Saturday 28 July 2018

संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में संस्थान परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन

धर्मग्रंथ भी वृक्षों की रक्षा का संकल्प दिलाते हैं- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 28 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में शनिवार को सावन मास के प्रथम दिवस पर संस्थान परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी़ के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में बिल्व, नीम्बू, अनार, गुलाब आदि विभिन्न पौधों को लगाया गया। पौधों की व्यवस्था छात्राध्याओं ने स्वयं के स्तर पर की। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. त्रिपाठी़ ने कहा कि हमारे धर्मग्रंथों में वृक्षों के लिये बहुत ही सकारात्मक वर्णन दिया गया है। उनकी रक्षा, पालन और यहां तक कि पीपल, बड़ आदि वृक्षों का पूजन तक इस आशय से किया गया है कि आमजन के मन में वृक्षों को बचाने की भावना व्याप्त रहे। उन्होंने विश्व स्तर पर पर्यावरण के संकट से बचने के लिये वृक्षों की उपादेयता के बारे में बताया तथा कहा कि पेड़ लगाने का एक स्वतः स्फूर्त आंदोलन होना चाहिये। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, दूरस्थ शिक्षा की उपनिदेशक नुपूर जैन, डाॅ. प्रगति भटनागर, कमल मोदी, मधुकर दाधीच, सोनिका जैन, अभिषेक चारण, सोमवीर, बलवीर, रत्ना चैधरी आदि उपस्थित थे।

Friday 27 July 2018

जैन विश्वभारती संस्थान में गुरू पूर्णिमा पर कार्यक्रम का आयोजन

जैन विश्वभारती  संस्थान में गुरू पूर्णिमा पर कार्यक्रम का आयोजन

अज्ञान मिटा कर ज्ञान का दीप जलाने वाला ही गुरू- मुनि जयकुमार

लाडनूँ, 27 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती  संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में गुरू पूर्णिमा पर कार्यक्रम में मुनिश्री जयकुमार ने कहा है कि जो भीतर की गुरूता को, अन्तर की चेतना को और विवेक को जागृत करें वही गुरू होता है। वे यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के महाप्रज्ञ सभागार में नियमित ध्यान व प्रार्थना के पश्चात गुरू पूर्णिमा पर्व को लेकर समस्त स्टाफ को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गुरू की पहचान यह है कि वह अज्ञान को खत्म करता है, भीतर में ज्ञान के दीप को प्रज्ज्वलित करता है। गुरू अच्छे मार्ग को प्रशस्त करता है और करणीय व अकरणीय कर्म के विवेक को जागृत करता है। गुरू अपने शिष्य में भी गुरूतत्व का जागरण करता है। इससे पूर्व मुनिश्री ने सबको गहरे ध्यान के प्रयोग करवाये। इस अवसर पर संस्थान के कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़, उप कुलसचिव डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, दीपाराम खोजा, डाॅ. बी. प्रधान, विजयकुमार शर्मा, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. अशोक भास्कर आदि उपस्थित थे। इसके अलावा संस्थान के शिक्षा विभाग में भी गुरू पूर्णिमा पर्व मनाया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने इस अवसर पर कहा कि गुरू के विचारों को आत्मसात करें, वे हमारे संकटों में पाथेय प्रदान करेंगे। डाॅ. आभासिंह, छात्राध्यापिका कंचन कंवर, सरिता फिरौदा, पल्लवी, अंजलि, पूजा गौड़ आदि ने भी अपने विचार कविता, भाषण व कहानी के रूप में व्यक्त किये। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. बी. प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. गिरधारी लाल, मुकुल सारस्वतए दिव्या जांगिड़ आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन देवी लाल ने किया।

