजक डाॅ. पुष्पा मिश्रा, दिव्यांग-योजनाओं के क्रियान्वयन प्रकोष्ठ केे समन्वयक कमल कुमार मोदी तथा पर्यावरण समिति के समन्वयक डाॅ. पीएस शेखावत को नियुक्त किया गया है।

Tuesday 1 December 2020

जैन विश्वभारती संस्थान के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट एचआईवी व एड्स दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन

 

जागरूकता ही बचाव बन कर एड्स फैलने को नियंत्रित कर सकती है- डाॅ. प्रधान

लाडनूँ, 2 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट एचआईवी व एड्स दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने कहा कि एड्स से भयभीत होने के स्थान पर उसके फैलने के कारणों को जानकार उसका मुकाबला करना चाहिये। अगर हमें इस बारे में भलीभांति पता रहे कि एचआईवी-एड्स किन कारणों से प्रसार पाता है तो हम उन सबसे अपना बचाव कर सकते हैं और इस प्रकार एड्स से बचा जा सकता है। डाॅ. प्रधान ने एड्स के फैलने के समस्त कारणों के बारे में विस्तार से बताया और सावधानी बरतने की आवश्यकतायें बताई। उन्होंने इस बारे में समाज में जागरूकता फैलाने की बात कहते हुये कहा कि जागरूकता इस घातक रोग से बचाव करने के लिये सहायक सिद्ध हो रही है। डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने समाज कार्य विभाग के विद्यार्थियों से विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, संगठनों, समुदाय आदि से अपने फील्ड वर्क के दौरान जुड़ कर जागरूकता के कार्यों को गति दे सकते हैं। इसके लिये संगोष्ठी, सेमिनार, कार्यशाला, प्रतियोगिताओं आदि अनेक कार्यक्रमों को आयोजित किया जा सकता है। उन्होंने कोरोना के समय में काम करने एवं जागरूकता पैदा करने के बारे में बताया और कहा कि इन सब माध्यमों से एचआईवी-एड्स फैलने से रोका जा सकता है। कार्यक्रम में संकाय सदस्यों के अलावा विद्यार्थी, शोध छात्र, अभिभावक आदि सम्मिलित रहे।

Friday 27 November 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम में ‘तनाव प्रबंधन में योग शिक्षा की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान आयोजित

 

योग से व्यक्ति के तनाव व मनोदैहिक रोगों का उपचार संभव- डाॅ. राय

लाडनूँ, 28 नवम्बर 2020।जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत शनिवार को डाॅ. सरोज राय ने ‘तनाव प्रबंधन में योग शिक्षा की भूमिका’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। डाॅ. राय ने बताया कि वर्तमान युग में लोगों के लिये तनाव सामान्य अनुभव बन चुका है, ऐसे में तनाव सम्बंधी रोगों को रोकने के लिये योग शिक्षा पूरी तरह से सफल सिद्ध हो रही है। योग एक जीवन पद्धति है, जिसका तनाव और स्वास्थ्य के प्रति सदैव समग्र दृष्टिकोण रहा है। इसमें मन, शरीर व आत्मा तीनों का उपचार सम्मिलित है। उन्होंने कहा कि जीवन की बदलती दिनचर्या और जीवन की भूमिकाओं के बीच मनुष्य अनेक मनोदैहिक विचारों के बीच सिमटता चला जा रहा है। इसके लिये उसके अस्तित्व से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसलिये तनाव प्रबंधन में पारम्परिक योग शारीरिक गतिशीलता को सक्रिय बनाए रखने के लिये नियंत्रण, संतुलन स्थापित करने के लिये उपचार की आवश्यकता है। संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किये एवं आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अमिता जैन आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

Tuesday 10 November 2020

जैन विश्व भारती संस्थान में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘सतत विकास एवं शिक्षा’ विषय पर पत्र-वाचन

 


पर्यावरण संरक्षण शिक्षा के हर स्तर पर अनिवार्य हो- डाॅ. आभा

लाडनू 11 नवम्बर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘सतत विकास एवं शिक्षा’ विषय पर डाॅ. आभा सिंह द्वारा पत्र-वाचन किया गया। अपने पत्र वाचन में डाॅ. आभा सिंह ने मनुष्य द्वारा अपने विकास की कीमत प्रकृति को नष्ट कर के चुकाए जाने पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि मनुष्य अपनी अप्राकृतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्रकृति का अनावश्यक दोहन करता है और प्राकृतिक ससाधनों को समाप्त करने एवं उन्हें विकृत बनाने का जितना भी प्रयास करता है, उन सबका दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। इसी कारण यह जरूरी है कि समय रहते हम सब संभलें और शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य रूप से जोड़ कर आने वाली पीढियों को सतर्क करें और पर्यावरण की रक्षा के लिये उन्हें तैयार करें। पत्र वाचन के विषय पर संकाय सदस्यों द्वारा विस्तार से चर्चा की गई। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस एवं दीपावली पर्व के उपलक्ष में एक ऑनलाईन कार्यक्रम का आयोजन

 


सद्गुणों का विकास करता है दीपावली का पर्व- प्रो. बीएल जैन

लाडनूँ, 11 नवम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस एवं दीपावली पर्व के उपलक्ष में एक ऑनलाईन कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि दीपावली के पर्व को व्यक्ति में सद्गुणों का विकास करने वाला बताया तथा कहा कि इस पर्व पर सभी में आपसी मेल-मिलाप से प्रेम, नम्रता, विनम्रता, मान, सम्मान, आदर, सत्कार, अभिवादन आदि के भाव प्रकट होते हैं। यह पर्व ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का पर्व है। कार्तिक अमावस्या को भारतवर्ष के घर-घर में अंधकार को दूर कर प्रकाश का दीप प्रत्येक घर में जलाया जाता हैं। वर्तमान में मलिन होते जा रहे आत्मा के प्रकाश को शुद्ध करने के लिये मन में दूषित विचारों के आधिक्य को कम करना होगा। हमें एक दूसरे के आच्छादित हो रहे प्रति घृणा, ईष्र्या, द्वेष, अहंकार के भावों को मिटाने के लिये प्रयास करना चाहिये। मान्यता है कि इन अवगुणों के कारण लक्ष्मी का शुभागमन नहीं होता हैं। दूषित विकारों से बचने में दीपावली पर्व का आयोजन लाभकारी एवं उपयोगी हैं। दीपावली का पर्व त्यौहारों का पर्वराज है। इस त्यौहार के प्रारंभ होने से पूर्व और बाद में भी अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व पांच दिवस तक निरंतर आयोजित किया जाता है। दिवाली से पूर्व धनतेरस और छोटी दीवाली तथा दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और भैयादूज को मनाया जाता है। इस प्रकार से दिवाली का यह पर्व पांच दिन तक हम सभी में श्रेष्ठ गुणों का विकास करता है। भारतीय संस्कृति के इन पर्वों के कारण ही विश्व में हमारी पहचान अलग रूप में है। ये पावन पर्व हमें विविधता में एकता के सूत्र में बांधते हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों में से अंबिका शर्मा एवं रेखा शेखावत ने भाषण के माध्यम से, हर्षिता स्वामी ने गाने के माध्यम से, ऋतु स्वामी ने कविता के माध्यम से, रेखा परमार, सीमा देवड़ा, सरिता शर्मा और मेराज ने नृत्य के माध्यम से अपने भावों को अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी. प्रधान, डॉ. सरोज राय, डॉ.आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित कुमार एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अमिता जैन ने किया।

Monday 2 November 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में बीएड व एमएड के नवीन सत्र का ऑनलाईन शुभारम्भ

 लाडनूँ, 3 नवम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में नवीन सत्र-2020-21 का शुभारम्भ यहां ऑनलाईन किया गया। इस ऑनलाईन उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्ष्साता विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने की। कार्यक्रम में प्रो. जैन ने विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय और उसकी व्यवस्थाओं-सुविधाओं के बारे में बताया। उन्होंने शिक्षा विभाग और उसके संकाय सदस्यो के बारे में विस्तार से बताते हुये सभी का परचिय करवाया। साथ ही पाठ्यक्रम के बारे में भी बताया। प्रो. जैन ने इस अवसर पर ऑनलाईन अध्ययन एवं ऑफलाईन अध्ययन के बारे में बताया तथा अध्ययन के दौरान आने वाली विद्यार्थियों की समस्याओं के बारे में जानकारी देते हुये उनका समाधान बताया। उन्होंने विद्यार्थियों से भी उनकी समस्याओं और शंकायें पूछी तथा उनका भी समाधान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य उपस्थित थे और उन्होंन ऑनलाईन ही सभी विद्यार्थियों को शुभकामनायें प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. आभासिंह ने किया।

जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

 