गुरू शिष्य को ढालता है - प्रो. त्रिपाठी

महर्षि वेदव्यास के जन्मजयन्ती के उपलक्ष्य में गुरू पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। वैसे पुराणों में भगवान शिव को आदि गुरू माना गया है। उन्होंने शनि और परशुराम को शिष्य के रूप में शिक्षा दी थी। इसलिये उन्हें आदि गुरू माना गया है। यह बात आचार्य कालु कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने गुरू पूर्णिमा पर्व पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कही। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में गुरू शिष्य की बहुत ही उज्ज्वल परम्परा रही है। शंकराचार्य को भी उनके गुरू गौड़पाद ने बनाया था। रामबोला को तुलसीदास गुरू नरहरिदास ने बनाया था तथा शिवाजी प्रसिद्ध हुए अपने गुरू रामदास की शिक्षा के कारण। विवेकानन्द को भी उनके गुरू रामकृष्ण ने बनाया था। सिकन्दर ने अपने गुरू अरस्तु से एक बार कहा था कि एक अरस्तु सैकड़ों सिकन्दर बना सकता है, किन्तु सैकड़ों सिकन्दर मिलकर भी एक अरस्तु नहीं बना सकते। ऐसी होती है गुरू की महिमा। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि निर्मल भावों से गुरू का आदर और सम्मान करना चाहिए। इस अवसर पर संस्थान के हिन्दी व्याख्याता अभिषेक चारण द्वारा आदिकाल से आधुनिक काल तक गुरू के महत्त्व को व्याख्यायित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सोमवीर सागवान द्वारा किया गया।

Thursday 26 July 2018

जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में तीन दिवसीय आमुखीकरण एवं प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन

चैम्पियन बनने तक संघर्ष जारी रखें- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 26 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में गुरूवार को तीन दिवसीय आमुखीकरण एवं प्रेक्षाध्यान शिविर का शुभारम्भ कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ द्वारा किया गया। यहां महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में आयोजित शुभारम्भ समारोह को सम्बोधित करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने हर काम उत्साहपूर्वक करने के लिये प्रोत्साहित करते हुये कहा कि किसी का समय कभी निकलता नहीं है, बल्कि हमेशा वर्तमान समय का सुदपयोग करें। उन्होंने कहा कि तब तक लड़ना जरूरी है, जब तक कि चैम्पियन नहीं बन जावें। हारते-हारते ही शिखर पर पहुंचा जा सकता है। हर काम को तुरन्त करें, उसे टालें कभी नहीं। काम को उत्साहपूर्वक करने से ही जीवन में बदलाव आयेगा और जीवन रोमांचित बनेगा, आगे बढने में इससे मदद मिलेगी। प्रो. दूगड़ ने कहा कि जीवन में कभी भी नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करें। मूल्यों पर हमेशा अडिग रहें, तभी जल्दी विकास संभव है। उन्होंने मैत्री के विकास के सम्बंध में बताया कि कठिनाई के समय किसी के साथ खड़ा होंगे, तो वह व्यक्ति सदा के लिये आपका बन सकता है, चाहे वह आपका विरोधी भी रहा हो। उन्होंने किसी के लिये प्रतिक्रिया करने के बजाये शांत रहने व सहिष्णु बनने की आवश्यकता बताई तथा कहा कि जो प्रतिक्रिया करता है, वह हमेशा पराजित होता है। शांत रहने पर सामने वाले पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव कायम होता है। उन्होंने प्रेक्षाध्यान पद्धति को ध्यान की श्रेष्ठ प्रणाली बताते हुये कहा कि विदेशों में भी प्रेक्षाध्यान के प्रशिक्षक तैयार हो रहे हैं। प्रेक्षाध्यान की देश-विदेशों में बहुत चर्चा हुई है। अमेरिका, बेल्जियम आदि देशों से विदेशी लोग यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में भी प्रेक्षाध्यान व योग सीखने के लिये आते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय को ए-श्रेणी प्राप्त एक उच्च स्तर का संस्थान बताते हुये कहा कि नैतिक मूल्यों के लिये यह संस्थान विख्यात है।

हर क्रिया से मन की संगति आवश्यक

जैन विद्या एवं तुलनात्मक धम्र व दर्शन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने प्रेक्षाध्यान शिविर के तीन दिनों को जीवन को दिशा देने वाला बताया तथा कहा कि गति से अधिक दिशा महत्वपूर्ण होती है। अगर दिशा सही नहीं हो तो गति अधिक होने पर भी लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने भावक्र्रिया को ऐसी विधि बताई, जिसमें हर पल व्यक्ति ध्यान में रहता है। उन्होंने कहा कि जो भी गतिविधि करें, उसके साथ मन का जुड़ा होना जरूरी है। क्रिया के साथ मन जुड़ा रहे तो वह भावक्रिया ध्यान बन जाता है। उन्होंने विद्यार्थियों से अच्छी संगति और एकाग्रता को आवश्यक बताते हुये कहा कि प्रेक्षाध्यान से एकाग्रता का विकास होता है और छात्राओं में स्मरण शक्ति भी बढती है।

प्रेक्षाध्यान से जीवन में बदलाव संभव

प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर प्रेक्षाध्यान को महाप्रज्ञ प्रणीत ध्यान की बेजोड़ प्रणाली बताया तथा कहा कि इसे विश्व भर में स्वीकारा जा गया है। इससे जीवन में बदलाव लाया जाना संभव है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रगति भटनागर ने किया। शिविर में प्रथम सत्र में प्रेक्षाध्यान व योग का अभ्यास पारूल दाधीच व निकिता उत्तम ने करवाया। अंतिम सत्र में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने छात्राओं को संस्थान के विभागों, पाठ्यक्रमों, व्यवस्थाओं, विशेषताओं आदि की जानकारी दी। यह तीन दिवसीय शिविर नवप्रवेशित छात्राओं के आमुखीकरण के साथ उन्हें ध्यान पद्धति से परीचित करवाने के लिये किया जा रहा है।

तीन दिवसीय प्रेक्षाध्यान षिविर में दूसरे दिन व्यक्तित्व विकास को किया व्याख्यायित

27 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में चल रहे त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर के दूसरे दिन जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संस्थान के डिप्टी रजिस्ट्रार डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने छात्राओं को व्यक्ति जीवन में व्यक्तित्व के महत्त्व को व्याख्यायित करते हुए बताया कि व्यक्तित्व विकास में कद व सुन्दरता मायने नहीं रखती बल्कि व्यक्ति के गुण व उसकी जीवन के प्रत्येक पहलू के प्रति सकारात्मकता ही उसके सफल व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होती है, वहीं द्वितीय सत्र में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन द्वारा ‘‘छात्राओं के व्यक्तित्व विकास में शिक्षा की भूमिका’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के साथ-साथ सतत् परिश्रम एक सफल व्यक्तित्व का निर्माण करता है। इस अवसर पर संस्थान के व्याख्याता अभिषेक चारण, कमल कुमार मोदी, मधुकर दाधिच, डाॅ. बलवीर सिंह, सोनिका जैन, सुश्री रत्ना चैधरी एवं नीतू सुथार आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रगति भटनागर द्वारा किया गया। शिविर में छात्राओं को प्रेक्षाध्यान एवं योग का अभ्यास जीवन विज्ञान विभाग की शोधार्थी सुश्री पारूल दाधिच एवं निकिता उत्तम द्वारा करवाया गया।

नैतिक मूल्यों के समावेश से जीवन में परिवर्तन आता है- प्रो. धर

लाडनूँ, 28 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय आमुखीकरण एवं प्रेक्षाध्यान शिविर का शनिवार को समारोह पूर्वक समापन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि शोध निदेशक प्रो. अनिल धर ने कहा कि जीवन में मूल्यों का अपना महत्व होता है। उनके बिना जीवन सारहीन बन जाता है। नैतिक मूल्यों का समावेश जीवन को आमूल-चूल रूप से बदल देता है तथा जीवन में सुदृश फूलों की खुशबू भर जाती है। समारोह के मुख्य वक्ता अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि जीवन में समय की पाबंदी को महत्व अवश्य दें। समय पर किये गये कार्य ही सुफल देने वाले होते हैं। दीर्घसूत्रता से जीवन में बिगाड़ आता है। उन्होंने कहा कि हर छात्रा को अपने आप को पहचानना चाहिये। स्व को जानने से ही उसका लक्ष्य परिपक्व हो सकता है। इससे पूर्व प्रचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने तीन दिवसीय शिविर का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा कहा कि यह शिविर छात्राओं के जीवन में सकारात्मकता भरेगा। शिविरार्थी छात्राओं सरिता शर्मा, संध्या वर्मा, शिवानी आचार्य आदि ने अपने अनुभव अन्य छात्राओं के साथ साझा किये। शिविर का अंतिम दिवस व्यक्तित्व विकास एवं आमुखीकरण पर केन्द्रित रहा। सभी शिविरार्थी छात्राओं ने इस अवसर पर वृक्षारोपण करके अपने संकल्प को मजबूत किया। शिविर के अंतिम सत्र में योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने छात्राओं को लाफिंग थैरेपी से परीचित करवाया तथा अभ्यास करवाते हुये उसके लाभ बताये। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. बलवीर सिंह चारण ने किया।