साधन और साध्य दोनों की शुद्धता से मिटेगा भ्रष्टाचार- प्रो. वीपी सिंह

लाडनूँ, 3 नवम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत अंतिम दिन ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गोवा के भूतपूर्व डीजीपी अमोध कंठ, डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीपी सिंह थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दूरस्थ शिक्षा विभाग जैन विश्वभारती संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने की। प्रोफेसर वीपी सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि भ्रष्टाचार रूपी दीमक का सफाया करना अत्यंत आवश्यक है। हमारे साधन और साध्य दोनों ही पवित्र होने चाहिए। हमें अपने स्वभाव पर विजय प्राप्त करनी होगी तथा जीवन को राष्ट्र के विकास में लगाना होगा। उनका कहना था कि सभी संस्थानों से भ्रष्टाचार को दूर किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने दर्शन के माध्यम से भ्रष्टाचार दूर करने के लिए विभिन्न समाधान बताएं। उन्होंने चुनाव शुद्धि की बात की तथा इस बात पर बल दिया कि मानव को मानव बनाने का कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य का सूर्य ही जीवन में प्रकाश कर सकता है। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए। आचार्य तुलसी द्वारा प्रणीत अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से सही मायने में मानव, मानव बन सकता है। मानव को मानवीय गुणों से ओतप्रोत होना चाहिए। मनुष्य में प्रामाणिकता का गुण होना चाहिए। कार्यक्रम में अमोध कंठ ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के प्रारंभ में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष ने अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत और अभिनंदन किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। अंत में डॉ. भाबाग्रही प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम के संयोजक के रूप में डॉ. बिजेंद्र प्रधान तथा सह संयोजक डाॅ. भाबाग्राही प्रधान थे। कार्यक्रम का संचालन समाज कार्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विकास शर्मा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अमित सिंह, अश्विनी कुमार, प्रो. आरके यादव, डॉ. पुष्पा मिश्रा तथा जैन विश्व भारती संस्थान के अन्य विभिन्न संकाय सदस्य आदि उपस्थित थे।

Friday 30 October 2020

जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में लौहपुरूष के जन्मदिन पर एकता दौड़ व शपथ ग्रहण का आयोजन

 


एकता के सूत्र में बांधने वाले थे सरदार वल्लभ भाई पटेल- प्रो.जैन

लाडनूँ, 31 अक्टूबर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में शनिवार को राष्ट्रीय एकता दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी एवं शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में एकता दौड़ एवं शपथ ग्रहण का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रो. बीएल जैन ने कहा कि भारत रत्न लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले व्यक्तित्व के धनी थे। वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूम्बर 1875 को गुजरात के पेटलाद तालुके के करम चंद गांव में हुआ, पिता झवेर भाई पटेल, माता लाड बाई थी। इनका निधन 15 दिसम्बर 1950 को हुआ। देश की एकता, अखंडता के रूप में आज भी इन्हें लौहपुरुष के रूप में माना जाता है। उनके जन्म दिवस को 2014 से एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वाभिमान, कर्त्तव्य परायण, अध्ययनशील, देश सेवा के भाव, किसान हितैषी, स्वतंत्रता के महान सेनानी, देशी रियासतों का वर्गीकरण करने वाले आदि गुणों से पूरित थे। सम्पूर्ण भारत में एकता स्थापित करने वाले महापुरुष थे। अपने 75 वें जन्मदिवस पर उन्होंने सन्देश दिया था- “उत्पादन बढाओ, खर्च घटाओ और अपव्यय बिल्कुल न करो”। एकता दौड़ कार्यक्रम में डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन, डॉ. सरोज राय, डॉ. प्रगति भटनागर डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारी लाल शर्मा, डॉ. ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित, अभिषेक चारण, डॉ. जे.पी.सिंह, श्वेता खटेड, बलबीर, शेरसिंह, अभिषेक शर्मा, प्रगति चोरडिया, डॉ. रविन्द्र राठौड, डॉ. विकास, दीपाराम खोजा, प्रकाश गिरिया, घासीलाल शर्मा आदि संस्थान के सदस्य उपस्थित रहे।

Thursday 29 October 2020

जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में प्रतिवर्ष किये जाने वाले गरबा नृत्य प्रतियोगिता का वर्चुअल आयोजन

 

गरबा नृत्य की वर्चुअल प्रतियोगिता में स्नेहा व दिव्यता रही प्रथम

लाडनूँ, 30 अक्टूबर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में प्रतिवर्ष किये जाने वाले गरबा नृत्य प्रतियोगिता का वर्चुअल आयोजन इस साल कोरोना प्रकोप को ध्यान में रखते हुये ऑनलाईन आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा शुक्रवार को यहां प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने की। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर स्नेहा पारीक व दिव्यता कोठारी रही। द्वितीय स्थान पर प्रीति फूलफगर और तृतीय स्थान पर निकिता लोढा रही। सांत्वना पुरस्कार के लिये कल्पना सोलंकी व भूमि प्रजापत का चयन किया गया। प्रतियोगिता में अधिकतम 3 मिनट के एकल गरबा नृत्य का वीडियो अपलोड करना था। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में नुपूर जैन, प्रगति चैरड़िया व डॉ. पुष्पा मिश्रा रही। समन्वयक डाॅ. प्रगति भटनागर ने बताया कि विजेताओं को पुरस्कृत करने के अलावा इस गरबा प्रतियोगिता में सहभागी बने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान कियेे।

Monday 26 October 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ कर प्रेरणा से ‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ थीम के अन्तर्गत सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन

 


पारदर्शी अधिकारी पर कभी नहीं लग सकता है भ्रष्टाचार का आरोप- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 27 अक्टूबर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ कर प्रेरणा से ‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ थीम के अन्तर्गत सतर्कता जागरूकता सप्ताह का शुभारम्भ मंगलवार को किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सतर्कता जरूरी है। इसके लिये समाज में जागरूकता लाने के लिये व्यक्ति को पहले स्वयं को सतर्क बनाना चाहिये। अपने आप को जानकर अपनी कमियों को दूर करके समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिये। उन्होंने कहा कि बिजली-पानी का अपव्यय को बंद करने के लिये बिजली बचाने व पानी बचाने के छोटे-छोटे प्रयास भी सतर्कता के लिये आवश्यक है। इसी प्रकार यातायात के नियमों का पालन भी सतर्कता है। यात्रा के दौरान भी व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिये। इस प्रकार जीवन के हर क्षेत्र में सतर्कता लानी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सतर्कता जागरूकता की शपथ ग्रहण की गई है तो लिये गये संकल्प के पीछे आत्मचिंतन होना चाहिये, ताकि उसे जीवन में उतारा जा सके। उन्होंने रिश्वत को लेने व देने दोनों का बहिष्कार करने और जीवन को शुद्ध बनाने का आह्वान किया तथा कहा कि पारदर्शी अधिकारी पर कभी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लग सकता है। इस अवसर पर समस्त कार्मिकों को सतर्कता जागरूकता की सामूहिक रूप से शपथग्रहण करवाई गई।

प्रामाणिकता से ही समृद्ध भारतका निर्माण संभव

शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि जागरूकता के अभाव में शोषण होता है। व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में काम करे, उस क्षेत्र के बारे में हर प्रकार की जानकारी व जागरूकता के साथ उसका अपडेट रहना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आजकल लोग दायित्व मिलने से पूर्व तो बहुत उत्सुक होते हैं, लेकिन दायित्व प्राप्त हो जाने के बाद वे काम तो करते हैं, लेकिन मजबूरी में करते हैं, मजबूती से नहीं करते। यही बाधा देश को समृद्ध भारत बनने से रोकती है। काम के प्रति प्रामाणिक बनना जरूरी है। प्रामाणिकता से काम करने पर ही समृद्ध भारत बन सकता है। उन्होंने चिंता जताई कि देश में कामचोरों की संख्या बढ रही है। इनसे कभी सामथ्र्य व समृद्धि नहीं आ सकती है। अपने आप में काम करने की ललक पैदा करनी जरूरी हैं हम सबको समर्पण भाव से आनन्द के साथ काम करना चाहिये, तभी उसका सार्थक परिणाम मिलेगा। कार्यक्रम के संयोजक डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने सतर्कता जागरूकता सप्ताह के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुये कहा कि हमें प्रत्येक क्षेत्र में सतर्कता लानी होगी। व्यवस्थाओं के प्रति जागरूक बनना होगा। खुद जागरूक बनेंगे तो औरों को भी जागरूक बना पायेंगे। उन्होंने केन्द्रीय सतर्कता आयोग के निर्देशों के बारे में भी जानकारी दी। सह संयोजक डाॅ. भाबाग्रही प्रधान ने अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ. बलवीरसिंह चारण, अभिषेक शर्मा, अभिषेक चारण, डाॅ. प्रगति भटनागर, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. रविन्द्रसिंह राठौड़, डाॅ. पुष्पा शर्मा, श्वेता खटेड़, डाॅ. सत्नयनारायण भारद्वाज, शेर सिंह आदि उपििसत रहे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विकास शर्मा ने किया।

पुलिस प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार दूर करना आवश्यक- ताराराम