Wednesday 25 July 2018

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में संस्थान परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन

पर्यावरण रक्षा के लिये श्रेष्ठ है वृक्षारोपण- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 25 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में बुधवार को संस्थान परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के नेतृत्व में एवं विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन की देखरेख में आयोजित इस कार्यक्रम में नीम्बू, अनार, बिल्व, गुलाब आदि विभिन्न पौधों को लगाया गया। पौधों की व्यवस्था छात्राध्यापिकाओं ने स्वयं के स्तर पर की। इस अवसर पर कुलपति प्रो. दूगड़ ने छात्राओं को प्रेरणा देते हुये कहा कि वृक्ष हमारे जीवनदायी होते हैं, इनके महत्व को समझ कर हमें जीवन में वृक्षारोपण के साथ उनकी समुचित देखरेख, पोषण एवं वृक्षों को बचाने की तरफ ध्यान देना चाहिए। वैश्विक चिंता के रूप में उभरे पर्यावरण संकट से बचने का सबसे उत्तम उपाय वृक्षारोपण है। इस अवसर पर उप कुलसचिव डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, विताधिकारी राकेश कुमार जैन, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. आभा सिंह, सुनिता इंदौरिया, डाॅ. सरोज राय डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा आदि पूरे स्टाफ एवं छात्राओं ने वृक्षारोपण में अपनी सहभागिता निभाई।
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जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में कार्मिकों के लिये नियमित ध्यान का कार्यक्रम

पूर्ण चैतन्य के लिये जरूरी है प्रेक्षाध्यान- मुनि जयकुमार

लाडनूँ, 25 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के महाप्रज्ञ सभागार में मुनिश्री जयकुमार ने कहा कि ध्यान से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक व भावात्मक रूप से स्वस्थ बनता है। इसमें कायोत्सर्ग, श्वास प्रेक्षा, अनुप्रेक्षा आदि विधियां व्यक्ति को पूर्ण चेतन बनाने में महत्वपूर्ण होती हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस विधि से प्रतिदिन नियमित रूप से ध्यान किया जाये, तो जीवन में बदलाव आ सकते हैं। वे संस्थान के स्टाफ को नियमित ध्यान करवा रहे थे। उन्होंने विधिपूर्वक सबको प्रेक्षाध्यान का अभ्यास करवाया। संस्थान में नियमित रूप से चलने वाले ध्यान व प्रार्थना का यह कार्यक्रम कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशानुसार मुनिश्री जयकुमार के सान्निध्य में शुरू किया गया है। वे हर माह 15 दिन स्वयं उपस्थित रह कर संस्थान के शैक्षणिक व शिक्षणेत्तर कार्मिकों को ध्यान करवायेंगे एवं ध्यान का महत्व समझायेंगे। संस्थान स्टाफ ने इसे अभिनव कार्यक्रम बताया है।

Friday 20 July 2018

एमएसडब्लू के विद्यार्थियों का कैम्पस रिक्रूटमेंट का आयोजन

लाडनूँ, 20 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग में कैम्पस रिक्रूटमेंट का आयोजन किया गया। इसके लिये जोधपुर के एनजीओ उन्नत शैक्षणिक विकास संगठन की टीम ने एमएसडब्लू के 12 विद्यार्थियों का परीक्षण किया। समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने बताया कि संस्था द्वारा कुल 7 विद्यार्थियों का चयन किया जाना है, इसके लिये एनजीओ द्वारा समूह चर्चा एवं साक्षात्कार का आयोजन किया जाकर उनका परीक्षण किया गया।

Thursday 19 July 2018

संस्थान के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग तथा इंटरनेशनल स्कूल फोर जैन स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय योग एवं मेडिटेशन स्टडीज विषयक पर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

चेतना के उच्च स्तर पर पहुंचाने का मार्ग है प्रेक्षाध्यान- मुनिश्री जयकुमार

लाडनूँ, 19 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग तथा इंटरनेशनल स्कूल फोर जैन स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय योग एवं मेडिटेशन स्टडीज विषयक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला में अमेरिका से आये विद्यार्थियों को मुनिश्री जयकुमार ने आत्मा व शरीर के पृथक अस्तित्व, चेतना के उध्र्वारोहण, मोक्ष एवं प्रेक्षाध्यान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रेक्षाध्यान से व्यक्ति शरीर और आत्मा की सता को अलग-अलग अनुभव कर पाने में सक्षम हो सकता है। प्रेक्षाध्यान से चेतना के उच्च स्तर तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने जैन मान्यता के अनुसार मोक्ष और मोक्ष प्राप्ति के उपाय के बारे में भी बताया। मुनि जयकुमार ने अमेरिकन विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान भी किया। समणी विनयप्रज्ञा ने इन विद्यार्थियों ने प्रेक्षाध्यान की साधना विधि के बारे में बताया तथा कार्यशाला के सभी संभागियों को प्रेक्षाध्यान का अभ्यास करवाया। इससे पूर्व योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने संभागियों को बताया कि प्रेक्षाध्यान साधना की सरलतम विधि है, जिसके परिणाम वैज्ञानिक कसौटी पर खरे उतरे हैं। उन्होंने आसन व ध्यान के प्रयेाग करवाये तथा अमेरिका से आये इन संभागियों को लाडनूँ के प्राचीन दर्शनीय स्थल बड़ा जैन मंदिर में दर्शन करवाये। मंदिर में भूगर्भ से निकले मंदिर, सरस्वती की कलात्मक प्रतिमा आदि को देखकर अभिभूत हो गये। उन्होंने यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के हरीतिमा युक्त सुन्दर व स्वच्छ वातावरण, मयूरों के स्वच्छंद विचरण आदि को भी श्रेष्ठ बताया तथा कहा कि ध्यान व साधना के लिये यह स्थान सबसे बेहतरीन है। यहां उन्होंने आचार्य तुलसी स्मारक पर भक्तामर स्त्रोत का पाठ भी किया। कार्यशाला में भाग लेने वाले सम्भागियों में अमेरिका से आये प्रो. चैपल, डेरिया ग्रिगोरेवा, लिजाबेथ मारीक्रूज, लिडीया जेन लुसियाना, सुसान लुइस, कैथरीन फ्रांसिस वेम, केरिन एलिजाबेथ, स्टेफनी क्रिस्टीना, सुवान मेगन मेकनैली, जैसन रे व आशी शामिल थे।

योग है व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 21 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग तथा इंटरनेशनल स्कूल फोर जैन स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय योग एवं मेडिटेशन स्टडीज विषयक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अमेरिका से आये विद्यार्थियों से कहा कि पूरे विश्व में जैन संस्कृति के विभिन्न पहलुओं, सिद्धांतों एवं प्रेक्षाध्यान व योग के प्रति रूझान बढा है। अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में जैन चैयर की स्थापना की गई है तथा प्रेक्षाध्यान व योग को विषय बनाया गया है। उन्होंने विश्व के अनेक विश्वविद्यालयो मेसे जैन विश्वभारती संस्थान के एमओयू के बारे में भी बताया। प्रो. दूगड़ ने योग को जीवन का ऐसा विषय बताया, जो व्यक्ति का सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होता है। उन्होंने जैन विश्वभारती संस्थान के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के अन्तर्गत स्थापित विभिन्न प्रयेागशालाओं के बारे में बताया तथा उनमें किये जाने वाले प्रयोगों के आधार पर कायम तथ्यों को महत्वपूर्ण बताया। इस अवसर पर उन्होंने कार्यशाला के सभी संभागियों को प्रतीक चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रो. चैपल ने कुलपति को अमेरिका के लाॅस एंजिल्स स्थित लोयेला मैरीमाइंड यूनिवर्सिटी के बारे में जानकारी दी तथा कहा कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच जैनिज्म एवं प्राच्य विद्याओं के अध्ययन-अध्यापन को लेकर भागीदारी संभव है।