28 अक्टूबर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) द्वारा ‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित किये जा रहे सतर्कता जागरूकता सप्ताह में द्वितीय दिवस पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। नेशनल वेबिनार के मुख्य अतिथि रायसिंहनगर गंगानगर के डिप्टी एसपी ताराराम ने अपने व्याख्यान में पुलिस प्रशासन के अंतर्गत व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर किया जाने के उपायों तथा अन्य विभागों के साथ पुलिस महकमे से समन्वय स्थापना की जाने के सम्बंध में चर्चा की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जैविभा विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें सतर्कता की शुरुआत अपने आप से करनी होगी। भारत सतर्क रहेगा, तो निश्चित ही समृद्ध बनेग और सशक्त भी होगा। उन्होंने अपने सम्बोधन में ऐसे कई उदाहरण दिए, जिनके कारण सभी नागरिकों में जागरूकता और सतत सतर्कता बनी रहे। उन्होंने शरीर की सतर्कता, वाणी की सतर्कता तथा अन्य कई प्रकार से सतर्कता के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. बिजेंद्र प्रधान ने प्रारम्भ में सतर्कता जागरूकता अभियान एवं वेबिनार के सम्बंध में जानकारी दी और अतिथियों का परिचय प्रस्तुत करते हुये सतर्कता की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम के अंत में डॉ. भाबाग्राही प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉ. विकास शर्मा ने किया।

सतर्कता जागरूकता अभियान के तहत निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित

29 अक्टूबर 2020।जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) द्वारा ‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ कार्यक्रम के अंतर्गत कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशन में आयोजित किये जा रहे सतर्कता जागरूकता सप्ताह में तृतीय दिवस पर ‘भारत में सतर्कता के संदर्भ में भ्रष्टाचार विरोधी रणनीति’ विषय पर निबध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जागरूकता सप्ताह के संयोजक डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने बताया कि प्रतियोगिता में प्रथम से तृतीय रहने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जायेगा तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जायेंगे। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने वाले समस्त प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान किये जायेंगे। प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों, कार्मिकों एवं उनके परिवार जनों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता का संयोजन डाॅ. अमिता जैन ने किया।

‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ पर नारा लेखन प्रतियोगिता हुई

30 अक्टूबर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) द्वारा ‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ कार्यक्रम के अंतर्गत कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशन में आयोजित किये जा रहे सतर्कता जागरूकता सप्ताह में चैथे दिवस पर ‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ विषय पर नारा लेखन प्रतियोगिता का ऑनलाईन आयोजन किया गया। जागरूकता सप्ताह के संयोजक डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने बताया कि प्रतियोगिता में प्रथम से तृतीय रहने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जायेगा तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जायेंगे। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने वाले समस्त प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान किये जायेंगे। प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों, कार्मिकों एवं उनके परिवार जनों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता का संयोजन डाॅ. अमिता जैन ने किया। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व ‘भारत में सतर्कता के संदर्भ में भ्रष्टाचार विरोधी रणनीति’ विषय पर निबध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया।

‘‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन

31 अक्टूबर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) द्वारा ‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ कार्यक्रम के अंतर्गत कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशन में आयोजित किये जा रहे सतर्कता जागरूकता सप्ताह में पांचवें दिवस पर ‘सतर्क भारत-समृद्ध भारत’ विषय पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का ऑनलाईन आयोजन किया गया। जागरूकता सप्ताह के संयोजक डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने बताया कि प्रतियोगिता में प्रथम से तृतीय रहने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जायेगा तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जायेंगे। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने वाले समस्त प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान किये जायेंगे। प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों, कार्मिकों एवं उनके परिवार जनों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता का संयोजन डाॅ. अमिता जैन ने किया।

सतर्क भारत समृद्ध भारत के साप्ताहिक कार्यक्रम में प्रतियोगिताओं का आयोजन

निबंध में मंडा, स्लोगन में गुर्जर व पोस्टर प्रतियोगिता में स्मृति प्रथम रही

03 नवम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आयोजित सतर्कता जागरूकता सप्ताह में “सतर्क भारत समृद्ध भारत” के साप्ताहिक कार्यक्रमों में हुई ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के परिणामों की घोषणा की गई है। सांस्कृतिक समन्वयक डाॅ. अमिता जैन ने बताया कि इन एक सप्ताह के विविध कार्यक्रमों में निबंध, स्लोगन लेखन एवं पोस्टर पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इनमें से निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर बी.एस.सी.-बी.एड पंचम सेमेस्टर की छात्रा भगौती मंडा रही। द्वितीय स्थान पर बी.एड. चतुर्थ सेमेस्टर की सरिता एवं तृतीय स्थान पर बी.एड. तृतीय सेमेस्टर जसोदा सिद्ध रही। स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर बी.ए.-बी.एड. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा रेखा गुर्जर, द्वितीय स्थान पर एम.एड.तृतीय सेमेस्टर की सरिता परमार एवं तृतीय स्थान पर बी.एड. चतुर्थ सेमेस्टर की पूजा चारण रही। पोस्टर पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर बी.एस.सी.-बी.एड. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा स्मृति कुमारी, द्वितीय स्थान पर बी.एस.सी.-बी.एड.तृतीय सेमेस्टर की ही आयशा खान एवं तृतीय स्थान पर पूजा कंवर रही। प्रतियोगिताओं में कुल 35 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। निर्णायक की भूमिका डॉ. ममता सोनी, अभिषेक चारण एवं श्वेता खटेड ने निभाई।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय द्वारा संचालित की जा रही आंतरिक व्याख्यानमाला में ‘भारतीय संघवाद के बदलते प्रतिमान’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन

 


प्रधानमंत्री के व्यक्त्त्वि से प्रभावित होता है संघवाद- डाॅ. चारण

लाडनूँ, 27 अक्टूबर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय द्वारा संचालित की जा रही आंतरिक व्याख्यानमाला में डाॅ. बलवीरसिंह चारण ने ‘भारतीय संघवाद के बदलते प्रतिमान’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित इस व्याख्यान में डाॅ. चारण ने आजादी के बाद से अलग-अलग समय एवं परिस्थितियों में देश के संघवाद में आये बदलावों को रेखांकित किया तथा उनके प्रभावों को स्पष्ट किया। उन्होंने एकात्मक संघवाद, सहयोगी संघवाद, दृढ एकात्मक संघवाद, सोदेबाजी के संघवाद आदि के बारे में जानकारी देते हुये दलीय स्थिति, प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व, राष्ट्र की परिस्थितियों, अन्तर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों के कारण संघवाद में आने वाले बदलावों के बारे में बताया। डाॅ. चारण ने बताया कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व से पूरी शासन व्यवस्था में परिवर्तन आया है और उसका क्रम जारी है। उन्होंने केन्द्र की संघीय एवं राज्यीय सताओं के अधिकारों-शक्तियों के वितरण, केन्द्र व राजय सरकारों की व्यावहारिता, केन्द्र व राज्य में एक ही दल की अथवा पृथक-पृथक दलों की सरकारें होने से परस्पर समन्वय की स्थितियों आदि का विस्तार से उल्लेख किया और भारत में संघवाद की सफलता व परिवर्तनों को चिह्नित किया। व्याख्यान के पश्चात प्रश्नोत्तरी में विभिन्न जिज्ञासाओं के जवाब देकर स्पष्ट किया। अंत में अभिषेक शर्मा ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में श्वेता खटेड़, डाॅ. प्रगति भटनागर, अभिषेक चारण, सोमवीर सांगवान, विनोद सैनी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सोमवीर सांगवान ने किया।

Thursday 8 October 2020

दो समणियों के कोरोना पोजिटीव आने पर जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में तीन दिनों का अवकाश

 

विश्वविद्यालय में लम्बे समय से चल रहा है ‘‘नो मास्क नो एंट्री’’ का कायदा

लाडनूँ, 09 अक्टूबर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) एक ऐसा संस्थान है, जहां राज्य सरकार के जन आन्दोलन ‘‘नो मास्क नो एंट्री’’ की पालना शुरू से ही की जा रही है। हाल ही में जैन विश्व भारती के विस्तृत परिसर में दो समणियों की जांच रिपोर्ट पोजिटीव आने पर कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बचाव व सावधानी को ध्यान में रखते हुये संस्थान में तीन दिनों का अवकाश की तत्काल ही करवा दी गई। हालांकि समणियों के निवास से संस्थान परिसर बहुत दूरी पर है और यह दूरी निर्धारित मापदंड से अधिक होने के बावजूद सर्तकता बरतने के लिये अवकाश रखा गया है। यही नहीं जब से देश में लाॅकडाउन किया गया है, तब से यहां उसकी पालना पूरी तरह से की जा रही है। लाॅकडाउन के समय समस्त कार्मिकों को घर बैठे पूरा वेतन भुगतान किया गया। इस विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की उपस्थिति के लिये थम्ब इम्प्रेशन मशीन को कोरोना से बचाव के दृष्टिगत हटा दिया गया और फेस स्केनर मशीन लगाकर हाजिरी ली जाती है। सभी कर्मचारियों को कपड़े के मास्क भी उपलब्ध करवाये गये हैं। समस्त फर्नीचर एवं जहां-जहां हाथ छुये जाते हैं, उन सबको प्रतिदिन पूर्ण सेनिटाईज किया जाता है। प्रवेश द्वार पर ही हाथ धोने के लिये साबुन-पानी और हाथों को सेनिटाईज करने के लिये पैडल चालित सेनिटाईजर मशीन लगाई गई है। परिसर में किसी भी व्यक्ति को मार्च के बाद से ही बिना मास्क लगाये और बिना सेनिटाईज किये प्रवेश नहीं करवाया जाता है।

Wednesday 7 October 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की कुलाधिपति के देश की सबसे अमीर महिलाओं के शुमार होने पर हर्ष


 लाडनूँ, 8 अक्टूबर 2020। फोब्र्स इंडिया द्वारा करवाये गये सर्वेक्षण में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की कुलाधिपति सावित्री जिन्दल भारत की सबसे अमीर महिलाओं में शुमार हुई है। व्यावसायिक क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने वाली देश की प्रमुख महिला सावित्री जिंदल ‘‘जिंदल ग्रुप’’ की कंपनियों की मालकिन हैं। जिंदल ग्रुप स्टील, पॉवर, सीमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम कर रहा है। वे दिवंगत उद्यमी ओम प्रकाश जिंदल की पत्नी है, जिनका देहांत 2005 में हेलिकाॅप्टर दुर्घटना में हो गया था। जाने-माने उद्योगपति सज्जन और नवीन जिंदल सावित्री जिन्दल के बेटे हैं। 70 साल की सावित्री जिंदल ने राजनीति में भी हाथ आजमाया और वे हरियाणा सरकार में विधायक और मंत्री रह चुकी हैं। हाल ही में फोब्र्स ने दुनियाभर के 1,810 अरबपतियों की जो लिस्ट जारी की थी, उसमें पांच भारतीय अरबपति महिलाएं भी शामिल हैं। इस सूची में सावित्री जिंदल का नाम सबसे ऊपर है। सावित्री जिंदल 6.6 बिलियन डॉलर की संपत्ति की मालकिन हैं। इनका जन्म 20 मार्च, 1950 को हरियाणा के तिनसुकिया हिसार में हुआ था। जिंदल ग्रुप की नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन सावित्री जिंदल 2005 में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में पति की मौत के बाद से ग्रुप प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। ओपी जिंदल हिसार से विधायक भी रहे हैं। 2005 में उनकी मृत्यु के बाद सावित्री जिंदल ने हिसार की राजनीति में कदम रखा और विधायक बनी। फोब्र्स की सूची में देश की अमीर महिलाओं के शुमार होने पर यहां जैन विश्व भारती संस्थान में हर्ष जताया गया।

Sunday 4 October 2020

जैन विश्व भारती संस्थान में ऑनलाइन आयोजित की गई राष्ट्रीय स्तरीय निबंध, स्लोगन और पोस्टर-पेंटिंग प्रतियोगिता के परिणाम घोषित

 

निबंध में अतुल, पोस्टर में चेष्टा व स्लोगन प्रतियोगिता में चेतना प्रथम रही

लाडनूँ, 05 अक्टूबर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ऑनलाइन आयोजित की गई राष्ट्रीय स्तरीय निबंध, स्लोगन और पोस्टर-पेंटिंग प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किये गये हैं। प्रतियोगिता की आयोजक सांस्कृतिक प्रभारी डॉ. अमिता जैन ने बताया कि “कौशल विकास में महात्मा गांधी की भूमिका” विषय पर आयोजित की गई निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति आंध्रप्रदेश के अतुल राय रहे। द्वितीय स्थान पर जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूं की बीएड छात्रा दीपिका रही एवं तृतीय स्थान पर एचआर गजवानी कॉलेज ऑफ एजुकेशन गांधीधाम गुजरात की राबरी जस्सुबेन बंकाबाई प्राप्त किया। पोस्टर पेंटिंग प्रतियोगिता का विषय “महात्मा गांधी की जीवनी से सम्बंधित” था, जिसमें प्रथम स्थान पर जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूँ की बीएससी-बीएड की छात्रा चेष्टा व्यास रही। द्वितीय स्थान पर दो प्रतिभागी रहे, जिनमें जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूँ की एमएड छात्रा पूजा व्यास, बीएड छात्रा सरीता स्वामी रही तथा तृतीय स्थान पर दो प्रतिभागी एसएस जैन सुबोध कॉलेज जयपुर की शिवानी जैन एवं जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूँ की बीएससी छात्रा भावना चैधरी रही। “महात्मा गांधी के सिंद्धांतों पर आधारित” स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर जैन विश्वभारती संस्थान की बीएससी-बीएड छात्रा चेतना मीना, द्वितीय स्थान पर जैन विश्व भारती संस्थान की तृतीय स्थान पर दो प्रतिभागी तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय मुरादाबाद उत्तर प्रदेश की अदिला आसिफ एवं जैन विश्व भारती संस्थान की मनीषा टाक ने प्राप्त किये। डाॅ. अमिता जैन ने बताया कि महात्मा गांधी की 150 वीं जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिए आयोजित इन प्रतियोगिताओं में देश के विभिन्न राज्यों से 118 प्रतिभागी विद्यार्थियों ने भाग लिया। निबंध प्रतियोगिता में 41, पोस्टरपेंटिंग प्रतियोगिता में 40 एवं स्लोगन प्रतियोगिता में 38 प्रतिभागियों ने भाग लेकर अपनी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। पोस्टर पेंटिंग प्रतियोगिता में एसएस जैन सुबोध कॉलेज जयपुर की सहायक आचार्य डॉ. लेखा जैन, निबंध प्रतियोगिता में केशव विद्यापीठ जामडोली (सीटीई) जयपुर के श्री अग्रसेन शिक्षा महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. रीटा शर्मा, एवं स्लोगन प्रतियोगिता में श्री सबल महिला टी.टी.कॉलेज बोरुन्दा जोधपुर की प्राचार्य डॉ. संतोष शर्मा ने निर्णायक की भूमिका निभाई।

Friday 2 October 2020

जैन विश्वभारती संस्थान में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में गांधी जयंती के उपलक्ष में महात्मा गांधी की विचारधारा से संबंधित एकल गायन प्रतियोगिता का आयोजन

 

एकल गायन प्रतियोगिता में स्नेहा प्रथम व कुसुम द्वितीय रही

लाडनूँ,3 अक्टूबर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को गांधी जयंती के उपलक्ष में महात्मा गांधी की विचारधारा से संबंधित एकल गायन प्रतियोगिता कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के संरक्षण में आयोजित इस ऑनलाइन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि गांधी दर्शन केवल एक दर्शन ही नहीं है, बल्कि उच्च एवं श्रेष्ठ जीवन जीने का माध्यम भी है। व्यक्ति को केवल तन की ही नहीं बल्कि मन की पवित्रता भी रखनी चाहिए। उन्होंने महात्मा गांधी की अहिंसा की अवधारणा का विभिन्न पहलुओं के माध्यम से विश्लेषण किया और अहिंसा के अलग.अलग स्वरूपों पर चर्चा की। एकल गायन प्रतियोगिता में स्वयंसेविकाओं ने बढ़.चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता के परिणाम में स्नेहा पारीक प्रथम रही। कुसुम नाई द्वितीय तथा भावना भाटी और रितिका दाधीच तृतीय स्थान पर रही। प्रतियोगिता में निर्णायक के रूप में समाज कार्य विभाग की सहायक आचार्या डा. पुष्पा मिश्रा तथा आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय की सहायक आचार्या श्वेता खटेड़ थी। कार्यक्रम की शुरूआत में एनएसएस की प्रथम इकाई के प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। अंत में इकाई प्रथम की प्रभारी डॉ. प्रगति भटनागर ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया किया। प्रतियोगिता के इस कार्यक्रम में संस्थान के विभिन्न संकाय सदस्यों सहित स्वयंसेवक एवं स्वयंसेविकाएं भी ऑनलाइन जुड़े रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस आयोजित

 

वृद्धों को महामारी से बचने के लिये जागरूकता अभियान चलायें. रीचा चैधरी

लाडनूँ,3 अक्टूबर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस के अवसर पर कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की प्रेरणा से आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के अम्बेडकर काॅलेज की सह आचार्य रीचा चैधरी ने कहा कि वर्तमान कोविड.19 के संकट के समय में वरिष्ठ नागरिकों के प्रति हमारी जिम्मेदारी अधिक बढ गई है। विशेष रूप से जो एकल व्यक्ति हैं, उनके प्रति अधिक ध्यान दिये जाने की जरूरत है, उन्हें सेवा की अधिक आवश्यकता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिये अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाने के उपाय ऐसे समय में करने की जरूरत है। यह भी आवश्यक है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिये हम मनोवैज्ञानिक सहयोग करें। हमें उनके अनुभवों का सम्मान करना चाहिये। जो सामाजिक संगठन इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, उन्हें महामारी से बचाने के लिये जागरूकता अभियान चलाना चाहिये। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रो. आरके यादव ने कहा कि हमारे पारम्परिक मूल्यों में वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान की बात कही गई है। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर ध्यान देने की जरूरत बताई और वैश्विक एवं स्थानीय मूल्यों के बारे में बताते हुये कहा कि वैश्विक स्तर पर सोच कर स्थानीय स्तर पर कार्य करना चाहिये। कार्यक्रम के प्रारमभ में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द प्रधान ने अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन किया। अंत में डाॅ. विकास शर्मा ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग मोहन सियोल ने किया।