संयम से सभी समस्याओं का समाधान संभव

इससे पूर्व कार्यशाला के संभागियों ने यहां भिक्षु विहार में विराजित मुनि जयकुमार से विभिन्न समसामयिक विषयों पर चर्चा की। मुनिश्री ने उन्हें बताया कि भ्रूण हत्या, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भोजन विवेक आदि के बारे में जैन पक्ष सबसे श्रेष्ठ कहा जा सकता है, जिसमें संयम को महत्व दिया जाता है। संयम का पालन करने से समस्यायें उत्पन्न ही नहीं होंगी। जैन धर्म हिंसा को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करता है। फिर भ्रूण हत्या को किसी भी कारण से स्वीकार नहीं हो सकती है। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने प्रेक्षाध्यान के वैज्ञानिक पक्ष को प्रस्तुत करते हुये संभागियों को अब तक किये गये शोध कार्यों के बारे में जानकारी दी और बताया कि विभिन्न शारीरिक व मानसिक रोगों को प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों से उपचारित किया जाना संभव है। समणी विनयप्रज्ञा ने कार्यशाला में प्रेक्षाध्यान की उपसंपदाओं के बारे में बताया। मियामी अमेरिका की फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर समणी सत्यप्रज्ञा व समणी रोहिणी प्रज्ञा ने इस अवसर पर सभी संभागियों को अमेरिका के भामास में प्रेक्षाध्यान पर होने वाली 4 दिवसीय कार्यशाला में आमंत्रित किया। उन्होंने कैलिफोर्निया में होने वाले विविध प्रेक्षाध्यान कार्यक्रमों के बारे में बताया।

आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन

भारतीय चिंतन परम्परा की हर धारा में है योग का समावेश- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 19 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि वैदिक व श्रमण परम्परायें भारतीय चिंतन परम्परा की दो अलग-अलग धारायें कही जाती है, लेकिन दोनों ही परम्पराओं में योग को किसी न किसी रूप में स्वीकार किया गया है। वैदिक परम्परा में वेद, उपनिषद, गीता आदि में योग सम्बंधी उद्देश्यों को प्रस्तुत करते हुये उनकी व्याख्या की गई है तथा योग का व्यवस्थित चिंतन वैदिक परम्परा में प्रस्तुत किया गया है, जिनमें योग का उद्देश्य ही नहीं योग की सार्थकता तक सम्पूर्ण अभिव्यक्ति की गई है। श्रमण परम्परा में जैन व बौद्ध दो दर्शन हैं, इनमें से जैन परम्परा में योग को मोक्ष प्राप्ति का आधार बताया गया है और बौद्ध परम्परा में समाधि योग को व्याख्यायित करते हुये अष्टांग मार्ग एवं बौद्धों के षडांग योग को स्पष्ट किया गया है। वे यहां बुधवार आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में शुरू की गई व्याख्यान-श्रृंखला के शुभारम्भ में भारतीय चिंतन परम्परा में योग का स्वरूप विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने इस अवसर पर शिक्षकों द्वारा इस सम्बंध में प्रस्तुत जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। क्षेत्र के इस एकमात्र महिला महाविद्यालय में शिक्षा के स्तर को उच्चता दिये जाने के लिये शिक्षकों में अनुसंधान प्रवृत्ति एवं गुणवत्ता की वृद्धि के लिये इस व्याख्यान श्रृंखला की शुरूआत की गई है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक 15वें दिन में अलग-अलग विषय पर केन्द्रित व्याख्यान का प्रावधान किया गया है, जिसमें शिक्षक अपने शोधपूर्ण आलेख की प्रस्तुति देगा और उस पर सभी शिक्षक मिल कर चिंतन व चर्चा भी करेंगे। महाविद्यालय में विगत वर्ष भी यह व्याख्यान श्रृंखला सफलता पूर्वक संचालित की गई थी।