Thursday 1 October 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा कुलपति प्रो. बीआर दूगड़ की प्रेरणा से ‘‘वर्तमान संकट में गांधीवादी दृष्टिकोण’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन

 

वैश्विक संकट में महात्मा गांधी के विचार समाधान के लिये महत्वपूर्ण. प्रो. शर्मा

लाडनूँ, 2 अक्टूबर 2020। महात्मागांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा कुलपति प्रो. बीआर दूगड़ की प्रेरणा से ‘‘वर्तमान संकट में गांधीवादी दृष्टिकोण’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ के गांधी अध्ययन केन्द्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एमएल शर्मा ने महात्मा गांधी के विचारों एवं सिद्धांतों की वर्तमान युग में आवश्यकता पर बल देते हुये वर्तमान समस्याओं को दूर करने के उपाय गांधीवाद में बताये। उन्होंने भूख, बेरोजगारी, महामारी आदि संकटों पर अपने विचार रखे तथा सत्य, अहिंसा, साध्य.साधन, स्वदेशी तथा गांधी की न्याय प्रणाली के बारे में बताया। जय नारायन व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. बी. एम. चितलांगिया ने गांधी के विचारों को अपनाने पर जोर दिया तथा आधुनिक वैश्विक संकट में महात्मा गांधी के आर्थिक, सामाजिक, सत्याग्रह, अहिंसा व वर्तमान में मीडिया की भूमिका पर अपने विचार रखे।

गांधी तकनीक से राजनीतिक संघर्ष का निवारण

कोटा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. नरेश दाधीच ने कहा कि विषय में गांधी की प्रासंगिकता को रखना ही अपने आप में महत्वपूर्ण है। वर्तमान समय में सही रास्ता गांधी के बताये मार्ग पर चलना ही है। आज भी राजनैतिक संघर्ष का निवारण गांधी तकनीक से ही संभव हो सकता है। उनका मानना था और वह आज भी सही हे कि अन्याय के विरूद्ध अहिंसात्मक तरीके से ही सत्याग्रह करना चाहिए। साथ ही गांधी के एकादश व्रतों का पालन भी मनुष्य को करना चाहिए। आज की आर्थिक व राजनैतिक परिस्थितियों से निकलने के उपाय भी गांधी ने बताये, चाहे वह प्राकृतिक संसाधनों का मितव्यतापूर्वक उपयोग करना हो या आत्मनिर्भर बनना होए इसके लिए ही गांधी ने अपने विचार रखे थे। केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला हिमाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. केसी अग्निहोत्री ने राममनोहर लोहिया को गांधी के विचारों व सिद्धान्तों को बढ़ाने वाला बताया। उनका मानना था कि चाहे स्वच्छता की बात हो या फिर देशप्रेम की, उन्होंने अपने विचारों का देश से जोड़ते हुए बताया। इस का उदाहरण उन्होंने रामराज्य को बताया। उनको भारतीय सभ्यता व संस्कृति की बहुत चिन्ता थी। उन्होंने कहा कि अहिंसा कभी कायरता के कारण नही हो सकती और सत्य की साधना बहुत कठिन है।

हर क्षेत्र में उपयोगी हैं गांधी के सिद्धांत

जैन विश्वभारती संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि गांधी आज समय की मांग है, चाहे आर्थिक स्तर पर हो या फिर धर्म और राजनीति में। आज वर्तमान में गांधी के सिद्धान्तों की बहुत उपयोगिता है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अहिंसा व शंाति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने विषय प्रवर्तन करते हुये गांधी के सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला। शुरूआत में डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अन्त में अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम की संयोजन समिति में प्रो. अनिल धर, प्रो. समणी सत्यप्रज्ञा, समणी डाॅ. रोहिणी प्रज्ञा व डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ शामिल थे।

Tuesday 29 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय हस्त कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

 

आत्म निर्भर भारत के निर्माण में हस्त कौशल कार्य की महत्वपूर्ण भूमिका-अनिल जैन

लाडनूँ,30 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय हस्त कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन कुलपति प्रो. बीआर दूगड की प्रेरणा व संरक्षण में किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञ अनिल कुमार जैन ने ब्लू मोंडियाल के निदेशक ने कहा ब्लू पोटरी पूरे देश में और यहां तक कि दुनिया में बहुत प्रसिद्ध रहा है। ब्लू पॉटरी जयपुर की पारंपरिक कला के रूप में जानी जाती है। विविध प्रकार के आइटम जैसे हाथी, दीपक, गुलदस्ता रखने के पॉट, विविध प्रकार के पक्षी आदि का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने उन सबको बनाने की प्रक्रिया से अवगत कराया। जैन ने बताया कि ब्लू पॉटरी बनाने की प्रक्रिया में क्वार्ट्ज पाउडर, ग्लास पाउडर, कतीरा, मुल्तानी मिट्टी (बेंटोनाइट), साजी (सी फोम) सामग्री को प्रयुक्त किया जाता है तथा मिश्रण की प्रक्रिया में क्वार्ट्ज पाउडर, कतीरा गोंद, ग्लास पाउडर, साजी, और मुल्तानी मिट्टी को पानी के साथ मिलाया जाता है। कार्यक्रम में कविता जैन ने बताया कि मोल्डिंग में मिश्रण को गूंध कर रोटी के आकार में बेल लिया जाता है और फिर उस रोटी को एक सांचे में डाला जाता है और राख को भर दिया जाता है। फिर उसे उलटा कर पटली पर उतार दिया जाता है और धूप में सुखाने के लिये रख दिया जाता है। इसके बाद फिनिशिंग में मिश्रण से तैयार हुआ सामान पूरी तरह से सुखा दिया जाता है और इसे अंतिम रूप देने के लिए रेगमाल से रगड़ा जाता है। क्वार्ट्ज पाउडर, सफेद कांच के पाउडर और लेई को पानी के साथ मिलकर घोल बनाया जाता है, जिसे अस्तर कहते हैं। कोबाल्ट ऑक्साइड को सिलबट्टे पर घोटा जाता है और गोंद मिलकर कलर बनाते हैं। उसके बाद ब्रश की सहायता से डिजाइन दी जाती हैं। डिजाइन के बाद ये आइटम पककर तैयार हो जाते है। प्रारम्भ में कार्यक्रम तथा विशेषज्ञ का परिचय एवं अंत में आभार ज्ञापन संयोजक प्रो. बीएल जैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग मोहन सियोल ने प्रदान किया। कार्यक्रम में देश भर के 150 शिक्षाविद, विधार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

Wednesday 23 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में कुलपति प्रोफेसर बछराज दूगड़ के संरक्षण में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन

 

परस्पर सुख.दुःख में भागीदार बनना ही सच्ची सेवा भावना. प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 24 सितम्बर 2020 । जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में कुलपति प्रोफेसर बछराज दूगड़ के संरक्षण में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोण् आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि व्यक्ति को स्वयं तक सीमित रहने के स्थान पर अपने आस पास के लोगों की तरफ ध्यान देकर उनके सुख.दुःख में भागीदार बनाना चाहिये। परोपकार की भावना में सबका उद्धार समाहित होता है। उन्होंने सेवा परमो धर्म की अवधारणा पर भी प्रकाश डालते हुए एनएसएस की स्वयंसेविकाओं को परोपकार की भावना को हृदंयगम रखने की आवश्यकता जताई। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेवा के योगदान में दिखावे के स्थान पर सच्ची सेवा का परिचय देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में स्वयंसेविका सुरभि नाहटा, दिव्यता कोठारी, स्नेहा पारीक, वर्षा राकावत तथा नफीसा बानो ने अपने कविताए गीत व भाषण ऑनलाइन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम की शुरुआत एनएसएस गीत के माध्यम से की गईए जिसकी प्रस्तुति स्वयंसेविका प्रीति फूलफगर तथा निकिता लोढ़ा ने दी। एनएसएस इकाई प्रथम की प्रभारी डॉ. प्रगति भटनागर ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुये कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और कार्यक्रम में जुड़े सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में संस्थान के विभिन्न संकाय सदस्यों सहित स्वयंसेवक एवं स्वयंसेविकाएं भी ऑनलाइन जुड़े रहे। कार्यक्रम का संयोजन इकाई द्वितीय प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह ने किया।

Tuesday 22 September 2020

जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत सात दिवसीय आईसीटी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

 

गुगल फाॅर्म के माध्यम से शिक्षा के विविध पहलु बताये

लाडनूँ, 23 सितम्बर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत बुधवार को सात दिवसीय आईसीटी प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। कार्यशाला के प्रथम दिवस दीपक माथुर ने गूगल फॉर्म का प्रशिक्षण प्रदान करते हुए बताया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के समय विद्यार्थियों की परीक्षा कराने, उपस्थिति लेने, आंतरिक तथा बाह्य मूल्यांकन करने, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कराने आदि में गूगल फार्म काफी उपयोगी रहा हैं। उसकी वर्तमान में भी आवश्यकता बनी हुई है। माथुर ने सभी संभागियों के समक्ष गूगल फॉर्म की भूमिका प्रस्तुत करते हुए उसकी प्रक्रिया से रूबरू करवाया और प्रशिक्षण में बताया कि कैसे गूगल फॉर्म पर जाया जाता है, कैसे नया फॉर्म क्रियेट करते हैं, कैसे नया प्रश्न क्रियेट करते है, क्या-क्या सावधानियां रखी जानी चाहिये आदि। यह सब जानकारी उन्होंने विभाग के सभी संकाय सदस्यों को दिया। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो.बी.एल.जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रश्नोतरी में गूगल फार्म के उपयोग पर शिक्षकों को प्रशिक्षण

26 सितम्बर 2020। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विद्यालय) के शिक्षा विभाग में चल रही सात दिवसीय आईसीटी प्रशिक्षण कार्यशाला के पंचम दिवस शिक्षकों को गूगल फार्म में काम करने की तकनीक और विधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। विषय विशेषज्ञ दीपक माथुर ने इस सम्बंध में बोलते हुये गूगल फॉर्म के अंतर्गत प्रश्नोतरी तैयार करने, उसकी जांच करने, मूल्यांकन करने आदि के सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने प्रश्नोतरी तैयार करने के लिये सैटिग, जर्नल, प्रजेंटेशन तथा क्विज बारे में जानकारी प्रदान की। साथ ही प्रश्नोतरी होने के बाद कैसे उत्तर तथा अंको को सेट किया जाता है, छात्रों के प्रत्युत्तर को एक्सल में ले जाकर कैसे उस प्रश्नोतरी से परिणाम तैयार किया जाता है आदि का प्रशिक्षण विभाग के सभी संकाय सदस्यों को दिया। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि यह जानकारी बहुत ही उपयोगी है। वर्तमान समय में इस प्रकार की ऑनलाइन तकनीक की जानकारी सभी शिक्षकों को होना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित भी किया।

आईसीटी प्रशिक्षण कार्यशाला के छठे दिवस समझाई मूल्यांकन प्रक्रिया

28.सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में चल रही सात दिवसीय आईसीटी कार्यशाला के छठे दिवस दूर बैठी हुई छात्राओं की शैक्षिक गतिविधियों का सुचारू रूप से संचालन करने के लिये अेक्नोलोजी के इस्तेमाल के बारे में विशेषज्ञ दीपक माथुर ने सभी संभागियों को समझाया। साथ ही उन्होंने प्रश्नोतरी प्रतियोगिता व सामान्य ज्ञान के माध्यम से छात्राओं के अध्ययन का साप्ताहिक, मासिक व अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन करने के बारे में जानकारी भी दी। छात्राओं से उनकी शैक्षिक गतिविधियों से सम्बंधित सूचनाओं के आधार पर उनकी विभिन रिपोर्ट्स के प्रवेश, परीक्षा व सम्बंधित विषय-अध्यापक के लिए उपयोगी बनने के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ऑनलाइन क्लासों में छात्राओं से उनकी उपस्थिति को गूगल फॉर्म के माध्यम से प्रत्येक दिन लेना व उसकी मासिक रिपोर्ट तैयार करने की भी जानकारी दी। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बी. एल. जैन ने आभार ज्ञापित किया।

Saturday 19 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ऑनलाइन राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन

 

राष्ट्रीय स्तरीय ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में 274 ने भाग लिया

लाडनूँ, 20 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ऑनलाइन राष्ट्रीय स्तरीय प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में स्नात्तक एवं स्नात्तकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिए आयोजित की गयी। प्रतियोगिता में देश के विभिन्न प्रांतों से 274 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इनमें से 189 विद्यार्थियों ने प्रतियोगिता में 60 प्रतिशत से अधिक स्कोर प्राप्त किये। विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक प्रभारी डॉ. अमिता जैन ने बताया कि कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशन में आयोजित इस प्रतियोगिता में भाग लेकर विद्यार्थियों ने अपने ज्ञान का सदुपयोग किया। प्रतियोगिता में 60 प्रतिशत या इससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट प्रदान किया जायेगा।

Sunday 13 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में हिंदी की वर्तमान में प्रासंगिकता पर राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम आयोजित

 

हिन्दी का विपुल साहित्य हमें आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम- प्रो. शर्मा

लाडनूँ, 14 सितम्बर 2020। हिन्दी दिवस के अवसर पर एक राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के पूर्व डीन एवं शिक्षाशास्त्री प्रो. गोपीनाथ शर्मा ने ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में हिंदी को महत्त्व दिया हैं। उन्होंने हिंदी दिवस मनाने का औचित्य, प्रासंगिकता एवं अवदान पर प्रकाश डालते हुये बताया कि 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को भारत संघ की भाषा के रूप में घोषित किया गया। 15 वर्ष तक अर्थात सन 1965 तक अग्रेंजी की अनिवार्यता को भी लागू कर दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 365 के उपबन्ध 1, 2 व 3 में लिखा हैं कि संसद कोई नियम नहीं बनावें तो संसद की कार्यवाही हिंदी में होगी। उस समय अग्रेंजी की लगायी गयी वैसाखी आज तक कष्ट दे रही हैं। 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित कर दिया गया, जिसमें यह व्यवस्था कर दी गयी हिंदी के साथ अग्रेंजी का उपयोग सदा के लिए अनिवार्य रहेगा। हिंदी का साहित्य विपुल है, हम हिंदी भाषा से भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। यह भाषा चिन्तन, सोच, रचनात्मकता विकसित करती हैं।

आधा तीतर आधा बटेर कर रहे हैं

केशव विद्यापीठ जामडोली जयपुर के श्रीअग्रेसन स्नात्तकोतर शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय सी.टी.ई की प्रो. रीटा शर्मा ने द्वितीय विशेषज्ञ के रूप में कहा कि आजकल की अग्रेंजी से हम आधा तीतर आधा बटेर के समान हो गये हैं। ना तो हम अग्रेंजी ठीक बोल पा रहे हैं ना ही हिंदी। हमें इस पर विचार करना होगा। अधिकांशत हिंदी व अंग्रेजी का मिश्रित रूप प्रचलन में आ गया हैं। हिंदी दिवस की प्रासंगिकता को विविध कार्यक्रमों जैसे वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता, शब्दकोश का संवर्धन, हिंदी की मानक शब्दावली का प्रयोग, कविता लेखन, वर्तनी आदि से बढ़ाना होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में हिंदी भाषा ही समर्थ होगी। अधिकाशतः भारत के प्रान्त हिंदी में ही वार्ता, संवाद, विचार-विनिमय करते हैं। हिंदी आज आमजन, बाजार, घरेलू भाषा के रूप में सशक्त हैं। गीत, भजन, संगीत का आनन्द और परमानन्द हिंदी में ही समाहित हैं। कुछ लोग हिंदी का गुणगान हिंदी दिवस पर करते हैं, बाकी दिवस अग्रेंजी में कार्य करते हैं। हमें राजकीय, प्रशासकीय, तकनीकी, विज्ञान, संगणक आदि में इस भाषा का प्रयोग बढ़ाना होगा। संसद, विधानसभा, नगरपरिषद तथा पंचायत हिंदी भाषा में ही चलानी चाहिए। हिंदी ने ही राष्ट्र का चहुमुखी विकास किया हैं।

छात्रा सुमन चैधरी एवं हृषिता स्वामी ने हिंदी को सामाजिक जन-जीवन, व्यवहार एवं व्यापर में प्रयोग की जाने वाली भाषा कहा। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बी.एल. जैन ने विशेषज्ञ का परिचय कराते हुए कहा राष्ट्र की पहचान के लिए राष्ट्र भाषा का होना आवश्यक है, हिंदी ही समृद्ध, सशक्त और गौरव प्रदान करने वाली भाषा है। आभार ज्ञापन डॉ. सरोज राय ने किया। तकनीकी कार्य मोहन सियोल ने किया। कार्यक्रम में डॉ. सुनीता, डॉ रेणु शर्मा, डॉ नवनीत शर्मा, डॉ अनीता जैन, नन्द किशोर, डॉ. संतोष शर्मा, अलका जैन, संस्थान के संकाय सदस्य एवं आदि शिक्षाविद तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