Wednesday 11 July 2018

जैन विश्वभारती (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य महाप्रज्ञ के 99वें जन्मदिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

विविधता में है सृष्टि का सौंदर्य - प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 11 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के द्वितीय अनुशास्ता एवं तेरापंथ धर्मसंघ के दसवें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की 99वीं जयंती के अवसर पर यहां संस्थान के सेमिनार हाॅल में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन के उद्धरण व संस्मरण प्रस्तुत करते हुये कहा कि व्यक्ति में सहनशीलता का गुण आवश्यक है, क्योंकि यह सर्वमान्य तथ्य है कि जो सहता है, वही रहता है। सहन नहीं करने पर नुकसान ही होता है तथा अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिये सहने की प्रवृति आवश्यक है। उन्होंने महाप्रज्ञ के विचारों को उद्धृत करते हुये कहा कि सृष्टि का सौंदर्य विविधता में है, जबकि संकीर्णता मनुष्य की सोच होती है। इसलिये सृष्टि की देन को स्वीकार करने का मतलब अस्तित्व को स्वीकार करना होता है। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ की मेधाशक्ति का जिक्र करते हुये कहा कि वे संस्कृत, प्राकृत व हिन्दी ही जानते थे, अंग्रेजी नहीं, लेकिन जब उन्होंने अंग्रेजी की व्यापकता को देखा तो आॅक्सफोर्ड डिक्सनरी को पूरा कंठस्थ कर लिया। इस अवसर पर उन्होंने अनुशास्ता की देन के महत्व को प्रस्तुत किया तथा बताया कि वे जैन विश्वभारती संस्थान जैन विद्या का केन्द्र बनाना चाहते थे। हमें इस चुनौती को स्वीकार करते हुये उसी दिशा में प्रयत्न करने चाहिये तथा जैन-स्काॅलर बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिये। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, शोध निदेशक प्रो. अनिल धर व शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने आचार्य महाप्रज्ञ के अनेकांत मय जीवन, उनके द्वारा प्रदत्त प्रेक्षाध्यान व जीवन विज्ञान, सापेक्ष अर्थशास्त्र, उदार प्रवृति और संत जीवन पर प्रकाश डाला और उनके विलक्षण व्यक्तित्व के बारे में बताते हुये उन्हें आधुनिक युग का विवेकानन्द बताया। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुये आचार्य महाप्रज्ञ की 300 से अधिक पुस्तकों की रचना, एक लाख किमी से अधिक पद यात्रा, उन्हें विश्व स्तर पर दिये गये अवार्ड आदि के बारे में जानकारी दी। डाॅ. योगेश कुमार जैन ने कार्यक्रम का संचालन किया।

Wednesday 4 July 2018

जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अब सायंकालीन कक्षाऐं

लाडनूँ 04 जुलाई 2018। दिन में अपने व्यवसाय या सर्विस में रहने वाले व्यक्तियों के लिये भी अब अपनी नियमित कक्षाओं में उपस्थित होकर अध्ययन करना आसान हो गया है। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में इसके लिये विशेष रूप से रात्रिकालीन कक्षायें प्रारम्भ की गई है। कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ ने बताया कि इस सत्र से एमए स्नातकोत्तर की कक्षाओं को रात्रिकालीन किया जा रहा है, जिनसे रोजगाररत व्यक्ति नियमित अध्ययन कर पायेंगे। संस्थान के अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गोविन्द सारस्वत ने बताया कि ये सुविधा उनके लिए शुरू की गई है, जो कहीं सर्विस कर रहे है या स्वयं का व्यवसाय कर रहे हैं और दिन में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश नहीं ले सकते। ऐसे विद्यार्थी नियमित छात्र के रूप मे इन सायंकालीन कक्षााओं के लिए प्रवेश ले सकते हैं। सारस्वत ने बताया कि इन रात्रिकालीन कक्षाओं में प्रवेश के लिये इच्छुक विद्यार्थियों को अपने नियोक्ता से एक प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा। प्रवेश के लिए स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होना अनिवार्य रखा गया है।