अन्य विभागों ने भी मनाया हिन्दी दिवस

आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में हिन्दी दिवस पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्ष्ज्ञता में हुआ। प्रो. त्रिपाठी ने हिन्दी की महता पर प्रकाश डालते हुये इस भाषा की विशेषताओं के बारे में बताया तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान के लिये राजेन्द्र सिन्हा को याद किया और उनकी स्वर्णजयंती 14 सितम्बर का महत्व बताया। कार्यक्रम में मुमुक्षु आयुषी ने प्रियंका राठौड़ ने हिन्दी कवितायें प्रस्तुत की। डाॅ. बलवीर सिंह व सोमवीर सांगवान ने हिन्दी दिवस एवं हिन्दी भाषा के महत्व के बारे में बताया। अभिषेक चारण ने तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष मुस्तफा कमाल का उदाहरण देते हुये राष्ट्रभाषा के महत्व के बारे में बताया। जैविभा विश्वविद्यालय के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में हिन्दी दिवस कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने हिन्दी को सम्पूर्ण देश की भाषा बताया तथा कहा कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं बल्कि यह संस्कृति है। संत तुलसीदास से लेकर आधुनिक कवियों तक हिन्दी के काव्यों की सृजना हुई है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के सहायक आचार्य अरिहंत जैन ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।

Thursday 10 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में गूगल क्लासरूम की उपयोगिता और तकनीक पर व्याख्यान आयोजित

 

सोशल डिस्टेंसिंग में ऑनलाइन कक्षाओं के लिये गूगल क्लासरूम का महत्व

लाडनूँ, 11 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में आंतरिक व्याख्यान श्रृंखला के अन्तर्गत शुक्रवार को प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठीकी अध्यक्षता में व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान श्रृंखला के प्रािम व्याख्यान के रूप में डाॅ. प्रगति भटनागर ने गूगल क्लासरूम द्वारा आॅनलाईन पढाई के बारे में अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होने कूगल क्लासरूम एप्प के जरिये अध्ययन-अघ्यापन के विविध आयामों एवं तकनीक के बारे में जानकारी दी। डाॅ. भटनागर ने बताया कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। आज सभी पाठ्यक्रमों एवं सेमिनारों तक के ऑनलाइन किये जाने की जरूरत है। गूगल क्लासरूप एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिस पर अलग-अलग कक्षाओं का संचालन किया जा सकता है। क्लासरूम के ऑननलाईन मैनेजमेंट के लिये इस प्लेटफार्म की अपनी खूबियां हैं। उन्होंने गूगल क्लासरूम में कक्षा क्रियेट करने, उसे नाम देकर जेनरेट करने, विद्यार्थियों द्वारा जाॅइन करने, कोड एंटर करने, टाॅपिक जोड़ने, शिक्षक को आमंत्रित करने, पाठ्य सामग्री जोड़ने, उसे पोस्ट करने, असाइनमेंट बनाने, डोक्यूमेंट्स क्रियेट करने आदि विविध पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और उसे स्मार्ट बोर्ड पर पे्रक्टिकली बताया। उन्होंने बाद में इस सम्बंध में उपस्थित लोगों की जिज्ञासाओं एवं सवालों के जवाब भी दिये। प्रारम्भ में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने विषय के सम्बंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह समय की आवश्यकता है कि कुछ नया सीखा जावे। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते ऑनलाइन कक्षाओं का महत्व बढ गया है। इस सम्बंध में विभिन्न तकनीकियों के बारे में सबके लिये जानकारी आवश्यक है। उन्होंने शुरू की गई व्याख्यानमाला की जानकारी दी और बताया कि इसमें प्रत्येक 15 दिन पश्चात किसी नये निर्धारित विषय पर व्याख्यान का आयेाजन किया जायेगा। कार्यक्रम का संचालन समन्वयक सोमवीर सांगवान ने किया। इस अवसर पर डाॅ. बलवीर सिंह चारण, डाॅ. विनोद सैनी, श्वेता खटेड़, अभिषेक चारण, कमल कुमार मोदी आदि उपस्थित रहे।

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एनएसएस की छात्राओं ने किया पौधारोपण


 लाडनूँ, 11 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों ईकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में छात्राओं एवं कार्मिकों ने मिलकर विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण किया। इस अवसर पर कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने एनएसएस स्वयंसेविकाओं को धरती व पर्यावरण के लिये वृक्षों की उपयोगिता के बारे में बताया और कहा कि वृक्ष हमारे प्राणदायी भी होते हैं। वे जहां इस सृष्टि का सौंदर्य होते हैं, वहीं वे हमें प्राणवायु, फल आदि सामग्रियां देकर हमारा पोषण भी करते हैं। उन्होंने पेड़ लगाने की आवश्यकता भी बताई। इस अवसर पर आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, एनएसएस प्रभारी डाॅ. प्रगति भटनागर, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, विताधिकारी राकेश कुमार जैन, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डाॅ. बलवीर सिंह चारण आदि के साथ स्वयंसेविकायें उपस्थित रही और परिसर में 21 छायादार व पुष्पवान पौधों का रोपण किया।

Friday 4 September 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन

 

शैक्षिक पाठ्यक्रमों में शोध एवं कौशल विशेषज्ञता को बढावा जरूरी- प्रो. यादव

लाडनूँ, 5 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 - शिक्षा का श्रेष्ठ दस्तावेज’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी में द्वितीय दिवस पर एकेडमिक अफेयर्स पी.टी. लक्ष्मीचंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ पेर्फोमिंग एंड विसुअल आर्ट्स रोहतक के डीन प्रो. आर.एस. यादव ने अपने सम्बोधन में भारतीय उच्च शिक्षा की चुनौतियों एवं उनके समाधान पर प्रकाष्श डाला। उन्होंने उच्च शिक्षा में बहुअनुशासनात्मक विश्वविद्यालय, पाठ्यचर्या में लोचशीलता, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता आदि विषयों पर समालोचनात्मक चिंतन एवं विश्लेषण प्रस्तुत किया। प्रो. यादव ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की उच्च शिक्षा तक पहुंच के तरीकों तथा केन्द्र व राज्यों की सरकारों के बीच समन्वय की आवश्यकता के बारे में बताते हुये विदेशी विश्वविद्यालयों के आगमन पर भी चिंता व्यक्त की। प्रो. यादव ने कहा कि बहुअनुशासनात्मक शिक्षा का दायरा सीमित करने के साथ’-साथ विषय एवं कौशलों में विशेषज्ञता को बढावा दिया जाना आवश्यक है। उच्च शिक्षा संस्थानों में अकादमिक पाठ्यक्रमों एवं शोध के बीच समन्वय होने से ही सम्पूर्ण विकास का आधार बनना संभव होता है।

गरीब, दिव्यांग व महिला वर्ग तक उच्च शिक्षा की पहुंच जरूरी

केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के प्रो. आशुतोष प्रधान ने सामाजिक समावेशन पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि शिक्षा के माध्यम से समाज के समस्त वर्गों का समुचित विकास समानरूप से होना आवश्यक है। शिक्षा की पहुंच दिव्यांगों, गरीबों तथा महिलाओं तक होनी जरूरी है। शिक्षा नीति की अनुपालना से सामाजिक न्याय, समरसता तथा समग्र विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव होगा। नेशनल विश्वद्यालय जयपुर की स्कूल शिक्षा की रिसर्च एडवाईजर प्रो. रीटा अरोड़ा ने उच्च शिक्षा से जुड़े संदर्भों पर विचार व्यक्त करते हुये बताया कि उच्च शिक्षा के माध्यम से वैश्विकता और सांस्कृतिकता का समन्वय अत्यन्त चुनौतीपूर्ण है। शिक्षा के द्वारा रोजगारपरकता, सांस्कृतिक विकास, सामाजिक उत्थान जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रशासन, शिक्षक व नीतिगत निर्णयों की परस्परता आवश्यक है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संयोजक व शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने अतिथियों का परचिय प्रस्तुत किया एं अंत में डाॅ. भाबाग्रही प्रधान ने आभार जताया।

रामकृष्ण ने विवेकानंद और रामदास ने देश को शिवाजी दिये थे- प्रो. त्रिपाठी

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। महाविद्यालय से निकलने वाले छात्र की राष्ट्र का भविष्य बन कर सामने आते हैं। इस प्रकार शिक्षक ही देश के भविष्य का निर्माण करता है। जिस प्रकार एक कुम्भकार आकर्षक व सुडौल घड़ा बनाने के लिये चोट करता है, ठीक वैसे ही छात्र के निर्माण के लिये शिक्षक भी उसको डांटने, आंख दिखाने, उसे अनुशासित रखने और सुधारने की प्रक्रिया को पूरा करता है। इस अवसर पर प्रो. त्रिपाठी ने डाॅ. राधाकृष्ण को याद किया और सबको शुभकामनायें देते हुये कहा कि हमारे देश के इतिहास में गुरू-शिष्य की श्रेष्ठतम जोड़ियों का निर्माण होता रहा है। रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानन्द जैसा शिष्य देश को दिया। कौटिल्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य का निर्माण किया। गुरू रामदास की शिक्षा से छत्रपति शिवाजी ने मुगलों के छक्के छुड़ाये। गौड़पाद ने गुरू बनकर जगद्गुरू शंकराचार्य का निर्माण किया। आचार्य तुलसी ने आचार्य महाप्रज्ञ को तैयार किया था। उन्होंने इस अवसर पर अरस्तू और सिकन्दर के दृष्टान्त भी प्रस्तुत किये। ऑनलाइन आयोजित किये गये इस कार्यक्रम के प्रारम्भ में डाॅ. बलवीर सिंह चारण ने शिक्षक दिवस की भूमिका प्रस्तुत की। छात्राओं ममता एवं संगीता ठोलिया ने भी शिक्षक दिवस पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में कमल कुमार मोदी, सोमवीर सांगवान, शेरसिंह, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़, डाॅ. विनोद सियाग आदि उपस्थित रहे।

शिक्षा में नेतृत्वशीलता के गुणों का विकास होना आवश्यक- डाॅ. प्रमोद कुमार

04 सितम्बर। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020- शिक्षा का श्रेष्ठ दस्तावेज’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में प्रारम्भ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के डाॅ. प्रमोद कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की परिचयात्मक पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार शैक्षिक गुणवता, अध्यापन सम्बंधी शिक्षा से जुड़े संस्थानों की गुणवता को बढाने, शैक्षिक संस्थानों की स्वायतता, समय-समय पर नियत पदोन्नति की नीति तैयार करने, शोध की गुणात्मकता को बढाने, नवाचारों को बढावा देने, आधारभूत स्रोतों का परस्पर साझीकरण, सर्वशिक्षा अभियान के तहत शिक्षा की सार्वभौमिकता को बढाने, पूर्व अध्यापकों एवं सामाजिक कार्यकताओं को शिक्षा से जोड़ने, नेतृत्वशीलता के गुणों का विकास करने आदि बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उनके पश्चात चैधरी रणवीरसिंह विश्वविद्यालय जींद के प्रो. संदीप बेरवाल ने व्यावसायिक शिक्षा को बढावा देने पर अपने विचारों को केन्द्रित करते हुये रोजगार परक शिक्षा के लिये विविध कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाने, विषय चयन के लिये लचीलापन प्रयोग में लाने, लेखन-‘वाचन व पठन की क्षमताओं का विकास करने, शिक्षा के क्षेत्र में डिजीटल संसाधनों के प्रयोग को बढावा देने एवं उनका प्रशिक्षण दिया जाने, मूल्य शिक्षा को बढावा देते हुये शोध व नावाचारों को प्रोत्साहित करने पर विचार व्यक्त किये।

शिक्षक के बूते ही संभव है नई शिक्षा नीति की सफलता

जैन विश्व भारती संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षक के बलबूते पर ही चिकित्सक, अभियंता एवं शिक्षक आदि को तैयार किया जाना संभव है। शिक्षक कंकर को शंकर बना सकता है। प्रारम्भ में कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बीएल जैन ने कार्यक्रम का उद्देश्य, विषय का परिचय एवं अतिथियों के बारे में बताया। अंत में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने आभार ज्ञापित किया। ई-संगोष्ठी में तकनीकी संचालन का कार्य मोहन सियोल ने किया। कार्यक्रम में प्रो. आशुतोष प्रधान, प्रो. आरएस यादव, प्रो. रीटा अरोड़ा, डाॅ. नन्दि नी गुप्ता, डाॅ. कुसुम लता, डाॅ. नवनीत शर्मा, डाॅ. अनीता जैन, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, डाॅ. ममता सोनी आदि उपस्थित थे।

Wednesday 2 September 2020

जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) को मिला तीसरा आईएसओ प्रमाण पत्र

 

लाडनूँ, 3 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) को फिर से आई.एस.ओ. का मानक प्रमाण प्रत्र ‘‘आईएसओ 14001: 2015’’ प्राप्त हुआ है। यह प्रमाण पत्र संस्थान को पर्यावरण प्रबंधन तंत्र के क्षेत्र में प्रदान किया गया है। प्रमाण पत्र में बताया गया है कि जैन विश्वभारती संस्थान कला, विज्ञान, वाणिज्य, शिक्षा, सामाजिक विज्ञान, शांति अध्ययन आदि क्षेत्रों में समाज के लिये विभिन्न स्नातक एवं स्नातकोत्तर शैक्षणिक कार्यक्रम प्रदान करके उत्कृष्टता के उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों पर शिक्षा, शिक्षण और अनुसंधान के माध्यम से समाज में योगदान दे रहा है, जिसमें ओरियेंटल अध्ययन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यहां के सारे कार्यक्रम नियमित एवं दूरस्थ शिक्षण व्यवस्था के माध्यम से संचालित किये जाते हैं। यह इस संस्थान को तीसरा आईएसओ प्रमाण पत्र मिला है। इससे पूर्व जैविभा विश्वविद्यालय को व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रबंधन के क्षेत्र में उच्च मानदंडों की अनुपालना के आधार पर हाल ही में गत अगस्त माह में आई.एस.ओ. का सर्टिफिकेशन अवार्ड प्राप्त हुआ था। जैन विश्वभारती संस्थान ने अपनी स्थापना के 30 वर्षों में लगातार गुणवता, प्रबंधन, स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण आदि विभिन्न क्षेत्रों में विशेष सजगता एवं जागरूकता के साथ उच्च मानकों को स्थापित किया है। संस्थान को यह तीसरा आई.एस.ओ. प्रमाण पत्र मिला है, जिस पर यहां समस्त स्टाफ ने हर्ष जताया है।

Sunday 30 August 2020

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ शिक्षा निदेशक का सेवानिवृति समारोह आयोजित

 


पूर्ण मनोयोग से कार्य करने पर खुलता है सफलता का मार्ग- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 31 अगस्त 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि सफलता के लिये कभी आधे-अधूरेपन से कार्य नहीं करना चाहिये बल्कि पूर्ण मनोयोग से कार्य करने पर ही सफलता का मार्ग खुलता है। सफलता के लिये गुरूमंत्र है कि एक ही दिशा में पुरूषार्थ किया जावे। उन्होंने यहां महाप्रज्ञ सभागार में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी के सेवानिवृति पर आयोजित समारोह में बोलते हुये कहा कि प्रो. त्रिपाठी अपने कार्य को सदैव इसी तरह से सम्पन्न करते रहे हैं। उनका लक्ष्य के प्रति समर्पण के कारण ही वे एक अच्छे अध्यापक ही नहीं बल्कि श्रेष्ठ प्रशासक के रूप में भी अपने आपको ढाल पाये। उनकी कार्यक्षमता के कारण ही हर प्रकार के दायित्व को वे भलीभांति संभाल पाये। वे दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक के साथ आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के सफल प्राचार्य रहे और परीक्षा विभाग के प्रभारी रह कर भी कार्य के प्रति अपने समर्पण को प्रदर्शित किया। इस अवसर पर उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से शाॅल व स्मृति चिह्न प्रदान किया गया तथा स्टाफ की ओर से भी उपहार प्रदान किया गया। प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में अपने समस्त विभागों के कार्मिकों को याद किया तथा कुलपति, कुलसचिव, विताधिकारी आदि सहित विश्वविद्यालय के अन्य विभागों द्वारा मिलने वाले सहयोग के लिये उन्हें याद करते हुये उनके एक-एक कर्मचारी को स्मरण करते हुये सबके प्रति आभार ज्ञापित किया।

सबने सराहा कार्यकाल

इस अवसर पर प्राकृत व संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा तिवाड़ी, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, योग एवं जीवन विभाग विभाग के डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, अहिंसा व शांति विभाग के डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, परीक्षा विभाग के डाॅ. युवराज सिंह खंागारोत, विताधिकारी राकेश कुमार जैन, आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय से डाॅ. प्रगति भटनागर व कमल मोदी, प्राकृत विद्धान राकेश मणि त्रिपाठी, केन्द्रीय ग्रंथागार से महिमा जैन आदि ने अपनी भावनायें व्यक्त की और प्रो. त्रिपाठी की विेशेषताओं व कार्यों के बारे में बताया। कार्यक्रम में जयंती त्रिपाठी का भी शाॅल ओढा कर सम्मान किया गया। अंत में कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने आभार ज्ञापित किया और प्रो. त्रिपाठी के सेवाकाल को बेहतरीन बताया। इससे पूर्व प्रो. त्रिपाठी का आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, परीक्षा विभाग आदि अनेक विभागों में भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर डाॅ. अमिता जैन, विनोद कस्वां, प्रगति चैरड़िया, आयुषी शर्मा, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. आभासिंह, अंजुला जैन, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. अशोक भास्कर, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. बीरबल सिंह, सोमवीर सांगवान, मोहन सियोल, पंकज भटनागर, दीपाराम खोजा, विजय कुमार शर्मा, डाॅ. सत्यनारायण भारद्धाज, अजय पारीक, निरंजन सांखला, भुवनेश जैन, दीपक माथुर, राजेन्द्र बागड़ी आदि उपस्थित थे।